बच्चों का पेशाब बंद होने पर क्या करना चाहिए? - bachchon ka peshaab band hone par kya karana chaahie?

1.छोटे बच्चों का बिस्तर पर पेशाब करना यूं तो आम बात होती है, लेकिन जब वो 3 साल से बड़े होने के बावजूद बिस्तर को गीला करते हैं तो ये उनकी एक आदत बन जाती है। इससे छुटकारा पाने के लिए बच्चे को सोने दो घंटे पहले एक कप गुनगुने दूध में एक चौथाई चम्मच जायफल घिसकर पिलाना चाहिए।

2.बच्चे के बिस्तर गीला करने की आदत छुड़वाने के लिए उसे रोजान सुबह खाली पेट ठंडे दूध में एक चम्मच शहद मिलाकर पीना चाहिए। ध्यान रखें कि ये शुद्ध शहद हो इसमें चीनी न मिली हो। ऐसा लगातार एक सप्ताह तक करने से आपको राहत मिलेगी।

3.नींद में पेशाब करने की आदत छुड़वाने के लिए बच्चे को दिन में दो से तीन केले खिलाएं। इससे समस्या दूर होगी।

4.बच्चे को रोजाना सोने से पहले तीन से चार अखरोट खिलाने से भी रात में सोते समय बिस्तर पर पेशाब करने की आदत से छुटकारा मिलेगा।

5.आयुर्वेद विज्ञान के अनुसार बच्चे को रोजाना सुबह खाली पेट भीगी हुई किश्मिश खिलाने से भी फायदा होता है। इससे बच्चे को रात में पेशाब कम लगेगी।

6.कई बार ठंड की वजह से भी बच्चे बिस्तर पर सोते समय पेशाब कर देते हैं। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए बच्चे को सोने से एक घंटे पहले एक गिलास गुनगुना दूध पीने का दें। साथ ही थोड़ा गुड़ खिलाएं।

7.बिस्तर गीला करने की बच्चे की इस आदत को छुड़वाने के लिए उसे रात को सोने से पहले एक कप गुनगुने पानी में एक चम्मच पिसी अजवाइन घोलकर पिलाएं। इससे समस्या जल्द ही दूर हो जाएगी।

8.कई बार गुर्दे और मूत्राशय में इंफेक्शन होने के कारण भी बच्चा बार-बार पेशाब करता है। इसलिए इस समस्या को दूर करने के लिए बच्चे को सोने से पहले क्रैनबेरी का जूस पिलाएं। ये एक तरह का फल होता है।

9.ठंड के मौसम में बच्चों के बिस्तर गीला करने की आदत छुड़वाने के लिए बच्चे को दिन में दो बार एक चम्मच पिसी दालचीनी में एक चम्मच शहद मिलाकर दें। इसे चाटने से शरीर में गर्मी आएगी।

10.यूं तो इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए घरेलू नुस्खे ही काफी है, लेकिन आप चाहे तो एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी जिसे नवजीवन कहते है। इस चीज का रस या बूटी खाने से भी फायदा होगा।

Urine Infection मह‍िलाओं और वयस्‍कों को होने वाला ये इंफेक्‍शन बच्‍चों को भी हो सकता है। बच्चों में यह संक्रमण एक गंभीर समस्या है ये वयस्‍कों की तुलना में इन्‍हें होने की सम्‍भावना ज्‍यादा रहती है। सही समय पर इस बीमारी का इलाज करना बेहद जरूरी होता है।

आगरा, जागरण संवाददाता। यूटीआई या यूर‍िनरी ट्रैक्‍ट इंफेक्‍शन या मूत्र पथ में संक्रमण सुनते ही दिमाग में सबसे महिलाओं का नाम आता है। क्‍योंक‍ि हम में से ज्‍यादात्तर लोगों को लगता है क‍ि यूरिन इंफेक्‍शन सबसे ज्‍यादा महिलाओं को होता है लेक‍िन आपको जानकर हैरानी होगी क‍ि मह‍िलाओं और वयस्‍कों को होने वाला ये इंफेक्‍शन बच्‍चों को भी हो सकता है। यूरोलॉजिस्ट डॉ प्रशांत लवानियां के अनुसार बच्चों में यह संक्रमण एक गंभीर समस्या है, ये वयस्‍कों की तुलना में इन्‍हें होने की सम्‍भावना ज्‍यादा रहती है। सही समय पर इस बीमारी का इलाज करना बेहद जरूरी होता है। 

