अधर धरत हरि के परत ओठ दीठि पट ज्योति हरे बांस की बांसुरी इंद्रधनुष रंग होति दोहे में क्या वर्णन है? - adhar dharat hari ke parat oth deethi pat jyoti hare baans kee baansuree indradhanush rang hoti dohe mein kya varnan hai?

प्रसंग : प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के ‘बिहारी के दोहे’ से लिया गया है, जिसके रचयिता बिहारी लाल जी हैं।

भाव स्पष्टीकरण : कृष्ण का सौंदर्य-वर्णन करते हुए बिहारी कहते हैं कि कृष्ण जब हरे रंग की बाँसुरी अपने लाल होठों पर रखते हैं तो उस मुरली पर कृष्ण के नीले शरीर के ऊपर के पीले रंग के वस्त्र (पितांबरी) की छवि पड़ती है तो यह सब मिलकर आसमान के नीले रंग में दिखाई देनेवाले इंद्रधनुष का आभास दे रही है।