भारत का सबसे छोटा दिन कौन सा है? - bhaarat ka sabase chhota din kaun sa hai?

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वर्ष के सभी महीनों में हम दिनों को घटते एवं बढ़ते देखते रहते है। सर्दियों में जहाँ दिन छोटे एवं रातें लम्बी होती है वही गर्मियों में दिन लम्बे एवं रातें छोटी हो जाती है। चलिए अब आपसे एक सवाल पूछते है ? क्या आप जानते है की साल 2022 का सबसे लम्बा और छोटा दिन कौन सा था? अगर आपको इस सवाल का जवाब नहीं मालूम तो चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपके इसी सवाल का जवाब देने वाले है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बताने वाले है साल 2022 का सबसे लम्बा और छोटा दिन (Longest and Shortest day of the year in hindi) कौन सा है।

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भारत का सबसे छोटा दिन कौन सा है? - bhaarat ka sabase chhota din kaun sa hai?
Winter Solstice 2022

साथ ही इस आर्टिकल के माध्यम से आपको दिनों के घटने एवं बढ़ने के भौगोलिक तथ्यों के बारे में भी जानकारी प्रदान की जाएगी। भूगोल में रूचि रखने वाले जिज्ञासुओं एवं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए भी यह आर्टिकल समान रूप से उपयोगी होने वाला है।

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  • लीप इयर (Leap Years) किसे कहते हैं, हर चौथे वर्ष फरवरी में 29 दिन क्यों होते हैं

Article Contents

  • 1 क्यों घटते-बढ़ते है दिन
    • 1.1 साल 2022 का सबसे लम्बा और छोटा दिन
      • 1.1.1 ग्रीष्मकालीन संक्रांति, साल का सबसे बड़ा दिन
  • 2 ग्रीष्मकालीन संक्रांति का महत्व
    • 2.1 शीतकालीन संक्रांति, साल का सबसे छोटा दिन
      • 2.1.1 शीतकालीन संक्रांति का महत्व
  • 3 साल 2022 का सबसे लम्बा और छोटा दिन सम्बंधित प्रश्नोत्तर (FAQ)

क्यों घटते-बढ़ते है दिन

साल के सबसे लम्बे एवं सबसे छोटे दिन के बारे में जानकारी प्राप्त करने से पूर्व हमे इसके कारण के बारे में जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है। दिनों की अवधि (दिनों का छोटा या बड़ा होना) एक खगोलीय घटना “संक्रांति” यानि सोल्सटिस (Solstice) के कारण होता है। यह घटना वर्ष में दो बार, सर्दियों एवं गर्मियों के मौसम में घटित होती है। इसी घटना के कारण पृथ्वी पर दिनों की अवधि में अंतर आता है एवं दिन छोटे या बड़े होते है।

भारत का सबसे छोटा दिन कौन सा है? - bhaarat ka sabase chhota din kaun sa hai?

धरती को भौगोलिक आधार पर 2 भागो में विभाजित किया गया है – उत्तरी गोलार्ध (Northern Hemisphere) एवं दक्षिणी गोलार्ध (Southern hemisphere)

जयपुर। सूर्यदेव ने सोमवार को दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश किया। सूर्य ने सायन मकर में उत्तरायण में सुबह 4 बजकर 33 मिनट पर प्रवेश किया। सूर्योदय 7.16 बजे हुआ, सूर्यास्त 5.34 पर होगा।

शास्त्रानुसार इसके साथ ही शिशिर ऋतु प्रारंभ हो गया। सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में मकर रेखा पर चमकेगा। इस कारण दक्षिणी गोलार्ध में ग्रीष्म ऋतु होती है व उत्तरी गोलार्ध में शीत ऋतु होती है। 23 दिसंबर को सूर्य पृथ्वी से बहुत दूर रहेगा। इस दिन साल का सबसे छोटा दिन व सबसे लंबी रात होगी। इसके बाद से दिन की अवधि बढ़ना शुरू हो जाएगी। आज दिन की अवधि 10 घंटे 18 मिनट है। रात 13 घंटे 42 मिनट की रहेगी। गोलार्ध में दिन की अवधि छोटी व दक्षिणी गोलार्ध में दिन की अवधि बड़ी होती है।

