राजभाषा से संबंधित संवैधानिक प्रावधान | Rajbhasha Se Sambandhit pravdhan or anuchhed Show हेलो ! स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट पर हम आपके लिए लेकर आए हैं राजभाषा से संबंधित संवैधानिक प्रावधान | Rajbhasha Se Sambandhit pravdhan or anuchhed
यदि आप UPSC,MPPSC , UPPSC, RPSC, BPSC, CGPSC की तैयारी कर रहे हैं तो यह पोस्ट आपके लिए बहुत उपयोगी है क्योंकि इनसे सम्बन्धित जानकारी प्रारंभिक परीक्षा के साथ साथ मुख्य परीक्षा में भी काम आएगी । इसके अलावा आप किसी भी Oneday एग्जाम SSC , Bank , Railways , VYAPAM , POLICE, Sub-Inspector आदि की तैयारी कर रहे हैं तो इनसे अक्सर परीक्षा में प्रश्न पूछे जातें हैं। राष्ट्रभाषा क्या है - • किसी राष्ट्र के बहुसंख्यक लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा को राष्ट्रभाषा कहते हैं • राष्ट्रभाषा सम्पूर्ण राष्ट्र को एकता के सूत्र में बाँधने और राष्ट्रीय भावना से जोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य करती है। • हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा है। (लेकिन हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप कोई संवैधानिक दर्जा प्राप्त नहीं है। परंतु हिंदी को राजभाषा के रूप में संवैधानिक दर्जा दिया गया है।) •हिन्दी ही भारत की सम्पर्क भाषा है। राष्ट्रभाषा की विशेषता 1. देश में व्यापक क्षेत्र में बोली जाती 2. उसका व्याकरण सरल हो 3. उसका शब्द भण्डार
समृद्ध हो 4. उसमें ज्ञान और साहित्य की समृद्ध परम्परा हो 5. उसमें राष्ट्रीय संस्कृति की अभिव्यक्ति 6. उसमें भावात्मक एकता स्थापित करने की क्षमता हो। • राजभाषा क्या है - वह भाषा जिसमें देश अथवा राज्यों के राजकीय काम काज सम्पन्न होते हैं वह उस देश या राज्य की अधिकृत राजभाषा, कहलाती है । •हिन्दी देश की राजभाषा है जिसकी लिपि देवनागरी है। • हिन्दी को 'संघ की भाषा' भी कहा गया । राजभाषा से संबंधित संवैधानिक प्रावधान | Rajbhasha Se Sambandhit pravdhan or anuchhed इस प्रकार हैं - • अनुच्छेद 343: संघ की राजभाषा नोट- उल्लेखनीय है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 में हिन्दी को भारत संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया है, न कि राष्ट्रभाषा के रूप में। वास्तव में देखा जाये तो हमारे संविधान में राष्ट्रभाषा का कोई प्रावधान ही नहीं है। • अनुच्छेद 344: राजभाषा के संबंध में आयोग और संसद की समिति • अनुच्छेद 345: राज्य की राजभाषा या राजभाषाएँ • अनुच्छेद 346 : एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या किसी राज्य और संघ के बीच पत्रादि की राजभाषा • अनुच्छेद 347: किसी राज्य की जनसंख्या के किसी अनुभाग द्वारा बोली जाने वाली भाषा के संबंध में विशेष उपबंध • अनुच्छेद 348: न्यायालयों की भाषा • अनुच्छेद 349: भाषा से संबंधित कुछ विधियाँ अधिनियमित करने के लिये विशेष प्रक्रिया • अनुच्छेद 350: व्यथा के निवारण के लिये अभ्यावेदन में प्रयोग की जाने वाली भाषा • अनुच्छेद 350 (क) : प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की सुविधाएँ • अनुच्छेद 350 (ख) : भाषायी अल्पसंख्यक वर्गों के लिये विशेष अधिकारी • अनुच्छेद 351: हिन्दी भाषा के विकास के लिये निर्देश • अनु. 120: संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषा। (1) भाग-17 में किसी बात के होते हुए भी, किन्तु अनुच्छेद 348 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, संसद में कार्य हिन्दी में या अंग्रेजी में किया जाएगा। परन्तु, यथास्थिति राज्य सभा का सभापति या लोकसभा का अध्यक्ष अथवा उस रूप में कार्य करने वाला व्यक्ति किसी सदस्य को जो हिन्दी में या अंग्रेजी में अपनी अभिव्यक्ति नहीं कर सकता है अपनी मातृ-भाषा में सदन को सम्बोधित करने की अनुज्ञा दे सकेगा। • अनु. 210: विधान-मंडल में प्रयोग की जाने वाली भाषा (1) भाग-17 में किसी बात के होते हुए भी, किन्तु अनु.
