भारत में वर्षा ऋतु की विशेषताओं का वर्णन कीजिए - bhaarat mein varsha rtu kee visheshataon ka varnan keejie

प्रश्न 32. मानसून की प्रमुख विशेषताएँ बताते हुए विभिन्न ऋतुओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर- मानसून की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं—

(i) मानसूनी हवाएँ मौसमी हवाएँ हैं जो मौसम के अनुसार प्रवाहित होती हैं।

(ii) ग्रीष्मकालीन मानसूनी हवाएँ, भारत की प्रायद्वीपीय स्थिति के कारण दो भागों में बँट जाती हैं-पहली, अरब सागरीय मानसून एवं दूसरी, बंगाल की खाड़ी का मानसून।

(iii) भारत में ग्रीष्म ऋतु में इन हवाओं की दिशा दक्षिणपश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर एवं शीत ऋतु में उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम होती है।

(iv) ग्रीष्म ऋतु में ये हवाएँ समुद्र से स्थल भाग की ओर चलने के कारण उष्ण व आर्द्र होती हैं जबकि शीत ऋतु में ये हवाएँ स्थल से समुद्र की ओर चलने के कारण ठण्डी और शुष्क होती हैं।

(v) भारत में वर्षा मुख्यतः मानसूनी हवाओं से ही होती है। वर्षा का अधिकांश भाग दक्षिण-पश्चिमी मानसून हवाओं से प्राप्त होता है।

(vi) भारतीय मानसून से होने वाली वर्षा अनिश्चित है अर्थात् कई बार मानसून के समय एवं उसकी मात्रा में अन्तर भी आ जाता है।

हमारे देश की प्रमुख ऋतुएँ निम्न प्रकार हैं-

(i) शीत ऋतु-यह ऋतु दिसम्बर से शुरू होती है। इस ऋतु में तापमान दक्षिण से उत्तर की ओर कम होता जाता है। जनवरी में केरल तथा दक्षिण तमिलनाडु के क्षेत्रों में तापमान 25° सेल्सियस तक रहता है तथा उत्तरी मैदान में तापमान 10° से 15° सेल्सियस तक हो जाता है। इस ऋतु में आकाश स्वच्छ, निम्न तापमान एवं आर्द्रता, मन्द समीर और वर्षा रहित सुहावना मौसम होता है। इस मौसम में पश्चिमी चक्रवाती विक्षोभों के आने से उत्तरी भारत में हल्की वर्षा होती है। शीत ऋतु में इन्हीं विक्षोभों के कारण कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में भारी हिमपात भी होता है।

(ii) ग्रीष्म ऋतु- ग्रीष्म ऋतु मार्च से मई तक होती है। इन तीन महीनों में उच्चतम तापमान दक्कन का पठार, गुजरात, मध्य प्रदेश एवं उत्तर-पश्चिम भारत में होता है।

इस समय उच्च तापमान के कारण छोटा नागपुर का पठार से थार मरुस्थल तक निम्न दाब का क्षेत्र बन जाता है। इस क्षेत्र के चारों ओर आर्द्र पवनें खिंची आती हैं। मानसून के आने से पूर्व प्रायद्वीपीय पठार में वर्षा होती है जिसे मैंगो शावर (आम्रवृष्टि) कहते हैं।

(iii) वर्षा ऋतु- भारत के उत्तर-पश्चिम भाग में तेजी से बढ़ते तापमान के परिणामस्वरूप शीत ऋतु का उच्च दाब अत्यन्त निम्न दाब में बदल जाता है। इस निम्न दाब के क्षेत्र की ओर बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से वायु खिंच जाती है, जिससे दक्षिण-पश्चिम मानसून धीरे-धीरे दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ता है और जून के अन्त तक देश के अधिकांश भाग में फैल जाता है।

इस ऋतु में भारत के प्रायः सभी क्षेत्रों में वर्षा होती है। उत्तर भारत में वर्षा की मात्रा पूर्व से पश्चिम की ओर कम होती जाती है और प्रायद्वीपीय भाग में पश्चिम से पूर्व की ओर कम होती जाती है।