उत्तरी गोलार्ध में 23 दिसंबर से दिन की अवधि बढ़ने लग जाती है। इस दौरान उत्तरी ध्रुव पर रात हो जाती है, जबकि दक्षिणी ध्रुव पर 24 घंटे सूर्य चमकता है। सूर्य 21 मार्च को भूमध्य रेखा पर सीधा चमकेगा, इसलिए दोनों गोलार्ध में दिन-रात बराबर होते हैं।

Shortest Day of The Year Today: दिसंबर साल का आखिरी महीना होता है और इस महीनें में कई खास बाते भी होती हैं. ऐसी ही एक खास बात है इस महीने होने वाला साल का सबसे छोटा दिन. हर साल दिसंबर महीने में कभी 21 तारीख को सबसे छोटा दिन होता है तो कभी 22 तारीख को. इस बार यह खास मौका 22 दिसंबर को यानी आज है. दरअसल, सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त होने तक का समय दिन में गिना जाता है और आज सिर्फ 10 घंटे 41 मिनट का दिन होगा. दूसरी तरफ आज की रात 13 घंटे 19 मिनट की होगी. यही वजह है कि 22 दिसंबर को साल का सबसे छोटा दिन माना जाता है. हालांकि, हर जगह यह लागू नहीं होता. दुनिया में कई ऐसी जगहें भी हैं, जहां चीजें बिलकुल विपरीत हैं. इसके पीछे क्या वजह है और साल के सबसे छोटे दिन के पीछे क्या विज्ञान है आईए आपको बताते हैं.

दरअसल, आज पृथ्वी झुके हुए अक्ष पर ही घूमती है, जिसकी वजह से आज का दिन सबसे छोटा हो जाता है. इसे विंटर सॉल्सटिस भी कहा जाता है. सॉल्सिटिस एक लैटिन शब्द है, जिसके पहले भाग सोल का मतलब है सूर्य, जबकि दूसरे भाग सेस्टेयर का अर्थ है स्थिर खड़े रहना. इन्हीं दो शब्दों को मिलाकर सॉल्सिटिस शब्द बना है, जिसका पूरा मतलब है ‘सूर्य का स्थिर रहना’. यही वह प्राकृतिक बदलाव है, जिसके चलते 22 दिसंबर को सबसे छोटा दिन होता है.

संक्रांति यानि सोल्सटिस एक खगोलीय घटना है जोकि दो बार, एक गर्मियों में और एक बार सर्दियों में होती है. हर साल सूर्य को जब उत्तर या दक्षिण ध्रुव से देखा जाता है तो साल का सबसे बड़ा दिन 21 जून होता है. इस दिन सूर्य की किरण ज्यादा देर तक रहती है और 22 दिसम्बर साल का सबसे छोटा दिन होता है, क्योकि इस दिन सूर्य की किरण पृथ्वी पर कम समय के लिए रहती है. ये साल के वो दिन होते हैं, जिसमें दिन और रात की लम्बाई में सर्वाधिक अंतर होता है. यह एक सामान्य घटना है जो हर वर्ष होती है.

भारत का सबसे छोटा दिन कौन सा है? - bhaarat ka sabase chhota din kaun sa hai?

