अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति क्यों और सफल हुई? - atthaarah sau sattaavan kee kraanti kyon aur saphal huee?

अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति क्यों और सफल हुई? - atthaarah sau sattaavan kee kraanti kyon aur saphal huee?

1857 की क्रांति के असफलता के कोई पांच कारण लिखिए : 1857 की क्रांति की असफलता के कोई पांच कारण ( 1857 ki kranti ki asafalta ke koi panch karan) प्रश्न का उत्तर यहाँ दिया गया है –

1857 की क्रांति कोई आकस्मिक घटना नहीं थी इसकी शुरुआत होने के अनेक कारण थे जैसे- राजनीतिक कारण जिसके अंतर्गत डलहौजी की साम्राज्यवादी नीति, समकालीन परिस्थितियां, मुगल सम्राट बहादुर शाह के साथ दुर्व्यवहार, नाना साहेब के साथ अन्याय, आर्थिक कारणों के अंतर्गत व्यापार विनाश, किसानों का शोषण, अकाल, इनाम की जागीरें छीनना, भारतीय उद्योगों का नाश तथा बेरोजगारी, सामाजिक कारणों के अंतर्गत ब्रिटिशों द्वारा भारतीयों के सामाजिक जीवन में हस्तक्षेप, पाश्चात्य संस्कृति को प्रोत्साहन, भारतीयों के प्रति भेदभाव नीति आदि कारण थे जिन्होंने 1857 की क्रांति को जन्म दिया था। इन सभी कारणों के अलावा कई धार्मिक एवं प्रशासनिक कारण भी थे जिन्होंने इस क्रांति को जन्म दिया था।

  • 1857 की क्रांति की असफलता के पांच कारण –
    • 1. क्रांति का देशव्यापी प्रसार न होना –
    • 2. प्रभावी नेतृत्व का न होना –
    • 3. सैनिक संख्या में अंतर –
    • 4. संसाधनों का अभाव –
    • 5. आपसी फूट और बहादुरशाह के प्रति द्वेष –

1857 की क्रांति होने से पहले मेरठ छावनी के सभी सैनिकों ने इस क्रांति की देशव्यापी शुरुआत करने के लिए 31 मई, 1857 का दिन निर्धारित किया था जिससे क्रांति के प्रभावों को और व्यापक रूप दिया जा सकता था परन्तु सैनिकों ने आक्रोश में आकर निर्धारित समय से पहले ही 10 मई, 1857 को विद्रोह करना शुरू कर दिया जिस कारण क्रांति की शुरुआत देश के सभी क्षेत्रों में अलग-अलग समय पर हुई जिसका यह परिणाम सामने आया की अंग्रेजों द्वारा क्रांतिकारियों का दमन करना बहुत सरल हो गया था।

यदि देश के सभी क्षेत्रों में क्रांति की शुरुआत एक साथ होती तो इसके परिणाम बहुत अच्छे हो सकते थे लेकिन सैनिकों की यह कार्यवाही 1857 क्रांति की असफलता का सबसे बड़ा कारण बनी। इसके अलावा अन्य कारण भी थे जिससे 1857 की क्रांति असफल हुई वे कारण निम्नलिखित है –

1. क्रांति का देशव्यापी प्रसार न होना –

हालांकि 1857 की क्रांति ने बहुत कम समय में ही देश में व्यापक रूप धारण कर लिया था परन्तु फिर भी इसका देशव्यापी विस्तार नहीं हो पाया। यदि क्रांति का विस्तार सम्पूर्ण देश में एक साथ होता तो अंग्रेजों को अपनी सेनाओं को भारत के सभी क्षेत्रों में तैनात करना पड़ता जिससे उनकी सेना की संख्या पूरे भारत के लिए कम पड़ जाती और शायद आजादी का यह प्रथम विद्रोह सफल हो जाता। इस क्रांति के असफल होने का कारण यह भी था की क्रांति के दौरान पंजाब और संपूर्ण दक्षिण प्रांतों के अधिकांश क्षेत्रों में इस क्रांति का विस्तार न के बराबर था और देश के अहम शासकों जैसे होल्कर, सिंधिया, जोधपुर के राणा और अन्य सभी ने इस विद्रोह का समर्थन नहीं किया।

2. प्रभावी नेतृत्व का न होना –

1857 की क्रांति की असफलता का एक कारण यह भी है की विद्रोह का एक प्रभावशाली नेतृत्व नहीं किया गया था। इस क्रांति में विद्रोहियों के साथ मिलकर कार्य करने की शक्ति, अनुभव एवं संगठन का निर्माण नहीं किया गया था किन्तु फिर भी रानी लक्ष्मीबाई, नाना साहेब और तांत्या टोपे ने कुशल नेतृत्व की कमान संभाली हुई थी। क्रांति के विद्रोह में स्पष्ट व ठोस लक्ष्यों एवं विद्रोहियों के एक कदम के बाद अगला कदम क्या होगा यह भी निर्धारित नहीं किया गया था वे केवल आक्रोश की परिस्थिति में ही आगे बढ़ रहे थे।

3. सैनिक संख्या में अंतर –

1857 की क्रांति के सैनिकों की संख्या अंग्रेजों की सैनिकों की अपेक्षा बहुत कम थी क्योंकि देशी रियासतों द्वारा अपने सैनिकों को अंग्रेजी सेना के सहयोग के लिए भेज दिया गया था। इन सभी परिस्थितियों के बावजूद भी भारतीय सैनिकों ने अदम्य साहस के साथ कई अंग्रेजी सैनिकों को मात दी परन्तु फिर भी कुछ कमियों के कारण वे असफल हो गए।

4. संसाधनों का अभाव –

1857 की क्रांति में आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण क्रांतिकारी आधुनिक शस्त्रों के उपयोग से वंचित रह गए थे जो उनकी असफलता का कारण था। इस क्रांति में क्रांतिकारियों ने तलवारों एवं भालों का उपयोग किया था इसके विपरीत विरोधी ब्रिटिश सेना ने आधुनिक तोपों एवं बंदूकों का इस्तेमाल किया जिससे क्रांतिकारी कमजोर पड़ गए। इसके अलावा 1857 की क्रांति में अंग्रेजों द्वारा डाक, तार, रेल एवं अन्य सभी संचार के सत्ताधारी साधनों  का भरपूर प्रयोग किया गया और क्रांतिकारियों को ये सभी साधन उपलब्ध नहीं हो पाए जिनके प्रभावों से उनकी असफलता निश्चित हो गई।

5. आपसी फूट और बहादुरशाह के प्रति द्वेष –

1857 की क्रांति के दौरान ब्रिटिश सरकार हिन्दुओं और मुसलमानों को गुमराह करने में असफल हो गई थी परन्तु वे सांप्रदायिक तौर पर सिक्ख रेजिमेंट और मद्रास के सैनिकों को अपने पक्ष में करने में सफल हो गई। अंग्रेजों ने मराठों, सिक्खों एवं गोरखाओं को बहादुरशाह के विरुद्ध खड़ा करके यह कहा की यदि बहादुरशाह के हाथों में सत्ता दुबारा आ गई तो उन सभी पर अत्याचार होगा जिससे उनके मन में बहादुरशाह के प्रति द्वेष की भावना उत्पन्न हो गई। इसके अलावा और भी ऐसे कारण है जिसने देशवासियों में फूट डालने और एकता को भंग करना का प्रयास किया था। इन सभी कारणों से देश में सहयोग की भावना का अंत होने लगा जो शायद क्रांतिकारियों को कमजोर करने का प्रमुख कारण था।

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