गेहूं में कौन सी दवा डालना चाहिए - gehoon mein kaun see dava daalana chaahie

जलवायु:-

गेहूँ के खेती में बुआई के वक्त कम तापमान और फसल पकते समय शुष्क और गर्म वातावरण की जरूरत होती हैं। इसलिए गेहूँ की खेती ज्यादातर अक्टूबर या नवम्बर के महीनों में की जाती हैं।

भूमि का चुनाव/तैयारी

गेहूँ की खेती करते समय भूमि का चुनाव अच्छे से कर लेना चाहिए । गेहूँ की खेती में अच्छे फसल के उत्पादन के लिए मटियार दोमट भूमि को सबसे सर्वोत्तम माना जाता है । लेकिन पौधों को अगर सही मात्रा में खाद दी जाए और सही समय पर उसकी सिंचाई की जाये तो किसी भी हल्की भूमि पर गेहूँ की खेती कर के अच्छे फसल की प्राप्ति की जा सकती है । खेती से पहले मिट्टी की अच्छे से जुताई कर के उसे भुरभुरा बना लेना चाहिए फिर उस मिट्टी पर ट्रैक्टर चला कर उसे समतल कर देना चाहिए

बुआई:-

गेहूँ की खेती में बीज बुआई का सही समय 15 नवम्बर से 30 नवम्बर तक होता है । अगर बुआई 25 दिसम्बर के बाद की जाये तो प्रतिदिन लगभग 90kg प्रति हेक्टेयर के दर से उपज में कमी आ जाती है । बीज बुआई करते समय कतार से कतार की दूरी 20cm होनी चाहिए ।

बीजोपचार:-

गेहूँ की खेती में बीज की बुआई से पहले बीज की अंकुरण क्षमता की जांच ज़रूर से कर लेनी चाहिए अगर गेहूँ की बीज उपचारित नहीं है तो बुआई से पहले बीज को किसी फफूंदी नाशक दवा से उपचारित कर लेना चाहिए ।

खाद प्रबंधन:-

गेहूँ की खेती में समय पर बुआई करने के लिए 120kg नाइट्रोजन(nitrogen), 60kg स्फुर(sfur) और 40kg पोटाश(potash) देने की आवश्यकता पड़ती है । 120kg नाइट्रोजन के लिए हमें कम से कम 261kg यूरिया प्रति हेक्टेयर का इस्तेमाल करना चाहिए । 60kg स्फुर के लिए लगभग 375kg single super phoshphate(SSP) और 40kg पोटाश देने के लिए कम से कम 68kg म्यूरेटा पोटाश का इस्तेमाल करना चाहिए ।

सिंचाई प्रबंधन :-

अच्छी फसल की प्राप्ति के लिए समय पर सिंचाई करना बहुत जरूरी होता है । फसल में गाभा के समय और दानो में दूध भरने के समय सिंचाई करनी चाहिए । ठंड के मौसम में अगर वर्षा हो जाये तो सिंचाई कम भी कर सकते है । कृषि वैज्ञानिको के मुताबिक जब तेज हवा चलने लगे तब सिंचाई को कुछ समय तक रोक देना चाहिए । कृषि वैज्ञानिको का ये भी कहना है की खेत में 12 घंटे से ज्यादा देर तक पानी जमा नहीं रहने देना चाहिए ।
गेहूँ की खेती में पहली सिंचाई बुआई के लगभग 25 दिन बाद करनी चाहिए । दूसरी सिंचाई लगभग 60 दिन बाद और तीसरी सिंचाई लगभग 80 दिन बाद करनी चाहिए ।

खरपतवार:-

गेहूँ की खेती में खरपरवार के कारण उपज में 10 से 40 प्रतिशत कमी आ जाती है । इसलिए इसका नियंत्रण बहुत ही जरूरी होता है । बीज बुआई के 30 से 35 दिन बाद तक खरपतवार को साफ़ करते रहना चाहिए । गेहूँ की खेती में दो तरह के खरपतवार होते है पहला सकड़ी पत्ते वाला खरपतवार जो की गेहूँ के पौधे की तरह हीं दिखता है और दूसरा चौड़ी पत्ते वाला खरपतवार ।
इसके नियंत्रण हेतु 2 -4 डी का छिड़काव करे।

