फिस्टुला सर्जरी के बाद क्या खाना चाहिए - phistula sarjaree ke baad kya khaana chaahie

फिस्टुला-पस्त होने की जरूरत नहीं

भगंदर (एनल फिस्टुला) नामक रोग में गुदा द्वार के आसपास एक छेद बन जाता है। इस छेद से पस निकलता और रोगी काफी तेज दर्द महसूस करता है। समुचित इलाज न होने पर बार-बार पस पड़ने से फिस्टुला एक जटिल स्वास्थ्य समस्या बन जाता है, जो कालांतर में फोड़ा बन जाता है। फिस्टुला रूपी यह समस्या का

भगंदर (एनल फिस्टुला) नामक रोग में गुदा द्वार के आसपास एक छेद बन जाता है। इस छेद से पस निकलता और रोगी काफी तेज दर्द महसूस करता है। समुचित इलाज न होने पर बार-बार पस पड़ने से फिस्टुला एक जटिल स्वास्थ्य समस्या बन जाता है, जो कालांतर में फोड़ा बन जाता है। फिस्टुला रूपी यह समस्या कालांतर में कैंसर और आंतों की टी.बी. का भी कारण बन सकती है। बहरहाल, आधुनिक वीडियो असिस्टेड एनल फिस्टुला ट्रीटमेंट के प्रचलन में आने के कारण फिस्टुला का इलाज पीड़ित व्यक्तियों के लिए कहीं ज्यादा राहतकारी हो गया है।

लक्षण

-रोगी की गुदा में तेज दर्द होता है, जो जो बैठने पर बढ़ जाता है।

-गुदा के आसपास खुजली हो सकती है। इसके अलावा सूजन होती है।

-त्वचा लाल हो जाती है और वह फट सकती है। वहां से मवाद या खून रिसता है।

-रोगी को कब्ज रहता है और मल-त्याग के समय उसे दर्द होता है।

जांचें

फिस्टुला की जांच के लिये डिजिटल एनस टेस्ट (गुदा परीक्षण) किया जाता है, लेकिन कई रोगियों को इसके अलावा अन्य परीक्षणों की जरूरत पड़ सकती है, जैसे फिस्टुलोग्राम और फिस्टुला के मार्ग को देखने के लिये एमआरआई जांच।

उपचार: सर्जरी इस रोग के उपचार का एकमात्र उपाय है। परंपरागत सर्जरी: फिस्टुला की परंपरागत सर्जरी को फिस्टुलेक्टॅमी कहा जाता है। सर्जन इस सर्जरी के जरिये भीतरी मार्ग से लेकर बाहरी मार्ग तक की संपूर्ण फिस्टुला को निकाल देते हैं। इस सर्जरी में आम तौर पर टांके नहीं लगाये जाते हैं और जख्म को धीरे-धीरे और प्राकृतिक तरीके से भरने दिया जाता है। इस उपचार विधि में दर्द होता है और उपचार के असफल होने की संभावना रहती है। अंदर के मार्ग और बगल के टांके आम तौर पर हट जाते हैं जिससे दोबारा फिस्टुला हो सकता है। परम्परागत उपचार विधि में मल त्याग में दिक्कत होती है। फिस्टुला की सर्जरी से होने वाले जख्म को भरने में छह सप्ताह से लेकर तीन माह का समय लग जाता है।

नवीनतम उपचार

वीडियो असिस्टेड एनल फिस्टुला ट्रीटमेंट (वीएएएफटी) सुरक्षित और दर्द रहित उपचार है। यह डे-कयर सर्जरी है यानी रोगी सुबह अस्पताल आता है और उसी दिन शाम को चला जाता है। यही नहीं, वीएएएफटी फिस्टुला को दोबारा होने से रोकता है। इस सर्जरी में माइक्रो इंडोस्कोप का इस्तेमाल किया जाता है,जिसे पूरे फिस्टुला के मार्ग में ले जाया जा सकता है और इस दौरान फिस्टुला को देखा जा सकता है। इस स्थिति में सर्जन को विशेष विद्युतीय करंट के जरिये फिस्टुला को नष्ट करने में मदद मिलती है। सर्जन फिस्टुला के मार्ग को ठीक तरीके से बंद करने के लिये एक विशिष्ट फाइब्रिन ग्लू का इस्तेमाल करते हैं, जिससे कोई जख्म नहीं रहता है और इसलिये अधिक दिनों तक ड्रेसिंग की जरूरत नहीं होती। 'वीएएएफटी' से मल-मूत्र को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियों को किसी तरह की क्षति नहीं पहुंचती। इस कारण मल-मूत्र त्यागने की क्रिया सामान्य बनी रहती है, लेकिन पारंपरिक ओपन सर्जरी में मांसपेशियों को नुकसान पहुंचने का खतरा बरकरार रहता है।

