गलता लोहा कहानी का नायक कौन है? - galata loha kahaanee ka naayak kaun hai?

कथा-वार्ता की नवीनतम प्रस्तुति- शेखर जोशी की कहानी- गलता लोहा।

गलता लोहा- शेखर जोशी की कहानी

                शेखर जोशी (जन्म- १९३२ ई०, अल्मोड़ा) नयी कहानी के प्रमुख लेखक हैं। उनकी कहानियों के संग्रह हैं- कोसी का घटवार’, ‘साथ के लोग’,  हलवाहा’, ‘नौरंगी बीमार है,’ ‘मेरा पहाड़’, ‘डागरी वाले’, ‘दस बच्चे का सपना’, ‘आदमी का डर’, ‘शब्दचित्र।  एक पेड़ की यादऔर स्मृति में रहें वेउनके संस्मरण हैं।  न रोको उन्हें शुभा शीर्षक से उनकी कविताओं का एक संग्रह २०१२ ई० में प्रकाशित हुआ है। शेखर जोशी को महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार, साहित्य भूषण और पहल सम्मान मिल चुका है।

          शेखर जोशी नयी कहानी के प्रमुख हस्ताक्षर हैं। उनकी कहानियों में मजदूर जीवन और पहाड़ का परिवेश बहुत बहुत अनूठे तरीके से अभिव्यक्त हुआ है। गलता लोहा, वास्तव में एक राजनीतिक चेतना सम्पन्न कहानी है, जिसमें आफ़र पर लोहा नहीं गल रहा, वर्ण व्यवस्था की कठोरता पिघल रही है और नया आकार ले रही है। यह कहानी शिक्षा और समाज व्यवस्था का बहुत मार्मिक चित्र भी हमारे सामने प्रस्तुत करती है।

          आगामी वीडियो में हम इस कहानी का आलोचनात्मक पाठ प्रस्तुत करेंगे। अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी तो टिप्पणी करें और अपने प्रश्न तथा सुझाव से अवगत कराएं।

          वाचन स्वर है- डॉ रमाकान्त राय का।       

galta loha class 11 mcq

प्रश्न-1. ब्राह्मण टोले के लोग शिल्पकार टोले में बैठना नहीं चाहते क्योंकि-

(अ) वे उन्हें श्रेष्ठ समझते हैं 

(ब) वे शिल्पकारों को नीचा समझते हैं

(स) वे उन्हें गरीब समझते हैं 

(द) वे उन्हें मूर्ख समझते हैं

प्रश्न-2. 'साँप सूंघ जाना' का अर्थ है-

(अ) साँप का काटना 

(ब) साँप का चाटना

(स) चुप हो जाना 

(द) खो जाना

प्रश्न-3. कहानी में गोपाल सिंह कौन है?

(अ) दुकानदार 

(ब) सब्जीवाला 

(स) गीतकार 

(द) अध्यापक

प्रश्न-4. 'गलता लोहा' पाठ के लेखक हैं ?

(अ) शेखर गुप्ता 

(ब) शेखर जोशी 

(स) नीरज गुप्ता 

(द) नीरज जोशी

प्रश्न-5. शेखर जी का जन्म कब और कहाँ हुआ ?

(अ) सन् 1938, आगरा में 

(ब) सन् 1932, अल्मोड़ा में

(स) सन् 1933, बिहार में 

(द) सन् 1930, मथुरा में

प्रश्न-6. शेखर जी को निम्न से कौनसा सम्मान मिला है ?

(अ) दादा साहब फाल्के 

(ब) मैग्सेसे सम्मान 

(स) मीरा सम्मान 

(द) पहल सम्मान

प्रश्न-7. शेखर जोशी जी मूल रूप से हैं -

(अ) कहानीकार 

(ब) उपन्यासकार 

(स) निबंधकार 

(द) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न-8. गलत लोहा कहानी में किस पर टिप्पणी की गई है ?

