फेफड़ों की बीमारी किस ग्रह से होती है - phephadon kee beemaaree kis grah se hotee hai

Astrology And Health: कोरोना वायरस से फैली महामारी से पूरी दुनिया परेशान है. कोरोना वायरस ने भारत में भी कहर फैला रखा है. मौसम बदल रहा है. पंचांग के अुनसार ज्येष्ठ माह समाप्त हो चुका है और आषाढ़ आरंभ हो चुका है. ये वो समय होता है जब संक्रमित बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि इस समय मौसम में गर्मी भी होती है और नमी भी होती है जिस कारण वायरस और बैक्टीरिया जनित बीमारियों के होने की संभावना बनी रहती है. इसलिए इससे बचने की जरुरत है.

ग्रहों का बीमारियों से संबंध इस समय सर्दी और जुकाम की दिक्कत लोगों को अधिक होता है. जब भी मौसम बदलता है तो ये ऐसी बीमारी है जो लोगों को सबसे जल्दी होती है. इस समय कोरोना का भी खतरा बना हुआ है ऐसे में सर्तकता बहुत जरुरी है. चंद्रमा शीतलता प्रदान करने वाला ग्रह है. 5 जून को चंद्र ग्रहण लग चुका है. और 5 जुलाई को एक फिर चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. यानि चंद्रमा इन 30 दिनों में दो बार पीड़ित हो रहा है.

अशुभ चंद्रमा देता है ये रोग शरीर के तरल पदार्थ, रक्त, बायीं आँख, छाती, फेफड़े, सिरदर्द, आंत, गुर्दे, अनिद्रा और महिलाओं में मासिक चक्र  की अनिमियतता का संबंध चंद्रमा से है. यानि जब चंद्रमा अशुभ होता है तो इनसे संबंधित परेशानी देता है. चंद्रमा मंगल से पीड़ित हो तो सिर, पेट और आंख का आपरेशन कराता है. वहीं दांत से सम्बंधित, गले में खून आना भी इसी की देन है. लेकिन चंद्रमा स्वयं ये कार्य नहीं करता बल्कि पाप ग्रहों से ऐसे कार्य करवाता है.

चंद्रमा का उपाय चंद्रमा जब अशुभ होता है तो जल से संबंधित होने वाले रोग होते हैं. चंद्रमा जब पाप ग्रहों से युक्त होता है तो इसका प्रभाव बड़ जाता है और अन्य प्रकार के रोगों को जन्म देता है. इसलिए इन उपायों को करते समय पाप ग्रहों के उपाय का भी ध्यान रखना बहुत जरुरी है. चंद्रमा की अशुभता को दूर करने के लिए ये करें-

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- प्रत्येक सोमवार को व्रत करें - मां को प्रसन्न रखें, सेवा करें - भगवान शिव की पूजा और मासिक शिवरात्रि का व्रत रखें. - मोती धारण करें. - चांदी पहनें. - स्त्री का सम्मान करें. - गाय की सेवा करें. मंत्र ॐ श्राम्‌ श्रीम्‌ श्रौम्‌ सः चंद्राय नमः

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किस ग्रह से होती कौन-सी बीमारी, जानिए

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शनि की बीमारी :

* शनि का संबंध मुख्‍य रूप से दृष्टि, बाल, भवें और कनपटी से होता है।
* समय पूर्व आंखें कमजोर होने लगती हैं और भवों के बाल झड़ जाते हैं।
* कनपटी की नसों में दर्द बना रहता है।
* समय पूर्व ही सिर के बाल झड़ जाते हैं।
* फेफड़े सिकुड़ने लगते हैं और तब सांस लेने में तकलीफ होती है।
* हड्डियां कमजोर होने लगती हैं, तब जोड़ों का दर्द भी पैदा हो जाता है।
* रक्त की कमी और रक्त में बदबू बढ़ जाती है।
* पेट संबंधी रोग या पेट का फूलना।
* सिर की नसों में तनाव।
* अनावश्यक चिंता और घबराहट बढ़ जाती है।


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सूर्य के बाद धरती के उपग्रह चन्द्र का प्रभाव धरती पर पूर्णिमा के दिन सबसे ज्यादा रहता है। जिस तरह मंगल के प्रभाव से समुद्र में मूंगे की पहाड़ियां बन जाती हैं और लोगों का खून दौड़ने लगता है उसी तरह चन्द्र से समुद्र में ज्वार-भाटा उत्पत्न होने लगता है और लोगों के मन-मस्तिष्क में बैचेनी दौड़ने लगती है। जितने भी दूध वाले वृक्ष हैं सभी चन्द्र के कारण उत्पन्न हैं। चन्द्रमा बीज, औषधि, जल, मोती, दूध, अश्व और मन पर राज करता है। लोगों की बेचैनी और शांति का कारण भी चन्द्रमा है।
इसी तरह प्रत्येक ग्रह का हमारी धरती और हमारे शरीर सहित मन-मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है जिसके चलते हमें सामान्य या गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ता है। यदि वक्त के पहले हम सतर्क हो जाएं तो हम कई सारी बीमारियों से कुद को बचा सकते हैं। आओ जानते हैं कि कौन सा ग्रह देता है कौन सी बीमारी...

