राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एन.सी.पी.सी.आर) समस्त विधियाँ, नीतियां कार्यक्रम तथा प्रशासनिक तंत्र बाल अधिकारों के संदर्श के अनुरूप हों, जैसाकि भारत के संविधान तथा साथ ही संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार सम्मेलन (कन्वेशन) में प्रतिपाादित किया गया है। बालक को 0 से 18 वर्ष के आयु वर्ग में शामिल व्यक्ति के रूप में पारिभाषित किया गया है। आयोग की स्थापना संसद के एक अधिनियम (दिसम्बर 2005) बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 के अंतर्गत मार्च 2007 में की गई थी।[1] Show आयोग अधिकारों पर आधारित संदर्श की परिकल्पना करता है, राष्ट्रीय नीतियों और कार्यक्रमों में प्रवाहित होता है, जिसके साथ राज्य, जिला और खण्ड स्तरों पर पारिभाषित प्रतिक्रियाएं भी शामिल है, जिसमें प्रत्येक क्षेत्र की विशिष्टताओं के प्रकाश में प्रत्येक बालक तक पहुंच बनाने के उद्देश्य से, इसमें समुदायों तथा कुटुम्बों तक गहरी पैठ बनाने का आशय रखा गया है तथा अपेक्षा की गई है कि क्षेत्र में हासिल किए गए सामूहिक अनुभव पर उच्चतर स्तर पर सभी प्राधिकारियों द्वारा विचार किया जाएगा। इस प्रकार, आयोग बाल तथा उनकी कुशलता को सुनिश्चित करने के लिए राज्य के लिए एक अपरिहार्य भूमिका, सुदृढ़ संस्था-निर्माण प्रक्रियाओं, स्थानीय निकायों और समुदाय स्तर पर विकेन्द्रीकरण के लिए सम्मान तथा इस दिशा में वृहद सामाजिक चिंता की परिकल्पना करता है।[1] आयोग का गठन[संपादित करें]केन्द्रीय सरकार अधिनियम के अंतर्गत निर्दिष्ट किए गए कृत्यों का निष्पादन करने के लिए एक निकाय का गठन करेगी जिसे राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग(एन. सी. पी. सी. आर.) के नाम से जाना जाएगा। आयोग निम्नलिखित सदस्यों से मिलकर बनेगा:[2]
सन्दर्भ[संपादित करें]
पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक महिला के द्वारा एक बच्चे के साथ मारपीट और यातना देने का वीडियो वायरल हुआ
जो बड़ा मार्मिक और दिल दहला देने वाला वीडियो था । इस वीडियो की सच्चाई क्या है,और यह कहां का था, यह एक अलग विषय हो सकता है लेकिन आए दिन इस प्रकार के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते रहते हैं। विभिन्न समाचार पत्रों में आए दिन बच्चों के साथ घर हो या बाहर दुर्व्यवहार, मारपीट और यातना की घटनाये और ऐसी ही खबरें पढ़ने और सुनने को मिलती है। बच्चे तुम आशित होते हैं। बच्चे किसी भी देश और समाज के भविष्य होते हैं। बच्चों के अधिकार और उनके संरक्षण के लिए भारतीय संविधान और कानून में अनेक प्रावधान
किए गए हैं और समय-समय पर बाल संरक्षण के लिए प्रभावी कानूनी सुधार किये जाते रहे हैं।
बच्चों को मानवीय अधिकारों के साथ-साथ उनके सर्वांगीण विकास के लिए जिन अधिकारों की
प्राथमिक आवश्यकता होती है या यूं माने कि बच्चों को मानव और बच्चे होने के कारण जो अधिकार आवश्यक होते हैं वे बाल अधिकार की श्रेणी में आते हैं और बच्चों को किसी भी प्रकार के खतरे व जोखिम की स्थिति में सुरक्षा का अधिकार है। इन बच्चों के मानवाधिकारो और बाल अधिकारों के संरक्षण को ही बाल संरक्षण कहा जाता है। भारतीय संविधान और कानून व्यवस्था हमेशा से ही बच्चों के अधिकारों, समानता और उनके विकास के लिए प्रतिबद्ध रहा है। ध्यातव्य भारत के साथ साथ पूरे विश्व में
बच्चो की सुरक्षा व बाल अधिकारों के संरक्षण के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से प्रति वर्ष 20 नवंबर को बाल अधिकार दिवस मनाया जाता है।
भारतीय संविधान के भाग 3 में अनुच्छेद 23 और 24 में शोषण के विरुद्ध अधिकार जो कि एक मूल अधिकार की की श्रेणी में आता है का प्रावधान किया है । अनुच्छेद 23 में मानव के साथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार चाहे वह सामाजिक, आर्थिक रूप से हो एवं उससे जबरदस्ती मजदूरी करवाना , बलात श्रम,
बंधुआ मजदूरी सागड़ी प्रथा ,हाली प्रथा ,बेगार प्रथा का पूर्णतया निश्चित किया गया है ऐसा करना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है । अनुच्छेद 39(घ): आर्थिक जरूरतों की वजह से जबरन ऐसे कामों में भेजना जो बच्चों की आयु या समता के उपयुक्त नहीं है, से सुरक्षा। अनुच्छेद 39(च): बालकों को स्वतंत्र और गरिमामय माहौल में स्वस्थ विकास के अवसर और सुविधाएँ मुहैया कराना और शोषण से बचाना। अनुच्छेद 14 के तहत समानता का अधिकार, अनुच्छेद 15 के तहत भेदभाव के विरुद्ध अधिकार, अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद 46 के तहत जबरन बंधुआ मजदूरी और सामाजिक अन्याय और सभी प्रकार के शोषण से कमजोर तबकों के बचाव का अधिकार आदि शामिल है। 10 अक्टूबर 2006 से बाल श्रम को
