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भारत को स्वच्छ बनाने के लक्ष्य के साथ नई दिल्ली के राजघाट पर 2 अक्टूबर , 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की गई। स्वच्छ भारत अभियान का लक्ष्य है कि 2 अक्टूबर , 2019 तक हर परिवार को शौचालय सहित स्वच्छता सुविधा उपलब्ध कराना है , ठोस और द्रव अपशिष्ट निपटान व्यवस्था , गाँव में सफाई , सुरक्षित तथा पर्याप्त मात्रा में पीने का पानी उपलब्ध हो। यह भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी को उनके 150वें जन्मदिवस पर सबसे उपयुक्त श्रद्धांजलि होगी। यह बहुत ही महत्वपूर्ण बात है कि इस अभियान को सफल बनाने के लिए प्रधानमंत्री जी स्वंय एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। राजघाट में उन्होंने खुद सडकों को साफ करके इस मुहीम की शुरुआत की। जबकि यह बात पहले ही निर्धारित कर दी गई थी कि यह अभियान सिर्फ सरकार ही कर्तव्य नहीं है बल्कि राष्ट्र को स्वच्छ बनाने की जिम्मेदारी इस देश के सभी नागरिकों की है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत 4041 सांविधिक नगरों के सडक , पैदल मार्ग और अन्य कई स्थल आते हैं। इस अभियान में स्वस्थ और सुखी जीवन के लिए महात्मा गाँधी जी के स्वच्छ भारत के सपने को आगे बढ़ाया गया है। भारत के शहरी विकास , पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय के तहत इस अभियान को ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लागू किया गया है। इण्डिया यानि भारत एक बहुत ही प्राचीन सभ्यता है। भारत को एक पवित्र राष्ट्र माना जाता है इसके लोग बहुत धार्मिक हैं। भारत देश में विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं जैसे – हिन्दू , मुस्लिम , ईसाई , सिक्ख ,पारसी , जैन आदि। सभी धर्मों के लोग अपने धर्मों का पूरी निष्ठा के साथ पालन करते हैं। यह हमारे देश की कडवी सच्चाई है कि सभी स्वच्छता और धर्म परायणता केवल धार्मिक गतिविधियों और रसोई तक ही सीमित है। हम सभी भारतीय अपने आस-पास की गंदगी के लिए गंभीर नहीं हैं भारत में किसी भी स्थान पर गंदगी का ढेर देखा जा सकता है। भारत देश के किसी भी नागरिक के व्यवहार में अपने आस-पास के वातावरण को साफ और स्वच्छ रखना नहीं है। ज्यादा-से-ज्यादा हम अपने घर को साफ रखते हैं। हम किसी सडक , पार्क , रास्ते या सार्वजनिक स्थान के बारे में हम जरा भी चिंतित नहीं होते हैं। हाल ही में नई सरकार सत्ता में आई है और उसकी मुख्य प्राथमिकता भारत को स्वच्छ करने की है। इसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार ने एक अभियान की शुरुआत की जसका नाम स्वच्छ भारत अभियान है। सरकार ने महात्मा गाँधी जी को इस अभियान से जोड़ा है क्योंकि गाँधी जी देश में स्वच्छता के कार्यों के बहुत बड़े समर्थक थे और जीवन भर साफ-सफाई और स्वच्छता की गतिविधियों से जुड़े रहे। स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत सरकार द्वारा देश को स्वच्छता के प्रतीक के रूप में पेश करना है। स्वच्छ भारत का सपना महात्मा गाँधी के द्वारा देखा गया था जिसके सन्दर्भ में गाँधी जी ने कहा कि स्वच्छता स्वतंत्रता से ज्यादा जरूरी है