Table of Contents

  • साल 2022 का सबसे लम्बा और छोटा दिन (Longest and Shortest day of the year in hindi)
    • समर सोल्सटिस या ग्रीष्मकालीन संक्रांति अर्थात साल का सबसे बड़ा दिन
    • ग्रीष्मकालीन संक्रांति का सांस्कृतिक महत्व
    • विंटर सोल्सटिस या शीतकालीन संक्रांति अर्थात साल का सबसे छोटा दिन
    • विंटर सोल्सटिस का सांस्कृतिक महत्व
    • सोल्सटिस की तारीखों के भिन्न होने का कारण
    • ग्रीष्मकालीन संक्रांति की विभिन्न शहरों की तिथियाँ
    • शीतकालीन संक्रांति की विभिन्न शहरों की तिथियाँ
    • सोल्सटिस से सम्बंधित तथ्य

साल 2022 का सबसे लम्बा और छोटा दिन (Longest and Shortest day of the year in hindi)

इस साल को सबसे छोटा दिन 21 दिसम्बर , दिन शुक्रवार को है, जोकि 10 घंटे 19 मिनिट और 10 सेकेंड का होगा. साथ ही इस साल का सबसे बड़ा दिन 21 जून , दिन गुरुवार है जोकि 13 घंटे 33 मिनिट और 46 सेकेंड का होगा. 2021 में आने वाली फ़िल्में यहाँ पढ़ें.

समर सोल्सटिस या ग्रीष्मकालीन संक्रांति अर्थात साल का सबसे बड़ा दिन

21 जून सबसे बड़ा दिन, ये आवश्यक नहीं है कि हर साल ये दिन 21 जून को ही पड़े. यह 20 से 22 के बीच किसी भी दिन हो सकता है. जब सूर्य की किरण कर्क रेखा पर लम्बवत पड़ती है, तो इसके फलस्वरूप उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे बड़ा दिन होता है, अर्थात उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की तरफ पूरी तरह से झुका या ये भी कह सकते है कि 23.4 अक्षांश पर झुका हुआ रहता है और तब यहाँ गर्मी का मौसम होता है. जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में इस समय सूर्य तिरछा चमकता है, जिस वजह से यहाँ रात बड़ी और दिन छोटा होता है और गर्मी कम होने से ठण्ड का मौसम रहता है. मेरा प्रिय मौसम पर निबंध यहाँ पढ़ें.

ग्रीष्मकालीन संक्रांति का सांस्कृतिक महत्व

पुरे देश में जून सोल्सटिस को धार्मिक रूप से गर्मी छुट्टी और धार्मिक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है. इंग्लैण्ड का स्टोनहेंज, ग्रीष्मकालीन संक्रांति के सांस्कृतिक महत्व को दुनिया के सामने दर्शित करता है. यह एक मेगालिथिक संरचना है जो स्पष्ट रूप से जून सोल्सटिस के क्षण को दर्शाती है. ग्रीष्मकालीन संक्रांति के दौरान ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, रूस, भारत और चीन में गर्मी का समय रहता है, क्योकि यह उत्तरी गोलार्द्ध में पड़ता है,

विंटर सोल्सटिस या शीतकालीन संक्रांति अर्थात साल का सबसे छोटा दिन

22 दिसम्बर को सूर्य की किरण मकर रेखा पर लम्बवत पड़ती है, जिस वजह से दक्षिणी गोलार्द्ध में इस समय ग्रीष्म ऋतू होती है और यहाँ दिन बड़े और रात छोटी होती है. जबकि इस समय उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य की किरण तिरछी पड़ती है, जिस वजह से यहाँ दिन छोटा और रात बड़ी होती है साथ ही यहाँ शीत ऋतू रहती है. इसे शीतकालीन संक्रांति या विंटर सोल्सटिस भी करते है. ऑस्ट्रेलिया, अर्जेन्टीना, चिली, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका में इस समय गर्मियों का समय रहता है, क्योकि यह दक्षिणी गोलार्द्ध में पड़ता है और यहाँ यह वर्ष का सबसे लम्बा दिन होता है. मकर संक्रांति का महत्व यहाँ पढ़ें.