पूर्णतया निषेध कर दिया गया है । बालक को 0 से 18 वर्ष के आयु वर्ग में शामिल व्यक्ति के रूप में पारिभाषित किया गया है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की स्थापना संसद के एक अधिनियम (दिसम्बर 2005) बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 के तहत मार्च 2007 में की गई थी। केन्द्रीय सरकार अधिनियम के अंतर्गत निर्दिष्ट किए गए कृत्यों का निष्पादन करने के लिए एक निकाय का गठन करेगी जिसे राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण
आयोग(एन. सी. पी. सी. आर.) के नाम से जाना जाएगा। यह राष्ट्रीय आयोग एक अध्यक्ष तथा अन्य सदस्यों से मिलकर गठित होगा। अध्यक्ष जिन्होंने बच्चों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए असाधारण कार्य किया है साथ ही 6 सदस्य (जिसमें से कम से कम दो महिलाएं होगी) जिनकी नियुक्ति केन्द्र सरकार द्वारा प्रतिष्ठित, सक्षम, ईमानदार और इन क्षेत्रों में ख्याति प्राप्त तथा अनुभव रखने वाले व्यक्तियों में से की जाएगी । धायत्व –राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो है । इस आयोग का प्रथम अध्यक्ष – शांता सिन्हा (2007-2010) थी।
राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग( RSCPCR – Rajasthan State Commission For Protection Of Child Right ) यह एक स्वतंत्र राज्य स्तरीय वैधानिक प्राधिकरण है, जिसका गठन राज्य सरकार द्वारा बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 की धारा 17 के अन्तर्गत दिनांक 23 फरवरी, 2010 में किया गया है। आयोग में 01 अध्यक्ष एवं 06 सदस्य (जिनमें 02 महिला होना आवश्यक है) की नियुक्ति का प्रावधान किया गया हैं। जोधपुर निवासी संगीता बेनीवाल ( Sangeeta Beniwal ) को राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ( RSCPCR – Rajasthan State Commission For Protection Of Child Right ) का वर्तमान अध्यक्ष है।
बाल संरक्षण आयोग का मुख्य उद्देश्य बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए कानूनी सुरक्षा उपाय सुझाना और उपाय सुझाना। बाल
अधिकारों के उल्लंघन और कार्यवाही की शुरूआत में पूछताछ। आतंकवाद, हिंसा, आपदा, एचआईवी / एड्स, तस्करी, माल-उपचार, शोषण, पोर्नोग्राफी और वेश्यावृत्ति से प्रभावित बच्चों के अधिकारों की जांच, उपचारात्मक उपायों की सलाह देते हैं। अतः यह एक सलाहकारी आयोग है यह स्वयं सजा नही दे सकता । ध्यातव्य बच्चों के अधिकारों का किसी भी प्रकार से हनन होना, बच्चों का शोषण किया जाना, उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाना, उनके साथ मारपीट किया जाना, जैसे कार्यों से उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 जारी किया हुआ है जिस पर टॉल फ्री कॉल किया जा सकता है । बच्चों की सुरक्षा और उन्हें सहायता के लिए तुरंत सहायता पहुंचाई जाने का प्रावधान है । Post navigationबाल अधिकार संरक्षण आयोग की स्थापना क्यों की गई?आयोग की स्थापना संसद के एक अधिनियम (दिसम्बर 2005) बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 के अंतर्गत मार्च 2007 में की गई थी।
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राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, भारत. बाल संरक्षण आयोग का गठन कब किया गया?भारत सरकार द्वारा बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 The Commission for Protection of Child Rights Act, 2005 (No. 4 of 2006) बनाया गया है। इसमें केन्द्र और राज्य स्तर पर बाल अधिकार संरक्षण गठित करने का प्रावधान है।
बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम 2005 का उद्देश्य क्या है?आर) यह लेख कर्नाटक स्टेट लॉ यूनिवर्सिटी के लॉ स्कूल के छात्र Naveen Talawar ने लिखा है। यह लेख बच्चे के अधिकारों, अधिकारों की रक्षा के लिए उपकरणों (इंस्ट्रूमेंट) और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, इसकी भूमिका, कार्यों आदि के बारे में बात करता है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से आप क्या समझते हैं?व्यवहार न होने संबंधी अधिकार, महिलाओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार का अधिकार, स्त्री, पुरुष, बच्चे व वृद्ध लोगों के समान अधिकार आदि । इन अधिकारों का हनन जाति, धर्म, भाषा, लिंग भेद के आधार पर नहीं किया जा सकता । ये सभी अधिकार जन्मजात अधिकार हैं व उनके हनन का मामला राज्य मानवाधिकार के कार्यक्षेत्र में आता है।
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