उनके अपने समय में वो देश की गरीबी और गंदगी से अच्छे से अवगत थे इसी वजह से उन्होंने अपने सपनों को पाने के लिए कई सारे प्रयास किये लेकिन सफल न हो सके। इस अभियान को लागू करने के लिए बहुत सारी नीतियाँ और प्रक्रिया है जिसमें तीन चरण है , योजना चरण , कार्यान्वयन चरण , निरंतरता चरण। स्वच्छ भारत अभियान का इतिहास :स्वच्छ भारत अभियान आज तक स्वच्छता से संबंधित लिया गया एक बड़ा कदम है। स्वच्छ भारत अभियान को विश्वस्तर पर प्रसिद्ध करने के लिए और आम जनता को इसके प्रति जागरूक करने के लिए स्कूलों तथा कॉलेजों के विद्यार्थियों सहित लगभग 3 लाख सरकारी कर्मचारियों ने इसके प्रारंभ होने के दिन इसमें भाग लिया था। 1500 लोगों की मौजूदगी में 2 अक्टूबर , 2014 को राष्ट्रपति भवन में इस कार्यक्रम को आयोजित किया गया था। इस अभियान की शुरुआत भारतीय राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने झंडा दिखाकर की थी। इस मुहीम को आगे बढ़ाने के लिए व्यापार , खेल , और फिल्म उद्योग से जुड़े नौ प्रसिद्ध व्यक्तियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामित किया। नरेंद्र मोदी जी ने उन नौ व्यक्तियों से निवेदन किया कि वे और नौ व्यक्तियों को इस अभियान से जोड़ें और स्वच्छता के इस आन्दोलन को देश के कोने-कोने में रहने वाले हर भारतीय तक पहुंचाएं। नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस मुहीम को एक चुनौती की तरह लेना चाहिए तथा व्यक्तिगत तौर पर दूसरे नौ लोगों को आमंत्रित करना चाहिए जिससे स्वच्छता का यह दृष्टिकोण साल 2019 तक पूरा हो सके और इतिहास में हमेशा के लिए भारत एक स्वच्छ देश बन सके। स्वच्छ भारत अभियान से प्रेरणा लेकर 3 जनवरी , 2015 को , इंडो-नेपाल डॉक्टर एशोसियन ने एक मुहिम की शुरुआत की जिसे स्वच्छ भारत नेपाल -स्वच्छ भारत नेपाल अभियान कहा गया है। इसकी शुरुआत इंडो-नेपाल बार्डर क्षेत्र , सुनौली-बेलिहिया हुई। भारत में स्वच्छता के दूसरे कार्यक्रम जैसे केन्द्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम का प्रारंभ सन् 1986 में पूरे देश में हुआ जो कि गरीबी रेखा से नीचे के लोगों के व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए स्वास्थ्यप्रद शौचालय बनाने पर केन्द्रित था। इसका उद्देश्य सूखे शौचालयों को अल्प लागत से तैयार स्वास्थ्यप्रद शौचालयों में बदलना , खासतौर से ग्रामीण महिलाओं के लिए शौचालय का निर्माण करना , तथा दूसरी सुविधाएँ जैसे – हैण्ड पंप , नहान-गृह , स्वास्थ्यप्रद , हाथों की सफाई आदि। यह लक्ष्य था कि सभी उपलब्ध सुविधाएँ ठीक ढंग से ग्राम पंचायत द्वारा पोषित की जाएगी। गाँव की उचित सफाई व्यवस्था जैसे जल निकासी व्यवस्था , सोखने वाला गड्ढा , ठोस और द्रव अपशिष्ट का निपटान , स्वास्थ्य शिक्षा के प्रति जागरूकता , सामाजिक , व्यक्तिगत , घरेलू और पर्यावरणीय साफ-सफाई व्यवस्था आदि की जागरूकता हो। ग्रामीण साफ-सफाई कार्यक्रम का पुनर्निर्माण करने के लिए भारतीय सरकार द्वारा सन् 1999 में भारत में सफाई के पूर्ण स्वच्छता अभियान की शुरुआत हुई। पूर्ण स्वच्छता अभियान को बढ़ावा देने के लिए साफ-सफाई कार्यक्रम के तहत जून 2003 के महीने में निर्मल ग्राम