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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हर बीमारी का समबन्ध किसी न किसी ग्रह से है जो आपकी कुंडली में या तो कमजोर है या फिर दूसरे ग्रहों से बुरी तरह प्रभावित है। यदि स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है तो आज धनवान कोई नहीं है। हर व्यक्ति के शरीर की संरचना या तासीर अलग होती है। किसे कब क्या कष्ट होगा यह तो डॉक्टर, हकीम या वैध भी नहीं बता सकता परन्तु एक सटीक ज्योतिष इसकी पूर्वसूचना दे देता है कि आप किस रोग से पीड़ित होंगे ? या क्या व्याधि आपको शीघ्र प्रभावित करेगी... 

सूर्य ग्रह से रोग
सूर्य ग्रहों का राजा है इसलिए यदि सूर्य आपकी कुंडली में बलवान है तो आपकी आत्मा बलवान होगी। आप शरीर की छोटी-मोटी व्याधियों पर ध्यान नहीं देंगे। परन्तु यदि सूर्य अच्छा नहीं है तो सर्व प्रथम आपके बाल झड़ेंगे। सर में दर्द आए दिन होगा और आपको दर्द निवारक दवा का सहारा लेना ही पड़ेगा। 

चन्द्र ग्रह से मानसिक रोग
चन्द्र संवेदनशील लोगों का अधिष्ठाता ग्रह होता है। यदि चन्द्र कमजोर है तो मन कमजोर होगा और आप भावुक अधिक होंगे। कठोरता से आप तुरंत प्रभावित हो जाएंगे और सहनशक्ति भी कम होगी। इसके बाद सर्दी जुकाम और खांसी कफ जैसी व्याधियों से जल्दी प्रभावित हो जाएंगे। उपाय यह है कि संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में न आएं, क्योंकि आपको भी संक्रमित होने में देर नहीं लगेगी। चन्द्र अधिक कमजोर होने से सर्दी से पीड़ित होंगे। चन्द्र के कारण स्नायुतंत्र भी प्रभावित होता है। 

मंगल ग्रह और सुस्त व्यक्ति
मंगल रक्त का प्रतिनिधित्व करता है परन्तु जिनका मंगल कमजोर होता है रक्त की बीमारियों के अतिरिक्त जोश की कमी होगी। ऐसे व्यक्ति हर काम को धीरे धीरे करेंगे। वह जातक सुस्त दिखाई देगा और किसी भी काम को सही ऊर्जा से नहीं कर पाता। खराब मंगल से चोट चपेट और दुर्घटना आदि का भय बना रहता है।

बुध ग्रह से दमा और अन्य रोग
बुध व्यक्ति को चालाक और धूर्त बनाता है। आज यदि आप चालाक नहीं हैं तो दुसरे लोग आपका हर दिन लाभ उठाएंगे। जो भोले भाले लोग होते हैं उनका बुध अवश्य ही कमजोर होता है और खराब बुध से व्यक्ति को चर्म रोग अधिक होते हैं। सांस की बीमारियां बुध के दूषित होने से होती हैं। बहुत खराब बुध से व्यक्ति के फेफड़े खराब होने का भय रहता है। व्यक्ति हकलाता है तो भी बुध के कारण और गूंगा बहरापन भी बुध के कारण ही होता है। 

ब्रहस्पति ग्रह और मोटापा
गुरु यानी ब्रहस्पति व्यक्ति को बुद्धिमान बनाता है परन्तु पढ़े लिखे लोग यदि मूर्खों जैसा व्यवहार करें तो समझ लीजिए कि व्यक्ति का गुरु कुंडली में खराब है। गुरु सोचने समझने की शक्ति को प्रभावित करता है। जातक जडमति हो जाता है। इसके साथ ही गुरु कमजोर होने से पीलिया या पेट के अन्य रोग होते हैं। गुरु यदि दुष्ट ग्रहों से प्रभावित होकर लग्न को प्रभावित करता है तो मोटापा देता है। अधिकतम लोग जो शरीर से काफी मोटे होते हैं उनकी कुंडली में गुरु की स्थिति कुछ ऐसी ही होती है।

