Question 1. Answer: (d) कृष्णा सोबती Question 2. Answer: (d) वह अपने मोज़े व जूते पॉलिश करती थी Question 3. Answer: (b) 20वीं सदी Question 4. Answer: (c) ग्रामोफ़ोन Question 5. Answer: (b) ऑलिव ऑयल (1) मैं तुमसे कुछ इतनी बड़ी हूँ कि तुम्हारी दादी भी हो सकती हूँ, तुम्हारी नानी भी। बड़ी बुआ भी-बड़ी मौसी भी। परिवार में मुझे सभी लोग
जीजी कहकर ही पुकारते हैं। Question 1. Answer: (d) जीजी Question 2. Answer: (c) सयाना Question 3. Answer: (b) सफ़ेद (2) हर शनीचर को हमें ऑलिव ऑयल या कैस्टर ऑयल पीना पड़ता। यह एक मुश्किल काम था। शनीचर को सुबह से ही नाक में इसकी गंध आने लगती ! Question 1. Answer: (a) बचपन-कृष्णा सोबती Question 2. Answer: (d) क्योंकि घर का काम करना पड़ता था Question 3. Answer: (c) शीशी पर लिखा हुआ पढ़कर (3) शाम को रंग-बिरंगे गुब्बारे। सामने जाखू का पहाड़। ऊँचा चर्च। चर्च की घंटियाँ बजती
तो दूर-दूर तक उनकी गूंज फैल जाती। लगता, इसके संगीत से प्रभु ईशू स्वयं कुछ कह रहे हैं। Question 1. Answer: (d) जाखू का पहाड़ Question 2. Answer: (c) बत्तियाँ जल जाना Question 3. Answer: (d) लाहौर मेल (4) हम बच्चे इतवार की सुबह इसी
में लगाते। धो लेने के बाद अपने-अपने जूते पॉलिश करके चमकाते। जब जूते कपड़े या ब्रश से रगड़ते तो पॉलिश की चमक उभरने लगती। सरवर, मुझे आज भी बूट पॉलिश करना अच्छा लगता है। हालाँकि अब नई-नई किस्म के शू आ चुके हैं। कहना होगा कि ये पहले से कहीं ज्यादा आरामदेह हैं। हमें जब नए जूते मिलते, उनके साथ ही छालों का इलाज शुरू हो जाता। Question 1. Answer: बचपन में इतवार की सुबह लेखिका अपनी जुराबें धोती थी और जूतों पर पॉलिश करके चमकाती थी। Question 2. Answer: कपड़े या ब्रश से रगड़ने पर जूतों पर पॉलिस की चमक उभरती थी। Question 3. Answer: लेखिका को आज भी बूट पॉलिश करना अच्छा लगता है। (5) शाम को रंग-बिरंगे गुब्बारे। सामने जाखू का पहाड़। ऊँचा चर्च। चर्च की घंटियाँ बजती तो दूर-दूर तक उनकी गूंज फैल जाती। लगता, इसके संगीत से प्रभु ईशू स्वयं कुछ कह रहे हैं। सामने आकाश पर सूर्यास्त हो रहा है। गुलाबी सुनहरी धारियाँ नीले आसमान पर फैल रही हैं। दूर-दूर फैले पहाड़ों के मुखड़े गहराने लगे और देखते-देखते बत्तियाँ टिमटिमाने लगीं। रिज पर की रौनक और माल की दुकानों की चमक के भी क्या कहने! स्कैंडल पॉइंट की भीड़ से उभरता कोलाहल। सरवर, स्कैंडल पॉइंट के ठीक सामने उन दिनों एक दुकान हुआ करती थी, जिसके शोरूम में शिमला-कालका ट्रेन का मॉडल बना हुआ था। इसकी पटरियाँ-उस पर खड़ी छोटे-छोटे डिब्बों वाली ट्रेन। एक ओर लाल टीन की छतवाला स्टेशन और सामने सिग्नल देता खंबा-थोड़ी-थोड़ी दूरी पर बनी