पुरस्कार की शुरुआत हुई। यह एक प्रोत्साहन योजना थी जिसे भारत सरकार द्वारा सन् 2003 में लोगों को पूर्ण स्वच्छता की विस्तृत सुचना देने पर पर्यावरण को साफ रखने के लिए साथ ही पंचायत , ब्लॉक और जिलों द्वारा गाँव को खुले में शौच करने से मुक्त करने के लिए प्रारंभ की गई थी। निर्मल भारत अभियान की शुरुआत सन् 2012 में हुई थी और उसके बाद स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत 2 अक्टूबर , 2014 में हुई। जबकि इसके पूर्व में भारतीय सरकार द्वारा चलाए जा रहे है सभी सफाई व्यवस्था और स्वच्छता कार्यक्रम वर्तमान 2014 के स्वच्छ भारत अभियान के जितना प्रभावकारी नहीं थे। गाँधी जी के साफ-सफाई के प्रति विचार :महात्मा गाँधी स्वच्छता के बहुत बड़े समर्थक थे। महात्मा गाँधी जी गंदी सडकों , रास्तों , मन्दिरों और खास तौर से हरिजन बस्ती के बारे में बहुत अधिक चिंतित रहते थे। दक्षिण अफ्रीका से लौटने के तुरंत बाद उन्होंने महसूस किया कि स्वच्छता और साफ-सफाई के मामले में भारत देश की स्थिति बहुत खराब है। गाँधी जी ने लोगों को प्रेरणा देने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ली और व्यक्तिगत रूप से भारत को गंदगी मुक्त बनाने का फैसला किया। 4 फरवरी , 1916 से पहले बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के लोकार्पण कार्यक्रम में जनसमूह को संबोधित करते हुए , गांधीजी ने स्वच्छता के महत्व को बताया और हर जगह फैली गंदगी और मैल को लेकर अपना दर्द तथा दुःख व्यक्त किया। गाँधी जी ने अपने विश्वनाथ मंदिर के दर्शन का उदाहरण दिया और उसके अंदर और चारों तरफ फैली गंदगी के बारे में बताया। उन्होंने कहा – क्या ये महान मंदिर हमारे चरित्र को नहीं बताता है ? अपने दुःख को व्यक्त करते हुए उन्होंने पूछा क्या अंग्रेजों के देश से चले जाने के बाद भी मंदिर गंदा और मैला रहेगा। इसलिए उनके लिए सफाई उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी राष्ट्र की आजादी। गाँधी जी का हमेशा ही यह विचार रहा है कि सभी को पहले खुद को बदलना चाहिए जो वो दुनिया में देखना चाहते हैं। इसलिए गाँधी जी को जब भी और जहाँ भी समय मिलता था वो खुद सफाई करने लग जाते थे। रचनात्मक कार्यक्रम के तहत उन्होंने पूरे भारत देश का भ्रमण किया , अंग्रेजों के खिलाफ बड़े संघर्ष के लिए लोगों को तैयार करने के अलावा वो साफ-सफाई तथा स्वच्छता के महत्व के बारे में भी लोगों को भाषण देते थे। गाँधी जी ने हमेशा साफ-सफाई और स्वास्थ्य विज्ञान के बारे में ग्रामीणों को शिक्षित करने की जरूरत पर जोर दिया। गाँधी जी के अनुसार आश्रम का सच्चा कार्य बीमारी से बचाव करने के लिए लोगों को शिक्षित करना था। गाँधी जी और उनके स्वंयसेवक ग्रामीणों के साथ एक विशाल जन-संपर्क कार्यक्रम का संचालन करते थे वे स्वच्छता की जरूरत रहने की जगह को साफ रखने और व्यक्तिगत स्वच्छता के बारे में बात किया करते थे। एक बार गांधीजी आश्रम के निकट ग्रामीण जमीन से मल ढकने को मना कर देते है। यह मानते हुए कि ये एक भंगी का कार्य है और पापमय है गांवों में साफ-सफाई के कार्यों को गांधीजी खुद देखते थे। गांधीजी के आश्रम में सभी साफ-सफाई के कार्य उनके साथ रहने वाले