सूतक काल में क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए? - sootak kaal mein kya karana chaahie kya nahin karana chaahie?

Chandra Grahan Sutak Kaal 2022: आज कार्तिक माह के पूर्णिमा यानी 08 नवंबर को साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लग रहा है, जिसका असर पूरे भारत में पूर्ण रूप से देखने को मिलेगा. भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में चंद्रग्रहण पूर्ण लगेगा. जबकि अन्य जगहों पर आंशिक रहेगा. सूर्य ग्रहण का सूतक 09 घंटे पहले से ही शुरू हो जाता है. काशी के ज्योतिष मर्मज्ञ श्रीनाथ प्रपन्नाचार्य की मानें तो सूर्य ग्रहण के सूतक काल के दौरान सभी प्रकार के शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं. इतना ही नहीं सूतक काल में हमारे दैनिक दिनचर्या के भी कुछ कार्य वर्जित होते हैं. आइए जानते हैं कब से शुरू हो रहा है सूतक काल और इस दौरान क्या नहीं करना चाहिए.

चंद्र ग्रहण के दौरान न करें ये काम

  • चंद्र ग्रहण का सूतक न तो भोजन बनाएं और न ही पहले का बना हुआ खाएं.
  • चंद्र ग्रहण से पहले ही खाने पीने वाले वस्तुओं में तुलसी का पत्ता डालकर और जिस पात्र में रखा है उसमें गाय का गोबर लगाकर रख दें.
  • चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं विशेष सावधानी बरतें, वे ग्रहण काल के दौरान न तो सोएं और न ही कुछ खाएं. इस दौरान गर्भवती महिलाएं नुकीली चीजों का इस्तेमाल न करें.
  • चंद्र ग्रहण के सूतक काल के दौरान घर के मंदिर में देवी-देवाताओं की प्रतिमाओं को ढक कर रखें. इस दौरान पूजा पाठ बिल्कुल न करें.
  • ग्रहण का समय अशुभ माना जाता है ऐसे में इस दौरान किसी भी नए कार्य की शुरुआत न करें.
  • चंद्र ग्रहण के दौरान न तो सोएं और न ही यात्रा करें.

ग्रहण के दौरान इन लोगों को रहती है छूट
चंद्र ग्रहण के सूतक के दौरान सभी प्रकार के शुभ व दैनिक जीवन से जुड़े कार्य वर्जित है. हालांकि बाल, वृद्धि और रोगी के लिए यह नियम मान्य नहीं है. साथ ही जिन लोगों के अंदर ये सब सहम करने की क्षमता नहीं है वो लोग खाना पीना कर सकते हैं. ग्रहण काल के टाइम यदि संभव हो तो खाने पीने से परहेज करें.

कब शुरू होगा सूतक
चंद्रग्रहण का सूतक काल कल यानी 08 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 32 मिनट से शुरू हो रहा है, इसका समापन शाम 07 बजकर 27 मिनट पर होगा. भारत में चंद्र ग्रहण 08 नवंबर को शाम 05 बजकर 29 मिनट पर शुरू होगा, जिसका समापन शाम 06 बजकर 19 मिनट पर होगा. चंद्रग्रहण का सूतक ग्रहण शुरू होने से 09 घंटे पहले शुरू होता है. ज्योतिष मर्मज्ञ की मानें तो चंद्रग्रहण का सूतक सुबह 08 बजकर 10 मिनट से शुरू हो रहा है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. Zee Media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

हिन्दू धर्म में सूतक और पातक नाम से दो परंपराएं प्रचलित हैं। किसी के भी घर-परिवार में कोई शांत हो जाते हैं या स्वर्ग चला जाता है तो उस परिवार या घर में सूतक लग जाता है। मृतक के जितने भी खून के रिश्ते के बंधु बंधव होते हैं उनक सभी के घरों में सूतक माना जाता है। क्या होता है या सूतक और कितने समय तक का होता है जानिए इस संबंध में संक्षिप्त जानकारी।


