भैंस के दूध में खून क्यों आता है? - bhains ke doodh mein khoon kyon aata hai?

भैंस के दूध में खून क्यों आता है? - bhains ke doodh mein khoon kyon aata hai?

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प्रस्तुति – Dr. Anil Tomar

पशु पालकों को बहुत बार ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है जब उन्हें अपनी गाय भैंस का दूध फेंकना पड़ता है | यदि गाय भैंस के दूध में खून का रिसाव हो रहा है तो वह दूध मनुष्य के उपयोग करने लायक नहीं रह जाता |

भैंस के दूध में खून क्यों आता है? - bhains ke doodh mein khoon kyon aata hai?

दूध में खून आने के कारण

  1. यदि पशु को मैस्टाइटिस (Mestitis) रोग है यानी कि उसके थन या आयन में कोई संक्रमण (infection) हो गया है तो भी पशु के दूध में रक्त का रिसाव होने लगता है |
  2. पशुओं के आयन में चोट लगने के कारण भी दूध में खून आ सकता है |
  3. कुछ गायों में ब्याने के समय इस्ट्रोजन हार्मोन अत्याधिक बढ़ जाता है | इस इस्ट्रोजन हार्मोन की अधिक मात्रा रक्त नलिकाओं की दीवार को कमजोर कर देती है और उनसे रक्त रिसने लगता है | जो कि दूध में हमें नजर आता है और दूध गुलाबी रंग का हो जाता है |
  4. कुछ घास या वानस्पतिक पौधे भी शरीर में इस्ट्रोजन हार्मोन बढ़ा देते हैं | जिसके कारण रक्त रिसने से दूध लाल रंग का दिखाई देता है |
  5. कुछ पौधों एवं चारों में प्राकृतिक डाई या विषैले तत्व होते हैं इन पौधों या चारों को खाने से दूध का रंग लाल हो जाता है |
भैंस के दूध में खून क्यों आता है? - bhains ke doodh mein khoon kyon aata hai?

उपचार –

  1. गाय भैंस के दूध में रक्त के रिसाव को रोकने हेतु विभिन्न रक्तरोधक इंजेक्शन जैसे Inj. Streptocid-10ml या Inj. Sigma Chrome -10ml ml गाय या भैंस के मांस में लगा सकते हैं | इन इंजेक्शनों को प्रभावित पशु को सुबह शाम दो-तीन दिन तक लगाने से पशु को आराम होने लगता है |
  2. यदि आयन या थन में सूजन है और दूध के साथ छिछड़े भी आ रहे हैं तो एंटीबायोटिक इंजेक्शन जैसे Inj. Ampicilin – 2.5 gm या Inj. Ciprofloxacin Inj. – 15 ml या Inj. Procaine Pencillin –20-40 Lacs I.U. का उपयोग कर सकते हैं | कैलशियम बोरोग्लूकोनेट – 450 ml नस में दे सकते है | इंजेक्शन विटामिन सी 10 ml इंटरमस्कुलर दे सकते हैं |
  3. पूजा वाले कपूर की दो गोली एक केले के अंदर रखकर दिन में 2 बार 3 से 5 दिन तक खिलाने से भी दूध में खून आना ठीक हो जाता है |
  4. 250 ग्राम हल्दी पाउडर को 1 लीटर गर्म दूध में घोलकर और उसमें 250 ग्राम संभालू की पत्तियों को पकाकर पशु को तीन-चार दिन देने से भी लाभ मिलता है |
  5. फॉर्मलीन 2 ml जो कि किसी भी प्रयोगशाला से ले सकते हैं, उसे भी 1 लीटर दूध में डालकर पशु को दिन में 1 बार 3 दिन तक पिलाने से दूध में खून आना रुक जाता है |
  6. इसके अलावा लेक्टोलेट एम (Lactolet – M) जो कि 20 गोली एक डिब्बी में आती है इस आयुर्वेदिक औषधि का दूध में खून आने को रोकने पर बहुत अच्छा प्रभाव देखा गया है | एक एक गोली दिन में 5 बार 3-3 घंटे के अंतर से रोटी में रखकर 4 दिन खिलाने से दूध में खून आना, चाहे वह किसी भी कारण से हो, ठीक हो जाता है | लेक्टोलेट एम के साथ किसी अन्य दवा को देने की आवश्यकता नहीं पड़ती यह अकेला ही इस रोग को ठीक कर देता है |

इस प्रकार हम दूध में खून के रिसाव को रोककर स्वच्छ दूध प्राप्त कर सकते हैं |

(पशु का उपचार पशु चिकित्सक की देखरेख में कराए )

भैंस के दूध में खून क्यों आता है? - bhains ke doodh mein khoon kyon aata hai?