लोग करते थे। आश्रम की जमीन पर कोई भी गंदगी या मैला कहीं भी नहीं पाया जाता था। यहाँ वहाँ गड्ढा होता था जिसमें सारा कूड़ा फेंका जाता था , एक अलग से खाद का गड्ढा होता है , सब्जियों के छिलके और बचे हुए खाने को उसमें डाला जाता था। बेकार पानी का इस्तेमाल बागबानी के लिए होता था। गाँधी जी हमेशा अपनी पत्रिका हरिजन में स्वच्छता के महत्व को लिखते थे। इसलिए हमारे राष्ट्रपिता न सिर्फ अंग्रेजों की दासता के खिलाफ लड़े बल्कि स्वास्थ्य और साफ-सफाई को लेकर लोगों के गलत कार्य-प्रणाली के खिलाफ भी लड़े। गांधीजी ने पूरे जीवनभर लोगों को खुद के और सार्वजनिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने के लिए प्रोत्साहित किया। इसलिए महात्मा गाँधी को उनके जन्मदिवस 2 अक्टूबर को सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत कर अच्छा संकेत और उचित श्रद्धांजलि दी है। स्वच्छ भारत अभियान का उद्देश्य :2 अक्टूबर , 2019 तक स्वच्छ भारत के मिशन और दृष्टि को पूरा करने के लिए भारतीय सरकार द्वारा कई सारे लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की गई जो कि महान महात्मा गाँधी का 150वाँ जन्मदिवस होगा। सरकार द्वारा ये घोषित किया गया है कि यह अभियान राजनीति के ऊपर हो और देशभक्ति से प्रेरित है। स्वच्छ भारत अभियान के द्वारा भारत देश में खुले में मलत्याग की व्यवस्था का जड से उत्पादन , अस्वास्थ्यकर शौचालयों को बहने वाले शौचालयों में बदलना , हाथों से मल की सफाई करने की व्यवस्था को हटाना , लोगों के व्यवहार में बदलाव कर अच्छे स्वास्थ्य के विषय में जागरूक करना आदि उद्देश्य निश्चित किये गए हैं। स्वच्छ भारत अभियान के द्वारा जन जागरूकता पैदा करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य और साफ-सफाई के कार्यक्रम से लोगों को जोडा जा सकता है। स्वच्छता अभियान का उद्देश्य साफ-सफाई से संबंधित सभी व्यवस्था को नियंत्रित , डिजाइन और संचालन करने के लिए शहरी स्थानीय निकाय को मजबूत बनाना है। इस अभियान का उद्देश्य पूरी तरह से वैज्ञानिक प्रक्रियाओं से निपटानों का दुबारा प्रयोग और म्युनिसिपल ठोस अपशिष्ट का पुनर्चक्रण करना है और सभी संचालनों के लिए पूंजीगत व्यय में निजी क्षेत्रकों को भाग लेने के लिए जरूरी वातावरण और स्वच्छता अभियान से संबंधित खर्च उपलब्ध कराना है। कॉरपोरेट भारत :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के बुलावे पर ध्यान देते हुए कॉरपोरेट भारत ने भी इस अभियान को सफल बनाने के लिए उत्साह के साथ कदम बढ़ाया। कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के तहत स्वच्छता गतिविधियों में सार्वजनिक और निजी कंपनियों को जोड़ा जा रहा है जो कि कंपनी अधिनियम 2013 के तहत कानूनी जरूरत है। सीएसआर एक क्रियाविधि है जिसके द्वारा कंपनियां पूरे समाज के भले कार्यों में पूंजी लगाती है। अभी ही बड़े कॉरपोरेट घराने जैसे – एलएनटी , वेदांत , भारती , टीसीएस , अंबुजा सीमेंट , टोयोटा किरलोस्कर , मारुती , टाटा मोटर्स , कोका कोला , डॉबर्र , आदित्य बिरला , अदानी , इंफोसिस , टीवीएस और कई दूसरों के पास निश्चित किये गए बजट स्वच्छ भारत अभियान के लिए हैं। एक अनुमान