विंटर सोल्सटिस का सांस्कृतिक महत्व

विंटर सोल्सटिस के तुरंत बाद ही ईसाइयों का मुख्य त्यौहार क्रिसमस डे मनाया जाता है. विंटर सोल्सटिस को जो कि ठण्ड के मौसम में पड़ता है, इस समय पर दक्षिणी गोलार्द्ध में समर सोल्सटिस रहता है, इसे ऑस्ट्रेलिया के लोग डेरेवेंट नदी में डुबकी लगा कर मनाते है.        

सोल्सटिस की तारीखों के भिन्न होने का कारण

सोल्सटिस की अलग तिथियाँ मुख्य रूप से कैलेंडर प्रणाली के कारण होती है. अधिकांश पश्चिमी देश ग्रेगोरियन कैलेंडर का इस्तेमाल करते है, जो कि एक सामान्य साल में 365 दिन और लीप वर्ष में 366 दिन का होता है. एक उष्णकटिबंधीय वर्ष वह समय होता है जब पृथ्वी सूर्य के चारों ओर एक चक्र लगाती है, और चक्र लगाने में उसे 365.242199 दिन का समय लगता है, लेकिन दुसरे गृह के प्रभाव के कारण यह समय वर्ष दर वर्ष थोडा भिन्न होता है जिस वजह से तिथियाँ भी बदलती रहती है.

ग्रीष्मकालीन संक्रांति की विभिन्न शहरों की तिथियाँ

समय क्षेत्र में अंतर होने के कारण कुछ जगहों पर अलग तिथि होने पर उनकी संक्रांति यानि सोल्सटिस होगा. अलग अलग शहरों में सबसे लम्बे दिन की तारीख और समय सीमा अलग हो सकती है, जिनमे से कुछ का वर्णन हमने टेबल में किया है जो निम्नलिखित है :-

शहरतारीखदिन के समय की लम्बाईएंकरेज, आल्सका में18 जून से 22 जून तक कासबसे लम्बा दिन 19 घंटा और 21 मिनट कान्यू यॉर्क, न्यू यॉर्क सिटी में18 जून से 22 जून तक का सबसे लम्बा दिन 15 घंटा 6 मिनट काकैलिफोर्निया, साक्रमेंटो 17 जून से 23 जून तक कासबसे लम्बा दिन 14 घंटा 52 मिनट काकलिफोर्निया, लोस एंगेल्स 19 जून से 21 जून तक कासबसे लम्बा दिन 14 घंटा 26 मिनटहवाई, होनोलुलु 15 जून से 25 जूनसबसे लम्बा दिन 13 घंटा 26 मिनटयूनाइटेड किंगडम, लन्दन 17 जून से 24 जून तकसबसे लम्बा दिन 16 घंटा 38 मिनटटोक्यो, जापान 19 जून से 23 जून तक कासबसे लम्बा दिन 14 घंटा 35 मिनटमैक्सिकों सिटी, मेक्सिको 13 जून से 28 जून तकसबसे लम्बा दिन 13 घंटा 18 मिनट

शीतकालीन संक्रांति की विभिन्न शहरों की तिथियाँ

शीतकालीन संक्रांति की तारीखों और उनके दिनों में समय के अंतर की ग्रीष्मकालीन संक्रांति के दिन की समय सीमा से तुलना करने पर दिन के छोटे होने का अन्दाजा आसानी से लग सकता है, यहाँ कुछ शहरों के नाम दिए जा रहे है जहाँ छोटे दिन की तारीख व समय दिया गया है. इसे निम्नलिखित तालिका के माध्यम से दर्शित किया जा रहा है :-