भैंस के दूध में खून क्यों आता है? - bhains ke doodh mein khoon kyon aata hai?

भैंस के दूध में खून क्यों आता है? - bhains ke doodh mein khoon kyon aata hai?

गाय के थन से खून आना - Blood in cow's udder in Hindi

कई बार आवाज़ आने में कुछ क्षण का विलम्ब हो सकता है!

भैंस के दूध में खून क्यों आता है? - bhains ke doodh mein khoon kyon aata hai?

गाय के थन उसके शरीर के संवेदनशील हिस्सों में से एक हैं। जिनकी नियमित रूप से देखभाल न रखे जाने पर इनमें कुछ न कुछ समस्याएं होती रहती हैं। थन से खून आना गायों के थनों में होने वाली एक सामान्य समस्या बन गई है।

थन से लगातार खून रिसना या फिर दूध के साथ आना इस स्थिति का मुख्य लक्षण है। इसके अलावा थन में सूजन, दर्द व खुजली होना आदि लक्षण भी देखे जा सकते हैं, जो इसके अंदरूनी कारणों पर निर्भर करता है। गाय के थन में सूजन आने के मुख्य कारणों में संक्रमण, एलर्जी और चोट लगना आदि शामिल हैं।

गाय के थन में सूजन का इलाज उसके अंदरूनी कारणों के अनुसार किया जाता है। इलाज में मुख्यत एंटीबायोटिक, एंटीपैरासाइटिक, एंटी इंफ्लेमेटरी और खून के थक्के जमाने वाली दवाएं आदि शामिल हैं।

(और पढ़ें - गाय के घी के फायदे)

  1. गाय के थन से खून आना क्या है - Gaay ke than se khoon aana kya hai
  2. गाय के थन से खून आने के लक्षण - Gaay ke than se khoon aane ke lakshan
  3. गाय के थन से खून आने के कारण - Gaay ke than se khoon aane ka karan
  4. गाय के थन से खून आने से बचाव - Gaay ke than se khoon aane se bachav
  5. गाय के थन से खून आने का परीक्षण - Gaay ke than se khoon aane ka parikshan
  6. गाय के थन से खून आने का इलाज - Gaay ke than se khoon aane ka treatment

भैंस के दूध में खून क्यों आता है? - bhains ke doodh mein khoon kyon aata hai?

गाय के थन से खून आना क्या है - Gaay ke than se khoon aana kya hai

गाय के थन से खून आना एक गंभीर स्थिति हो सकती है। थन से निकलने वाला खून आमतौर पर दूध के साथ आता है। कुछ मामलों में दूध के बिना ही कई बार खून टपकता रहता है। यदि थन से खून अधिक मात्रा में निकल रहा है या काफी समय से बंद नहीं हो रहा है, तो यह गंभीर स्थिति हो सकती है।

गाय के एक या अधिक थनों से रक्त का रिसाव होना ही इस रोग का सबसे स्पष्ट लक्षण है। हालांकि, थन को दबाने के बाद खून आ रहा है या फिर अपने आप रिसाव हो रहा है, ये दोनों लक्षण स्थिति के अंतर्निहित कारणों पर निर्भर करते हैं। गाय के थन से खून आने की स्थिति से जुड़े लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं, जैसे :

  • दूध के साथ खून आना
  • हर समय थन से खून टपकना
  • थन में सूजन
  • थन के छेद में घाव होना और मवाद आना
  • दूध का रंग हल्का ब्राउन, पीला या लाल होना

