अष्ट धातु की कीमत क्या है? - asht dhaatu kee keemat kya hai?

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क्राइम ब्रांच ने करीब 600 साल से ज्यादा पुरानी नागकन्या और गणेश की मूर्तियों की खरीद-फरोख्त करने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह का खुलासा करते हुए 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। इनसे तीन मूर्तियां बरामद हुईं। पुरातत्व विभाग ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनकी कीमत 3.10 करोड़ रुपए आंकी है। इन मूर्तियों को एक आरोपी ने राजस्थान के एक व्यक्ति से 1 लाख रुपए में खरीदा था। फिर वाट्सएप ग्रुप पर दुर्लभ बताकर करोड़ों में बेचने के लिए ग्राहक खोज रहा था। दो आरोपियों ने इन्हें मुंबई के एक बिल्डर को 2.35 करोड़ में बेचने की तैयारी तक कर ली थी। शेष|पेज 8 पर

इसी बीच क्राइम ब्रांच को भनक लग गई और टीम वाट्सएप ग्रुप पर ग्राहक बनकर गिरोह तक पहुंच गई। अब मुंबई के बिल्डर सहित गिरोह को ये मूर्तियां उपलब्ध करवाने वाले राजस्थान के शख्स की तलाश की जा रही है। सभी राज्यों की पुलिस, संग्रहालय और पुरातात्विक संस्थाओं के साथ सीआईडी को भी इन मूर्तियों की जानकारी दे दी गई है।

डीआईजी हरिनारायणाचारी मिश्र के मुताबिक पकड़े गए आरोपी टीकमचंद पिता चेतराम कसेरा (63) निवासी जिंसी हाट मैदान, कलीमुद्दीन पिता फकरुद्दीन बोहरा (70) निवासी खातीवाला टैंक, नाथूलाल पिता चुन्नीलाल प्रजापति (47) निवासी सृष्टि पैलेस कॉलोनी छोटा बांगड़दा, आला देव उर्फ पप्पू पिता गणपत (47) निवासी सोमनाथ की चाल, राजकुमार पिता मोहनलाल भिंजवानी (44) निवासी शिवधाम लिम्बोदी, राजेंद्र उर्फ राजू पिता रामेश्वर सोनी (43) निवासी धार रोड, अकबर पिता मुश्ताक खान(29) बड़ा बाजार देवास , वसीम पिता मोहम्मद अख्तर (34) निवासी पिंजारा बाखल, मोहम्मद एजाज अब्दुल हमीद (55) निवासी अशोका कॉलोनी माणिकबाग इंदौर है।

यूं बिछाया क्राइम ब्रांच ने जाल

डीआईजी ने बताया कि सभी आरोपी मूर्तियों को बेचने के लिए ऊंची से ऊंची कीमत पर ग्राहक की तलाश कर रहे थे। इन्होंने कई वाट्सएप ग्रुप पर मूर्तियों को अतिप्राचीन बताकर करोड़ों में बेचने की मंशा जताई थी। इसी दौरान क्राइम ब्रांच टीम के कुछ सदस्य वाट्सएप पर ग्राहक और बिचौलिए बनकर जुड़े और मूर्ति को ऊंचे दाम में बिकवाने के लिए मैसेज किए। इस पर गिरोह के कुछ सदस्य तैयार हो गए। टीम ने सभी आरोपियों को एक साथ पकड़ने के लिए जाल बिछाया और बड़ा सौदा किया। आरोपी कलीमुद्दीन बोहरा ने सभी साथियों को अच्छा कमीशन का लालच देकर अपने घर बुलाया और तभी क्राइम ब्रांच ने दबिश देकर सभी को रंगेहाथ पकड़ लिया।

सुमेरियन, फिलिस्तीन और मेसोपोटामिया सभ्यता में होती थी ऐसी मूर्तियां

डीआईजी के मुताबिक आरोपियों से दो अष्टधातु की और एक पीतल की मूर्ति मिली है। अष्टधातु की एक मूर्ति नागकन्या की है, जिसकी कीमत करीब ढाई करोड़ है। दूसरी अष्ट धातु की मूर्ति गणेशजी की है, जिसकी कीमत करीब 50 लाख रुपए है। वहीं पीतल की गणेशजी की मूर्ति 10 लाख की है। पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों से मूर्तियों का परीक्षण करवाया तो उन्होंने मूर्ति पर हुई नक्काशी और कलाकारी, अंकित चिन्ह और उसके इतिहास के आधार पर आंकलन कर तीनों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करीब 3.10 करोड़ होना बताई। जानकारों ने बताया 11 वीं शताब्दी में राजपूत काल में भी इस तरह की प्रतिमाएं बनाई गईं थीं। वहीं 15वीं शताब्दी में राजस्थान और मप्र के बुंदेलखंड में भी इस तरह की प्रतिमाएं बनी थीं। उसके बाद से ऐसी प्रतिमाएं नहीं देखी गई।