शुक्र ग्रह और शुगर या मधुमेह
शुक्र ग्रह मनोरंजन का कारक है। शुक्र स्त्री, यौन सुख, वीर्य और हर प्रकार के सुख और सुन्दरता का कारक ग्रह है। यदि शुक्र की स्थिति अशुभ है तो जातक के जीवन से मनोरंजन को समाप्त कर देता है। नपुंसकता या सेक्स के प्रति अरुचि का कारण अधिकतम शुक्र ही बनता है। मंगल की दृष्टि या प्रभाव निर्बल शुक्र पर हो तो जातक को रक्त मधुमेह (ब्लड शुगर) हो जाता है। साथ ही शुक्र के अशुभ होने से व्यक्ति के शरीर को बेडोल बना देता है। बहुत अधिक पतला शरीर या ठिगना कद शुक्र की अशुभ स्थिति के कारण होते हैं।

शनि ग्रह और लम्बे रोग
शनि दुःख और पीड़ा का प्रतिनिधित्व करता है। जितने प्रकार की शारीरिक व्याधियां हैं उनके परिणामस्वरूप व्यक्ति को जो दुःख और कष्ट प्राप्त होता है उसका कारण शनि ग्रह होता है। शनि का प्रभाव दूसरे ग्रहों पर हो तो शनि उसी ग्रह से संबंधित रोग देता है। शनि की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक कुछ भी कर ले सर दर्द कभी पीछा नहीं छोड़ता। चन्द्र पर हो तो जातक को जुखाम होता है। मंगल पर हो तो रक्त की कमी या ब्लड प्रेशर, बुध पर हो तो नपुंसकता, गुरु पर हो तो मोटापा, शुक्र पर हो तो वीर्य के रोग या प्रजनन क्षमता को कमजोर करता है और राहू पर शनि के प्रभाव से जातक को उच्च और कमजोर रक्तचाप दोनों से पीड़ित रखता है। केतु पर शनि के प्रभाव से जातक को गम्भीर रोग होते हैं परन्तु कभी रोग का पता नहीं चलता और आयु निकल जाती है पर बीमारियों से जातक जूझता रहता है। दवा का प्रभाव नहीं होता और अधिक विकट स्थिति में लाइलाज रोग शनि ही देता है।

राहू ग्रह और ब्लड प्रेशर(रक्तचाप)
राहू एक रहस्यमय ग्रह है। इसलिए राहू से जातक को जो रोग होंगे वह भी रहस्यमय ही होते हैं। एक के बाद दूसरी पीड़ा राहू से ही होती है। राहू अशुभ हो तो जातक का इलाज चलता रहता है और डॉक्टर के पास आना जाना लगा रहता है। किसी दवाई से रिएक्शन या एलर्जी राहू से ही मिलती है। वहम यदि एक रोग है जो राहू देता है। डर के कारण हृदयाघात राहू से ही होता है। अचानक हृदय गति रुक जाना या स्ट्रोक राहू से ही होता है।

केतु ग्रह और भूत-प्रेत बाधा
केतु से होने वाली बीमारी का पता चलना बहुत कठिन हो जाता है। केतु खराब हो तो फोड़े फुंसियां देता है और यदि थोड़ा और खराब हो तो घाव जो देर तक न भरे वह केतु के कारण से ही होता है। केतु मनोविज्ञान से सम्बन्ध रखता है उपरी आपदा या भूत प्रेत बाधा केतु के कारण ही होती है।

आरएनटीयू में नई शिक्षा नीति के संबंध में भाषा, साहित्य और भाषा विज्ञान में नवाचार पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित

डिजिटल डेस्क, भोपाल। नई शिक्षा नीति के संबंध में भाषा, साहित्य और भाषा विज्ञान में नवाचार पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन भाषा शिक्षा केंद्र, मानविकी और उदार कला संकाय द्वारा ग्रैंड एकेडमिक पोर्टल (जीएपी) और सरकारी एमएलबी गर्ल्स पीजी कॉलेज, भोपाल के संयुक्त तत्वावधान में  किया आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि एवं राव अकादमी की निदेशक शिक्षाविद एवं सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी अरुणा मोहन ने कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलित कर किया। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता रबींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलाधिपति संतोष चौबे ने की, जबकि समापन सत्र की अध्यक्षता आईसेक्ट ग्रुप ऑफ यूनिवर्सिटीज की निदेशक डॉ. अदिती चतुर्वेदी ने की। इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के संयोजक डॉ रुचि मिश्रा तिवारी के अनुसार प्रतिष्ठित भारतीय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से 75 शोध पत्र प्राप्त हुए और शोध पत्र समीक्षा के बाद लगभग 25 शोध पत्रों को प्रस्तुति के लिए चुना गया है।

