अंतरिक्ष में जाने वाली तीसरी महिला कौन है? - antariksh mein jaane vaalee teesaree mahila kaun hai?

निम्नलिखित सूची उन महिलाओं की है, जिन्हे उनकी पहली उड़ान की तारीख के आधार पर रखा गया है। हालांकि पहली महिला ने 1963 में अंतरिक्ष में उड़ान भरी थी, जो कि अंतरिक्ष यान की खोज में बहुत शुरआती थी, लेकिन दूसरी उड़ान भरने में लगभग बीस साल लग गए । 1980 के दशक में महिला अंतरिक्ष यात्री आम हो गईं। इस सूची में कॉस्मोनॉट और एस्ट्रोनोट दोनों यात्री शामिल हैं।

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दिसंबर 2019 तक, 565 कुल अंतरिक्ष यात्रियों में से 65 महिलाएं हैं.[1] फ्रांस, इटली, दक्षिण कोरिया और यूनाइटेड किंगडम से 1, कनाडा, चीन और जापान से 2, सोवियत संघ / रूस से 4 और संयुक्त राज्य अमेरिका से 50। पहले पुरुष और पहली महिला अंतरिक्ष यात्रियों के बीच के समय का अंतराल विभन्न देशों में व्यापक रूप से भिन्न होता है. ब्रिटेन, दक्षिण कोरिया और ईरान की पहले अंतरिक्ष यात्री मूल रूप से महिलाएं थीं, जबकि रूस के वोस्तोक 1 में अंतरिक्ष में पहले आदमी से वोस्तोक 6 में पहली महिला का दो साल का अंतर था अंतरिक्ष में पहले अमेरिकी पुरुष और पहली अमेरिकी महिला के बीच का समय अंतराल क्रमशः फ्रीडम 7 और एसटीएस -7 के बीच 22 साल का था. चीन के लिए, यह अंतराल शेनझोउ 5 और शेनझोउ 9 अंतरिक्ष अभियानों के बीच लगभग साढ़े आठ साल का था,[2] और इटली के लिए, एसटीएस-46 और अभियान 42 अंतरिक्ष उड़ान के बीच लगभग बारह साल का था।

पहली और दूसरी महिला के उड़ान के बीच 19 साल का अंतराल था। जो की वोस्टोक 6 और सोयूज टी -7 मिशन पर वे कॉस्मोनॉट थे। हालाँकि सोवियत संघ ने पहले दो महिलाओं को अंतरिक्ष में भेजा था, लेकिन अंतरिक्ष में केवल चार महिलाएँ रूसी या सोवियत नागरिक रही हैं। हालांकि, ब्रिटिश, फ्रांसीसी, इतालवी, दोहरे नागरिक ईरानी-अमेरिकी और दक्षिण कोरियाई महिलाओं ने सोवियत और रूसी अंतरिक्ष कार्यक्रमों के हिस्से के रूप में सभी हिस्सा लिया हैं। इसी तरह, कनाडा, भारत, जापान और अमेरिका की महिलाएं अमेरिका के अंतरिक्ष कार्यक्रम के तहत उड़ान भर चुकी हैं। अंतरिक्ष में पहली और दूसरी अमेरिकी महिलाओं में एक वर्ष की अंतराल था। जबकि अंतरिक्ष में पहले अमेरिकी आदमी पहली अमेरिकी महिला से 20 साल पहले पहुंचे थे, जबकि एक वर्ष के अंतराल में पहली और दूसरी चीनी महिलाओं को अलग-अलग मिशन, शेनज़ो 9 और शेनज़ो 10 पर अंतरिक्ष भेजा गया था।

बांदला यूएस नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के लिए एक अंतरिक्ष यात्री बनना चाहती थीं. लेकिन, आंखों की कमजोर रोशनी के कारण वह ऐसा नहीं कर सकीं. जब वह पर्ड्यू यूनिवर्सिटी में थीं, तो एक प्रोफेसर ने उन्हें कॉमर्शियल अंतरिक्ष उड़ानों के क्षेत्र में एक अवसर के बारे में बताया. इसके बाद वह इससे जुड़ीं.