के अनुसार कॉरपोरेट सेक्टर के द्वारा 1000 करोड़ की कीमत की कई स्वच्छता परियोजनाएं पाईपलाइन में है। दूर-दराज के गांवों में शौचालय बनाने सहित इन परियोजनाओं में व्यवहार में बदलाव लाने के लिए कार्यशाला चलाना , कचरा प्रबंधन तथा साफ पानी और दूसरी चीजों में साफ-सफाई के क्रिया कलाप आदि है। स्वच्छ भारत अभियान के लिए एक बोली में कॉरपोरेट्स धन को आमंत्रित करना , अभी सरकार ने यह फैसला लिया कि इस स्कीम में कॉरपोरेट भागीदारी को सीएसआर खर्चे में गिनती होगी और बाद में इसे स्पष्ट करने के लिए कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने भी कंपनी अधिनियम के शेड्यूल 7 को संशोधित किया ये उल्लेखित करने के लिए कि स्वच्छ भारत कोष में योगदान सीएसआर के योग्य होगा इसलिए न केवल सरकारी और निजी शख्स बल्कि कॉरपोरेट क्षेत्रक भी भारत को स्वच्छ बनाने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। स्वच्छ भारत अभियान में योगदान :भारत देश में रह रहे सभी नागरिकों के प्रयासों के द्वारा भारत को एक स्वच्छ भारत बनाने के लिए स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत हुई। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्पष्ट रूप से घोषित किया गया कि कोई भी इस कार्यक्रम में किसी भी समय सक्रिय रूप से भाग ले सकता है। उसे केवल गंदी जगह की तस्वीर लेनी है और इसके बाद उस जगह की सफाई करने के बाद तस्वीर लेनी है तथा पहली और बाद की तस्वीरों को सोशल मिडिया वेबसाईटों जैसे फेसबुक , ट्विटर आदि पर अपलोड करना है जिससे इसी तरह का कार्य करने के लिए दूसरे आम लोग इससे परिचित और प्रेरित हो स्वच्छ भारत के दृष्टिकोण को पूरा कर सके। भारतीय जनता से भारतीय प्रधानमंत्री के द्वारा इस तरह की अपील के बाद यह भारत के लोगों द्वारा तेजी से शुरू हुआ। इस मुहीम के शुरू होने के दिन से ही लोग बहुत सक्रिय और प्रेरित हुए तथा इसको वैश्विक बनाने के लिए पहले और बाद की फोटो लेकर सोशल मिडिया वेबसाइटों पर अपलोड कर उसी तरह शुरू किया गया। स्वच्छ भारत अभियान को स्कूल , कॉलेज , विश्वविद्यालय के छात्रों और दूसरे शैक्षणिक संस्थानों के द्वारा भी किया जा रहा है। दैनिक रूटीन कार्य और दूसरे व्यवसायिक गतिविधियों में लगे देश के युवा भी इस कार्यक्रम में भाग लेते है तथा इसी तरह का कार्य करते है। सभी क्रियाकलाप प्रसिद्ध व्यक्तित्व , विद्यार्थी तथा देश के युवा द्वारा समर्पित होता है और आम जन को इसमें सक्रियता से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। अपनी आस-पास की जगह को साफ-सुथरा और उत्तम करने के लिए हमें भारतीय होने के नाते अपने हाथों में झाड़ू लेने की जरूरत है। अधिकतर स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों ने ग्रुप कार्यक्रम में भाग लिया था तो हम क्यूँ पीछे हैं ? हमें भी इसमें पूरी सक्रियता से भाग लेना चाहिए। इस अभियान को सफल अभियान बनाने के लिए कई स्वतंत्र ऐप्लीकेशन प्रोग्राम डेवलपर ने मोबाईल तकनीक का इस्तेमाल करके कई मोबाइल ऐप्लीकेशन बनाए। मिडिया ने भी अपने लेख और खबर प्रकाशन के द्वारा इस अभियान को बढ़ावा दिया। स्वच्छ भारत अभियान से जुड़े मशहूर लोग :स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाने के लिए इसमें बहुत से मशहूर लोगों ने भाग लिया जैसे – आमिर खान , अमिताभ बच्चन , रितिक रोशन , सचिन तेंदुलकर , मृदुला सिन्हा जी , अनिल अंबानी , बाबा रामदेव , शशि थरूर , कमल हसन , प्रियंका चौपडा , एम.