1.सन्दर्भ – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दीगद्य’ में संकलित पं० प्रतापनारायण मिश्र द्वारा लिखित ‘बात’ शीर्षक पाठ से उद्धत किया गया है। इसमें लेखक ने यह बताने का प्रयास किया है कि बात का प्रभाव मनुष्य तक नहीं, बल्कि ईश्वर तक भी है। Show 2.रेखांकित अंशोंकीव्याख्या – इन पंक्तियों में लेखक बात की महत्ता दिखाते हुए कहता है कि बात का प्रभाव मनुष्य तक ही सीमित नहीं, परमेश्वर तक इसके प्रभाव से बच नहीं पाये। यद्यपि परमेश्वर के विषय में कहा गया है कि उसकी न वाणी है, न हाथ हैं, न पैर हैं, बल्कि वह तो निराकार निरंजन है तथापि उसे बिना वाणी का वक्ता कहा गया है। जब निराकार ब्रह्म पर भी बात को प्रभाव होता है तो फिर हम शरीरधारी मनुष्यों का तो कहना ही क्या है? हमारे शरीर में तो बात (भाषण शक्ति अथवा वायु) का ही चमत्कार है। अनेक शास्त्र, पुराण, इतिहास, काव्य, कोष आदि जितना भी साहित्य है, वह सब बात का ही विस्तार है। इन विविध प्रकार के ग्रन्थों में एक से बढ़कर एक बातें पायी जाती हैं। एक-एक बात ऐसी अमूल्य है कि जो हमारे मन, बुद्धि और चित्त को अपूर्व आनन्दमयी दशा में पहुँचा देती है। इन ग्रन्थों की बातें ही लोक तथा परलोक की सब बातों का ज्ञान कराती हैं। लेखक कहता है कि बात का रूप-रंग नहीं होता। कोई कह नहीं सकता कि अमुक बात ऐसी है परन्तु यदिबुद्धिसेविचारकरदेखाजायतोहमपायेंगेकिजैसेभगवान् केअनेकरूपहोतेहैं, उसीप्रकारबातकेभीअनेकरूपहोते हैं, जैसेबड़ीबात, छोटीबात, सीधीबात, टेढ़ीबात, मीठी, कड़वी, भली, बुरी, सुहातीऔरलगतीबातआदिकैसीभीहोंयेसबबात केहीरूपहैं। 3.“गात माँहि बात करामात है।” का तात्पर्य है कि हमारे शरीर में तो बात का ही चमत्कार है। 4.नानाशास्त्र, पुराण, इतिहास काल आदि की बातें चित्त, मन और बुद्धि को अपूर्व दिशा की ओर अग्रसर करती है। 5.‘बड़ी बात’, ‘छोटी बात’ एवं ‘सीधी बात’ मुहावरे का अभिप्राय बात का स्वरूपगत वैभिन्नता को दर्शाना है। Abhishek Mishra7 months ago छोटा मुँह बड़ी बात एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है। अर्थ- अनधिकारी द्वारा कही हुई कोई गैर-जिम्मेदारी की बात। प्रयोग- यदि मैं यह कहूँ कि हमारी यह नीति इस घर को ले डूबेगी तो छोटा मुँह बड़ी बात होगी। These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 1 बात (गद्य खंड). विस्तृत उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. निम्नांकित गद्यांशों में रेखांकित अंशों की सन्दर्भ सहित व्याख्या और तथ्यपरक प्रश्नों के उत्तर दीजिये उत्तर –
(2) जब परमेश्वर तक बात का प्रभाव पहुँचा हुआ है तो हमारी कौन बात रही? हम लोगों के तो ‘गात माँहि बात करामात है।’ नाना शास्त्र, पुराण, इतिहास, काव्य, कोश इत्यादि सब बात ही के
फैलाव हैं जिनके मध्य एक-एक बात ऐसी पायी जाती है जो मन, बुद्धि, चित्त को अपूर्व दशा में ले जानेवाली (UPBoardSolutions.com) अथच लोक-परलोक में सब बात बनानेवाली है। यद्यपि बात का कोई रूप नहीं बतला सकता कि कैसी है पर बुद्धि दौड़ाइये तो ईश्वर की भाँति इसके भी अगणित ही रूप पाइयेगा। बड़ी बात, छोटी बात, सीधी बात, खोटी बात, टेढ़ी बात, मीठी बात, कड़वी बात, भली बात, बुरी बात, सुहाती बात, लगती बात इत्यादि सब बाते ही तो हैं। उत्तर-
(3) सच पूछिये तो इस बात की भी क्या ही बात है जिसके प्रभाव से मानव जाति समस्त जीवधारियों की शिरोमणि (अशरफ-उल मखलूकात) कहलाती है।
शुकसारिकादि पक्षी केवल थोड़ी-सी समझने योग्य बातें उच्चरित कर सकते हैं, इसी से अन्य नभचारियों की अपेक्षा आदृत समझे जाते हैं। फिर क़ौन न मानेगा कि बात की बड़ी बात है। हाँ, बात की बात इतनी बड़ी है कि परमात्मा को लोग निराकार (UPBoardSolutions.com) कहते हैं, तो भी इसका सम्बन्ध उसके साथ लगाये रहते हैं। वेद, ईश्वर का वचन है, कुरआनशरीफ कलामुल्लाह है, होली बाइबिल वर्ड ऑफ गोड है। यह वचन, कलाम और वर्ड बात ही के पर्याय हैं जो प्रत्यक्ष मुख के बिना स्थिति नहीं कर सकती। पर बात की महिमा के
