Free Show Bihar Police SI Prelims 2020: Full Mock Test 100 Questions 200 Marks 120 Mins Latest Bihar Police SI Updates Last updated on Sep 22, 2022 Bihar Police Sub-Ordinate Service Commission (BPSSC) has activated the link to download the mark sheet of Bihar Police Sub Inspector on 21st August 2022. The candidates, who appeared for Bihar Police SI exam, must check their results before 4th September 2022. For Bihar Police vacancy 2020, the BPSSC had released as many as 1998 vacancies for the post of sub-inspector and 215 vacancies for the post of sergeant. Those who could not make it to the final merit list, should not lose their heart as the notification for 2022 is expected to be out very soon. इस आर्टिकल में हम आपको बिहार सोशलिस्ट पार्टी का इतिहास बताने जा रहे है जो आपको एग्जाम क्लियर करने में हेल्प करेगा. 1931 में गंगाशरण सिंहा, बेनीपुरी और रामानंद मिश्रा आदि ने बिहार सोशलिस्ट पार्टी नामक एक संगठन स्थापित किया. 1934 में पटना के अंजुमन इस्लामिया हॉल में बिहार सोशलिस्ट पार्टी की औपचारिक की स्थापना हुई, जिसके अध्यक्ष आचार्य नरेंद्र देव और सचिव जयप्रकाश नारायण थे. इसके अन्य सदस्यों में रामवृक्ष बेनीपुरी, गंगाशारण सिन्हा, योगेंद्र शुकल, अब्दुल बारी, कर्पूरी ठाकुर और बसावन सिंह आदि प्रमुख थे. एक और जहां इन का तालमेल कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी से रहा वहीं दूसरी ओर इन्होंने किसानों और मजदूरों
को संगठित करने और राजनीतिक स्तर पर सचेत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया. 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी इन की गतिविधियां बहुत बड़े पैमाने पर रही. इन नेताओं ने इस आंदोलन के दौरान सर्वस्व त्याग का ज्वलत आदर्श देशवासियों के समक्ष रखा. ऐसे ही उदेश्यों से प्रेरित एक अन्य संगठन फॉरवर्ड ब्लॉक था, जिस के संस्थापक सुभाष चंद्र बोस थे. 20 अक्टूबर, 1940 को बिहार प्रांतीय फॉरवर्ड ब्लॉक की कार्यकारिणी की बैठक पटना में हुई थी. इस संगठन पर सरकार की कड़ी निगरानी थी और मार्च, 1942 तक ही इसके प्रमुख नेता बिहार में कैद किए जा चुके थे. Q. 'बिहार सोशलिस्ट पार्टी' की स्थापना 1931 में किसने की?
जयप्रकाश जी, लोहिया, और बेनीपुरी पटना में किसानों की एक रैली में (सन १९३६) १९४३ में कांग्रेस सोसलिस्ट पार्टी से बरामद एक देशी बम कांग्रेस समाजवादी दल (Congress Socialist Party (CSP)) भारत का एक राजनैतिक दल था जिसकी स्थापना 1934 में हुई थी। कांग्रेस में समाजवादी विचारधारा के सर्वप्रमुख प्रेरणा प्रतीक जवाहरलाल नेहरू तथा सुभाषचंद्र बोस थे।जयप्रकाश नारायण, फूलनप्रसाद वर्मा एवं कुछ अन्य लोगों ने मिलकर जुलाई 1931 में बिहार में समाजवादी पार्टी की स्थापना की। 1933 में पंजाब में एक समाजवादी पार्टी का गठन किया गया था। कांसपा के सभी सदस्य मानते थे कि कांग्रेस राष्ट्रीय संघर्ष का नेतृत्व करनेवाली आधारभूत संस्था है।जयप्रकाश नारायण ने “समाजवाद ही क्यों?” तथा आचार्य नरेंद्रदेव ने “समाजवादी एवं राष्ट्रीय आंदोलन” जैसी पुस्तकों की रचना की। कांग्रेस समाजवादी पार्टी ने एक पंद्रहसूत्रीय कार्यक्रम के अंतर्गत देश की आर्थिक विकास की प्रक्रिया राज्य द्वारा नियोजित एवं नियंत्रित करने की घोषणा की। भारतीय समाजवादी नेता प्रथम महायुद्ध के बाद से ही समाजवाद का प्रचार कर रहे थे। परन्तु सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-33) की असफलता और सन् 1929 के आर्थिक संकट के समय पूँजीवादी देशों की दुर्गति तथा इन देशों में फासिज्म की विजय और दूसरी ओर सोवियत संघ की आर्थिक संकट से मुक्ति तथा उसकी सफलता, इन सब कारणों से अनेक राष्ट्रभक्त समाजवाद की ओर आकर्षित हुए। इनमें जयप्रकाश नारायण, आचार्य नरेंद्रदेव, मीनू मसानी, डॉ॰ राममनोहर लोहिया, कमलादेवी चट्टोपाध्याय, यूसुफ मेहर अली, अच्युत पटवर्धन और अशोक मेहता उल्लेखनीय हैं। इनका उद्देश्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मंच द्वारा समाजवादी ढंग से स्वराज्यप्राप्ति और उसके बाद समाजवाद की स्थापना था।समाजवादी गांधीजी की समझौतावादी नीति के विरोधी थे।गांधीजी घोर अहिंसावादी थे, जबकि समाजवादी आवश्यकतानुसार सशस्त्र आंदोलन के पक्षधर थे। भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद कांग्रेस राष्ट्रीय शक्तियों का संयुक्त मोर्चा न रहकर एक राजनीतिक दल बन गई, अतः अन्य स्वायत्त और संगठित दलों को कांग्रेस से निकलना पड़ा। इनमें कांग्रेस समाजवादी दल भी था। उसने कांग्रेस शब्द को अपने नाम से हटा दिया। बाद में आचार्य कृपलानी द्वारा संगठित कृषक मजदूर प्रजापार्टी इसमें मिल गई और इसका नाम प्रजा सोशलिस्ट पार्टी हो गया, परन्तु डाक्टर राममनोहर लोहिया के नेतृत्व में समाजवादी दल का एक अंग इससे अलग हो गया और उसने एक समाजवादी पार्टी बना ली। इस समय प्रजा सोशलिस्ट और सोशलिस्ट पार्टी ने मिलकर संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी बनाई। किन्तु संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के वाराणसी अधिवेशन (1965) में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने अलग होकर पुनः अपना स्वतंत्र अस्तित्व कायम कर लिया। उसी समय अशोक मेहता के नेतृत्व में कुछ प्रजा सोशलिस्ट कार्यकर्ता कांग्रेस में शमिल हो गए हैं। द्वितीय महायुद्ध के बाद वह समाजवादी विचारधारा सोवियत तानाशाही का विरोध करती है तथा अपने को पाश्चात्य देशों के लोकतंत्रात्मक और विकासवादी समाजवाद के निकट पाती है। इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बिहार में गठित सोशलिस्ट पार्टी के प्रथम अध्यक्ष कौन थे?जयप्रकाश नारायण, फूलनप्रसाद वर्मा एवं कुछ अन्य लोगों ने मिलकर जुलाई 1931 में बिहार में समाजवादी पार्टी की स्थापना की। 1933 में पंजाब में एक समाजवादी पार्टी का गठन किया गया था।
सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना कब हुई थी?1934कांग्रेस समाजवादी दल / स्थापना की तारीख और जगहnull
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