(अ) समाज के जातिगत विभाजन पर 

(ब) शिक्षा की उपलब्धता पर

(स) बेरोजगारी पर 

(द) गुलाम जीवन पर

प्रश्न-9. मोहन किस परिवार से संबंध रखता है ?

(अ) गरीब लोहार परिवार से 

(ब) अमीर लोहार परिवार से

(स) गरीब ब्राह्मण परिवार से 

(द) अमीर ब्राह्मण परिवार से

प्रश्न-10. मोहन पढ़ने में कैसा छात्र है ?

(अ) औसत 

(ब) मंद 

(स) मेधावी 

(द) इममें से कोई नहीं

प्रश्न-11. धनराम कहाँ रहता था ?

(अ) स्वर्णकार टोले में 

(ब) शिल्पकार टोले में

(स) ब्राह्मण टोले में 

(द) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न-12. ‘अनुगूँज’ का अर्थ होता है-

(अ) टकराकर लौटने वाली आवाज़ 

(ब) मीठी आवाज़

(स) तेज आवाज़ 

(द) पुकारने की आवाज़

प्रश्न-13. धप्-धप् की आवाज़ किस से होती थी ?

(अ) गर्म लोहे पर हथौड़े के पड़ने से 

(ब) ठंडे लोहे पर हथौड़े के पड़ने से

(स) गोल लोहे पर हथौड़े के पड़ने से 

(द) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न-14. मोहन के पिता का क्या नाम है?

(अ) गंगाधर 

(ब) वंशीधर 

(स) गिरिधर 

(द) धाराधर

प्रश्न-15. मोहन किस कार्य से घर से हँसुवे को लेकर निकला था ?

(अ) लकड़ी काटने 

(ब) काँटेदार झाड़ियों को काटने

(स) पशुओं के लिए घास काटने 

(द) जानवरों को काटने के लिए

प्रश्न-16. मोहन के पिता घर का खर्च कैसे चलाते थे ?

(अ) पटवारीगिरी करके (ब) यजमानी करके (स) पुरोहिताई करके (द) नौकरी करके

प्रश्न-17. मोहन के पिता थे -

(अ) बूढ़े (ब) जर्जर शरीर वाले (स) संयमी (द) उपर्युक्त सभी

प्रश्न-18. मोहन के पिता वंशीधर जी रुद्रीपाठ करने में असमर्थता क्यों व्यक्त करते हैं ?

(अ) बीमार होने के कारण (ब) व्रत होने के कारण

(स) दो मील की चढ़ाई के कारण (द) पानी भर जाने के कारण

प्रश्न-19. हँसुवे की धार कैसी हो गई थी ?

(अ) तेज (ब) कुंद (स) मजबूत (द) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न-20. धनराम क्या काम करता था ?

(अ) लोहार था (ब) शिक्षक था (स) पुरोहित था (द) सब्जी बेचता था

प्रश्न-21. मोहन के शिक्षक का का नाम क्या था ?

(अ) मास्टर शिव सिंह 

(ब) मास्टर देवीलाल 

(स) मास्टर त्रिलोक सिंह 

(द) मास्टर गिर्राज सिंह

प्रश्न-22. धनराम मास्टर जी की किस चीज़ से डरता था ?

(अ) आवाज़ से 

(ब) पढ़ाने से 

(स) छड़ी से 

(द) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न-23. शैतानी करते हुए बच्चों को साँप क्यों सूंघ जाता था ?

(अ) मोहन को देखकर 

(ब) साँप देखकर

(स) त्रिलोक सिंह को देखकर 

(द) मोहन के पिता को देखकर

प्रश्न-24. ‘प्रार्थना कर ली तुम लोगों ने’ यह कथन किसका है ?

(अ) मोहन का 

(ब) त्रिलोक सिंह का 

(स) धनराम का 

(द) मोहन के दोस्त का

प्रश्न-25. त्रिलोक सिंह का प्रिय शिष्य कौन था ?