अनुरोध से सभी धर्मावलम्बियों ने ‘बिन बानी वक्ता बड़ जोगी’ वाली बात मान रखी है। उत्तर-
(4) बात के काम भी इसी भाँति अनेक देखने में आते हैं। प्रीति-वैर, सुख-दु:ख, श्रद्धा-घृणा, उत्साह-अनुत्साह आदि जितनी उत्तमता और सहजता
बात के द्वारा विदित हो सकते हैं, दूसरी रीति से वैसी सुविधा ही नहीं । घर बैठे लाखों कोस का समाचार मुख और लेखनी से निर्गत बात ही बतला सकती है। डाकखाने अथवा तारघर के सहारे से बात की बात में चाहे जहाँ की जो बात हो, जान सकते हैं। इसके अतिरिक्त बात बनती है, बात बिगड़ती है, बात आ पड़ती है, बात जाती रहती है, बात उखड़ती है। हमारे तुम्हारे भी सभी काम (UPBoardSolutions.com) बात पर ही निर्भर करते हैं। ‘बातहि हाथी पाइये बातहि हाथी पाँव’ बात ही से पराये अपने और अपने पराये हो जाते हैं। मक्खीचूस उदार तथा उदार
स्वल्पव्ययी, कापुरुष युद्धोत्साही एवं युद्धप्रिय शान्तिशील, कुमार्गी, सुपथगामी अथच सुपन्थी, कुराही इत्यादि बन जाते हैं। उत्तर-
(5) बात का तत्त्व समझना हर एक का काम नहीं है और दूसरों की समझ पर आधिपत्य जमाने योग्य बात गढ़ सकना भी ऐसों वैसों का साध्य नहीं है। बड़े-बड़े विज्ञवरों तथा महा-महा कवीश्वरों के जीवन बात ही के समझने-समझाने में व्यतीत हो जाते हैं। सहृदयगण की
बात के आनन्द के आगे सारा संसार तुच्छ हुँचता है। बालकों की तोतली बातें, सुन्दरियों की मीठीमीठी प्यारी-प्यारी बातें, सत्कवियों की रसीली बातें, (UPBoardSolutions.com) सुवक्ताओं की प्रभावशालिनी बातें जिनके जी को और का और न कर दें, उसे पशु नहीं पाषाणखण्ड कहना चाहिए, क्योंकि कुत्ते, बिल्ली आदि को विशेष समझ नहीं होती तो भी पुचकार के’तूतू’, ‘पूसी-पूसी’ इत्यादि बातें कह दो तो भावार्थ समझ के यथासामर्थ्य स्नेह प्रदर्शन करने लगते हैं। फिर वह मनुष्य कैसा जिसके चित्त पर दूसरे हृदयवान् की बात का असर न हो। उत्तर –
(6) ‘मर्द की जबान’ (बात का उदय स्थान) और गाड़ी का पहिया चलता-फिरता ही रहता है। आज जो बात है कल ही स्वार्थान्धता के वश हुजूरों की मरजी के मुवाफिक दूसरी बातें हो जाने में तनिक भी विलम्ब की सम्भावना नहीं है। यद्यपि कभी-कभी अवसर पड़ने पर बात के अंश का कुछ रंग-ढंग परिवर्तित कर लेना
नीति-विरुद्ध नहीं है। पर कब? जात्युपकार, देशोद्धार, प्रेम-प्रचार आदि के समय न कि पापी पेट के लिए। उत्तर-
प्रश्न 2. पं० प्रतापनारायण मिश्र का जीवन-परिचय बताते हुए उनकी साहित्यिक सेवाओं का उल्लेख कीजिए। प्रश्न 3. पं० प्रतापनारायण मिश्र को साहित्यिक परिचय एवं भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए। प्रश्न 4. पं० प्रतापनारायण मिश्र का जीवन-परिचय बताते हुए उनकी कृतियों पर प्रकाश डालिए। प्रश्न 5. पं० प्रतापनारायण मिश्र के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए। अथवा पं० प्रतापनारायण मिश्र को संक्षिप्त साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी प्रमुख रचनाओं का उल्लेख कीजिए। पं० प्रतापनारायण मिश्र जन्म-सन् 1856 ई० । मृत्यु-सन् 1894 ई०। पिता-पं० संकटाप्रसाद मिश्र (ज्योतिषी)। जन्म-स्थान-बैजेगाँव (उन्नाव), उ० प्र०। शिक्षा-संस्कृत, बंगला, उर्दू आदि का ज्ञान।
उदाहरण
लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. पं० प्रतापनारायण मिश्र की भाषा एवं शैली की दो-दो विशेषताएँ लिखिए।
प्रश्न 2. ‘‘बात के कारण ही मनुष्य सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।” इस तथ्य को लेखक ने किस प्रकार सिद्ध किया| प्रश्न 3. बातहि हाथी पाइये बातहि हाथीपाँव’ से लेखक का क्या तात्पर्य है? प्रश्न 4. पं० प्रतापनारायण मिश्र ने किन पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन किया? प्रश्न 5. ‘अपाणिपादो जवनो ग्रहीता’ सूक्ति का अर्थ बताइए। प्रश्न 6.