सुरंगें! Question 1. Answer: लेखिका ने जाख के पहाड़ की बात कर रही है। Question 2. Answer: ‘पहाड़ों के मुखड़े गहराने’ का अर्थ है-दूर-दूर फैले पहाड़ों के मुखड़े गहराने लगे और देखते-देखते बत्तियाँ टिमटिमाने लगीं। Question 3. Answer: सरवर, स्कैंडल पॉइंट के ठीक सामने उन दिनों एक दुकान हुआ करती थी, जिसके शोरूम में शिमला-कालका ट्रेन का मॉडल बना हुआ था। (6) पिछली सदी में तेज़ रफ़्तारवाली गाड़ी वही थी। कभी-कभी हवाई जहाज़ भी देखने को मिलते! दिल्ली में जब भी उनकी आवाज़ आती, बच्चे उन्हें देखने बाहर दौड़ते। दीखता एक भारी-भरकम पक्षी उड़ा जा रहा है पंख फैलाकर। यह देखो और वह गायब! उसकी स्पीड ही इतनी तेज़ लगती। हाँ, गाड़ी के मॉडलवाली दुकान के साथ एक और ऐसी दुकान थी जो मुझे कभी नहीं भूलती। यह वह दुकान थी जहाँ मेरा पहला चश्मा बना था। वहाँ आँखों के डॉक्टर अंग्रेज़ थे। Question 1. Answer: तेज रफ्तारवाली गाड़ी शिमला-कालका ट्रेन थी। Question 2. Answer: पिछली शताब्दी में कभी-कभी दिखने वाले हवाई जहाज़ विशेष थे। उन्हें देखने के लिए दिल्ली के बच्चे बाहर तक दौड़ जाते और वह भारी-भरकम पक्षी अपनी गति के कारण क्षण भर में गायब हो जाता। Question 3. Answer: लेखिका चश्मे के दुकान को कभी नहीं भुला पाई। बचपन पाठ की लेखिका का क्या नाम?लेखिका अपने बचपन में कौन-कौन - सी चीजें मज़ा ले लेकर खाती थीं? उनमें से प्रमुख फलों के नाम लिखो । 1. लेखिका के बचपन में हवाई जहाज़ की आवाजें, घुड़सवारी, ग्रामोफ़ोन और शोरूम में शिमला-कालका ट्रेन का मॉडल ही आश्चर्यजनक आधुनिक चीजें थीं।
इस पाठ की लेखिका का क्या नाम है?✔ iv) कृष्णा सोबती बचपन पाठ लेखिका कृष्णा सोबती द्वारा रचित एक संस्मरण पाठ है। जिसमें उन्होंने अपने बचपन के संस्मरणों का जिक्र किया है। लेखिका इस पाठ में बताती हैं कि कैसे वह अपने बचपन में इतवार की सुबह सुबह लेखिका अपने मोजे धोती, जूतों पर पालिश करके उन्हें कपड़ों या ब्रश से रगड़ कर चमकाती थी।
बचपन नामक पाठ क्या है?बचपन से लेकर अब तक उनके पहनावे में बहुत परिवर्तन आए। बचपन मे वह रंग बिरंगे कपड़े पहनती थीं जैसे नीला ,जामुनी, ग्रे, काला, चॉकलेटी परन्तु अब वह सफ़ेद रंग के कपड़े पहनती हैं। पहले वे फ्रॉक, निकर-वॉकर, स्कर्ट, लहँगे, गरारे पहनती थीं लेकिन अब चूड़ीदार और घेर दार कुर्ते पहनती हैं। बचपन के कुछ फ्रॉक अभी भी उन्हें याद हैं।
लेखिका बचपन में क्या?लेखिका बचपन में चाकलेट खाना बहुत पसंद करती थीं। वो हमेशा रात में खाने के बाद अपने बिस्तर में आराम व मज़े लेते हुए खाती थीं। इसके अलावा लेखिका को काफ़ल, रसभरी, कसमल और चेस्टनट बहुत पसन्द थे, वे चने भी खाती थीं । Q.
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