व्याख्या : बिहारी ने ऋतु वर्णन मैं बसंत का वर्णन किस प्रकार मंद मस्त हाथी गुजरते हुए झूमते हुए गले में बजती हुई घंटी (खंटावाली) उसकी गर्दन के पास से झढ़ता हुआ (भद्र) हाथी पुष्प उसके सामान मीठा नीर, उसकी मस्तानी चाल से धीरे-धीरे गमन कर रही है आगे की ओर अग्रसर है उसी प्रकार उक्त ऋतु की मंद मस्त पवन की हाथी के अनुरूप धीरे-धीरे अपने मंदमस प्रकृति से प्राप्त सुकृत हवा से सब को सराबोर करते हुए हाथी के समान धीरे धीरे चल रही है Show
नमस्कार दोस्तों ! आज हम Kavi Bihari Aur Bihari Satasai | कवि बिहारी परिचय और उनके द्वारा रचित प्रमुख रचना “बिहारी सतसई” के बारे में अध्ययन करने जा रहे है। कवि बिहारी रीतिसिद्ध काव्य धारा के विख्यात कवि रहे है। तो चलिए इनके बारे में जानते है : Kavi Bihari Aur Bihari Satasai | कवि बिहारी और बिहारी सतसई : कवि बिहारी हिंदी साहित्य के रीति काल के प्रसिद्ध कवि रहे हैं। इनका जन्म 1595 ई. में ग्वालियर के बसोवा गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम केशवराय था। बचपन में इनके पिता इन्हें औरछा लाए और उनका बचपन बुंदेलखंड में व्यतीत हुआ। फिर युवावस्था में अपने ससुराल मथुरा में रहा करते थे। बिहारी दास जयपुर नरेश मिर्जा राजा जयसिंह के दरबारी कवि थे। राजा जयसिंह अपनी नई पत्नी के प्रेम में डूबे रहते थे और महल के बाहर भी नहीं आते थे। उन्हें महल के राज कार्य करने के लिए बुलाने की शक्ति किसी में नहीं थी । तो इस पर बिहारीदास ने एक दोहा लिखकर राजा के पास भिजवाया, जिसे पढ़कर राजा तुरंत बाहर आए और राजकार्य में संलग्न हो गए। वह दोहा था :
इनके एक दोहे ने राजा पर इतना गहरा प्रभाव डाला कि राजा ने बिहारी से अन्य दोहो की रचना करने को कहा और एक दोहे पर एक अशर्फी देने का वादा किया। जयपुर नरेश के दरबार में रहकर बिहारी ने बहुत धन अर्जित किया। बिहारी रीतिसिद्ध काव्य धारा के प्रतिनिधि कवि रहे हैं । उनकी एकमात्र रचना “बिहारी सतसई” है। बिहारी सतसई की रचना उन्होंने 1633 ई. में शुरू की और पूर्ण 1662 ई. में हुई। बिहारी सतसई में 713 दोहे हैं। Kavi Bihari | कवि बिहारी के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य :बिहारी निम्बार्क संप्रदाय में दीक्षित थे। इनके साथ-साथ इनके पिता केशवराय भी निम्बार्क संप्रदाय के महंत नरहरीदास द्वारा दीक्षित किए गए। बिहारी का ससुराल मथुरा था और वे यहीं बस गए।यहीं पर बिहारी शाहजहां के संपर्क में आए। इनके दत्तक पुत्र का नाम कृष्ण कवि था। जो आगे चलकर निरंजन कृष्ण के नाम से विख्यात हुए । इनकी रचना “बिहारी सतसई” पर प्रथम टीका लिखने वाले कृष्ण कवि ही थे। बिहारी सतसई की रचनात्मक प्रेरणा भूमि का प्रारंभिक दोहा था :
इसमें अलंकार है : अन्योक्ति अलंकार। इस रचना के माध्यम से व्यंजना शब्द शक्ति में उदबोधन रूप में मिर्जा राजा जयसिंह को चेताया गया है। इसी दोहे पर मिर्जा राजा जयसिंह ने खुश होकर बिहारी को
Kavi Bihari | कवि बिहारी पर चर्चित रचनाएं :महाकवि बिहारी पर कई कवियों ने रचनाएँ लिखी है। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण रचनाये निम्नवत है :
