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Total New Readers of Post : 5,469 प्रस्तुति – Dr. Anil Tomarपशु पालकों को बहुत बार ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है जब उन्हें अपनी गाय भैंस का दूध फेंकना पड़ता है | यदि गाय भैंस के दूध में खून का रिसाव हो रहा है तो वह दूध मनुष्य के उपयोग करने लायक नहीं रह जाता | दूध में खून आने के कारण –
उपचार –
इस प्रकार हम दूध में खून के रिसाव को रोककर स्वच्छ दूध प्राप्त कर सकते हैं | (पशु का उपचार पशु चिकित्सक की देखरेख में कराए ) गाय के थन से खून आना - Blood in cow's udder in Hindiकई बार आवाज़ आने में कुछ क्षण का विलम्ब हो सकता है! गाय के थन उसके शरीर के संवेदनशील हिस्सों में से एक हैं। जिनकी नियमित रूप से देखभाल न रखे जाने पर इनमें कुछ न कुछ समस्याएं होती रहती हैं। थन से खून आना गायों के थनों में होने वाली एक सामान्य समस्या बन गई है। थन से लगातार खून रिसना या फिर दूध के साथ आना इस स्थिति का मुख्य लक्षण है। इसके अलावा थन में सूजन, दर्द व खुजली होना आदि लक्षण भी देखे जा सकते हैं, जो इसके अंदरूनी कारणों पर निर्भर करता है। गाय के थन में सूजन आने के मुख्य कारणों में संक्रमण, एलर्जी और चोट लगना आदि शामिल हैं। गाय के थन में सूजन का इलाज उसके अंदरूनी कारणों के अनुसार किया जाता है। इलाज में मुख्यत एंटीबायोटिक, एंटीपैरासाइटिक, एंटी इंफ्लेमेटरी और खून के थक्के जमाने वाली दवाएं आदि शामिल हैं। (और पढ़ें - गाय के घी के फायदे)
गाय के थन से खून आना क्या है - Gaay ke than se khoon aana kya haiगाय के थन से खून आना एक गंभीर स्थिति हो सकती है। थन से निकलने वाला खून आमतौर पर दूध के साथ आता है। कुछ मामलों में दूध के बिना ही कई बार खून टपकता रहता है। यदि थन से खून अधिक मात्रा में निकल रहा है या काफी समय से बंद नहीं हो रहा है, तो यह गंभीर स्थिति हो सकती है। गाय के एक या अधिक थनों से रक्त का रिसाव होना ही इस रोग का सबसे स्पष्ट लक्षण है। हालांकि, थन को दबाने के बाद खून आ रहा है या फिर अपने आप रिसाव हो रहा है, ये दोनों लक्षण स्थिति के अंतर्निहित कारणों पर निर्भर करते हैं। गाय के थन से खून आने की स्थिति से जुड़े लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं, जैसे :
यदि गाय के थन में सूजन व दर्द भी है, तो इस स्थिति में कुछ अन्य लक्षण भी देखे जा सकते हैं, जिनमें निम्न भी शामिल हैं -
कुछ मामलों में थन में खून के साथ-साथ स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याएं भी हो जाती हैं जैसे -
गाय के थन से खून आना एक ऐसी स्थिति है, जो विभिन्न कारणों से हो सकती है और इसी स्थिति के अनुसार अन्य लक्षण भी विकसित होने लगते हैं। इसलिए गाय के थन में खून आने के साथ-साथ ऊपर बताए गए एक या अधिक लक्षण देखे जा सकते हैं। पशु चिकित्सक को कब दिखाएं? गाय के थन से खून आना किसी भी स्थिति में सामान्य समस्या नहीं हो सकती है। यदि दूध के रंग या स्वाद में बदलाव लग रहा है, तो थनों की अच्छे से जांच करें। यदि आपको थन में खून या उससे संबंधित कोई भी लक्षण दिखाई दे रहा है, तो पशु चिकित्सक को दिखा लेना चाहिए। गाय के थन से खून आने के कारण - Gaay ke than se khoon aane ka karanथन गाय के शरीर के बहुत संवेदनशील अंग हैं और शरीर के बाहर स्थिति होते हैं। इसलिए इनमें किसी प्रकार की समस्या होना और खून आना काफी आम समस्या है। थन से खून आने के कारणों को मुख्यत दो प्रकारों में विभाजित किया जाता है। अंदरूनी समस्याएं और बाहरी समस्याएं आदि। अंदरूनी समस्याएं थन में सूजन का कारण बनने वाली अंदरूनी समस्याएं आमतौर पर स्वास्थ्य से संबंधित होती हैं। इनमें मुख्यत: निम्न को शामिल किया जाता है -
इसके अलावा यदि गाय के शरीर में किसी भी प्रकार के विटामिन या अन्य किसी पोषक तत्व की कमी हो गई है, तो भी इसके कारण भी थन से खून आ सकता है। बाहरी कारण यदि किसी बाहरी चोट, क्षति या समस्या के कारण थन से खून आने लगा है, तो उसे बाहरी कारण समझा जा सकता है। गाय के थन से खून आने के बाहरी कारणों में निम्न शामिल है -