इस दो दिवसीय सम्मेलन में जाने-माने देशभर से आए शिक्षाविदों ने उपरोक्त विषय पर अपने विचार साझा किए। इस अवसर पर मुख्य अतिथि और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी और राव अकादमी के निदेशक शिक्षाविद अरुणा मोहन राव ने कहा कि एनईपी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को आकार देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि एनईपी रोजगार और शिक्षा को पाटने में मददगार हो सकता है। इस श्रृंखला में डीन, अंग्रेजी विभाग, विल्सन कॉलेज, मुंबई और सम्मानित अतिथि डॉ मिशेल फिलिप ने एनईपी पर अपने विश्लेषित विचारों को साझा किया और शिक्षक के लिए 'दृष्टि की अभिव्यक्ति' पर प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी कहा कि एनईपी के माध्यम से एक तरह की रचनात्मकता और शिक्षा नीति में सुधार किया जा सकता है। इसी क्रम में सम्मेलन के मुख्य वक्ता प्रो मंजुला श्रीनिवास, डीन, सेंटर फॉर डिज़ाइन थिंकिंग एंड लिबरल आर्ट्स, एसओआईएल  इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, नई दिल्ली ने मूल्यवान अंतर्दृष्टि साझा की और कहा, “टीचिंग-लर्निंग प्रक्रिया में मानवीय दृष्टिकोण पर जोर दिया जाना चाहिए”। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि अनुभवात्मक अधिगम दृष्टिकोण को अपनाकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त की जा सकती है। डॉ सीमा रायज़ादा, विशिष्ट अतिथि और अंग्रेजी के प्रोफेसर, गवर्न्मेंट पीजी गर्ल्स कॉलेज भोपाल ने कहा कि भाषा बच्चों के लिए बाधा उत्पन्न करती है और एनईपी इस चुनौती से उबरने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि टीचिंग-लर्निंग में 'समुदाय की भागीदारी' पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उद्घाटन सत्र में आरएनटीयू के कुलपति डॉ ब्रम्ह प्रकाश पेठिया ने एनईपी पर महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि साझा की और कहा, “नई शिक्षा नीति शिक्षा का क्षैतिज दृष्टिकोण प्रदान कर रही है”। इस सम्मेलन की अध्यक्षता आरएनटीयू के कुलाधिपति संतोष चौबे ने की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में संतोष चौबे ने कहा कि एनईपी भारतीय समाज को समझने का एक उपकरण प्रदान करता है। उन्होंने भाषाओं के महत्व एवं नवाचार और अनुसंधान में एनईपी की भूमिका पर भी चर्चा की और कहा की नई शिक्षा नीति द्वारा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के बारे में सोचा जाना संभव किया जा सकता है। दो दिवसीय सम्मेलन में सरोजिनी नायडू गवर्नमेंट गर्ल्स पीजी कॉलेज की प्रोफेसर डॉ. इंदिरा जावेद, डॉ. प्रीति ओझा, एसोसिएट प्रोफेसर, अंग्रेजी विभाग, सेंट एंड्रयूज कॉलेज, मुंबई, डॉ. नीलक दत्ता, प्रोफेसर, मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान, बिट्स पिलानी, गोवा, डॉ. राम प्रसाद भट्ट, रीडर और सीनियर रिसर्च एसोसिएट, हैम्बर्ग जर्मनी विश्वविद्यालय, प्रो. राशिद नेहल, अंग्रेजी विभाग, एएमयू, अलीगढ़ ने एनईपी पर अपनी बहुमूल्य अंतर्दृष्टि साझा की। सम्मेलन के अंत में आरएनटीयू की प्रतिकुलपति डॉ. संगीता जौहरी ने अतिथियों का औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का संयोजन एवं समन्वयन डॉ. रुचि मिश्रा तिवारी, विभागाध्यक्ष, भाषा विद्यापीठ द्वारा किया गया। डॉ. रुचि मिश्रा तिवारी ने सह-संपादक डॉ. राकेश खरे और डॉ. अन्नू सक्सेना के साथ सम्मेलन के विषय पर एक पुस्तक का संपादन भी किया गया। इस संपादित पुस्तक का विमोचन इसी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में किया गया है।

क्षेत्रीय सिनेमा के अग्रणी अक्षय बरदापुरकर ने गोवा के सीएम के साथ अपने अगले वेंचर प्लैनेट गोएम की घोषणा की

