फादर बुल्के संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नई छवि प्रस्तुत की है कैसे? - phaadar bulke sannyaasee kee paramparaagat chhavi se alag ek naee chhavi prastut kee hai kaise?

फ़ादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नयी छवि प्रस्तुत की है, कैसे?

फ़ादर बुल्के एक सन्यासी थे, वे चोगा पहनते थे, लोगों की सहायता करते थे तथा सभी मानवीय गुणों का पालन करते थे। परन्तु सन्यासी जीवन के परंपरागत गुणों से अलग भी इनकी भूमिका रही है; जैसे - इन्होंने सन्यास ग्रहण करने के पश्चात् अपना अध्ययन जारी रखा, कुछ दिनों तक ये कालेज में भी पढ़ाते रहे तथा अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेते रहे। इसलिए फ़ादर बुल्के की छवि परंपरागत सन्यासियों से अलग है।

Concept: गद्य (Prose) (Class 10 A)

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फादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरा छवि से अलग एक नई छवि प्रस्तुत की है कैसे?

फ़ादर बुल्के अपनी वेशभूषा और संकल्प से संन्यासी थे परंतु वे मन से संन्यासी नहीं थे। वे विशेष संबंध बनाकर नहीं रखते परंतु फादर बुल्के जिससे रिश्ता बना लेते थे उसे कभी नहीं तोडते थे। वर्षो बाद मिलने पर भी उनसे अपनत्व की महक अनुभव की जा सकती थी। जब वे दिल्ली जाते थे तो अपने जानने वाले को अवश्य मिलकर आते थे।

ख फादर कामिल बुल्के एक संन्यासी थे परन्तु पारंपरिक अर्थ में हम उन्हें संन्यासी क्यों नहीं कह सकते?

फादर बुल्के पारंपरिक अर्थ में संन्यासी नहीं थे । लेखक के साथ उनके घनिष्ठ संबंधों की झलक हमें इस संस्मरण में मिलती है। लेखक का मानना है कि जब तक रामकथा है, इस विदेशी भारतीय साधु को याद किया जाएगा तथा उन्हें हिंदी भाषा और बोलियों के अगाध प्रेम का उदाहरण माना जाएगा। कर हिंदी के प्रति अपना प्रेम प्रकट किया।

फादर संकल्प से संन्यासी थे मन से संन्यासी नहीं थे इस पंक्ति द्वारा लेखक क्या बताना चाहता है?

फादर बुल्के भारतीय संन्यासी प्रवृत्ति के आधार पर खरे संन्यासी नहीं थेलेखक के अनुसार वे केवल संकल्प के संन्यासी थे, मन से नहीं

फादर बुल्के को संकल्प से संन्यासी क्यों कहा गया है?

Explanation: फ़ादर बुल्के एक सन्यासी थे, वे चोगा पहनते थे, लोगों की सहायता करते थे तथा सभी मानवीय गुणों का पालन करते थे।