पहचानें बच्चों में लक्षण 

− बुखार आना 

− दर्दयुक्त मूत्रत्याग 

−  चिड़चिड़ापन 

−  बार-बार मूत्रत्याग 

− उल्टी 

− झागयुक्त, गहरा, रक्तयुक्त या दुर्गन्धयुक्त पेशाब होना 

− कुछ खाना पीना नहीं 

− पसली और कूल्हे की हड्डी के बीच के हिस्से में या पेट में दर्द 

खूब पिलाएं पानी  

संक्रमण के दौरान अपने बच्चे को अधिक से अधिक पानी पिलाएं। अधिक पानी पीने से बच्चे को बार-बार पेशाब आएगी और इससे विषाक्त पदार्थों को जल्दी बाहर निकालने में मदद मिलती है। परन्तु बच्चे को अधिक पानी पीने के लिए मजबूर न करें। यदि आपका बच्चा 6 महीने से कम उम्र का है तो उसे अधिक से अधिक दूध पिलाएं। फलों का रस दें यदि आपका बच्चा 6 महीने से अधिक उम्र का है, तो उसके लिए करौंदा, ब्लूबेरी और अनानास का रस सबसे अच्छे विकल्प हो सकते हैं। इन फलों के गुण मूत्रपथ में हानिकारक जीवाणुओं के विकास व वृद्धि को रोकने में मदद करते हैं इसलिए बच्चों के लिए अक्सर यह फल देने की सलाह दी जाती है। लेकिन बच्चे को किसी भी प्रकार का रस देने से पहले डॉक्टर से सलाह अवश्य लें। इसके अलावा कुछ फलों का रस देने से पहले इसे पतला कर लें ताकि बच्चे के मूत्राशय में एसिड की मात्रा अधिक न हो। 

नींबू का रस दें 

नींबू का रस एक मूत्रवर्धक घटक के रूप में कार्य करता है (मूत्रवर्धक घटक मूत्र के बहाव को बढ़ाता है) और हानिकारक जीवाणु व विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है। नींबू के गुण रक्त के पी.एच. स्तर पर प्रभाव डालते हैं और मूत्रपथ के एसिड को एल्कलाइन में बदल देते हैं जो बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकता है। बच्चे को प्रतिदिन नींबू का रस पिलाने से भविष्य में मूत्र पथ के संक्रमण से बचा जा सकता है।

रखें सफाइ का ध्यान

अपने बच्चे के निजी क्षेत्रों को साफ रखें नियमित रूप से समय-समय पर बच्चे के डायपर बदलती रहें। नया डायपर पहनाने से पहले बच्चे के निजी क्षेत्रों को बेबी टिशू से साफ करें और साथ ही यह करने से पहले अपने हाथों को साफ करना न भूलें। 

Edited By: Tanu Gupta

बच्चों का पेशाब बंद होने पर क्या करना चाहिए? - bachchon ka peshaab band hone par kya karana chaahie?

Kalyan Ayurved

बच्चों का पेशाब बंद होने पर क्या करना चाहिए? - bachchon ka peshaab band hone par kya karana chaahie?

बूंद- बूंद कर पेशाब आने की समस्या हो तो अपनाएं घरेलू उपाय, तुरंत मिलेगी राहत

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कल्याण आयुर्वेद- कई बार ऐसा होता है कि पेशाब की थैली या ब्लैडर में पेशाब जमा हो जाता है और पेशाब बूंद- बूंद या रुक- रुक कर आने लगता है. जिसके कारण ब्लैडर में तेज दर्द और जलन की समस्या होने लगती है. पेशाब के रुक- रुककर आने के कई कारण हो सकते हैं. जैसे कि पेशाब के थैली या फिर ब्लैडर में इंफेक्शन का होना, गुर्दे की परेशानी होना, यूरिन इन्फेक्शन होना या फिर पेशाब की थैली या गुर्दे में पथरी का होना.
जो लोग धूम्रपान या शराब का ज्यादा सेवन करते हैं उनको भी यह समस्या होने की संभावना अधिक होती है. पेशाब खुलकर न होने के कारण मूत्रमार्ग या ब्लैडर में इन्फेक्शन भी हो सकता है.

बूंद- बूंद कर पेशाब आने की समस्या हो तो अपनाएं घरेलू उपाय, तुरंत मिलेगी राहत

यह समस्या महिला या पुरुष किसी को भी हो सकता है.


बच्चे को पेशाब न आए तो क्या करें?

साथ ही मां को भरपूर मात्रा में पानी पीना चाहिए, ताकि बच्चे को दूध के माध्यम से पर्याप्त पानी मिले और सही समय पर पेशाब करे। नवजात शिशु जब मां के गर्भ से बाहर आते हैं, तब से लेकर एक साल तक उनका विशेष देखभाल करना आवश्यक होता है, नवजात शिशु में कोई भी बात असामान्य लगे तो डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।

पेशाब में रुकावट के क्या कारण है?

पेशाब रुक-रुक के आने के कारण 1-प्रोस्टेट थैली में समस्या हो जाने पर यूरीन की मात्रा कम हो जाती है। 2-यूरीन पास करते वक्त रुकावट महसूस होना। 3-यूरीन और किडनी इंफेक्शन। 4-डायबिटीज होने पर शुगर और कीटोंस की मात्रा बढ़ जाने से भी पेशाब रुक-रुक कर आता है।

पेशाब खुलकर आने के लिए क्या करें?

एक गिलास पानी में आधा चम्‍मच बेकिंग सोडा डालकर पी लें। दिन में एक बार इस पानी को पीने से फायदा होगा। दही में प्रोबायोटिक होते हैं जो मूत्र मार्ग में संक्रमण यानी यूटीआई की वजह से बार-बार पेशाब आने की समस्‍या को दूर करने में मदद करते हैं।

पेशाब न रुकना कौन सी बीमारी है?

Urinary incontinence: पेशाब का न रुकना या बार-बार पेशाब आना या यूरिन लीकेज के विभिन्न कारण हो सकते हैं, हालांकि इसे ठीक करने के उपाय भी हैं। प्रेगनेंसी के दौरान और अन्य स्थितियों में पेशाब न रुकना एक आम स्थिति है। पेशाब ना रुकने को यूरिन लीकेज भी कहते हैं।