पिछले अंक में सवालीराम से पूछे गए चार सवालों में से फिलहाल दो के जवाब यहां दिए जा रहे हैं। दो सवाल अभी भी बचे हैं जिनके जवाब आप अभी भी दे सकते हैं। Show सवाल: चंद्रमा पर वायुमंडल क्यों नहीं है? दूसरी बात है तापमान। चंद्रमा की प्रकाशित सतह का तापमान लगभग 130 डिग्री सेंटीग्रेड होता है। सवाल: ठंडे सूप की अपेक्षा गर्म सूप क्यों स्वादिष्ट लगता है? किसी भी खाद्य पदार्थ के पूर्ण
स्वाद के लिए ज़रूरी है कि पदार्थ के स्वाद के साथ-साथ हमें उसकी गंध की जानकारी भी मिले, तभी तो ज़ायका समझ में आता है। आपने शायद ध्यान दिया हो कि जो खाने की चीजें कम तापमान पर होती हैं यानी अगर फ्रिज में रखीं हों तो उनमें से गंध/महक कम आती है। अगर आइसक्रीम भी बहुत ठंडी हो तो उसका विशेष स्वाद भी अच्छी तरह से पता नहीं चलता। इन दोनों सवालों के जवाब - अरुण कुमार पाण्डेय, मुलतानपुर (उ.प्र.); अश्विन व्याम, रामटेकरी, मंदसौर; कौस्तुभ सिंह जादौन, उदयपुर (राजस्थान) ने दिए हैं। सौरमंडल का 5वां सबसे विशाल प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक है। पृथ्वी से लगभग 3,84,365 किलोमीटर दूर चंद्रमा का धरातल असमतल है और इसका व्यास 3,476 किलोमीटर है तथा द्रव्यमान, पृथ्वी के द्रव्यमान का लगभग 1/8 है। पृथ्वी के समान इसका परिक्रमण पथ भी दीर्घ वृत्ताकार है। सूर्य से परावर्तित इसके प्रकाश को धरती पर आने में 1.3 सेकंड लगता है। 1. चंद्र ग्रह नहीं, उपग्रह है : ग्रह और उपग्रह में फर्क होता है। चंद्रमा धरती का एक उपग्रह है। इसी तरह शनि, बृहस्पति और प्लूटो आदि ग्रहों के
भी उपग्रह अर्थात चांद है। वैज्ञानिकों के अनुसार चांद से भी बड़े उपग्रह सौर जगत में मौजूद हैं जिनमें से सबसे बड़ा बृहस्पति ग्रह के पास कलिस्टो स्थित है। इसके अलावा शनि का टाइटन और ईओ भी चंद्रमा से बड़े हैं। चंद्र को जीवाश्म ग्रह भी कहा जाता है। 2. कैसे बना चंद्रमा : चंद्रमा लगभग 4.5 करोड़ वर्ष पूर्व धरती और थीया ग्रह (मंगल के आकार का एक ग्रह) के बीच हुई भीषण टक्कर से जो मलबा पैदा हुआ, उसके अवशेषों से बना था। यह मलबा पहले तो धरती की कक्षा में घूमता रहा और फिर धीरे-धीरे एक जगह इकट्टा होकर चांद की शक्ल में बदल गया। अपोलो के अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा लाए गए पत्थरों की जांच से पता चला है कि चंद्रमा और धरती की उम्र में कोई फर्क नहीं है। इसकी चट्टानों में टाइटेनियम की मात्रा अत्यधिक पाई गई है। 3. क्या है चंद्रमा पर : चंद्रमा की खुरदुरी सहत पर बेहद अस्थिर और हल्का वायुमंडल होने की संभावना व्यक्त की जाती है और यहां पानी भी ठोस रूप में मौजूद होने के सबूत मिले हैं। हालांकि वैज्ञानिकों के अनुसार यह वायुमंडलविहीन उपग्रह है। नासा के एलएडीईई प्रोजेक्ट के मुताबिक यह हीलियम, नीयोन और ऑर्गन गैसों से बना हुआ है। चंद्रमा का सबसे बड़ा पर्वत दक्षिणी ध्रुव पर स्थित लीबनिट्ज पर्वत है, जो 35,000 फुट (10,668 मी.) ऊंचा है। 4. कैसा है चंद्रमा का वातावरण : यहां का वातावरण एकदम शांत है लेकिन यहां