वर्षा ऋतु को दक्षिण- पश्चिम मानसून की ऋतु भी कहते हैं। यह ऋतु जून से लेकर मध्य सितम्बर तक रहती है। इस ऋतु की मुख्य विशेषताओं का वर्णन निम्नलिखित है —

  1. भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में निम्न दाब का क्षेत्र अधिक तीव्र हो जाता है।
  2. समुद्र से पवनें भारत में प्रवेश करती हैं और गरज के साथ घनघोर वर्षा करती हैं।
  3. आर्द्रता से भरी ये पवनें 30 किलोमीटर प्रति घण्टा की दर से चलती हैं और एक मास के अन्दर-अन्दर पूरे देश में फैल जाती हैं।
  4. भारतीय प्रायद्वीप मानसून को दो शाखाओं में विभाजित कर देता है-अरब सागर की मानसून पवनें तथा खाड़ी बंगाल की मानसून पवनें।
  5. खाड़ी बंगाल की मानसून पवनें भारत के पश्चिमी घाट और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा करती हैं। पश्चिमी घाट की पवनाभिमुख ढालों पर 250 में०मी० से भी अधिक वर्षा होती है। इसके विपरीत इस घाट की पवनाविमुख ढालों पर केवल 50 सें०मी० वर्षा होती है। मुख्य कारण वहां की उच्च पहाड़ी श्रृंखलाएं तथा पूर्वी हिमालय हैं। दूसरी ओर उत्तरी मैदानों में पूर्व से पश्चिम की ओर जाते हुए वर्षा की मात्रा घटती जाती है।

भारत की जलवायु अवस्थाओं की क्षेत्रीय विभिन्नताओं को उदाहरण सहित समझाएँ।


(i) गर्मियों के समय राजस्थान के मरुस्थल में कुछ स्थानों का तापमान लगभग 50o से. तक पहुँच जाता है जबकि जम्मू-कश्मीर में पहलगाम में तापमान लगभग 20o से. तक रहता है।

(ii) सर्दी में रात के समय जम्मू-कश्मीर में द्रास का तापमान 45o हो जाता है जबकि तिरुवंतपुरम यह 20o हो जाता है।

(iii) देश के अधिकतर भागों में जून से सितंबर तक वर्षा होती है, परन्तु कुछ क्षेत्रों जैसे तमिलनाडु तट पर अधिकतर वर्षा अक्टूबर और नवंबर में होती है।

(iv) हिमालय के ऊपरी भाग में वर्षण अधिकतर हिम के रूप में होता है तथा देश के अन्य भागों में यह वर्षा के रुप में प्राप्त होता है।

(v) तटीय क्षेत्रों के तापमान में कम अंतर होता है। देश के आंतरिक भागों में मौसमी अंतर अधिक होता है।

(vi) उत्तरी मैदानों में पूर्व से पश्चिम की ओर यह मात्रा वर्षा की मात्रा सामान्यतः घटती है।

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शीत ऋतु की अवस्था एवं उसकी विशेषता बताइए।


शीत ऋतु की जलवायु की स्थिति:

(i) दिन गर्म और राते ठंडी होती है।

(ii) शीत ऋतु नवंबर से आरंभ होकर फरवरी तक रहती है।

(iii) सहित ऋतू में तापमान दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ने पर घटता जाता है।

(iv) भारत में उत्तर-पूर्वी व्यापारिक पवनें प्रभावित होती है इनके कारण कुछ मात्रा में वर्षा तमिलनाडु के तट पर होती है।

(v) शीत ऋतु में आसमान साफ, तापमान तथा आर्द्रता कम और पवनें शिथिल तथा परिवर्तित होती है।

(vi) यह कम दाब वाली प्रणाली भू-मध्यसागर के ऊपर उत्पन्न होती है तथा पश्चिम सपनों के साथ भारत में प्रवेश करती है। परिणामस्वरूप शीतकाल में वर्षा होती है तथा पर्वतो पर हिमपात होता है।