Bihari Satasai | बिहारी सतसई की प्रमुख विशेषताएंइसकी प्रमुख विशेषताएं निम्नानुसार है :
Bihari Satasai | बिहारी सतसई पर चर्चित टिकाएंमहाकवि बिहारी की रचना बिहारी सतसई पर कई टीकाएँ लिखी गयी है जिनमें से कुछ चर्चित टीकाओं का विवरण इस प्रकार है :
कवि बिहारी और बिहारी सतसई पर चर्चित कथनKavi Bihari Aur Bihari Satasai | कवि बिहारी और बिहारी सतसई : महाकवि बिहारी और उनकी रचना बिहारी सतसई पर कई विद्वानों ने अपने कथन दिए है जिनमें से कुछ चर्चित कथन इसप्रकार से है : पदम सिंह शर्मा के अनुसार :पदम सिंह शर्मा ने 1907 ई. में बिहारी और फारसी कवि सादी की तुलना लिखी। यहीं से तुलनात्मक आलोचना की शुरुआत मानी जाती है। इन्होंने “बिहारी सतसई की भूमिका “की रचना भी की है।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार :
राधाचरण गोस्वामी के अनुसार :
लाला भगवानदीन के अनुसार :
इसप्रकार दोस्तों ! अब आपको Kavi Bihari Aur Bihari Satasai | कवि बिहारी और बिहारी सतसई के साहित्यिक जीवन का अच्छे से परिचय प्राप्त हो गया होगा। साथ ही बिहारी सतसई की प्रमुख विशेषताएं और कवि बिहारी के बारे में चर्चित कथन, बिहारी सतसई पर चर्चित टिकाएं एवं उन पर लिखी गयी चर्चित रचनाओं के बारे में भी समझ आ गया होगा। इसे बार-बार दोहराकर अच्छे से तैयार कर लीजिये। यह भी जरूर पढ़े :
एक गुजारिश :दोस्तों ! आशा करते है कि आपको “Kavi Bihari Aur Bihari Satasai | कवि बिहारी परिचय और बिहारी सतसई” के बारे में हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी I यदि आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके अवश्य बतायें I हम आपकी सहायता करने की पूरी कोशिश करेंगे I नोट्स अच्छे लगे हो तो अपने दोस्तों को सोशल मीडिया पर शेयर करना न भूले I नोट्स पढ़ने और HindiShri पर बने रहने के लिए आपका धन्यवाद..! बिहारी की प्रमुख रचनाएं कौन कौन सी हैं?बिहारी की एकमात्र रचना सतसई है। यह मुक्तक काव्य है। इसमें 719 दोहे संकलित हैं। बिहारी सतसई श्रृंगार रस की अत्यंत प्रसिद्ध और अनूठी कृति है।
बिहारी ने कितने ग्रंथ की रचना की?बिहारी रीतिसिद्ध काव्य धारा के प्रतिनिधि कवि रहे हैं । उनकी एकमात्र रचना “बिहारी सतसई” है। बिहारी सतसई की रचना उन्होंने 1633 ई. में शुरू की और पूर्ण 1662 ई.
बिहारी की कविता का मुख्य विषय क्या है?बिहारी शृंगार के बड़े कवि हैं। उनके दोहों में शृंगार के दोनों पक्षों- संयोग और वियोग का विशद और सूक्ष्म चित्रण हुआ है। बिहारी की कविता में प्रेम के भौतिक पक्ष का वर्चस्व है। इसमें वर्णित प्रेम सामंती है जिसका मूल आधार रूपासक्ति है।
कौन सा रचनाकार बिहार से संबंधित है?हिंदी के विशिष्ट शैलीकार राजा राधिकारमरण प्रसाद सिंह, आचार्य शिवपूजन सहाय, रामवृक्ष बेनीपुरी और फणीश्वरनाथ रेणु व राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर बिहार से थे।
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