क्या होता है सूतक और पातक : सूतक का संबंध जन्म-मरण के कारण हुई अशुद्धि से है। जन्म के अवसर पर जो नाल काटा जाता है और जन्म होने की प्रक्रिया के दौरान जो हिंसा होती है, उसमें लगने वाला दोष या पाप प्रायश्‍चित के रूप में पातक माना जाता है। इस तरह मरण से फैली अशुद्धि से सूतक और दाह संस्कार से हुई हिंसा के दोष या पाप से प्रायश्‍चित स्वरूप पातक माना जाता है।

जिस तरह घर में बच्चे के जन्म के बाद सूतक लगता है उसी तरह गरुड़ पुराण के अनुसार परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु होने पर लगने वाले सूतक को 'पातक' कहते हैं। सूतक और पातक की परीभाषा इससे अलग भी है। जैसे व्यक्ति की मृत्यु होने के पश्चात गोत्रज तथा परिजनों को विशिष्ट कालावधि तक अशुचित्व और अशुद्धि प्राप्त होता है, उसे सूतक कहते हैं। अशुचित्व अर्थात अमंगल और शुद्ध का विपरित अशुद्धि होता है।

कब-कब लगता है सूतक : जन्म काल, ग्रहण काल, स्त्री के मासिक धर्म का काल और मरण काल में सूतक और पातक का विचार किया जाता है। सभी के काल में सूतक के दिन और समय का निर्धारण अलग-अलग होता है।


सूतक-पातक का समय :

1. मृत व्यक्ति के परिजनों को 10 दिन तथा अंत्यक्रिया करने वाले को 12 से 13 दिन (सपिंडीकरण तक) सूतक पालन कड़ाई से करना होता है। मूलत: यह सूतक काल सवा माह तक चलता है। सवा माह तक कोई किसी के घर नहीं जाता है। सवा माह अर्थात 37 से 40 दिन। 40 दिन में नक्षत्र का एक काल पूर्ण हो जाता है। घर में कोई सूतक (बच्चा जन्म हो) या पातक (कोई मर जाय) हो जाय 40 तक का सूतक या पातक लग जाता है।

2. ऐसा भी कहा जाता है कि सात पीढ़ियों पश्चात 3 दिन का सूतक माना जाता है, लेकिन यह निर्धारित करना कठिन है। मृतक के अन्य परिजन (मामा, भतीजा, बुआ इत्यादि परिजन) कितने दिनों तक सूतक का पालन करें, यह संबंधों पर निर्भर है तथा उसकी जानकारी पंचांग व धर्मशास्त्रों में दी जाती है। लेकिन जिसका संबंध रक्त से है उसे उपर बताए नियमों अनुसार ही चलना होता है।

3. जन्म के बाद नवजात पीढ़ियों को हुई अशुचिता 3 पीढ़ी तक 10 दिन, 4 पीढ़ी तक 10 दिन, 5 पीढ़ी तक 6 दिन गिनी जाती है। एक रसोई में भोजन करने वालों के पीढ़ी नहीं गिनी जाती है। वहां पूरा 10 दिन तक का सूतक होता है। प्रसूति नवजात की मां को 45 दिन का सूतक रहता है। प्रसूति स्थान 1 माह अशुद्ध माना जाता है। इसीलिए कई लोग अस्पताल से घर आते हैं तो स्नान करते हैं। पुत्री का पीहर में बच्चे का जन्म में 3 दिन का, ससुराल में जन्म दे तो उन्हें 10 दिन का सूतक रहता है।

4. मरण के अवसर पर दाह संस्कार में इत्यादि में हिंसा होती है। इसमें लगने वाले दोष या पाप के प्रायश्चित के स्वरूप पातक माना जाता है। जिस दिन दाह संस्कार किया जाता है, उस दिन से पातक के दिनों की गणना होती है। न कि मृत्यु के दिन से। अगर किसी घर का सदस्य बाहर है तो जिस दिन उसे सूचना मिलती है उस दिन तक उसके पातक लगता ही है। अगर 12 दिन बाद सूचना मिले तो स्नान मात्र से शुद्धि हो जाती है।

5. अगर परिवार की किसी स्त्री का गर्भपात हुआ है तो जितने माह का हुआ है उतने दिन का ही पातक माना जाएगा। घर का कोई सदस्य मुनि, साध्वी है उसे जन्म मरण का सूतक नहीं लगता है। किंतु उसका ही मरण हो जाने पर उसका एक दिन का पातक लगता है।