डिजिटल डेस्क, गोवा। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अक्षय बर्दापुरकर के पास क्षेत्रीय मनोरंजन को सुर्खियों में लाने की एक सिद्ध विरासत है। उन्होंने मराठी मनोरंजन के साथ शुरुआत की और बड़े लीगों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए भी इस क्षेत्र को सही आकार देने वाले एक सच्चे एवं दूरदर्शी के रूप में उभरे। बर्दापुरकर जीवन से बड़ी ब्रांडिंग और मार्केटिंग स्ट्रेटेजी, पाथ-ब्रेकिंग कंटेंट को पेश करने एवं क्षेत्रीय तकनीशियनों अथवा प्रतिभाओं के लिए एक संपन्न समुदाय बनाने के भी पीछे है। अब, वह अपने नए उद्यम, प्लैनेट गोएम के लॉन्च के साथ गोवा के मनोरंजन उद्योग का चेहरा भी सकारात्मक रूप से बदलने के लिए तैयार हैं। उनका लक्ष्य प्रतिभा, शिक्षा, मनोरंजन एवं प्रौद्योगिकी पर ध्यान देने के साथ उद्योग को एक नया जीवन देना है।

इस साल की शुरुआत में ही अक्षय बर्दापुरकर ने इस क्षेत्र के प्रॉस्पेक्ट और पोटेंशियल पर चर्चा करने के लिए गोवा के सीएम के साथ मुलाकात की और अंत में अपने दृष्टिकोण के साथ नज़र आए। गोवा में प्लैनेट गोएम का शुभारंभ करते हुए, गोवा के मुख्यमंत्री, डॉ प्रमोद सावंत ने साझा किया, “हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और भाषा को अब हमारे विनम्र कोंकणी उद्योग की मान्यता एवं लोकप्रियता बढ़ाने के उद्देश्य से एक संगठित वेब प्लेटफॉर्म मिलेगा। उसी के साथ साथ हम उद्योग, करियर और सुविधाओं के लिए भी श्री अक्षय बर्दापुरकर के दृष्टिकोण के बारे में आश्वस्त हैं जो कि गोवा की बेहतरी के लिए की गई पहलों के प्रति अपना समर्थन देंगे।”

प्लेनेट गोएम एक ओवर-द-टॉप सेवा (OTT) है जो फिल्मों, वेब श्रृंखला, टॉक शो, नाटकों, लघु प्रारूप वीडियो, संगीत, समाचार और बहुत कुछ के माध्यम से अनन्य कोंकणी भाषा (मूल और डब) सामग्री प्रदान करेगी। OTT से परे, प्लैनेट गोएम का लक्ष्य गोवा को मीडिया और मनोरंजन की जरूरतों के लिए भी अपना एक एक पसंदीदा गंतव्य बनाना है। इसी विजन के अनुरूप राज्य में मौजूद किसी भी मान्यता को प्राप्त करने के लिए वैश्विक विश्वविद्यालय से संबद्धता के साथ एक फिल्म संस्थान की स्थापना की जाएगी। यह कौशल केंद्र पूरे भारत में युवाओं और व्यक्तियों की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए विश्व स्तरीय फैकल्टी द्वारा डिप्लोमा, डिग्री और सर्टिफिकेट कोर्स एवं मास्टरक्लास की भी पेशकश करेगा।

बरदापुरकर ने मराठी उद्योग को वह बढ़ावा देने के लिए सिद्ध किया है जिसके तहत वह राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता सामग्री, बड़े पैमाने पर प्रस्तुतियों और प्रचारों, अपनी पहली और अनन्य वैश्विक OTT और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ट्रेंडिंग वेब श्रृंखला के साथ पात्र हैं। अब उनका लक्ष्य गोवा को पर्यटन स्थल और उद्यम पेशेवरों से आगे राज्य के मनोरंजन तक ले जाना है और स्थानीय प्रतिभाओं को अवसर देना है। इस राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता पर टिप्पणी करते हुए, अक्षय बर्दापुरकर ने कहा, "क्षेत्रीय उद्योग अपार संभावनाओं और शक्ति की एक अप्रयुक्त सोने की खान हैं। प्लेनेट मराठी ओटीटी ने पूरे गोवा में एक अच्छा प्रदर्शन देखा है एवं उत्सुक दर्शकों को भी अर्जित किया है जिन्होंने मराठी सामग्री को इतना प्यार दिया है।" 

उसी के साथ उन्हों ने कहा कि "गोवा का मनोरंजन क्षेत्र अभी भी बेरोज़गार बना हुआ है परंतु हम इस उद्योग की क्षमताओं एवं इसकी प्रतिभा पर प्रकाश डालना चाहते हैं। हमारा ध्यान वेब सामग्री, सीखने और प्रशिक्षण के माध्यम से विभिन्न प्रकार के अवसरों का निर्माण करना है ताकि गोवा के बहुत कुछ बनाकर गोवा राज्य के लिए अवसरों को आगे खुद की फ़िल्म सिटी बढ़ाने पर धान रहे। इसे आगे बढ़ाने के लिए, Planet Goem, Their Digital, Unreal Engine And Kingdom Technologies जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ साझेदारी करेगा, उन्हें स्टूडियो सेवाओं की स्थापना के लिए गोवा लाया जएगा जो की गोवा में प्रवेश करने एवं शूट करने के लिए विश्व स्तरीय प्रतिभाओं और फिल्म निर्माताओं को भारी मात्रा में आकर्षित करेगा।
 