गाय के थन से खून आने से बचाव - Gaay ke than se khoon aane se bachavयदि गाय के थन से खून आने लगता है, तो कुछ मामलों में घरेलू उपायों से ही उसे ठीक किया जा सकता है। हालांकि, यह स्थिति गंभीर रूप ले सकती है, जो गाय के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। इसलिए पशु चिकित्सक से ही इलाज करवा लेना बेहतर विकल्प माना जाता है। हालांकि, कुछ बातों का ध्यान रख कर और जीवनशैली में बदलाव करके थन से खून आने की स्थिति को विकसित होने से ही रोका जा सकता है। इनमें निम्न शामिल हैं -
गाय के थन से खून आने का परीक्षण - Gaay ke than se khoon aane ka parikshan
थन से खून आने का परीक्षण करना काफी सरल है, जिसे किसान स्वयं घर पर ही कर सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यदि दूध में खून दिखना, थन से खून टपकना या फिर दबाने पर खून आना आदि लक्षण हैं, तो समस्या की पुष्टि हो जाती है। हालांकि, इसके बाद पशु चिकित्सक को बुला लेना चाहिए, क्योंकि वे विभिन्न परीक्षणों की मदद से समस्या के प्रकार व उसके अंदरूनी कारण का पता लगाने की कोशिश करेंगे। यदि पशु चिकित्सक को बाहरी या थन के छेद पर कोई घाव नहीं दिख रहा है, तो अंदर से आने वाले खून व दूषित दूध का सैंपल लिया जा सकता है, जिसकी मदद से स्थिति के अंदरूनी कारण का पता लगाने की कोशिश की जाती है। गाय के थन से खून आने का इलाज - Gaay ke than se khoon aane ka treatmentगाय के थन से खून आने की समस्या को विभिन्न इलाज प्रक्रियाओं से ठीक किया जा सकता है, जिनका चुनाव अंदरूनी कारण के अनुसार किया जाता है। इन इलाज प्रक्रियाओं का चुनाव कुछ इस प्रकार है - चोट लगना यदि किसी प्रकार की चोट लगी है, तो पशु चिकित्सक कुछ प्रकार की घाव भरने वाली दवाएं देते हैं और साथ ही कुछ सीमित समय के लिए दूध को हाथ से न निकालने की सलाह दे सकते हैं। इसके लिए कुछ विशेष दवाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है। संक्रमण यदि गाय के थन के अंदरूनी या बाहरी हिस्से में किसी प्रकार का संक्रमण हो गया है, तो ऐसे में पशु चिकित्सक सबसे पहले संक्रमण के प्रकार का पता लगाते हैं और उसके अनुसार एंटीबायोटिक या एंटीपैरासाइट आदि दवाएं दे सकते हैं। इन दवाओं को एक सीमित समय तक लिया जाता है और पशु चिकित्सक की सलाह के बगैर बीच में नहीं छोड़ा जाता है। एलर्जी यदि गाय के थन में किसी विशेष रसायन या पदार्थ से एलर्जी के कारण घाव या सूजन हुई है, तो पशु चिकित्सक पहले एलर्जी की पहचान करते हैं। एलर्जी का पता लगाने के बाद उसके अनुसार ही एंटी-एलर्जिक दवाएं दी जाती हैं। इसके अलावा लक्षणों के अनुसार कुछ अन्य दवाएं भी दी जा सकती हैं जैसे सूजन व खुजली वाली दवाएं। यदि खून का स्राव रुक नहीं रहा है, तो पशु चिकित्सक रक्त को गाढ़ा करने वाली दवाएं दे सकते हैं। इन दवाओं से खून के थक्के जमने की प्रक्रिया में सुधार होता है, जिससे रक्त का स्राव रोकने में मदद मिलती है। सम्बंधित लेखपशुओं में खून बहने को रोकने के लिए कौन सी दवा उपयोगी है?फिटकरी- यह रंगहीन सफेद या हल्का गुलाबी स्वाद में मीठापन लिए कसैला सा बड़े-बड़े रवे का पदार्थ है। यह पानी में पूर्णता घुलनशील, स्तंभक व एंटीसेप्टिक होता है। यह ऊतकों को संकुचित करती है इसलिए पशुओं के घाव से खून का बहना रोकने के लिए प्रयोग की जाती है।
भैंस का दूध लाल क्यों हो जाता है?थनैला बीमारी पशुओं में कई प्रकार के जीवाणु, विषाणु, फफूँद एवं यीस्ट तथा मोल्ड के संक्रमण से होता हैं। इसके अलावा चोट तथा मौसमी प्रतिकूलताओं के कारण भी थनैला हो जाता हैं। प्राचीन काल से यह बीमारी दूध देने वाले पशुओं एवं उनके पशुपालको के लिए चिंता का विषय बना हुआ हैं।
थनैला रोग के क्या लक्षण है?अलवर| दुधारू पशुओं के थन में सूजन, कड़ापन और दर्द थनैला रोग के लक्षण होते हैं। थनैला रोग के अलग-अलग प्रकार होते हैं। जैसे-बहुत तेज, तेज और धीमे दीर्घकालीन थनैला रोग में थन सूजे हुए, गर्म, सख्त और दर्ददायी हो जाते हैं। थनों से फटा हुआ, थक्के युक्त या दही की तरह जमा हुआ दूध निकलता हैं।
दूध लाल क्यों होता है?इसके दूध में दो प्रकार के एसिड पाए जाते हैं जिसे hipposudoric acid और norhipposudoric acid के नाम से जाना जाता है। इन एसिड की वजह से ही दूध का रंग गुलाबी होता है।
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