ज्योतिष शास्त्र में अष्टधातु का बड़ा महत्व है। कई पाप ग्रहों का दुष्प्रभाव और पीड़ा दूर करने के लिए अष्टधातु की अंगूठी या अष्टधातु का कड़ा पहना जाता है। भगवान की कई मूर्तियां भी अष्टधातु की बनाई जाती है। इसका कारण है इसकी शुद्धता। Show अष्टधातु के लाभ और प्रयोगअष्टधातु का अर्थ है आठ धातुओं का मिश्रण। इनमें आठ धातुएं सोना, चांदी, तांबा, सीसा, जस्ता, टिन, लोहा, तथा पारा शामिल किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर धातु में ऊर्जा होती है। धातु अगर सही समय में और ग्रहों की सही स्थिति को देखकर धारण की जाए तो उसका सकारात्मक प्रभाव पहनने वाले को मिलता है। इसी सिद्धांत के आधार पर विभिन्न् ग्रहों की पीड़ा दूर करने के लिए उनके संबंधित रत्नों को भी अष्टधातु में पहनने का विधान है। ASTHADHATU BRACELET KADAhttps://onlinepoojaitems.com/ अष्टधातु का अर्थ है आठ धातुओं का मिश्रण। इनमें आठ धातुएं सोना, चांदी, तांबा, सीसा, जस्ता, टिन, लोहा, तथा पारा शामिल किया जाता है। ASTHADHATU BRACELET KADA PURE Two Color सोने के लाभ :
ASTHADHATU BRACELET KADA PURE चंदी के लाभ
चांदी को बहुत पवित्र और सात्विक धातु माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि चांदी भगवान शंकर के नेत्रों से उत्पन्न हुई थी. ज्योतिष में चांदी का संबंध चंद्रमा और शुक्र से है. चांदी शरीर के जल तत्व और कफ को नियंत्रित करती है. यह मध्यम मूल्यवान होने के कारण ज्यादा प्रयोग की जाती है. ताम्बा धारण करने के लाभ
जस्ता टिन धारण करने के लाभ
Kaal Bhairav Suraksha / Raksha Bracelet Kawatch Thicker Mota (01 Pcs. of 251 Thread) टिन लोहा धारण करने के लाभ
लोहा धारण करने के लाभASTHADHATU LION FACE KADA BRACELET BRASS शनि को लोहा प्रिय है, किन्तु शनिवार को लोहा घर में नहीं लाया जाता। जिस धातु को शनि सर्वाधिक पसंद करते हैं, उसी धातु का घर में शनिवार को आना पीडादायक और कलहकारक सिद्घ होता है। ऎसा तभी होता है जबकि निजी उपयोग के लिए शनिवार को लोहा खरीदा जाये या घर में लाया जाये, लेकिन पूजा करने हेतु अथवा विधिपूर्वक धारण करने हेतु लोहा प्राप्त किया जाये तो शनि प्रसन्न होते हैं। शनिवार को लोहे के दान से भी शनि की प्रसन्नता होती है। ASTHADHATU SARDAR KADA BRACELET BRASS पारा धारण करने के लाभ
सिसा धारण करने के लाभ
ASTHADHATU SNAKE FACE KADA BRACELET BRASS अष्टधातु को अत्यंत पवित्र माना जाता है अष्टधातु को अत्यंत पवित्र और शुद्ध धातु सम्मिश्रण माना गया है। इसमें कोई भी नकारात्मक ऊर्जा नहीं होती है। यदि जन्मकुंडली में राहु अशुभ स्थिति में हो या उसकी महादशा चल रही हो तो बहुत कष्ट देता है। ऐसी स्थिति में दाहिने हाथ में अष्टधातु का कड़ा धारण करने से राहु की पीड़ा शांत होती है। अष्टधातु का संबंध मनुष्य के स्वास्थ्य से भी है। इसे हृदय को बल देने वाला और उसकी कार्यप्रणाली में सुधार लाने वाला बताया गया है। अष्टधातु से हृदय की अनियमित धड़कन संतुलित और नियमित होती है। अष्टधातु का कड़ा या अंगूठी धारण करने से अनेक रोगों में आराम मिलता है। Mota Black Band Suraksha Kavach (4 Pcs.) Kaal Bhairav Mandir Varanasi अष्टधातु को भाग्योदयकारक बताया गया है अष्टधातु की अंगूठी या कड़ा पहनने से मानसिक तनाव दूर होता है और मन मस्तिष्क में शांति व्याप्त होती है। यह वात, पित्त और कफ को संतुलित करके अनेक रोगों को दूर भगाता है। अष्टधातु की कोई वस्तु धारण करने से व्यक्ति का मस्तिष्क उर्वर होता है। उसके निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है। सही समय पर सही निर्णय लेने से उसकी तरक्की और आर्थिक संपन्न्ता के मार्ग खुलते हैं। अष्टधातु को भाग्योदयकारक बताया गया है, बिजनेस में प्रॉफिट और तरक्की के लिए अष्टधातु की अंगूठी या लॉकेट धारण करें। अष्टधातु से नवग्रह संतुलित होते हैं अष्टधातु की अंगूठी या कड़ा पहनने से नवग्रह संतुलित होते हैं। अष्टधातु की गणेशजी की मूर्ति अपने घर के पूजा स्थान में या ईशान कोण में स्थापित करने से घर में सब शुभ होता है। किसी भी कार्य में रूकावट नहीं आती। विद्यार्थी, शिक्षक और एजुकेशन फील्ड से जुड़े लोग यदि अष्टधातु की सरस्वती माता की मूर्ति की नियमित पूजा करें तो उनके ज्ञान, बुद्धि में वृद्धि होती है और इस क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकते हैं। कई रोगों में अष्टधातु के बर्तन में रखा हुआ पानी पीया जाता है, लेकिन यह प्रयोग किसी योग्य आयुर्वेदाचार्य के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए।चांदी को बहुत पवित्र और सात्विक धातु माना जाता है. अष्टधातु का कड़ा पहनने से क्या होता है?कड़ा हनुमानजी का प्रतीक है। अष्टधातु कड़ा पहनने से सभी तरह के भूत-प्रेत आदि नकारात्मक शक्तियों से व्यक्ति की रक्षा होती है। तो हो ही जाएगा, साथ ही इसकी आपको सजा भी मिलेगी।
अष्टधातु की कीमत कितनी होती है?अष्टधातु की कीमत क्या है? अष्टधातु की एक मूर्ति नागकन्या की है, जिसकी कीमत करीब ढाई करोड़ है। दूसरी अष्ट धातु की मूर्ति गणेशजी की है, जिसकी कीमत करीब 50 लाख रुपए है। वहीं पीतल की गणेशजी की मूर्ति 10 लाख की है।
अष्टधातु की अंगूठी पहनने से क्या लाभ है?अष्टधातु से बनी अंगूठी
इसे धारण करने से व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता हासिल होती है। नौकरी-बिजनेस में तरक्की के साथ स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। इसके साथ ही दिमाग शांत रहता है, जिससे नए-नए विचार आते रहते हैं। अष्टधातु से बनी अंगूठी नवग्रहों को बैलेंस करके भाग्योदय करती है।
अष्ट धातु का अर्थ क्या है?अष्टधातु संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] आठ धातुएँ-सोना, चाँदी, ताँबा, राँगा, जस्ता, सीसा, लोहा और पारा । Hindi Dictionary.
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