डिजिटल डेस्क, दिल्ली। हाल ही में, IMP रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक आर्थिक गतिविधि अपेक्षित मंदी की तुलना में व्यापक और अधिक गंभीर अनुभव कर रही है, और रूस-यूक्रेन संघर्ष और इसके नकारात्मक स्पिलओवर प्रभाव, जैसे कि ऊर्जा की बढ़ती कीमतें, वैश्विक अर्थव्यवस्था पर और अधिक प्रभाव डालेंगे। 2022 में, वैश्विक आर्थिक विकास दर 3.2% तक धीमी होने और 2023 में केवल 2.7% की वृद्धि हासिल करने की उम्मीद है।

दूसरी ओर, दक्षिण पूर्व एशिया में एक मजबूत सुधार देखने की उम्मीद है, वियतनाम अपनी आपूर्ति श्रृंखला प्रभाव का विस्तार करना जारी रखता है, फिलीपींस, इंडोनेशिया और मलेशिया के 4% से 6% के बीच बढ़ने की संभावना है। 2022 में, भारत की अर्थव्यवस्था के 6.8% बढ़ने की उम्मीद है और चीन को इस वर्ष रिकवरी देखने की उम्मीद है, जिसमें सकल घरेलू उत्पाद साल में बढ़कर 3.2% और 2023 में 4.4% हो गया हैं (महामारी नियंत्रण छूट मानते हुए)। इस बीच, CNBC ने कहा कि अर्थशास्त्रियों के अनुसार अगले साल वैश्विक आर्थिक मंदी के बिच एशिया एक उज्ज्वल स्थान होगा।

एशिया में, 2.8 अरब की संयुक्त आबादी वाली दो बड़ी अर्थव्यवस्थाएं, चीन और भारत की गतिविधियां, वैश्विक अर्थव्यवस्था की भविष्य की दिशा और स्थिरता के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। 22 सितंबर को भारत के "इकोनॉमिक टाइम्स" के अनुसार, 21 सितंबर को स्थानीय समयानुसार, कोलंबिया विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम में संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर, चीन-भारत संबंधों का जिक्र करते हुए, "चीन के साथ सामान्य संबंधों को बहाल करने" पर जोर देते हुए कहा की चीन, भारत की वर्तमान विदेश नीति का केंद्र बिंदु है औरदोनों देशों के बीच लंबे समय से सीमावर्ती मतभेदों के बावजूद, दोनों देशों के बीच एक अनुकूल समाधान खोजने में समान रुचि है।

चीन और भारत के बीच सीमा स्थिति में सुधार और व्यापार की मात्रा बढ़ रही है।

अगस्त के अंत में, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने "द एशियन सेंचुरी एंड इंडिया-चाइना रिलेशंस" पर एशिया सोसाइटी में एक भाषण दिया, जिसमें उन्होंने "भारत-चीन संबंधों को एक सकारात्मक ट्रैक पर वापस लाने और टिकाऊ विकास बनाए रखने का प्रस्ताव दिया", साथ ही साथ दोनों देशों के संबंधों को "सामान्य स्थिति में लौटने" के लिए पूर्वापेक्षा भी दी। "सामान्य स्थिति में वापसी" का आधार यह है कि "भारत-चीन संबंधों की स्थिति सीमा की स्थिति से निर्धारित होगी।

चीन और भारत दोनों बड़े विकासशील देश और उभरती अर्थव्यवस्थाएं हैं, जिनमें आर्थिक स्थिरता और निर्भरता की अलग-अलग डिग्री हैं। 2018 में, चीन-भारत व्यापार की मात्रा $95.543 बिलियन डॉलर थी, देश की नीति 2019, 2020 में लगातार दो वर्षों की गिरावट के लिए अधिक स्पष्ट "डी-चाइना" नीति में स्थानांतरित हो गई। हालांकि, 2020 में, चीन संयुक्त राज्य अमेरिका को भारत के शीर्ष व्यापारिक भागीदार के रूप में बदल देता है, और चीन-भारत व्यापार की मात्रा 2021 में $ 125.6 बिलियन तक पहुंच जाती है, जो दो साल की गिरावट को उलट देती है।