तापमान में भारी मात्रा में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं। चंद्रमा की सतह पर धूल का गुबार सूर्योदय और सूर्योस्त के समय मंडराता रहता है। वैज्ञानिकों के अनुसार इसका एक कारण अणुओं का इलेक्ट्रिकली चार्ज होना हो सकता है। ऐसा सूर्य वाली दिशा में ही होता है। यहां की धूल चिपचिपी है जिसके चलते वैज्ञानिकों के उपकरण खराब हो जाते हैं। यदि कोई अंतरिक्ष यात्री वहां जाएगा तो उसके कपड़ों पर धूल जल्दी से चिपक जाएगी और फिर उसे निकालना मुश्किल होता है। दूसरी ओर चंद्रमा के पिछले भाग की धूल के मैदान को शांतिसागर कहते हैं, जो अंधकारमय है। चन्द्रमा, पृथ्वी की 1 परिक्रमा लगभग 27 दिन और 8 घंटे में पूरी करता है और इतने ही समय में अपने अक्ष पर एक घूर्णन करता है। यही कारण है कि चन्द्रमा का सदैव एक ही भाग दिखाई पड़ता है। 5. गुरुत्वाकर्षण शक्ति कम है : चंद्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति धरती से कम है इसलिए वहां पर मनुष्य का वजन लगभग 16.5 प्रतिशत कम हो जाता है। यदि कारण है कि व्यक्ति वहां आसानी से उछलकूद कर सकता है। चंद्रमा पर 1.62 m/s² गुरुत्वाकर्षण है। हालांकि गुरुत्वाकर्षण हर जगह अलग-अलग होता है। चंद्रमा में गुरुत्वाकर्षण बल है तभी तो वह धरती के समुद्र में ज्वारभाटा उत्पन्न करने की क्षमता रखता है। 6. एक दिन हमेशा के लिए छुप जाएगा चांद :
वैज्ञानिक ऐसी संभावना व्यक्त करते हैं कि चंद्रमा हर वर्ष धरती से 3.78 सेंटीमीटर दूर होता जा रहा है। एक निश्चित दूरी होने पर पर चंद्रमा धरती की परिक्रमा करने में 28 दिन की बजाए 47 दिन लगाएगा। यह भी आशंका व्यक्त की जा सकती है कि यदि चांद इसी तरह से
ज्यादा दूर होता जाएगा तो धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति और कक्षा से दूर होकर अंतरिक्ष में कहीं खो सकता है। ऐसे में धरती पर दिन महज 6 घंटे के लिए रह जाएगा। मतलब बाकी समय रात रहेगी? 7. काला आसमान : धरती पर से हमें आसमान नीला और सफेद जैसा दिखाई देता है तो उसका कारण है कि धरती पर 70 प्रतिशत से ज्यादा जल है, जो रिफ्लेक्ट होता है। इतनी अधिक मात्रा में जल होने के कारण धरती का वायुमंडल भी साफ और स्वच्छ है। लेकिन चांद पर ऐसा नहीं है। वहां धूल उड़ती रहती है और पानी ठोस रूप में कहीं-कहीं पर ही है। ऐसे में वहां अधिकतर समय आसमान काला ही दिखाई देता है। 8. चंद्रमा से धरती को निहारना : पूर्णिमा के दिन हमें चांद बड़ा और सुंदर दिखाई देता है। इसमें एकदम चमकदार सफेद रंग होता है। मतलब चमकीला चांद। धरती से चन्द्रमा का 57% भाग ही देखा जा सकता है। लेकिन चांद पर जब खड़े होकर आप धरती को देखेंगे तो वह पूर्णिमा के चांद से लगभग 45 गुना ज्यादा चमकीला और नीला दिखाई देगा और यह भी कि यह अपने मौलिक आकार से 4 गुना बड़ा भी दिखाई देगा। मतलब यह कि चांद से धरती को