6. किसी की शवयात्रा में जाने को एक दिन, मुर्दा छूने को 3 दिन और मुर्दे को कन्धा देने वाले को 8 दिन की अशुद्धि मानी जाती है। घर में कोई आत्मघात करले तो 6 माह का पातक माना जाता है। छह माह तक वहां भोजन और जल ग्रहण नहीं किया जा सकता। वह मंदिर नहीं जाता और ना ही उस घर का द्रव्य मंदिर में चढ़ाया जाता है।

7. इसी तरह घर के पालतू गाय, भैंस, घोड़ी, बकरी इत्यादि को घर में बच्चा होने पर 1 दिन का सूतक परंतु घर से दूर-बाहर जन्म होने पर कोई सूतक नहीं रहता। बच्चा देने वाली गाय, भैंस और बकरी का दूध, क्रमशः 15 दिन, 10 दिन और 8 दिन तक अशुद्ध रहता है।

सूतक-पातक के नियम :

1. सूतक और पातक में अन्य व्यक्तियों को स्पर्श न करें।

2. कोई भी धर्मकृत्य अथवा मांगलिक कार्य न करें तथा सामाजिक कार्य में भी सहभागी न हों।

3. अन्यों की पंगत में भोजन न करें।

4. किसी के घर न जाएं और ना ही किसी भी प्रकार का भ्रमण करें। घर में ही रहकर नियमों का पालन करें।

5. किसी का जन्म हुआ है तो शुद्धि का ध्यान रखते हुए भगवान का भजन करें और यदि कोई मर गया है तो गरुढ़ पुराण सुनकर समय गुजारें।

6. सूतक या पातक काल समाप्त होने पर स्नान तथा पंचगव्य (गाय के दूध, दही, घी, गोमूत्र और गोबर का मिश्रण) सेवन कर शुद्ध हो जाएं।

7. सूतक पातक की अवधि में देव शास्त्र गुरु, पूजन प्राक्षाल, आहार आदि धार्मिक क्रियाएं वर्जित होती है।

8. जिस व्यक्ति या परिवार के घर में सूतक-पातक रहता है, उस व्यक्ति और परिवार के सभी सदस्यों को कोई छूता भी नहीं है। वहां का अन्न-जल भी ग्रहण नहीं करता है। वह परिवार भी मंदिर सहित किसी के घर नहीं जाता है और सूतक-पातक के नियमों का पालन करते हुए उतने दिनों तक अपने घर में ही रहता है। परिवार के सदस्यों को सार्वजनिक स्थलों से दूर रहने को बोला जाता है।

सूतक में क्या क्या वर्जित है?

सूतक के समय और ग्रहण के समय भगवान की मूर्ति को स्पर्श करना निषिद्ध माना गया है। खाना-पीना, सोना, नाखून काटना, भोजन बनाना, तेल लगाना आदि कार्य भी इस समय वर्जित हैं। इस समय झूठ बोलना, छल-कपट, बेकार का वार्तालाप और मूत्र विसर्जन से परहेज करना चाहिए ।

सूतक लगने के बाद क्या नहीं करना चाहिए?

सूतक काल लगने के बाद से कोई भी धार्मिक कार्य व पूजन नहीं करना चाहिएसूतक काल लगने से पूर्व ही मंदिर के कपाट कर दिए जाएंगे। देव दीपावली के दिन दीपदान का विशेष महत्व है। इस दिन नदी किनारे दीप दान करने से पहले दीपक की पूजा करनी चाहिए

क्या मृत्यु सूतक में पूजा करनी चाहिए?

सूतक काल से ही पूजापाठ के सभी कार्य बंद कर दिए जाते हैं और फिर ग्रहण की समाप्‍ति के बाद मंदिर का शुद्धिकरण करके पूजा आरंभ की जाती है। सूतक लगने के बाद कोई भी शुभ कार्य न करें। जिनके सूतक प्रभावी होता है, उनको पूजा नहीं करनी चाहिए

सूतक में मंदिर जा सकते हैं क्या?

सूतक काल में मंदिर में पूजा न करें. हालांकि जाप करना शुभ माना जाता है. ग्रहण के दौरान खाने की चीजों में तुलसी का पत्ता डाल देना चाहिए. हालांकि इसे सूतक काल के पहले तोड़ लेना चाहिए.