"पड़ोसी देशों के साथ व्यापार का उन्नयन"

हाल के वर्षों में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की सरकार ने चीन सहित अन्य जगहों पर निर्मित वस्तुओं पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए कंपनियों को "मेक इन इंडिया" पहल को आक्रामक रूप से आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है। इसका उद्देश्य पड़ोसी देशों के साथ व्यापार घाटे में कटौती करना है।

भारत की कम शहरीकरण दर 30% से अधिक और अपेक्षाकृत कमजोर बुनियादी ढांचे के कारण, निवेश वृद्धि के लिए काफी जगह है। जबकि युवा आयु संरचना और श्रम बल की तीव्र आर्थिक विकास अवधि बड़े पैमाने पर उत्तेजना प्राप्त करेगी, बड़े पैमाने पर जागरूकता प्राप्त करने के लिए उपभोक्ता बाजार की क्षमता के साथ एक कारण संबंध है, विशेष रूप से 65% तक की युवा आबादी की मजबूत उपभोक्ता मांग, निवेश और खपत भारत के आर्थिक विकास के मुख्य चालक होंगे।

रोजगार के लिए एक बड़ी और बढ़ती आबादी के दबाव के साथ-साथ धन की असमानता के कारण आर्थिक और सामाजिक विकास पर गंभीर बाधाओं को भारत के औद्योगीकरण के मार्ग पर संबोधित किया जाना चाहिए। गोल्डमैन सैक्स ने भविष्यवाणी की है कि भारत 2043 तक संयुक्त राज्य अमेरिका से आगे निकल जाएगा, और इसकी दस सिफारिशों में से एक "पड़ोसी देशों के साथ व्यापार के स्तर में सुधार करना" है, जबकि मोदी सरकार की "पड़ोसी पहले" नीति का कहना है कि सहयोग पारस्परिक रूप से लाभकारी है और चीन-भारत द्विपक्षीय संबंधों के लिए उपयुक्त है।

यदि भारत की औद्योगिक संरचना ठीक से विकसित होती है, औद्योगीकरण विदेशी निवेश और स्थानीय उद्यमियों द्वारा संचालित होता है, और श्रम बल सामाजिक दबाव के बजाय रोजगार प्राप्त कर सकता है, तो भारत के पास दशकों तक जनसांख्यिकीय लाभांश होगा।

दोनों देश एक पूरक आपूर्ति श्रृंखला संबंध में विकास के अवसर तलाश रहे हैं।

इसके अलावा, चीन महामारी के आर्थिक प्रभावों, वियतनामी विनिर्माण के विस्तार और चीन को छोड़ने वाली विनिर्माण आपूर्ति श्रृंखलाओं के बढ़ते खतरे के कारण बेताबी से नए निर्यात बाजारों की तलाश में है।

चाइना काउंसिल फॉर द प्रमोशन ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड के अनुसार, 30 सितंबर को जारी "थर्ड क्वार्टर फॉरेन ट्रेड सिचुएशन रिसर्च रिपोर्ट" से पता चलता है कि चीनी विदेश व्यापार उद्यमों के विश्वास में उल्लेखनीय वृद्धि होने और मजबूत लचीलापन दिखाने की उम्मीद है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए चाइना काउंसिल के प्रवक्ता सन जिओ के अनुसार, "विदेश व्यापार नीति स्थिरीकरण के कार्यान्वयन का प्रभाव तीसरी तिमाही पर केंद्रित होना शुरू हुआ, माल ढुलाई जैसे उद्यमों के मजबूत प्रतिबिंब की पहली छमाही, ऊर्जा, पूंजी, विनिमय दरों और अन्य मुद्दों को काफी हद तक कम कर दिया गया है।"

दोनों देश औद्योगिक संरचना और विनिर्माण में अंतर के कारण एक-दूसरे पर अत्यधिक निर्भर हैं, और औद्योगिक श्रृंखला और आपूर्ति श्रृंखला कच्चे माल के अधिग्रहण, उत्पादन और प्रसंस्करण तथा कार्बन उत्सर्जन में कमी के मामले में पूरक आपूर्ति श्रृंखला संबंधों के लिए व्यापक दृष्टिकोण के साथ एक पूरक संबंध बनाती है। 

2020 के बाद से, भारत अपनी औद्योगिक क्षमताओं, औद्योगिक एकीकरण में सुधार करना चाहता है, और भारी मशीनरी, इलेक्ट्रोमैकेनिकल उत्पादों, दूरसंचार उपकरण, ऑटो पार्ट्स, रासायनिक उत्पादों और मध्यवर्ती उत्पादों, बेस मेटल्स और उत्पादों, घरेलू उपकरणों, एपीआई या महामारी विरोधी चिकित्सा आपूर्ति, तथा लैपटॉप और कंप्यूटर में पड़ोसी देशों के साथ पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग को गहरा करना चाहता है।