(डॉ.आशीष भनोट)

(गैस्ट्रोइंटेरोलॉजिस्ट

नई दिल्ली)

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फिस्टुला सर्जरी के बाद क्या खाना चाहिए - phistula sarjaree ke baad kya khaana chaahie

फिस्टुला की सर्जरी होने के बाद जल्दी रिकवर होने के लिए योग का अभ्यास कितना कारगर?

Yoga For Fistula in Hindi: फिस्टुला (Fistula) को भगंदर भी कहते हैं। यह गुदा द्वार (Anal canal) में होने वाली एक बीमारी है। फिस्टुला होने पर बेहद दर्द होता है। इसमें एनल कनाल के आपसाप छेद हो जाता है, जिसमें दर्द होने के साथ ही पस भी निकलता है। इसका इलाज ना किया जाए, तो पस लगातार निकलता रहता है और बाद में यह फोड़े का रूप ले लेता है। कब्ज की समस्या लगातार बनी रहे, तो फिस्टुला होने की संभावना बढ़ जाती है। फिस्टुला के लक्षणों (Fistula symptoms) की बात करें, तो इसमें गुदा द्वार के पास खुजली, दर्द, सूजन हो जाती है। पस निकलता है। मल त्याग करने में तकलीफ होती है। इसका इलाज सर्जरी, दवाओं के जरिए संभव है।

हालांकि, फिस्टुला को आप योग के जरिए भी ठीक कर सकते हैं। फिस्टुला की समस्या से बचने के लिए आप प्रतिदिन कुछ आसान से योग जैसे वज्रासन (Thunderbolt Pose), मलासन (Waste Evacuation Pose), प्रपादासन (Tip Toe Pose) का अभ्यास करें। इन योगासनों को नियमित करने से आप फिस्टुला जैसी बीमारी से बचे रह सकते हैं। हिमालयन सिद्धा (Himalayan siddha) के ग्रैंड मास्टर अक्षर (Grand Master Akshar) ने फिस्टुला होने पर योग करने के फायदे, फिस्टुला की सर्जरी होने के बाद कब और कितनी देर करना चाहिए योग आदि प्रश्नों के विस्तार से जवाब दिए.....

फिस्टुला में सर्जरी होने के कितने दिनों बाद और कब तक योगासन करना चाहिए? इस दौरान किन बातों का ख्याल रखें?

फिस्टुला के इलाज (Fistula Treatment) में यदि सर्जरी हुई है, तो व्यक्ति को कुछ बैठने वाले पोस्चर्स जैसे सुखासन, पद्मासन को देर तक करने से बचना चाहिए। इन परिस्थितियों में सिर्फ वज्रासन करना ही सुरक्षित होता है। इसके साथ ही आप चंद्र नमस्कार (Chandra namaskar) भी कर सकते हैं, जो फिस्टुला को जल्द से जल्द ठीक करने में बेहद प्रभावी होता है।

सर्जरी के बाद कम से कम 15 से 20 दिनों तक योग न करें। लगभग 3 से 4 सप्ताह के अंतराल के बाद ही आप धीरे-धीरे प्राणायाम या भस्त्रिका प्राणायाम जैसे हल्के सांस लेने वाले एक्सरसाइज के साथ योग अभ्यास को फिर से शुरू कर सकते हैं। हलासन और सर्वांगासन फिस्टुला के इलाज में बेहद प्रभावी हो सकते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि इन पोज में रक्त आपके गुदा भाग की ओर उल्टा बहता है। यह फिस्टुला जैसी स्थिति को ठीक करने में बेहद फायदेमंद हो सकता है।

एक ही स्थान पर बहुत देर तक बैठने से बचें। अपनी डाइट पर ध्यान दें। जीवनशैली में आवश्यक परिवर्तन करें, जो फिस्टुला के उपचार और रोकथाम में आपकी सहायता कर सकें। फिस्टुला की सर्जरी होने के बाद खास सावधानी बरतें, क्योंकि लंबे समय तक बैठना बेहद जोखिम भरा साबित हो सकता है। ऐसा करने से गुदा क्षेत्र (Anal Region) से रक्तस्राव भी हो सकता है। सख्त आहार (Strict Diet) को फॉलो करें, जिसमें घर का बना खाना शामिल हो। तेल-मसालेदार, प्रसंस्कृत भोजन (Processed food) और मांसाहारी भोजन से पूरी तरह से परहेज करें।

योग करने का सबसे बेहतर समय क्या है?