यदि गाय के थन में सूजन व दर्द भी है, तो इस स्थिति में कुछ अन्य लक्षण भी देखे जा सकते हैं, जिनमें निम्न भी शामिल हैं -

  • थनों का आकार छोटा-बड़ा होना
  • थन में लालिमा
  • गाय द्वारा बार-बार थन पर खुजली करने की कोशिश करना
  • बार-बार पैर पटकना
  • बार-बार बैठना व उठना
  • अपनी जीभ से बार-बार थन पर खुजली करना
  • थन को दबाने पर कम दूध आने लगना

कुछ मामलों में थन में खून के साथ-साथ स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याएं भी हो जाती हैं जैसे -

  • गाय को बुखार होना
  • आंख से पानी आना
  • चारा व पानी न लेना
  • दूध उत्पादन धीरे-धीरे कम हो जाना
  • नाक, मुंह या आंख से पानी आना

गाय के थन से खून आना एक ऐसी स्थिति है, जो विभिन्न कारणों से हो सकती है और इसी स्थिति के अनुसार अन्य लक्षण भी विकसित होने लगते हैं। इसलिए गाय के थन में खून आने के साथ-साथ ऊपर बताए गए एक या अधिक लक्षण देखे जा सकते हैं।

पशु चिकित्सक को कब दिखाएं?

गाय के थन से खून आना किसी भी स्थिति में सामान्य समस्या नहीं हो सकती है। यदि दूध के रंग या स्वाद में बदलाव लग रहा है, तो थनों की अच्छे से जांच करें। यदि आपको थन में खून या उससे संबंधित कोई भी लक्षण दिखाई दे रहा है, तो पशु चिकित्सक को दिखा लेना चाहिए।

गाय के थन से खून आने के कारण - Gaay ke than se khoon aane ka karan

थन गाय के शरीर के बहुत संवेदनशील अंग हैं और शरीर के बाहर स्थिति होते हैं। इसलिए इनमें किसी प्रकार की समस्या होना और खून आना काफी आम समस्या है। थन से खून आने के कारणों को मुख्यत दो प्रकारों में विभाजित किया जाता है। अंदरूनी समस्याएं और बाहरी समस्याएं आदि।

अंदरूनी समस्याएं

थन में सूजन का कारण बनने वाली अंदरूनी समस्याएं आमतौर पर स्वास्थ्य से संबंधित होती हैं। इनमें मुख्यत: निम्न को शामिल किया जाता है -

  • थनों में कोई संक्रमण होना, जैसे परजीवी या बैक्टीरियल संक्रमण
  • आहार या पानी के साथ कोई हानिकारक पदार्थ शरीर में चला जाना
  • खून में थ्रोम्बोसाइटोपेनिया नामक प्लेटलेट की कमी होना
  • दूग्ध प्रणाली की ग्रंथियों या अंदरूनी भाग में किसी प्रकार का छाला, ट्यूमर या कैंसर हो जाना
  • अंदरूनी भाग में सूजन या लालिमा हो जाना
  • शरीर में विटामिन सी की कमी होना

इसके अलावा यदि गाय के शरीर में किसी भी प्रकार के विटामिन या अन्य किसी पोषक तत्व की कमी हो गई है, तो भी इसके कारण भी थन से खून आ सकता है।

बाहरी कारण

यदि किसी बाहरी चोट, क्षति या समस्या के कारण थन से खून आने लगा है, तो उसे बाहरी कारण समझा जा सकता है। गाय के थन से खून आने के बाहरी कारणों में निम्न शामिल है -

  • थन पर कोई चोट या खरोंच लगना
  • उठते या बैठते समय खुर या टांग के नीचे आ जाना
  • बछड़े का दांत लग जाना
  • थन पर कोई कीट या जानवर काट लेना
  • अन्य किसी रसायन के संपर्क में आने से एलर्जी या जलन आदि होना।