चीन की हाल ही में संपन्न हुई 20वीं राष्ट्रीय कांग्रेस की रिपोर्ट बाहरी दुनिया के लिए उच्च स्तर के खुलेपन को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर देती है। नियमों, विनियमों, प्रबंधन, मानकों और अन्य सिस्टम-आधारित खुलेपन का विस्तार। एक मजबूत व्यापार देश के विकास में तेजी लाना। बाजारोन्मुखी, कानून-शासित, विश्व-स्तरीय कारोबारी माहौल तैयार करना। उच्च गुणवत्ता वाले "वन बेल्ट, वन रोड" विकास को प्रोत्साहित करना। एशिया-प्रशांत अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख भागीदार के रूप में, भारत औद्योगिक श्रृंखला में आपूर्ति श्रृंखला सहयोग जीतने के लिए चीन के औद्योगिक उत्पाद, मध्यवर्ती सामान और वस्तुओं के विनिर्माण उद्योग के लागत-प्रदर्शन लाभ का पूरा लाभ उठा सकता है और इसकी मांग और संभावित बाजार को पूरा कर सकता है क्योंकि यह उच्च निर्भरता के साथ औद्योगीकरण के लिए संक्रमण करता है। भविष्य में चीन के मौजूदा विदेशी व्यापार उद्यमों की बाहरी मांग संकुचन, हाथ में ऑर्डर्स की कमी, बार-बार महामारी प्लेग, आर्थिक और व्यापार घर्षण में वृद्धि, और अन्य कई समस्याओं को कम करने के लिए फायदेमंद होगा।

इससे पहले, चीन-भारत संबंधों के बारे में भारतीय मुख्यधारा के मीडिया से बात करते हुए, भारत में चीनी राजदूत सुन वेइदॉन्ग ने सकारात्मक संकेत भेजाथा। उन्होंने कहा कि चीन और भारत दोनों सामान्य रूप से बहुपक्षवाद का समर्थन करते हैं, प्रमुख अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर समान या समान स्थिति रखते हैं, और वैश्विक शासन, ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा में सुधार और जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने में समान हितों को साझा करते हैं। भारत इतिहास में अपने सबसे अच्छे विकास अवसर का अनुभव कर रहा है, और यह कई अवसरों के साथ एक उभरता हुआ बाजार भी है। चीन-भारत आर्थिक और व्यापार संबंधों का विकास दोनों देशों के लोगों और व्यापारिक समुदायों के हित में है, और एशिया और वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान देगा।

जानिए किस ग्रह से कौन सा रोग होता है?

चन्द्र पर हो तो जातक को जुखाम होता है। मंगल पर हो तो रक्त की कमी या ब्लड प्रेशर, बुध पर हो तो नपुंसकता, गुरु पर हो तो मोटापा, शुक्र पर हो तो वीर्य के रोग या प्रजनन क्षमता को कमजोर करता है और राहू पर शनि के प्रभाव से जातक को उच्च और कमजोर रक्तचाप दोनों से पीड़ित रखता है।

बुध ग्रह खराब होने से क्या होता है?

कुंडली में बुध की स्थिति खराब हो त्वचा संबंधी विकार, शिक्षा में एकाग्रता की कमी और लेखन कार्य में समस्या आती है. वहीं बुध के शुभ प्रभाव से बुद्धि तेज होती है साथ ही व्यापार, संचार और शिक्षा में उन्नति मिलती है. अगर आपकी भी कुंडली में बुध कमजोर है तो आपको इस ग्रह की शांति के लिए विशेष उपाय (Astrology Tips) करने चाहिए.

मीठा खाने से कौन सा ग्रह मजबूत होता है?

जिनकी कुंडली में बृहस्पति या सूर्य मजबूत होता है, उन्हें मीठा खाना पसंद होता है. अगर बृहस्पति या सूर्य की वजह से परेशानी हो तो मीठा खाना बंद कर देना चाहिए. खट्टा स्वाद शुक्र का होता है.

कौन सा ग्रह मानसिक तनाव देता है?

जातक के अवसाद या डिप्रेशन के लिए प्रमुख रूप से जो ग्रह उत्तरदायी होते हैं उनमें राहु प्रमुख है, उसके बाद शनि की भूमिका होती है। चन्द्र की स्थिति भी इस योग के लिए महत्वपूर्ण होती है। राहु मुख्य रूप से नकारात्मक चिं‍तन देता है वहीं शनि अत्यधिक चिंतन का कारक होता है। चन्द्रमा मन का कारक होता है।