तिरुअनंतपुरम, पीटीआइ। अठाहरवीं शताब्दी में ईसाई धर्म अपनाने वाले हिंदू देवसहायम पिल्लई, संत की उपाधि से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय आम आदमी होंगे। गिरजाघर के अधिकारियों ने बुधवार को यहां कहा कि पोप फ्रांसिस 15 मई, 2022 को वेटिकन में सेंट पीटर्स बेसिलिका में संत उपाधि की घोषणा के दौरान, छह अन्य संतों के साथ देवसहायम पिल्लई को संत घोषित करेंगे। Show
वेटिकन में कांग्रीगेशन फार द काजेज आफ सेंट्स ने मंगलवार को यह घोषणा की। गिरजाघर ने कहा कि प्रक्रिया पूरी होने के साथ पिल्लई ईसाई संत बनने वाले भारत के पहले आम आदमी बन जाएंगे। उन्होंने 1745 में ईसाई धर्म अपनाने के बाद 'लेजारस' नाम रख लिया था। 'लेजारस' का अर्थ ही 'देवसहायम' या देवों की सहायता है। 'एक्सेप्ट द अनएक्सपेक्टेड' रहा साल 2022, इस साल घटी 9 ऐसी बड़ी घटनाएं जिसे बरसों तक रखा जाएगा याद; देखें लिस्ट यह भी पढ़ेंधर्म प्रचार करते समय, उन्होंने विशेष रूप से जातिगत मतभेदों के बावजूद सभी लोगों की समानता पर जोर दिया। इससे उच्च वर्गो के प्रति घृणा पैदा हुई, और उन्हें 1749 में गिरफ्तार कर लिया गया। बढ़ती कठिनाइयों को सहने के बाद, जब उन्हें 14 जनवरी 1752 को गोली मार दी गई तो उन्हें शहीद का दर्जा मिला। वेटिकन द्वारा तैयार एक नोट में यह बात कही गई है। देवसहायम को उनके जन्म के 300 साल बाद दो दिसंबर 2012 को कोट्टार में धन्य घोषित किया गया था। उनका जन्म 23 अप्रैल, 1712 को कन्याकुमारी जिले के नट्टलम में एक हिंदू नायर परिवार में हुआ था, जो तत्कालीन त्रावणकोर साम्राज्य का हिस्सा था। प्रतिवर्ष 25 दिसंबर को ईसा मसीह के जन्म दिवस के अवसर पर क्रिसमस त्यौहार संपूर्ण विश्व में मनाया जाता है परिचय :-
ईसाई धर्म में धर्म सुधार आंदोलन
धर्म सुधार आंदोलन के कारण
धर्म सुधार आंदोलन का तात्कालिक कारण क्षमा पत्रों की बिक्री पर मार्टिन लूथर किंग के विरोध से आरंभ हुई धर्म सुधार या प्रोटेस्टेंट आंदोलन
इस प्रकार यह धर्म सुधार जर्मनी से प्रारंभ होकर संपूर्ण ईसाई जगत में फैला इस धर्म सुधारने तात्कालिक समाज को बहुआयामी माध्यमों से प्रभावित किया। धर्म सुधार के प्रभाव
इस प्रकार दोनों ही सुधारो के उपरांत ईसाई धर्म अधिक विकसित हुआ तथा यूरोप से संपूर्ण विश्व में प्रसारित हुआ। इसी क्रम में भौगोलिक खोजों के साथ ईसाई धर्म भारत की ओर पहुंचा भारत में ईसाई धर्मकुछ इतिहासकारों का तर्क है कि ईशा के दोनों में से एक सेंट थॉमस 52 ईस्वी में भारत आए तथा तमिलनाडु में कुछ कार्य किया। परंतु भारत में मुख्य रूप से ईसाई धर्म का प्रसार दो व्यवस्थाओं के अंतर्गत रहा
मध्य काल के दौरान
ब्रिटिश शासन के संरक्षण में
निष्कर्षईसाई धर्म आज संपूर्ण विश्व का सबसे बड़ा धर्म है। संपूर्ण विश्व में इसके लगभग 2.168 बिलियन अनुयाई हैं जो वैश्विक जनसंख्या का लगभग 31% है। भारत में यह हिंदू तथा इस्लाम धर्म के उपरांत तीसरा सबसे बड़ा धर्म है जहां 31.9 मिलीयन जनसंख्या है। लगातार सुधारों के उपरांत ईसाई धर्म आज एक मजबूत तथा विकसित धर्म बन चुका है जहां राज्य व्यवस्था व अर्थव्यवस्था को धर्म से पृथक रखा गया है। इस प्रकार यह मानव के सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त करता है। ईसाई धर्म शुरू करने वाला कौन है?(1) ईसाई धर्म के संस्थापक हैं ईसा मसीह. (2) ईसाई धर्म का प्रमुख ग्रंथ है- बाइबिल. (3) ईसा मसीह का जन्म जेरूसलम के पास बैथलेहम में हुआ था. (4) ईसा मसीह की माता का नाम मैरी और पिता का नाम जोसेफ था.
भारत में ईसाई धर्म कौन लाया था?मान्यता है कि भारत में ईसाई धर्म की शुरुआत सबसे पहल केरल के तटीय नगर क्रांगानोर से हुई. माना जाता है कि ईसा मसीह के 12 प्रमुख शिष्यों में से एक सेंट थॉमस 52 A.D में केरल के कोडुन्गल्लुर आए थे. भारत आने के बाद सेंट थॉमस ने 7 चर्च बनावाए. साथ ही कुछ दूसरे धर्म के लोगों को भी ईसाई धर्म स्वीकार करने के लिए राजी किया.
ईसाई धर्म भारत में कब और किसके द्वारा लाया गया?माना जाता है कि भारत में ईसाई धर्म की शुरुवात ईसा मसीह के बारह मूल धर्मदूतों में से एक थॉमस के सन ५२ में केरल में आने के बाद हुई। विद्वानों की सहमति है कि ईसाई धर्म निश्चित तौर पर ६वीं शताब्दी ईस्वी से भारत में स्थापित हो गया था।
भारत की यात्रा करने वाले प्रथम ईसाई धर्म प्रचारक कौन थे?ईसा मसीह के प्रचारक, सेंट थॉमस लगभग 2000 साल पहले केरल आए थे और उन्हें भारत में ईसाई धर्म लाने का श्रेय दिया जाता है।
|