गाय के थन से खून आने से बचाव - Gaay ke than se khoon aane se bachav

यदि गाय के थन से खून आने लगता है, तो कुछ मामलों में घरेलू उपायों से ही उसे ठीक किया जा सकता है। हालांकि, यह स्थिति गंभीर रूप ले सकती है, जो गाय के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। इसलिए पशु चिकित्सक से ही इलाज करवा लेना बेहतर विकल्प माना जाता है। हालांकि, कुछ बातों का ध्यान रख कर और जीवनशैली में बदलाव करके थन से खून आने की स्थिति को विकसित होने से ही रोका जा सकता है। इनमें निम्न शामिल हैं -

  • गाय को कठोर सतह पर न बिठाएं जैसे फर्श या इंटे आदि। इसकी बजाय आप स्वच्छ रेतीली मिट्टी या गद्दे का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • उसकी खुरली व पानी के बर्तन को समय-समय पर साफ करते रहें
  • गाय को स्वच्छ व ताजा घास-पानी दें
  • अधिक गर्म दाना न खिलाएं
  • गाय दुहने से पहले उसके थनों व अपने हाथों को अच्छे से धो लें
  • नियमित रूप से थनों की जांच करते रहें

गाय के थन से खून आने का परीक्षण - Gaay ke than se khoon aane ka parikshan

थन से खून आने का परीक्षण करना काफी सरल है, जिसे किसान स्वयं घर पर ही कर सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यदि दूध में खून दिखना, थन से खून टपकना या फिर दबाने पर खून आना आदि लक्षण हैं, तो समस्या की पुष्टि हो जाती है। हालांकि, इसके बाद पशु चिकित्सक को बुला लेना चाहिए, क्योंकि वे विभिन्न परीक्षणों की मदद से समस्या के प्रकार व उसके अंदरूनी कारण का पता लगाने की कोशिश करेंगे।

यदि पशु चिकित्सक को बाहरी या थन के छेद पर कोई घाव नहीं दिख रहा है, तो अंदर से आने वाले खून व दूषित दूध का सैंपल लिया जा सकता है, जिसकी मदद से स्थिति के अंदरूनी कारण का पता लगाने की कोशिश की जाती है।

गाय के थन से खून आने का इलाज - Gaay ke than se khoon aane ka treatment

गाय के थन से खून आने की समस्या को विभिन्न इलाज प्रक्रियाओं से ठीक किया जा सकता है, जिनका चुनाव अंदरूनी कारण के अनुसार किया जाता है। इन इलाज प्रक्रियाओं का चुनाव कुछ इस प्रकार है -

चोट लगना 

यदि किसी प्रकार की चोट लगी है, तो पशु चिकित्सक कुछ प्रकार की घाव भरने वाली दवाएं देते हैं और साथ ही कुछ सीमित समय के लिए दूध को हाथ से न निकालने की सलाह दे सकते हैं। इसके लिए कुछ विशेष दवाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है।

संक्रमण

यदि गाय के थन के अंदरूनी या बाहरी हिस्से में किसी प्रकार का संक्रमण हो गया है, तो ऐसे में पशु चिकित्सक सबसे पहले संक्रमण के प्रकार का पता लगाते हैं और उसके अनुसार एंटीबायोटिक या एंटीपैरासाइट आदि दवाएं दे सकते हैं। इन दवाओं को एक सीमित समय तक लिया जाता है और पशु चिकित्सक की सलाह के बगैर बीच में नहीं छोड़ा जाता है।

एलर्जी

यदि गाय के थन में किसी विशेष रसायन या पदार्थ से एलर्जी के कारण घाव या सूजन हुई है, तो पशु चिकित्सक पहले एलर्जी की पहचान करते हैं। एलर्जी का पता लगाने के बाद उसके अनुसार ही एंटी-एलर्जिक दवाएं दी जाती हैं।

इसके अलावा लक्षणों के अनुसार कुछ अन्य दवाएं भी दी जा सकती हैं जैसे सूजन व खुजली वाली दवाएं। यदि खून का स्राव रुक नहीं रहा है, तो पशु चिकित्सक रक्त को गाढ़ा करने वाली दवाएं दे सकते हैं। इन दवाओं से खून के थक्के जमने की प्रक्रिया में सुधार होता है, जिससे रक्त का स्राव रोकने में मदद मिलती है।

भैंस के दूध में खून क्यों आता है? - bhains ke doodh mein khoon kyon aata hai?

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