(अ) धनराम 

(ब) सोहन 

(स) गोपाल 

(द) मोहन

प्रश्न-26. मोहन पढाई के साथ-साथ और किसमें अच्छा था ?

(अ) गायन में 

(ब) खेलने में 

(स) तैरने में 

(द) छलांग लगाने में

प्रश्न-27. विद्यालय में कौनसी प्रार्थना होती थी ?

(अ) इतनी शक्ति हमें देना दाता 

(ब) दया कर दान भक्ति का

(स) हे प्रभो आनंददाता! 

(द) ये सभी

प्रश्न-28. फिसड्डी बालक को दंड कौन देता था?

(अ) त्रिलोक सिंह 

(ब) मोहन 

(स) गोपालदास 

(द) धनराम

प्रश्न-29. धनराम के मन में मोहन के प्रति स्नेह और आदर का भाव क्यों रहा होगा ?

(अ) उसका मित्र होने के करण 

(ब) बचपन में मन में बिठाई जातिगत हीनता के कारण

(स) मोहन के अमीर होने के कारण 

(द) उसका भाई होने के कारण

प्रश्न-30. धनराम कहाँ तक पढ़ सका था ?

(अ) तीसरी तक 

(ब) पांचवी तक 

(स) आठवीं तक 

(द) दसवीं तक

प्रश्न-31. मास्टर त्रिलोक सिंह धनराम को क्या कहकर पुकारते थे ?

(अ) धनराम 

(ब) बेटा 

(स) धनुवाँ 

(द) धनी

प्रश्न-32. मास्टर त्रिलोक सिंह ने धनराम से कितने का पहाड़ा सुनाने को कहा?

(अ) बारह का 

(ब) तेरह का 

(स) चौदह का 

(द) सत्रह का 

प्रश्न-33. मास्टर त्रिलोक सिंह का सामान्य नियम क्या था ?

(अ) सभी से प्रार्थना करवाना 

(ब) सभी को इनाम देना

(स) सजा पानेवाला स्वयं सजा का हथियार चुने 

(द) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न-34. धनराम द्वारा दूसरी बार भी पहाड़ा न सुनाने पर मास्टर जी ने क्या काम उसको दिया ?

(अ) दराँतियों पर धार लगाने का 

(ब) झाड़ू लगाने का

(स) मुर्गा बनने का 

(द) प्रार्थना याद करने का

प्रश्न-35. धनराम के पिता का नाम क्या था ?

(अ) सोनाराम 

(ब) मोतीराम 

(स) गंगाराम 

(द) मोहनराम

प्रश्न-36. मास्टर त्रिलोक सिंह ने क्या भविष्यवाणी की थी ?

(अ) बड़ा आदमी बनकर मोहन स्कूल का नाम रोशन करेगा |

(ब) बड़ा आदमी बनकर धनराम स्कूल का नाम रोशन करेगा |

(स) पंडित बनकर मोहन स्कूल का नाम रोशन करेगा |

(द) मशीन बनाकर धनराम स्कूल का नाम रोशन करेगा |

प्रश्न-37. मोहन ने ऐसा क्या किया जिससे मास्टर त्रिलोक सिंह की भविष्यवाणी सही सिद्ध होती सी प्रतीत हुई ?

(अ) बड़े कॉलेज की परीक्षा पास की 

(ब) छात्रवृत्ति प्राप्त की

(स) प्रशासनिक परीक्षा पास की 

(द) शहर के स्कूल में प्रथम आया

प्रश्न-38. वंशीधर तिवारी की क्या इच्छा थी ?

(अ) उसको और यजमान मिलें 

(ब) मोहन गाँव में ही रहे

(स) मोहन पढ़कर उनकी गरीबी मिटा दे 

(द) मोहन पुरोहताई का कार्य करे

प्रश्न-39. आगे की पढाई के लिए स्कूल कहाँ था ?