ह्यूस्टनः हिन्दुस्तानी मूल की 34 साला एरोनॉटिकल इंजीनियर बांदला इतवार को अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली भारतीय मूल की तीसरी खातून बन गई हैं. उन्होंने अमेरिका के न्यू मैक्सिको रियासत से ब्रिटिश अरबपति रिचर्ड ब्रैनसन के साथ ‘वर्जिन गैलेक्टिक’ की अंतरिक्ष के लिए पहली मुकम्मल चालक दल वाली कामयाब टेस्ट उड़ान भरी. न्यू मैक्सिको से अंतरिक्ष यान की उड़ान में ब्रैनसन, बांदला के साथ पांच और लोग करीब 53 मील की ऊंचाई (88 किलोमीटर) पर अंतरिक्ष के छोर पर पहुंचे थे. वहां तीन से चार मिनट तक भारहीनता महसूस करने और जमीन का नजारा देखने के बाद वे सभी वापस लौट आए थे.

आंध्र प्रदेश के गुंटूर ज़िले में जन्मीं सिरिशा बैंडला अमेरिका के ह्यूस्टन शहर में पली बढ़ी हैं. अमेरिका की निजी अंतरिक्ष एजेंसी वर्जिन गैलेक्टिक के ‘यूनिट 22’ के छह सदस्य का एक दल 11 जुलाई को अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरेगा. सिरिशा इस दल का हिस्सा हैं.

अंतरिक्ष में जाने वाली तीसरी महिला कौन है? - antariksh mein jaane vaalee teesaree mahila kaun hai?

वर्जिन गैलेक्टिक के यूनिटी 22 मिशन के तहत अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले छह सदस्यीय दल के साथ सिरिशा बैंडला (दाएं से दूसरी). (फोटो साभारः वेबसाइट)

हैदराबाद: भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सिरिशा बैंडला 11 जुलाई को अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरेंगी. 34 वर्षीय सिरिशा अमेरिका की निजी अंतरिक्ष एजेंसी वर्जिन गैलेक्टिक के मिशन ‘यूनिटी 22’ के तहत छह सदस्यों के दल का हिस्सा हैं.

वह अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की तीसरी महिला अंतरिक्ष यात्री होंगी. इससे पहले भारतीय मूल की कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स भी अंतरिक्ष की यात्रा कर चुकी हैं. 2003 में कोलंबिया अंतरिक्ष शटल हादसे में कल्पना चावला का निधन हो गया था.

इसके साथ ही ह्यूस्टन में पली-बढ़ीं सिरिशा कल्पना चावला के बाद अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली भारत में जन्मी दूसरी महिला बन जाएंगी. राकेश शर्मा और सुनीता विलियम्स अन्य भारतीय थे, जो अंतरिक्ष में गए थे.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सिरिशा की इन उपलब्धियों से आंध्र प्रदेश में रह रहे सिरिशा का परिवार बहुत गौरवान्वित हैं.

आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में रह रहे सिरिशा के दादा का कहना है कि वह बहुत बहादुर हैं और आसमान शुरू से ही उन्हें बहुत आकर्षित करता था.

सिरिशा बैंडला के दादा-दादी आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में रहते हैं. उनके दादा रगैया बैंडला का कहना है कि चार साल की उम्र से सिरिशा उड़ना चाहती थी और उसकी आंखें हमेशा आसमान में होती थी.

सिरिशा ने परड्यू विश्वविद्यालय से एयरोनॉटिकल और एस्ट्रोनॉटिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री लेने के बाद जॉर्ज वॉशिंगटन विश्वविद्यालय से एमबीए किया है.

वह 2015 में वर्जिन गैलेक्टिक में शामिल होने से पहले टेक्सास के ग्रीनविले में कमर्शियल स्पेसफ्लाइट फेडरेशन (सीएसएफ) के अंतरिक्ष नीति विभाग की एसोसिएट निदेशक थीं.

