बक्सर की लड़ाई ब्रिटिश सेना और उनके भारतीय समकक्षों के बीच एक ऐसा युद्ध है जिसने अंग्रेजों के लिए अगले 183 वर्षों तक भारत पर शासन करने का मार्ग प्रशस्त किया था. बक्सर की लड़ाई 1764 में हुई थी और यह भारतीय आधुनिक इतिहास का एक बहुत हीं महत्वपूर्ण अध्याय है. अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं FREE GK EBook- Download Now. / GK Capsule Free pdf - Download here Show क्या था बक्सर का युद्ध-बक्सर का युद्ध अंग्रेजी सेना और अवध के नवाब, बंगाल के नवाब और मुगल सम्राट की संयुक्त सेना के बीच लड़ी गई लड़ाई थी. यह लड़ाई बंगाल के नवाब द्वारा दिए गए व्यापार विशेषाधिकारों के दुरुपयोग और ईस्ट इंडिया कंपनी की उपनिवेशवादी महत्वाकांक्षाओं का परिणाम थी. बक्सर के युद्ध की पृष्ठभूमि -
बक्सर का युद्ध होने के कुछ प्रमुख कारण -
घटनाक्रम -
जानें एक्सिस और सेंट्रल पॉवर्स क्या है व इनमें क्या अंतर हैं बक्सर के युद्ध का परिणाम -
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रॉबर्ट क्लाइव और शाह आलम के बीच की इलाहाबाद की संधि -
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जन्मभूमि के बारे में सब कुछ लड़ाई के परिणामस्वरूप इलाहाबाद की 1765 की संधि हुई, जिसमें मुगल सम्राट ने बंगाल की संप्रभुता को अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। प्लासी के विजेता लॉर्ड रॉबर्ट क्लाइव बंगाल के पहले राज्यपाल बने। बक्सर की लड़ाई के बीज प्लासी की लड़ाई के बाद बोए गए, जब मीर कासिम बंगाल का नवाब बना। प्राथमिक कारण अंग्रेजों और मीर कासिम के बीच संघर्ष था। बक्सर की लड़ाई 22 अक्टूबर 1764 को हेक्टर मुनरो के नेतृत्व में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की कमान के तहत और 1764 तक बंगाल के नवाब मीर कासिम की संयुक्त सेनाओं के बीच लड़ी गई थी; अवध के नवाब, शुजा-उद-दौला; और मुग़ल बादशाह शाह आलम II |