-ये है आरोपियों का प्रोफाइल

1. टीकम चंद कसेरा- बर्तन पालिश का काम है।2013 से प्रापर्टी ब्रोकर भी है।

2. कलीमुद्दीन बोहरा- एंटिक आयटम व डायमंड बिकवाने का दलाल है।

3 नाथूलाल प्रजापत- मेटल पीतल स्क्रेप का व्यापार करता है। राजस्थान के भिलवाड़ा से यहां व्यापार के लिए आया है।

4. आला देव उर्फ पप्पी - हम्माली करता है। रिक्शा चलाकर पीतल का भंगार खरीदा-बेचता है।

5. राजकुमार भिंजवानी- पहले पान दुकान चलाता था, अब प्रापर्टी की दलाली करता है।

6. राजेंद्र उर्फ राजू सोनी- चाय-नाश्ते की दुकान चलाता है। एंटिक वस्तुएं खरीदने बेचने का काम है। ये 1 साल पहले 80 लाख का एक पुखराज भी बिकवाने के प्रयास कर चुका है।

7. अकबर खान- कपड़ा मार्केट में कमीशन एजेंट का काम करता है।

8. मोहम्मद वसीम अख्तर- प्लास्टिक दाने की दलाली करता है।

9. मोहम्मद एजाज- प्रॉपर्टी बेचने और दलाली का काम करता है।

10. मुर्तजा बोहरा- प्रापर्टी ब्रोकर है। व्यापार में घाटा होने के बाद एंटिक वस्तुओं की दलाली भी करने लगा।

पंचधातु  की तुलना में अष्टधातु  ज्यादा टिकाऊ नहीं होती है इसलिए भी  लोग कम पहनते हैं | हाँ, आजकल साउथ इंडिया में कई मंदिरों में अष्टधातु  से बनी मूर्तियां हैं जिनकी लोग पूजा करते हैं वो मूर्तियाँ काफी प्रभाबशाली माना जाता हैं |

आत्मा हिंसक प्रकृति से मुक्त है। आत्मा की प्रकृति प्रेम, शांति, आनंद और अहिंसा है। मन ईश्वर है, इसमें अशुद्ध राज्य मन की इच्छा, क्रोध, घृणा, वासना और अहंकार है। जो कोई भी अपनी एकाग्रता पर ध्यान केंद्रित करता है या अपनी प्रकृति का ध्यान करता है, वह प्राप्त करता है। फॉर्म और चित्रों का चयन करने में अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए। घर के लिए प्रसन्ना मुद्रा सबसे अच्छी है। सार्वजनिक मंदिरों की अपनी पसंद हो सकती है। हिंसा, घृणा, क्रोध का प्रतीक किसी भी चीज़ से बचें। अनुग्रह और सुखद अभिव्यक्तियों की तलाश करें। वास्तु विशेषज्ञ अपनी टिप्पणियों में सही हैं, पवित्रशास्त्र युग के लिए विशिष्ट परिवर्तनों का पालन नहीं करते हैं क्योंकि युग धर्म प्रत्येक युगों के लिए अलग है।

अष्टधातु की कीमत कितनी होती है?

अष्टधातु की कीमत क्या है? अष्टधातु की एक मूर्ति नागकन्या की है, जिसकी कीमत करीब ढाई करोड़ है। दूसरी अष्ट धातु की मूर्ति गणेशजी की है, जिसकी कीमत करीब 50 लाख रुपए है। वहीं पीतल की गणेशजी की मूर्ति 10 लाख की है।

अष्ट धातु कौन कौन से होते हैं?

अष्टधातु से बनी अंगूठी या फिर कड़ा पहनने से काफी लाभ मिलता है। बता दें कि अष्टधातु आठ तरह की धातुओं से मिलकर बनती हैं जो सोना, चांदी, तांबा, सीसा, जस्ता, टिन, लोहा और पारा होता है।

अष्टधातु की अंगूठी कौन सी उंगली में पहने?

अष्टधातु से बनी अंगूठी नवग्रहों को बैलेंस करके भाग्योदय करती है। इस धातु का स्वामी चंद्रमा है। यह अंगूठी कुंभ और मकर राशि के जातकों के लिए सबसे श्रेष्ठ है। इस अंगूठी को मध्यमा अंगुली में पहनना शुभ होगा।

अष्ट धातु पहनने से क्या होता है?

अष्टधातु का मनुष्य के स्वास्थ्य से गहरा संबंध है। यह हृदय को भी बल देती है एवं मनुष्य की अनेक प्रकार की बीमारियों को निवारण करती है। अष्टधातु की अंगूठी या कड़ा धारण करने पर यह मानसिक तनाव को दूर कर मन में शांति लाता है। अष्टधातु पहनने से व्यक्ति में तीव्र एवं सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ जाती है।