शहरतारीखदिन के समय की लम्बाई दिल्ली22 दिसम्बर10 घंटा 19 मिनटबीजिंग22 दिसंबर9 घंटा 20 मिनटरिओ डे जनिरेओ22 दिसम्बर13 घंटा 13 मिनटन्यू यॉर्क सिटी22 दिसम्बर9 घंटा 15 मिनटलोस अन्गेलेस22 दिसम्बर9 घंटा 53 मिनटमेक्सिको सिटी22 दिसम्बर10 घंटा 57 मिनटटोक्यो, जापान22 दिसम्बर9 घंटा 44 मिनटमेलबोर्न22 दिसम्बर14 घंटा 47 मिनट 

सोल्सटिस से सम्बंधित तथ्य

शब्द सोल्सटिस लैटिन शब्द सोल्स्तितियम से आता है जिसका अर्थ होता है कि सूर्य अभी भी सीधा है. ऐसा इसलिए होता है क्योकि इस दिन सूर्य पृथ्वी की ओर से दक्षिणी गोलार्द्ध तक पहुँचता है उसके बाद उसकी दिशा बदल जाती है. इस दिन को सूर्य के पीछे मुड़ने वाला दिन भी कहा जाता है.   

सबसे लम्बा दिनसबसे छोटा दिनजब दक्षिणी गोलार्द्ध में समर सोल्सटिस जिसे ग्रीष्मकालीन संक्रांति कहा जाता है पड़ता है, और वह यहाँ का सबसे लम्बा दिन होता है.तब उत्तरी गोलार्द्ध में विंटर सोल्सटिस जिसे शीतकालीन संक्रांति भी कहते है पड़ता है और  यह वर्ष का सबसे छोटा दिन होता है.जब उत्तरी गोलार्द्ध में समर सोल्सटिस जिसे ग्रीष्मकालीन संक्रांति भी कहते है पड़ती है और यह यहाँ का सबसे लम्बा दिन होता है.तब दक्षिणी गोलार्द्ध में विंटर सोल्सटिस जिसे शीतकालीन संक्रांति कहा जाता है पड़ती है और यह यहाँ सबसे छोटा दिन होता है.

सबसे छोटा और सबसे बड़ा दिन कब होता है?

उत्तरी गोलार्ध में सबसे बड़ा दिन 21 जून को दर्ज किया जाता है वही उत्तरी गोलार्ध में सबसे छोटा दिन 22 दिसंबर को दर्ज किया जाता है। साल 2022 का सबसे छोटा दिन 21 दिसम्बर 2022, दिन शुक्रवार को है, जिसकी कुल अवधि 10 घंटे 19 मिनट एवं 10 सेकेंड की दर्ज की गयी है।

भारत में सबसे छोटा दिन कब पड़ता है?

What is Winter Solstice: शीतकालीन संक्रांति साल का सबसे छोटा दिन होता है जोकि उत्तरी गोलार्ध में हर साल 21 या 22 दिसंबर को पड़ता है। इस साल शीतकालीन संक्रांति 22 दिसंबर 2022 को पड़ रही है। शीतकालीन संक्रांति इसलिए होती है क्योंकि पृथ्वी सूर्य के सापेक्ष लगभग 23.5 डिग्री के कोण पर झुकी हुई है।

भारत में सबसे बड़ा दिन और सबसे छोटा दिन कब होता है?

21 जून के बाद घटने लगती है दिन की अवधि: पृथ्वी की परिक्रमा के कारण 21 जून के बाद दिन की अवधि बराबर हो जाती है। इसके बाद 21 सितंबर से रात लंबी होने लगती है और दिन छोटी होने लगती है। वहीं 22 दिसंबर को एक उत्तरी गोलार्ध में रात सबसे लंबी और दिन सबसे छोटा हो जाता है।

पृथ्वी पर सबसे छोटा दिन कब होता है?

22 दिसंबर को होती है साल की सबसे लम्बी रात और सबसे छोटा दिन, जाने इसके पीछे का विज्ञान 22 दिसंबर 2022 को सिर्फ 10 घंटे 41 मिनट का दिन होगा और 13 घंटे 19 मिनट की रात रहेगी. दुनिया में हर जगह ऐसा नहीं होता है.