वेंकैया नायडु , अमित शाह , सलमान खान , तर्क मेहता का उल्टा चश्मा की टीम , अनुपम खेर , परिणिति चौपडा , अक्षय कुमार , आलिया भट्ट , नेहा धूपिया , अजय देवगन , सुभाष घई , गगन नारंग , विजेंदर सिंह , मनोज तिवारी , मैरी कोम , नागार्जुन , तमन्ना भाटिया , हेमा मालिनी कपिल शर्मा , v.v.s. लक्ष्मण , सौरव गांगुली , किरन बेदी , रमोजी राव , आदि। स्वच्छ भारत अभियान के नारे :स्वच्छ भारत अभियान में बहुत से
नारे प्रयोग में लाये गए थे। स्वच्छ भारत अभियान स्थापना दिवस :2 अक्टूबर , 2014 गाँधी जयंती के दिन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की। स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत करते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने महात्मा गाँधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को श्रद्धांजलि देते हुए गाँधी जी के स्वच्छ भारत के सपने को पूरा करने की बात कही। सन् 2019 में महात्मा गाँधी जी की 150 वीं जयंती है और मोदी जी ने 2019 तक गाँधी जी के स्वच्छ भारत के सपने को पूरा करने की बात कही। लेकिन यह स्वच्छ भारत का सपना किसी एक भारतीय या किसी एक सरकार का नहीं है अगर देश के 125 करोड़ लोग इसमें मिलकर हिस्सा ले तभी गाँधी जी के स्वच्छ भारत के सपने को पूरा किया जा सकता है। अगर सभी भारत वासी यह संकल्प लें कि वे न तो गंदगी फैलायेंगे और न ही किसी को फैलाने देंगे तभी स्वच्छ भारत अभियान संभव है। अगर देखा जाए तो भारत का हर व्यक्ति साल में 100 घंटे योगदान करता है तो यह संभव है कि 2019 तक भारत देश को स्वच्छ किया जा सकता है। स्वच्छ भारतीय अभियान की आवश्यकता :अपने उद्देश्य की प्राप्ति तक भारत में इस मुहिम की कार्यवाही लगातार चलती रहनी चाहिए। भौतिक , मानसिक , सामाजिक और बौद्धिक कल्याण के लिए भारत देश के लोगों में इसका एहसास होना बहुत जरूरी है। भारत कि सामाजिक स्थिति को बढ़ावा देने के लिए है जो हर तरफ स्वच्छता लाने से शुरू किया जा सकता है। यह बहुत जरूरी है कि भारत के हर घर में शौचालय हो साथ ही खुले में शौच की प्रवृति को खत्म करने की जरूरत है। अस्वास्थ्यकर शौचालय को पानी से बहने वाले शौचालयों से बदलने की बहुत आवश्यकता है। हाथ के द्वारा की जाने वाली साफ-सफाई की व्यवस्था का जड़ से खात्मा जरूरी है। नगर निगम के कचरे का पुनर्चक्रण और दुबारा इस्तेमाल , सुरक्षित समापन , वैज्ञानिक तरीके से मल प्रबंधन को लागू करना है। स्वंय के स्वास्थ्य के प्रति भारत के लोगों की सोच और स्वभाव में परिवर्तन लाना और स्वास्थ्यकर साफ-सफाई की प्रक्रियों का पालन करना है। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में वैश्विक जागरूकता का निर्माण करने के लिए और सामान्य लोगों को स्वास्थ्य से जोड़ने के लिए इस अभियान की आवश्यकता है। इसमें काम करने वाले लोगों को स्थानीय स्तर पर कचरे के निष्पादन का नियंत्रण करना , खाका तैयार करने के लिए मदद करना आवश्यक है। सारे भारत में साफ-सफाई की सुविधा को विकसित करने के लिए निजी क्षेत्रों की हिस्सेदारी बढ़ाना आवश्यक है। भारत को स्वच्छ और हरियाली युक्त बनाना है। इस अभियान के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना है। स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रमों के माध्यम से समुदायों और पंचायती राज संस्थानों को लगातार साफ-सफाई के प्रति जागरूक करना बहुत जरूरी है। बापू जी के सपने को साकार करने के लिए इन सब को करना बहुत आवश्यक है। स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय अभियान :स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय अभियान केन्द्रिय मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा चलाया गया है और इसका मुख्य उद्देश्य भी स्कूलों में स्वच्छता लाना है। इस अभियान के तहत 15 सितम्बर , 2014 से 31 अक्टूबर , 2014 तक केन्द्रिय विद्यालय और नवोदय विद्यालय संगठन जहाँ कई सारे स्वच्छता क्रिया-कलाप आयोजित किये गए जैसे – विद्यार्थियों द्वारा स्वच्छता के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा , इससे संबंधित महात्मा गाँधी जी की शिक्षा , स्वच्छता और स्वास्थ्य विज्ञान के विषय पर चर्चा , स्वच्छता क्रियाकलाप आदि पर चर्चा करना है। इस योजना के तहत स्कूल क्षेत्रों में सफाई , महान व्यक्तियों के योगदान पर भाषण , निबंध लेखन , प्रतियोगिता , कला , फिल्म , चर्चा , चित्रकारी तथा स्वास्थ्य और स्वच्छता पर नाटक मंचन आदि हैं। इसके अतिरिक्त सप्त में दो बार साफ-सफाई अभियान चलाया जाना जिसमें शिक्षक , विद्यार्थी और माता-पिता सभी भाग लेंगे। शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ भारत अभियान :शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ भारत अभियान का लक्ष्य कर नगर में ठोस कचरा प्रबंधन सहित लगभग सभी 1.04 करोड़ घरों को 2.6 लाख सार्वजनिक शौचालय , 2.5 लाख समुदायिक शौचालय उपलब्ध कराना है। सामुदायिक शौचालय के निर्माण की योजना रिहायशी इलाकों में की गई है जहाँ पर व्यक्तिगत घरेलू शौचालय की उपलब्धता मुश्किल है इसी तरह से सार्वजनिक शौचालय की प्राधिकृत स्थानों पर जैसे – बस अड्डों , रेलवे स्टेशन , बाजार आदि जगहों पर। शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ भारत अभियान कार्यक्रम को पांच वर्षों के अंदर अथार्त 2019 तक पूरा करनेकी योजना है। इस अभियान में ठोस कचरा प्रबंधन की लागत लगभग 7366 करोड़ रूपए , 1828 करोड़ जन सामान्य को जागरूक करने के लिए , 655 करोड़ रूपए सामुदायिक शौचालयों के लिए , 4165 करोड़ रूपए निजी घरेलू शौचालयों के लिए आदि। वह कार्यक्रम जिन्हें पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है खुले में शौच की प्रवृति को जड से समाप्त करना , अस्वास्थ्यकर शौचालय को पानी से बहने वाले शौचालयों में परिवर्तन , खुले हाथों से साफ-सफाई की प्रवृति को हटाना , लोगों की सोच में परिवर्तन लाना और ठोस कचरा प्रबंधन करना है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ भारत अभियान :ग्रामीण स्वच्छ भारत मिशन एक ऐसा अभियान है जिसमें ग्रामीण भारत में