देखेंगे तो अब तक चांद पर जितने भी गीत, कविता और गाने लिखे गए हैं वे सभी धरती के सामने फीके पड़ जाएंगे। 9. विपरीत होता है ग्रहण : धरती पर जो सूर्य और चंद्रग्रहण हम देखते हैं, यदि वह चांद से देखेंगे तो विपरीत दिखाई देंगे। मतलब यह कि पृथ्वी पर अगर चंद्र ग्रहण लगा है तो चांद पर सूर्य ग्रहण होगा। ऐेसे में यदि पृथ्वी पर सूर्य ग्रहण है तो चांद पर चंद्र ग्रहण की धरती ग्रहण होगा? 10. चांद के पत्थर धरती पर : चांद से लाए गए 3 छोटे-छोटे पत्थरों की पिछले साल अमेरिका के न्यूयॉर्क में नीलामी हुई। नीलामी में ये पत्थर 8 लाख 50 हजार डॉलर (करीब 6 करोड़ रुपए) में बिके। इन्हें 1970 में चांद पर भेजे गए रूसी लूना-16 मिशन के दौरान हासिल किया गया था। शुरुआत में ये तत्कालीन सोवियत संघ के अंतरिक्ष कार्यक्रम के दिवंगत निदेशक सर्गेई पावलोविक कोरोलेव की पत्नी के पास थे। इन्हें पहली बार 1993 में नीलाम किया गया था। कहते हैं कि नील आर्मस्ट्रांग भी चांद से पत्थर लाए थे। -अनिरुद्ध/एजेंसियां चंद्रमा पर गुरुत्वाकर्षण क्यों नहीं है?चंद्रमा का द्रव्यमान कम होता है और पृथ्वी का द्रव्यमान बहुत अधिक है। इसलिए, चंद्रमा तथा पृथ्वी के बीच लगा हुआ गुरुत्वाकर्षण बल, चंद्रमा में उसके द्रव्यमान के कारण बहुत कम (नगण्य) त्वरण उतपन्न करता है।
चंद्रमा पर गुरुत्वाकर्षण बल है क्या?चूँकि चंद्रमा का द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान का 1/100 गुना है और चंद्रमा की त्रिज्या पृथ्वी की त्रिज्या का ¼ गुना है। नतीजतन, चंद्रमा पर गुरुत्वाकर्षण आकर्षण पृथ्वी की तुलना में लगभग एक-छठा है।
पृथ्वी चंद्रमा पर गुरुत्वाकर्षण बल लगाती है फिर भी चन्द्रमा पृथ्वी पर नहीं गिरता है क्यों?क्योंकि चंद्रमा पृथ्वी की कक्षा में है। यह बात समझ लें कि चंद्रमा या कोई और कृत्रिम उपग्रह जो पृथ्वी का चक्कर काट रहे, पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में ही है तथा उन्हें भी पृथ्वी पर गिर रहे माना जाता है। पृथ्वी पर गिर रही कोई वस्तु भारहीन होती है और पृथ्वी की कक्षा में उपस्थित कोई वस्तु भी भारहिन ही होती है।
सूर्य पृथ्वी पर क्यों नहीं गिरता?Solution : पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है। परिक्रमा करने के लिए आवश्यक अभिकेंद्र बल सूर्य के गुरुत्वीय बल से प्राप्त होता है। साथ - ही - साथ पृथ्वी का वेग गुरुत्वीय बल के लंबवत होता है। अतः पृथ्वी सूर्य की ओर नहीं गिरती ।
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