वह फिलहाल अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन ​डीसी स्थित निजी अंतरिक्ष एजेंसी वर्जिन गैलेक्टिक में गवर्मेंट अफेयर्स एंड रिसर्च ऑपरेशंस की उपाध्यक्ष हैं. साथ ही सिरीशा कंपनी के पहले पूर्ण चालक दल वाले अंतरिक्ष यान में चार मिशन विशेषज्ञों में से एक है.

वर्जिन गैलेक्टिक की वेबसाइट ‘एस्ट्रोनॉट 004’ के अनुसार, ‘सिरिशा फ्लोरिडा विश्वविद्यालय में हुए एक प्रयोग का उपयोग करके मानव-प्रवृत्त अनुसंधान अनुभव का मूल्यांकन करेगी.

इसके साथ ही वह वर्तमान में अमेरिकन एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी और फ्यूचर स्पेस लीडर्स फाउंडेशन के निदेशक मंडल के सदस्य के रूप में कार्यरत हैं.

बता दें कि अमेरिकी की निजी अंतरिक्ष कंपनी के प्रमुख रिचर्ड ब्रैनसन ने एक जुलाई को घोषणा करते हुए बताया था कि उनकी अगली अंतरिक्ष उड़ान 11 जुलाई को होगी, जिसमें कुल छह सदस्य होंगे. यह अंतरिक्ष यान अमेरिका के न्यू मेक्सिको से उड़ान भरेगा. क्रू के सभी सदस्य कंपनी के ही कर्मचारी हैं.

इस दौरान सिरिशा का काम रिसर्च का होगा. इस दल में सिरिशा सहित दो महिलाएं हैं.

I am so incredibly honored to be a part of the amazing crew of #Unity22, and to be a part of a company whose mission is to make space available to all. https://t.co/sPrYy1styc

— Sirisha Bandla (@SirishaBandla) July 2, 2021

सिरिशा ने ट्वीट कर कहा, ‘मैं ‘यूनिटी 22’ के अद्भुत दल और एक ऐसी कंपनी का हिस्सा बनकर सम्मानित महसूस कर रही हूं, जिसका मिशन अंतरिक्ष तक सभी की पहुंच सुनिश्चित करना है.’

वर्जिन गैलेक्टिक के मुताबिक, ‘कंपनी पहली बार स्पेसफ्लाइट की ग्लोबल लाइव स्ट्रीमिंग करेगी.’

वर्जिन गैलेक्टिक ने कहा, ‘दुनियाभर के लोग ‘यूनिटी 22’ की टेस्ट फ्लाइट में वर्चुअली हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित हैं और वर्जिन गैलेक्टिक भावी अंतिरक्ष यात्रियों के लिए असाधारण अनुभव देने जा रही है. यह लाइव स्ट्रीमिंग वर्जिन गैलेक्टिक डॉट कॉम पर उपलब्ध होगी और वर्जिन गैलेक्टिक के ट्विटर, यूट्यूब और फेसबुक चैनलों पर प्रसारित होगी. इसके उड़ान के दिन सुबह सात बजे माउंटेन डेलाइट टाइम (एमडीटी) या नौ बजे ईस्टर्न डेलाइट टाइम (ईडीटी) शुरू होने की उम्मीद है.’

अमेरिकी सरकार के तहत काम कर रहे सिरिशा के माता-पिता बी. मुरलीधर और अनुराधा फिलहाल दिल्ली में हैं और वह जल्द अमेरिका रवाना होंगे. सिरिशा की बहन प्रत्यूषा अमेरिका में बायोलॉजिकल साइंस टेक्निशियन ​हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सिरिशा के दादा रगैया बैंडला राज्य सरकार द्वारा संचालित एनजी रंगा कृषि विश्वविद्यालय में मुख्य वैज्ञानिक और प्रोफेसर के तौर पर काम करते हैं.