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भारत के रेखा मानचित्र पर निम्नलिखित को दर्शाइए-
(1) 400 से.मी. से अधिक वर्षा वाला क्षेत्र।
(2) 20-40 से.मी.वर्षा वाला क्षेत्र।
(3) 60-100 से.मी.वर्षा वाला क्षेत्र।


भारत में वर्षा ऋतु की विशेषताओं का वर्णन कीजिए - bhaarat mein varsha rtu kee visheshataon ka varnan keejie

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भारत में होने वाली मानसूनी वर्षा एवं उसकी विशेषताएँ बताएँ।


भारत में होने वाली मानसूनी वर्षा एवं उसकी विशेषता निम्नलिखित है:

(i) भारत में मानसून अनिश्चित होता है।

(ii) भारत के विभिन्न स्थानों में वर्ष-प्रतिवर्ष प्राप्त होने वाली वर्षा की मात्रा में बहुत परिवर्तनशीलता पाई जाती है। ये 15% से 80% तक होती है।

(iii) मानसून में भारत के सभी भागों में एक समान वर्षा नहीं होती अलग-अलग क्षेत्रों में प्राप्त होने वाली वर्षा की मात्रा में अंतर पाया जाता है।

(iv) मानसून और ग्रीष्मकालीन मानसून की अवधि में भी अंतर पाया जाता है।

(v) लगातार भारी वर्षा के अंतराल के बाद बिना वर्षा वाला शुष्क अंतराल होता है।

(vi) भारत में होने वाली मानसूनी वर्षा की एक प्रमुख समस्या बाढ़ और सूखा है। एक और लगातार भारी वर्षा से बाढ़ आ जाती है, वही दूसरी ओर मानसून की विफलताओं के कारण कुछ क्षेत्रों में सूखा पड़ता है।

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मानसून को परिभाषित करें। मानसून में विराम से आप क्या समझते हैं?


मानसून का अर्थ, एक वर्ष के दौरान मानसून पवन की दिशा में ऋतू के अनुसार परिवर्तन है।
मानसून में विराम: मानूसन की एक प्रकृति है 'वर्षा में विराम'। इसमें आर्द्र एवं शुष्क दोनों तरह के अंतराल होते है। मानसूनी वर्षा एक वर्ष में कुछ दिनों तक ही होती है। इसमें वर्ष रहित अंतराल भी होते है।

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भारतीय वर्षा की क्या विशेषताएं हैं?

भारत में होने वाली मानसूनी वर्षा की मात्रा पूरी तरह निश्चित नहीं है। कभी तो मानसूनी पवनें समय से पहले पहुंचकर भरी वर्षा करती हैं। कई स्थानों में तो बाढ़ तक आ जाती है। कभी यह वर्षा इतनी कम होती है या निश्चित समय से पहले ही खत्म हो जाती है कि सूखे की स्थिति पैदा हो जाती है।

भारत में वर्षा ऋतु का क्या महत्व है?

वर्षा से फसलों के लिए पानी मिलता है तथा सूखे हुए कुएं, तालाबों तथा नदियों को फिर से भरने का कार्य वर्षा के द्वारा ही किया जाता है। इसीलिए कहा जाता है कि जल ही जीवन है। इस मौसम में छोटे-छोटे जीव-जंतु जो गर्मी के मारे जमीन के नीचे छिप जाते हैं, बाहर निकल जाते हैं। मेंढ़क की टर्र-टर्र की आवाज सुनाई पड़ने लगती है।

मानसून वर्षा की प्रमुख विशेषताएं क्या है?

(i) दिन गर्म और राते ठंडी होती है। (ii) शीत ऋतु नवंबर से आरंभ होकर फरवरी तक रहती है। (iii) सहित ऋतू में तापमान दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ने पर घटता जाता है। (iv) भारत में उत्तर-पूर्वी व्यापारिक पवनें प्रभावित होती है इनके कारण कुछ मात्रा में वर्षा तमिलनाडु के तट पर होती है।

वर्षा ऋतु का दूसरा नाम क्या है?

यह ऋतु मई और जून में रहता है. वर्षा को मॉनसून कहा जाता है.