खड़ी फसल की देखभाल;-

कृषि वैज्ञानिको का कहना है की गेहूँ का गिरना यानी फसल के उत्पादन में कमी आना । इसलिए किसानों को खड़ी फसल का खास ख्याल रखना चाहिए और हमेशा सही समय पर फफूंदी नाशक दवा का इस्तेमाल करते रहना चाहिए और खरपतवार का नियंत्रण करते रहना चाहिए ।

फसल की कटाई :-

गेहूँ का फसल लगभग 125 से 130 दिनों में पक कर तैयार हो जाता है। फसल पकने के बाद सुबह सुबह फसल की कटनी करना चाहिए फिर उसका थ्रेसिंग करना चाहिए । थ्रेसिंग के बाद उसको सुखा लें । जब बीज पर 10 से 12 % नमी हो तभी इसका भंडारण करनी चाहिए ।

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गेहूं में लगने वाले कीट एवं नियंत्रण के उपाय क्या है इसके बारे में विस्तार से यहाँ जानेंगे। गेहूं में रोग नियंत्रण के बारे में पिछले पोस्ट में बताया है उसे भी जरूर पढ़ें। रबी फसल में गेंहू की खेती अधिकांश जगहों में किया जाता है। खरीफ फसल जैसे – धान की खेती के बाद गेंहू की खेती किया जाता है। अगर उन्नत तरीके से खेती किया जाय तब अधिक से अधिक पैदावार लिया जा सकता है। लेकिन गेंहू की पैदावार को कीट बहुत अधिक प्रभावित करते है। अगर समय रहते कीट नियंत्रण के उपाय नहीं किये जाते है, तब ये फसलों को बर्बाद कर सकते है। हमारे अधिकांश किसान भाई इन कीटों से सावधान नहीं रहते और इसके नियंत्रण के पर्याप्त उपाय नहीं जानते है, तब ऐसी स्थिति में फसल को काफी नुकसान होता है।

गेंहू की फसल में प्रमुख रूप से कौन कौन से कीट लगते है और इसके नियंत्रण के उपाय क्या क्या है इसके बारे में यहाँ विस्तार से जानेंगे। अगर आप गेंहू की खेती कर रहे है तब आपको यहाँ बताये गए कीट नियंत्रण की जानकारी को अवश्य पढ़ना चाहिए। ये हमारे सभी किसान भाइयों के लिए काफी उपयोगी है।

गेहूं में कौन सी दवा डालना चाहिए - gehoon mein kaun see dava daalana chaahie

गेहूं में लगने वाले प्रमुख कीट का नाम

  1. दीमक – यह एक सामाजिक कीट है तथा कालोनी बनाकर रहते है। एक कालोनी में लगभग 90 प्रतिशत श्रमिक, 2-3 प्रतिशत सैनिक, एक रानी व एक राजा होते है। श्रमिक पीलापन लिये हुए सफेद रंग के पंखहीन होते है, जो फसलों को क्षति पहुंचाते है।
  2. गुजिया वीविल – यह कीट भूरे मटमैले रंग का होता है जो सूखी जमीन में ढेले एवं दरारों में रहता है। यह कीट उग रहे पौधों को जमीन की सतह काट कर हानि पहुँचता है।
  3. माहूँ – हरे रंग के शिशु एवं प्रौढ़ माहूँ पत्तियों एवं हरी बालियों से रस चूस कर हानि पहुंचाते है। माहूँ मधुश्राव करते है जिस पर काली फफूँद उग आती है जिससे प्रकाश संश्लेषण में बाधा उत्पन्न होती है।

गेहूं में लगने वाले कीटों का नियंत्रण के उपाय

गेंहू की फसल जब थोड़ा बड़ा होता है तब इसमें कीट लगने की परेशानी आ सकती है। किसान भाई अपने खेत का अच्छे से मुआयना करें। अगर ऊपर बताये गए कीट के लक्षण नजर आते है तब इसके नियंत्रण के लिए ये उपाय करें –