उनका कहना है, ‘चार साल की उम्र में सिरिशा ने अकेले अमेरिका की यात्रा की थी, जहां उसके माता-पिता और बड़ी बहन रहते थे. हालांकि, इस दौरान उनके साथ जो शख्स था, वह हमें जानता था, लेकिन वह सिरिशा के लिए अजनबी था. सिरिशा को अकेले उड़ने से डर नहीं लगता था. वह उत्सुक थी.’

रगैया खुश और गौरवान्वित हैं कि उनकी पोती अपने सपनों को पूरा करने के लिए तैयार हैं.

वह कहते हैं, ‘हमें नहीं पता कि विमानों, तारों और आसमान में उसकी दिलचस्पी कैसे शुरू हुई. यह उसमें बचपन से ही था. उसने आज जो कुछ भी हासिल किया है, वह अपने दम पर हासिल किया है. उसके माता-पिता ने उसे अपने सपने को पूरा करने की पूरी आजादी दी. उसने अपनी उत्कृष्टता साबित की है और इस अवसर को भुनाया है.’

रसायन विज्ञान के शिक्षक के रूप में सेवानिवृत्त हुए और आंध्र प्रदेश के प्रकासम जिले के तेनाली में रह रहे सिरिशा के नाना वेंकट नरसिया कहते हैं, ‘सिरिशा की विमान उड़ाने में इतनी दिलचस्पी थी लेकिन नजर कमजोर होने की वजह से वह नासा नहीं जा सकी, लेकिन फिर भी उसने इसी क्षेत्र में उच्च शिक्षा हासिल की. अपने जैसे लोगों के लिए उसने यूट्यूब पर ‘लेशन्स फ्रॉम बैंडला सिरिशा’ के नाम से वीडियो बनाए कि किस तरह स्पेस इंडस्ट्री में जाया जाए.’

उन्होंने कहा कि सिरिशा ह्यूस्टन में अपने परिवार के रहने के दौरान अक्सर नासा जाती थी.

रगैया ने कहा, ‘जब मैं रात को देरी से घर आता था, मैं सिरिशा को घर के बाहर जाने से मना करता था, लेकिन वह मुझे हमेशा चिंता नहीं करने को कहती थी. वह कहती थी कि वह अपनी देखभाल खुद कर सकती है.’

सिरिशा ने आखिरी बार अपने दादा-दादी से नवंबर 2019 में मिली थीं.


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अंतरिक्ष में जाने वाली दूसरी महिला कौन सी है?

Detailed Solution. 11 जुलाई 2021 को एरोनॉटिकल इंजीनियर सिरीशा बान्दला अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली तीसरी भारतीय-अमेरिकी महिला बनीं। वह अंतरिक्ष में जाने वाली अमेरिकी मूल की दूसरी भारतीय थीं, पहली सुनीता विलियम्स थीं। कल्पना चावला का जन्म भारत में हुआ था और वह जन्म से अमेरिकी नहीं थीं।

अंतरिक्ष में उड़ने वाली तीसरी भारतीय महिला कौन बनी?

कल्पना चावला, सुनीता विलि​यम्स के बाद भारतीय मूल की तीसरी महिला सिरिशा अंतरिक्ष उड़ान भरेंगी आंध्र प्रदेश के गुंटूर ज़िले में जन्मीं सिरिशा बैंडला अमेरिका के ह्यूस्टन शहर में पली बढ़ी हैं. अमेरिका की निजी अंतरिक्ष एजेंसी वर्जिन गैलेक्टिक के 'यूनिट 22' के छह सदस्य का एक दल 11 जुलाई को अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरेगा.

अंतरिक्ष में प्रथम महिला कौन है?

वैलेन्टिना टेरेशकोवा पहली महिला थीं जो अंतरिक्ष में गईं।

अब तक कितनी महिलाएं अंतरिक्ष में जा चुकी हैं?

इतिहास दिसंबर 2019 तक, 565 कुल अंतरिक्ष यात्रियों में से 65 महिलाएं हैं.