(अ) गाँव में ही 

(ब) गाँव से चार मील दूर 

(स) गाँव से बीस मील दूर 

(द) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न-40. थके मोहन को वंशीधर कैसे उत्साहित करते थे ?

(अ) अच्छा खाना देकर 

(ब) उसको खेलने का कहकर

(स) विद्याव्यसनी बालकों का उदाहरण देकर 

(द) उसको दूध पिलाकर

प्रश्न-41. रमेश कौन था ?

(अ) एक शिक्षक 

(ब) बिरादरी का युवक 

(स) मोहन का दोस्त 

(द) मोहन का मामा

प्रश्न-42. रमेश कहाँ रहता था ?

(अ) दिल्ली में (ब) लखनऊ में (स) इलाहाबाद में (द) मेरठ में

प्रश्न-43. वंशीधर तिवारी ने मोहन को रमेश के साथ क्यों भेजा था ?

(अ) नौकरी के लिए (ब) पढ़ने के लिए 

(स) इलाज के लिए (द) रमेश की मदद करने के लिए

प्रश्न-44. रमेश के घर की दो महिलाओं को मोहन क्या कहता था ?

(अ) ताई और भाभी (ब) चाची और भाभी 

(स) मामी और मौसी (द) चाची और ताई

प्रश्न-45. रमेश मोहन को कैसे रखता था ?

(अ) भाई की तरह (ब) दोस्त की तरह 

(स) भतीजे की तरह (द) नौकर की तरह

प्रश्न-46. मोहन शहर के स्कूली जीवन में अपनी पहचान क्यों नहीं बना पाया ?

(अ) नए वातावरण एवं काम के बोझ के कारण 

(ब) पढ़ने में कमजोर होने के कारण

(स) अध्यापकों के भेदभाव के कारण 

(द) उपर्युक्त सभी कारण से

प्रश्न-47. मोहन ने अपनी परिस्थितियों से समझौता क्यों कर लिया था ?

(अ) क्योंकि वह समझदार था 

(ब) क्योंकि परिजनों को दुखी देखना चाहता था

(स) परिजनों को दुखी नहीं करना चाहता था 

(द) मोहन बड़ा आदमी बनना चाहता था

प्रश्न-48. क्या बहाना करके मोहन को गर्मी की छुट्टियों में गाँव नहीं जाने दिया जाता था ?

(अ) रमेश की तबियत ख़राब होने का 

(ब) उसकी तबियत ख़राब होने का

(स) अगले दरजे की तैयारी का 

(द) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न-49. आठवीं के बाद रमेश ने मोहन का दाख़िला कहाँ करवा दिया था ?

(अ) कॉलेज में (ब) तकनीकी स्कूल में 

(स) एन.सी.सी. में (द) लॉ कॉलेज में

प्रश्न-50. मोहन अपने पैरों पर खड़े होने के लिए क्या करने लगा ?

(अ) कारखानों के चक्कर लगाने लगा 

(ब) फैक्टरियों के चक्कर लगाने लगा

(स) कारखानों और फैक्टरियों के चक्कर लगाने लगा 

(द) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न-51. मोहन के पिता को क्या विश्वास था ?

(अ) कि उसकी तबीयत ठीक हो जाएगी 

(ब) मोहन बड़ा कारीगर बन जाएगा

(स) मोहन बड़ा अफ़सर बनकर आएगा 

(द) मोहन शिक्षक बन जाएगा

प्रश्न-52. धनराम द्वारा मोहन के विषय में पूछने पर वंशीधर ने क्या उत्तर दिया ?

(अ) मोहन व्यापारी बन गया है 

(ब) मोहन की सेक्रेटेरियट में नौकरी लग गई है

(स) वह कॉलेज में पढ़ रहा है 

(द) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न-53. धनराम को किस पर पूरा यकीन था?