योग का अभ्यास करने का सबसे आदर्श समय सुबह होता है। जब तक आप पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते, तब तक किसी भी प्रकार की एडवांस पोजेज करने से बचें। आसान मुद्राओं का अभ्यास करना ही आपके लिए बेहतर होगा।

योगासन की मदद से फिस्टुला को कंट्रोल करने की संभावना कितनी होती है?

कुछ आयुर्वेदिक दवाएं हैं, जिन्हें बाहरी रूप से लगाने के साथ खाया भी जा सकता है। जिनकी फिस्टुला की सर्जरी हुई है, उन्हें जल्दी ठीक होने के लिए यह सुझाव दिया जाता है। मेडिकल टेक्नोलॉजी के एडवांस होने से आप बिना किसी जटिलताओं के फिस्टुला का सुरक्षित और सफल इलाज करवा सकते हैं।

क्या सर्जरी के बाद योग करने से फिस्टुला दोबारा नहीं होता है?

योग एक समग्र उपचार (Holistic Treatment) है। योग इस समस्या से पीड़ित लोगों को एक प्रभावी समाधान खोजने में मदद कर सकता है। साथ ही योग संपूर्ण स्वास्थ्य में भी सुधार करता है। नियमित रूप से योग का अभ्यास करने के साथ-साथ आप स्वस्थ आहार (Healthy Diet) का भी सेवन करें। जहां तक ​​संभव हो जल्दी रिकवर करने के लिए आयुर्वेदिक दवाएं भी लें।

किसी भी बीमारी से बचना है, तो इलाज से बेहतर रोकथाम होता है। यदि आपको फिस्टुला (Fistula Disease) है, तो बेहद जरूरी है अपने खानपान और जीवनशैली की आदतों पर ध्यान देना। तनाव से बचने, पेट के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए योग एक बेहतरीन तरीका हो सकता है। योग के जरिए आप कब्ज जैसी पाचन संबंधी समस्याओं से भी बचे रह सकते हैं।

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फिस्टुला सर्जरी के बाद क्या खाएं?

भगन्दर रोग में क्या खाएं (Your Diet During Fistula).
अनाज: पुराना शाली चावल ,गेहूं, जौ.
दाल: अरहर, मूँग दाल, मसूर.
फल एवं सब्जियां: हरी सब्जियां, पपीता, लौकी, तोरई, परवल, करेला, कददू, मौसमी सब्जियां, चौलाई, बथुआ, अमरूद, केला , सेब, आंवला, खीरा, मूली के पत्ते, मेथी, साग, सूरन, रेशेदार युक्त फल.

फिस्टुला सर्जरी के बाद ठीक होने में कितना समय लगता है?

फिस्टुला की जटिलता और की जाने वाली सर्जरी के प्रकार के आधार पर, रोगी को पूरी तरह से ठीक होने में कुछ हफ्तों से लेकर कई महीनों तक का समय लग सकता है। हालांकि बहुत कम मामलों में, फिस्टुला वापस आ सकता है।

भगंदर में क्या खाएं क्या न खाएं?

फिस्टुला में क्या खाएं?.
फाइबर युक्त आहार भगंदर से पीड़ित रोगी को फाइबर का अधिक सेवन करना चाहिए। ... .
तरल पदार्थ का सेवन करें फिस्टुला के दौरान कब्ज को नियंत्रित रखना बहुत जरूरी होता है। ... .
अनाज ... .
दाल ... .
फल और सब्जियां ... .
अल्कोहल का सेवन न करें ... .

भगन्दर कितने दिन में ठीक होता है?

आठ दिन बाद मस्से अपने आप ठीक हो गए और अब मैं पूरी तरह स्वस्थ हूं। क्षार सूत्र विधि एक उपचारित धागा है। इससे धागों को 21 दिन तक उपचारित किया जाता है। इससे थुहर का दूध, अपामार्ग क्षार, हल्दी आदि औषधियों का प्रयोग किया जाता है।