348 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, राज्य के विधान-मंडल में कार्य राज्य की राजभाषा या राजभाषाओं में या हिन्दी में या अंग्रेजी में किया जाएगा। परन्तु यथास्थिति, विधानसभा का अध्यक्ष या विधान परिषद का सभापति किसी सदस्य को अपनी मातृभाषा में सदन को सम्बोधित करने की अनुज्ञा दे सकेगा। • संविधान की 8वीं अनुसूची में भाषा संबंधित प्रावधान किया गया है। प्रारंभ में इसमें 14 भाषाओं को सम्मिलित किया गया था, परंतु विभिन्न संशोधनों के द्वारा इस अनुसूची के अंतर्गत अन्य भाषाओं को शामिल किया गया,और अब इनकी संख्या 22 है। 1. असमिया, 2. उड़िया, 3. उर्दू, 4. कन्नड़, 5. कश्मीरी, 6. गुजराती, 7. तमिल, 8. तेलगू, 9. पंजाबी, 10. बंगाली,11. मराठी, 12. मलयालम, 13. संस्कृत, 14. हिन्दी, 15. सिंधी 16. कोंकणी, 17. मणिपुरी, 18. नेपाली, 19. 'बोडो, 20. डोगरी 21. मैथिली, 22. संथाली। • राजभाषा से संबंधित संवैधानिक संशोधन - निम्न संशोधनों के अंतर्गत अन्य भाषाओं को आठवीं अनुसूची में जोड़ा गया - • 21वां संविधान संशोधन (1967) - सिन्धी । • 71वां संविधान संशोधन (1992) - कोंकणी, मणिपुरी -एवं नेपाली । • 92वां संविधान संशोधन (2003)- डोगरी, बोडो,मैथिली एवं संथाली को जोड़ा गया। • प्रथम राजभाषा आयोग(1955) - •344 भारतीय संविधान के अनुच्छेद 344 के अन्तर्गत राष्ट्रपति को राजभाषा के सम्बन्ध में सलाह देने हेतु एक आयोग की नियुक्ति का प्रावधान वर्णित है। •भारत में राजभाषा आयोग की नियुक्ति संविधान के प्रारम्भ से 5 वर्ष की समाप्ति पर और तदुपरांत प्रत्येक 10 वर्ष बाद देश के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। •भारतीय राजभाषा आयोग का गठन एक अध्यक्ष और 8वीं अनुसूची में निर्दिष्ट, राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त विभिन्न भाषाओं के सदस्यों को मिलाकर किया जाता है। •भारत में प्रथम राजभाषा आयोग का गठन जून 1955 में हुआ था। •भारत के प्रथम राजभाषा आयोग के अध्यक्ष श्री बाल गंगाधर खेर थे। •भारत संघ के शासकीय प्रयोजन हेतु हिन्दी भाषा के अधिकाधिक प्रयोग के सम्बन्ध में राजभाषा आयोग, राष्ट्रपति से सिफारिश कर सकता है। • राजभाषा सम्बन्धित संयुक्त संसदीय समिति - • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 344 (4) में 30 सदस्यीय संयुक्त संसदीय समिति के गठन का प्रावधान वर्णित है। राजभाषा सम्बन्धित उक्त संयुक्त संसदीय समिति में लोकसभा के 20 और राज्यसभा के 10 सदस्यों को शामिल किया जाता है। • राजभाषा सम्बन्धित प्रथम संयुक्त संसदीय समिति का गठन नवम्बर,1957 में हुआ था। • राजभाषा विषयक प्रथम संयुक्त संसदीय समिति की अध्यक्षता करने का दायित्व गोविन्द वल्लभ पंत ने वहन किया था। • पंत के नेतृत्व वाली संयुक्त संसदीय समिति ने फरवरी, 1959 में तत्कालीन राष्ट्रपति को अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया था। भाषा का संवैधानिक प्रावधान क्या है?संवैधानिक प्रावधान संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी है । संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतराष्ट्रीय रूप है {संविधान का अनुच्छेद 343 (1)} । परन्तु हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी भाषा का प्रयोग भी सरकारी कामकाज में किया जा सकता है।
हिन्दी की संवैधानिक स्थिति क्या है?संविधान के भाग-17 के अनुचछेद 343 से 351 तक में राजभाषा संबंधी प्रावधान किये गए हैं। संविधान के अनुच्छेद 343 के अंतर्गत संघ की राजभाषा के संबंध में प्रावधान किया गया है। अनुच्छेद 343 के खंड (1) के अनुसार देवनागरी लिपि में लिखित हिंदी संघ की राजभाषा है।
राजभाषा संबंधी कितने प्रावधान है?धारा 343(1) के अनुसार भारतीय संघ की राजभाषा हिन्दी एवं लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिये प्रयुक्त अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतरराष्ट्रीय स्वरूप (अर्थात 1, 2, 3 आदि) होगा। संसद का कार्य हिंदी में या अंग्रेजी में किया जा सकता है।
हिंदी को संवैधानिक दर्जा कब मिला?संविधान सभा ने लम्बी चर्चा के बाद 14 सितम्बर सन् 1949 को हिन्दी को भारत की राजभाषा स्वीकारा गया। इसके बाद संविधान में अनुच्छेद 343 से 351 तक राजभाषा के सम्बन्ध में व्यवस्था की गयी। इसकी स्मृति को ताजा रखने के लिये 14 सितम्बर का दिन प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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