(अ) वंशीधर की बात पर 

(ब) मोहन की मेहनत पर

(स) स्वयं पर 

(द) त्रिलोक सिंह की भविष्यवाणी पर

प्रश्न-54. वंशीधर जी ने दाँतों में तिनका क्यों लिया था ?

(अ) ताकि उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाए 

(ब) ताकि मोहन साहब बन जाए

(स) ताकि असत्य भाषण का दोष न लगे 

(द) उपर्युक्त सभी

प्रश्न-55. ‘बेचारे पंडित जी को तो फ़ुर्सत नहीं रहती लेकिन किसी के हाथ भिजवा देते तो मैं तत्काल बना देता’ यह कथन किसका है ?

(अ) मोहन का (ब) रमेश का 

(स) धनराम का (द) त्रिलोक सिंह का

प्रश्न- 56. ब्राह्मण टोले के लोगों को किसके लिए कहना उनकी मर्यादा के विरुद्ध समझा जाता था ?

(अ) बैठने के लिए (ब) खड़े होने के लिए 

(स) पढ़ने के लिए (द) दौड़ने के लिए

प्रश्न-57. मोहन का कौनसा व्यवहार धनराम को हैरान कर रहा था ?

(अ) उसका धनराम से बात करना 

(ब) धनराम के पास बैठे रहना

(स) बिना बोले चला जाना 

(द) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न-58. लोहे की मोटी छड़ को धनराम किस आकार में मोड़ने का प्रयास कर रहा था ?

(अ) वर्गाकार (ब) त्रिभुजाकार 

(स) आयताकार (द) गोलाकार

प्रश्न-59. धनराम को मोहन के द्वारा लोहे को गोलाकार देने के कार्य पर ज्यादा आश्चर्य क्यों हुआ ?

(अ) क्योंकि वह अफ़सर था 

(ब) क्योंकि वह पुरोहित खानदान से था

(स) वह एक पढ़ाकू लड़का था 

(द) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न-60. मोहन की आँखों में किस की चमक थी ?

(अ) विजेता की चमक (ब) चालाकी भरी चमक 

(स) सर्जक की चमक (द) आश्चर्य भरी चमक

उत्तर- माला

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Galta Loha Class 11mcq

 शेखर जोशी जी


शेखर जोशी जी का जन्म कहाँ हुआ था- 

अल्मोड़ा , उत्तराखंड

“गलता लोहा” कहानी हमारे समाज में फैली किस व्यवस्था को उजागर करती है – 

जातिगत विभाजन


“गलता लोहा” कहानी के अनुसार , उस समय ब्राह्मण वर्ग के लोगों के साथ किस वर्ग के लोगों का उठना – बैठना मर्यादा के विरुद्ध माना जाता था –