  1. बुआई से पूर्व दीमक के नियंत्रण हेतु क्लोरोपाइरीफास 20 प्रतिशत ई.सी. अथवा थायोमेथाक्साम 30 प्रतिशत एफ.एस. की 3 मिली० मात्रा प्रति किग्रा० बीज की दर से बीज को शोधित करना चाहिए।
  2. ब्यूवेरिया बैसियाना 1.15 प्रतिशत बायोपेस्टीसाइड (जैव कीटनाशी) की 2.5 किग्रा० प्रति हे0 60-70 किग्रा०गोबर की खाद में मिलाकर हल्के पानी का छिंटा देकर 8-10 दिन तक छाया में रखने के उपरान्त बुआई के पूर्व आखिरी जुताई पर भूमि में मिला देने से दीमक सहित भूमि जनित कीटों का नियंत्रण हो जाता है।
  3. खड़ी फसल में दीमक/गुजिया के नियंत्रण हेतु क्लोरोपायरीफास 20 प्रतिशत ई.सी. 2.5 ली० प्रति हे0 की दर से सिंचाई के पानी के साथ प्रयोग करना चाहिए।
  4. माहूँ कीट के नियंत्रण हेतु डाइमेथोएट 30 प्रतिशत ई.सी. अथवा मिथाइल-ओ-डेमेटान 25 प्रतिशत ई.सी. की 1.0 ली० मात्रा अथवा थायोमेथाक्साम 25 प्रतिशत डब्लू.जी. 500 ग्राम प्रति हे0 लगभग 750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। एजाडिरेक्टिन (नीम आयल) 0.15 प्रतिशत ई.सी. 2.5 ली० प्रति हेक्टेयर की दर से भी प्रयोग किया जा सकता है।

सारांश : गेहूं में लगने वाले कीट एवं इनके नियंत्रण के उपाय क्या है, इसके बारे में विस्तार से यहाँ बताया है। उम्मीद है गेंहू की फसल कर रहे हमारे किसान भाइयों के लिए ये जानकारी उपयोगी रही होगी। अगर कीट नियंत्रण से सम्बंधित आपके मन में अन्य कोई सवाल हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में हमसे पूछ सकते है। हम बहुत जल्दी आपको रिप्लाई करेंगे।

ये जानकारी हमारे सभी किसान भाइयों के लिए उपयोगी है, इसलिए इसे सोशल मीडिया जैसे व्हाट्सएप्प और फेसबुक में शेयर कर सकते है। उन्नत वैज्ञानिक खेती की जानकारी के लिए हमारे वेबसाइट achchikheti.com से जुड़े रहें। धन्यवाद ! जय जवान – जय किसान !

गेहूं में कौन सा कीटनाशक डालें?

ग्राम प्रति लीटर प्रति हेक्टेयर मेनकोजेब का छिड़काव करें। या 1.5 ग्राम प्रति लीटर कार्बाडिजिम का छिड़काव करें।

गेहूं में सबसे अच्छा टॉनिक कौन सा है?

किसान समय पर फसल की हल्की सिचाई करें। पहली सिचाई बिजाई के 21 दिन बाद, दूसरी 45 दिन बाद व तीसरी सिचाई 65 दिन बात करें। पोषक तत्वों की कमी के कारण यदि फसल पर पीलापन है तो जिक या यूरिया का छिड़काव कर दें।

गेहूं के कीड़े कैसे खत्म करें?

आप चाहें तो साबुत नमक डालकर भी रख सकते हैं. अगर गेहूं हैं तो उनमें नमक के टुकड़ों को कॉटन के कपड़े में बांधकर गेहूं में नीचे लगा दें. सूजी में लौंग डालने से कीड़े नहीं लगेंगे- सूजी को कीड़ों से बचाने के लिए उसे सूखा हल्का भून लें. इसके अलावा आप चाहें तो सूजी में 8 से 10 लौंग डालकर रख दें.

गेहूं खराब ना हो इसके लिए क्या करें?

आप इसके अलावा 7-8 करी पत्ते भी डालकर रख सकते हैं। साथ ही आटे के पैकेट को हमेशा अच्छी तरह बंद करके रखें।