आर्यगण अपनी बात का ध्यान रखते थे, इस बात को क्या प्रमाण है? प्रश्न 7. ‘बात’ पाठ से मुहावरों की सूची बनाइए। प्रश्न 8. ‘बात’ पाठ में बात और ईश्वर में क्या साम्य बताया गया है? प्रश्न 9. प्रथम अनुच्छेद में ‘बात’ शब्द का प्रयोग किन-किन अर्थों में किया गया है? प्रश्न 10. किस प्रकार के व्यक्ति को हमें पाषाणखण्ड समझना चाहिए और क्यों? प्रश्न 11. ‘बात’ शब्द की गूढ़ता पर तीस शब्द लिखिए। प्रश्न 12. ‘बात’ पाठ से 10 सुन्दर वाक्य लिखिए। प्रश्न 13. ‘बात’ पाठ का मुख्य उद्देश्य बताइए। अतिलघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. लेखक ने भारत के कुपुत्रों द्वारा ‘मर्द की जबान’ का क्या अर्थ बताया है? प्रश्न 2. निम्नलिखित में
से सही वाक्य के सम्मुख सही (√) का चिह्न लगाओ प्रश्न
3. पं० प्रतापनारायण मिश्र किस युग के लेखक हैं? प्रश्न 4. पं० प्रतापनारायण मिश्र किस महान् साहित्यकार को अपना गुरु मानते थे? प्रश्न 5. पं० प्रतापनारायण मिश्र द्वारा लिखित दो नाटकों के नाम लिखिए। प्रश्न 6. कलामुल्लाह का क्या अर्थ है? व्याकरण-बोध प्रश्न 1. निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ स्पष्ट करते हुए उनका वाक्य प्रयोग कीजिए – उत्तर –
प्रश्न 2. निम्नलिखित में सनियम सन्धि-विच्छेद कीजिए तथा सन्धि का नाम बताइएनिराकार, निरवयव, परमेश्वर, धर्मावलम्बी, विदग्धालाप, युद्धोत्साही, स्वार्थान्धता, कवीश्वर, योगाभ्यास। उत्तर- प्रश्न 3. निम्नलिखित में समास-विग्रह करके समास का नाम भी लिखिएकापुरुष, पाषाणखण्ड, सुपथ, यथासामर्थ्य, अपाणिपादो, कुमार्गी । उत्तर – We hope the UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 1 बात (गद्य खंड) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 1 बात (गद्य खंड), drop a comment below and we will get back to you at the earliest. बड़ी बात छोटी बातें एवं सीधी बात मुहावरे का क्या अभिप्राय है?Explanation: दोस्तों अगर कोई लंबा या कद का है या हम कह सकते हैं कि जब कोई अपनी हैसियत से ज्यादा बोलता है तो कहने का मतलब यह है कि अगर कोई खुद से बड़ा है तो वह किसी भी चीज में बड़ा हो सकता है, वह उसे खुद से बड़ी चीज कहता है। .
छोटी बात मुहावरे का क्या अभिप्राय है?छोटी बात एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है। अर्थ- टुच्चेपन की बात, ऐसी बात जिससे हेय मनोवृत्ति सूचित होती हो।
सीधी बात मुहावरे का क्या अर्थ है?सीधी बात करना के हिंदी अर्थ
محبت اور گرمجُوشی سے پیش آنا پیار اور لگاؤ دکھانا .
बात की बात में मुहावरे का क्या अर्थ है?सौ बात की एक बात मुहावरे का हिंदी में वाक्य प्रयोग –
वाक्य प्रयोग – सौ बात की एक बात यह काम नहीं हो सकता क्योंकि न्यायालय ने इस पर रोक लगाई हुई है। वाक्य प्रयोग – पिता ने पुत्र से कहा कि सौ बात की एक बात तुम्हे मेरे व्यापार में हाथ बंटाना है तो बंटाओ लेकिन मैं तुम्हे अलग व्यापार के लिए पैसे नहीं दूँगा।
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