 शिल्पकार वर्ग के लोगों का


“गलता लोहा” कहानी का नायक कौन हैं – 

 एक गरीब ब्राह्मण बालक मोहन


मोहन कैसी बुद्धि का बालक था – 

कुशाग्र बुद्धि का


“गलता लोहा” कहानी के अनुसार , मोहन के पिता बंशीधर क्या काम करते थे – 

पण्डितगिरि या पुरोहिताई का काम


वंशीधर ने कहां जाकर अपने यजमान चंद्रदत्त जी के लिए रुद्री पाठ करना था – 

गणनाथ


गणनाथ की कितने मील की सीधी चढ़ाई अब बंशीधर के बूते की बात नहीं थी – 

2 मील


वंशीधर ने अपनी मुसीबत किसे और क्यों बताई – 

मोहन को बताई ताकि वो उनके पूजा – पाठ व अनुष्ठान के काम में थोड़ा हाथ बंटा सके।


बंशीधर , मोहन से क्या उम्मीद कर रहे थे – 

 शायद वह जाकर चंद्रदत्त जी के यहां रुद्रीपाठ कर आये।


मोहन चंद्रदत्त जी के यहाँ रुद्री पाठ करने क्यों नही गया – 

क्योंकि उसे पूजा पाठ व अनुष्ठान करने का कोई अनुभव नहीं था।


मोहन घर से क्या लेकर खेत की तरफ निकल गया – 

 हंसुवा


मोहन हंसुवा लेकर घर से खेत की तरफ किस उद्देश्य से निकला था – 

खेत में उगी झाड़ियों को काटने के लिए


हंसुवा किसे कहते हैं – 

घास काटने की दराँती या औजार


मोहन के पैर अनायास ही किस टोले की ओर मुड़ गए – 

शिल्पकार


दराँती में धार लगाने के उद्देश्य से मोहन कहाँ गया – 

 अपने स्कूल के दोस्त धनराम के आफर में


आफर क्या होता हैं – 

वह जगह जहां पर आग की भट्टी में लोहे को गला कर उससे अनेक तरह के लोहे के बर्तन या औजार बनाए जाते है| (लोहे के औजार या बर्तन बनाने की जगह को आफर कहा जाता है।)


धनराम के पिता का क्या नाम था – 

गंगाराम


धनराम क्या काम करता था – 

लोहार का


धनराम का संबंध किस जाति से था – 

लोहार


धनराम किस कक्षा तक पढ़ पाया था – 

तीसरे दर्जे तक


मोहन और धनराम के प्रारंभिक विद्यालय के टीचर का क्या नाम था – 

 मास्टर त्रिलोक सिंह


स्कूल में धनराम से मास्टर जी ने किसका पहाड़ा सुनाने को कहा – 

तेरह (Table of 13) का


“जुबान की चाबुक” का क्या अर्थ हैं – 

कड़वे वचन बोलना


स्कूल के मास्टर त्रिलोक सिंह ने धनराम पर जुबानी चाबुक क्यों चलाई – 

तेरह (Table of 13) का पहाड़ा याद न करने के कारण


“तेरे दिमाग में तो लोहा भरा हैं रे “, यह किसने किससे कहा – 

मास्टर त्रिलोक सिंह ने धनराम से कहा


स्कूल में मास्टर त्रिलोक सिंह का सबसे चहेता शिष्य कौन था –

मोहन


मास्टर जी स्कूल में बच्चों को डंडे मारने व कान खिंचने की सजा देने का काम किससे करवाते थे –

मोहन से


मास्टर त्रिलोक सिंह की किस बात से सभी छात्र डरते थे – 

छड़ी की मार से


मास्टर जी की आवाज कैसी थी – 

कड़क


स्कूल का क्या नियम था – 

जो मार खाता था उसको अपने लिए खुद ही डंडा लाना पड़ता था।


मोहन ने मास्टर त्रिलोक सिंह की कौन सी भविष्यवाणी को सिद्ध कर दिखाया था – 

छात्रवृत्ति प्राप्त करने की


पढाई में कमजोर होने के कारण धीरे – धीरे धनराम ने कौन सा काम सीखाना शुरू कर दिया – 

अपना पुश्तैनी लोहार का काम

मोहन को स्कूल जाने के लिए बरसात में क्या पार करना पड़ता था – 

नदी


मोहन ने कहां तक की पढ़ाई की थी – 

आठवीं तक


मोहन के पिता ने उसे आगे की पढ़ाई के लिए कहां भेज दिया – 

लखनऊ


मोहन के पिता , मोहन को क्यों पढ़ाना चाहते थे – 

क्योंकि वह कुशाग्र बुद्धि बालक था , वो अपने पुरोहिताई के काम से संतुष्ट नहीं थे और अपनी गरीबी से छुटकारा पाना चाहते थे।