स्वच्छता कार्यक्रम को अमल में लाना है। ग्रामीण क्षेत्रों को स्वच्छ बनाने के लिए सबसे पहले सन् 1999 में भारतीय सरकार द्वारा निर्मल भारत अभियान की स्थापना की गई थी लेकिन अब उसका पुर्नगठन स्वच्छ भारत अभियान के रूप में किया गया है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीणों को खुले में शौच करने की मजबूरी से रोकना है इसलिए सरकार ने 11 करोड़ 11 लाख शौचालयों के निर्माण के लिए 1 लाख 34 हजार करोड़ की राशि खर्च करने की योजना बनाई है। सरकार ने कचरे को जैविक खाद और इस्तेमाल करने लायक उर्जा में परिवर्तित करने की भी योजना बनाई है। इसमें ग्राम पंचायत , जिला परिषद और पंचायत समिती की बहुत अच्छी भागीदारी है। इस योजना के मुख्य उद्देश्य ग्रामों क्षत्रों के लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाना , 2019 के लक्ष्य को पूरा करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों की साफ-सफाई के लिए लोगों को प्रेरित करना , आवश्यक साफ-सफाई की सुविधाओं को लगातार उपलब्ध कराने के लिए पंचायती राज संस्थान और समुदाय आदि को प्रेरित करना चाहिए , ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस और द्रव कचरा प्रबंधन पर मुख्यतौर से ध्यान देना चाहिए तथा उन्नत पर्यावरणीय साफ-सफाई व्यवस्था का विकास करना जो समुदायों द्वारा प्रबंधनीय हो , ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार साफ-सफाई और पारिस्थितिक सुरक्षा को प्रोत्साहित करना आदि हैं। भारत को स्वच्छ बनाने के लिए क्या करना चाहिए?स्वच्छ भारत अभियान: एक कदम स्वच्छता की ओर. महात्मा गांधी ने अपने आसपास के लोगों को स्वच्छता बनाए रखने संबंधी शिक्षा प्रदान कर राष्ट्र को एक उत्कृष्ट संदेश दिया था। ... . इस अभियान का उद्देश्य अगले पांच वर्ष में स्वच्छ भारत का लक्ष्य प्राप्त करना है ताकि बापू की 150वीं जयंती को इस लक्ष्य की प्राप्ति के रूप में मनाया जा सके।. स्वच्छ भारत की क्या आवश्यकता है?स्वच्छ भारत अभियान के उद्देश्य (Points Wise)
(1) इस अभियान का प्रथम उद्देश्य है कि देश का कोना-कोना साफ सुथरा हो। (2) लोगों को बाहर खुले में शौच करने से रोका जाए। जिसके तहत हर साल हजारों बच्चों की मौत हो जाती है. (3) भारत के हर शहर और ग्रामीण इलाकों के घरों में शौचालय का निर्माण करवाया जाए।
स्वच्छता के लिए हम क्या क्या कर सकते हैं?पर्यावरण को बचाने के लिये पेड़-पौधों और वृक्षारोपण करेंगे। शौचालय का प्रयोग करने के लिए लोगों में जागरूकता फैलायें। अपने आस-पास रखे कूड़ेदान का प्रयोग करने के लिये लोगों को बतायें। कॉर्टून और चित्रों के जरिये लोगों को स्वच्छता के सही मायने समझायें।
स्वच्छ भारत पर निबंध कैसे लिखें?स्वच्छ भारत अभियान का आरंभ
अपने प्रधानमंत्री बनने के बाद माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने गांधी जयंती के अवसर पर 02 अक्टूबर 2014, को इस अभियान का आगाज़ किया था। भारत को स्वच्छ करने की परिवर्तन कारी मुहिम चलाई थी। भारत को साफ-सुथरा देखना गांधी जी का सपना था। गांधी जी हमेशा लोगों को अपने आस-पास साफ-सफाई रखने को बोलते थे।
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