मोहन के पिता ने उसे आगे की पढ़ाई के लिए किसके साथ लखनऊ भेजा – 

रमेश के साथ


रमेश किस शहर में नौकरी करता था – 

लखनऊ


आठवीं कक्षा की पढ़ाई के बाद , मोहन को किस स्कूल में भर्ती कराया गया – 

तकनीकी स्कूल में


मोहन ने तकनीकी स्कूल में कितने वर्ष तक पढ़ाई की – 

डेढ़ वर्ष


रमेश मोहन को क्या समझता था – 

अपना घरेलू नौकर


लखनऊ में मोहन का अधिकतर समय कैसे बीतता था – 

घरेलू कार्य करते हुए


गर्मियों की छुट्टियों में मोहन अपने घर क्यों नहीं जा पाता था – 

घरेलू कार्य करने के कारण


मोहन अपने पिता को अपनी वास्तविकता नहीं बताना चाहता था – 

क्योंकि वह अपने पिता को दुख नहीं पहुंचाना चाहता था


मोहन के पिता वंशीधर ने धनराम से क्या झूठ बोला था – 

मोहन की नियुक्ति सेक्रेटेरियल (सचिवालय) में हो गई है।


ब्राह्मण टोले के लोग , शिल्पकार टोले के साथ उठना – बैठना नहीं चाहते थे – 

क्योंकि वह शिल्पकार टोले को नीचा समझते थे।


जब मोहन , धनराम के आफर में पहुंचा तो उस समय धनराम क्या कर रहा था – 

धनराम अपने ऑफर में लोहे के औजार बनाने में व्यस्त था।


मोहन ने धनराम के आफर में अपना संकोच त्याग कर क्या काम किया – 

धनराम के हाथ से लोहे की छड़ी लेकर उसे एक गोल छल्ले का आकार देने लगा


मोहन ने लोहे की कारीगरी कहाँ से सीखी थी – 

 तकनीकी स्कूल से


पुरोहित खानदान के लड़के ने धनराम की लोहे की भट्टी में बैठकर बड़ी ही कुशलता पूर्वक क्या कार्य किया – 

लोहे की छड़ी को गोल आकार दिया या लोहार का कार्य किया


धनराम क्या देखकर आश्चर्य चकित रह गया –

 मोहन को लोहार का कार्य करते हुए


लोहे की छड़ी को गोल आकार देने के बाद मोहन की आंखों में कैसी चमक थी – 

सर्जक की


“गलता लोहा” कहानी में , गोपाल सिंह कौन है – 

एक दुकानदार

जय हिन्द : जय हिंदी 

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गलता लोहा कहानी का मुख्य पात्र कौन है?

(ग) यह कार्य कहानी का प्रमुख पात्र मोहन करता है जो एक ब्राह्मण का पुत्र है। वह अपने बालसखा धनराम को अपनी सुघड़ता का परिचय देता है। अपनी कुशलता दिखाता है। मोहन का व्यक्तित्व जातिगत आधार पर निर्मित नहीं वरन् मेहनतकश और सच्चे भाई-चारे की प्रस्तावना करता प्रतीत होता है।

गलता लोहा शीर्षक कहानी के लेखक कौन है?

गलता लोहा” शेखर जोशी द्वारा लिखित एक ऐसी कहानी है जिसमें आधुनिक जीवन के यथार्थ का मार्मिक चित्रण है। यहाँ लेखक ने जातीय अभियान को पिघलते और उसे रचनात्मक कार्य में ढलते दिखाया है।

धनराम कौन था?

धनराम लुहार जाति का था। वह लोहे की अनेक वस्तुएँ बनाया करता था। यह उसका पैतृक पेशा था। मोहन उसके बचपन का मित्र और सहपाठी था, जिसे लोहे के छल्ले बनाते हुए देखकर धनराम अपने मित्र के सामने वह संकोच, असमंजस और धर्म-संकट महसूस कर रहा था

मोहन के पिता का नाम क्या था?

मोहन के पिता वंशीधर ने जीवनभर पुरोहिती की। अब वृद्धावस्था में उनसे कठिन श्रम व व्रत-उपवास नहीं होता। उन्हें चंद्रदत्त के यहाँ रुद्री पाठ करने जाना था, परंतु जाने की तबियत नहीं है।