समुदाय का अर्थ, प्रकार, प्रकृति एवं विशेषताएं Show
इस प्रकार समुदाय का अर्थ एक साथ मिलकर सेवा करना है। अन्य शब्दों में हम कह सकते हैं कि व्यक्तियों का ऐसा समूह जिसमें परस्पर मिलकर रहने की भावना होती है तथा परस्पर सहयोग द्वारा अपने अधिकारों का उपयोग करता है, समुदाय कहलाता है। प्रत्येक समुदाय के सदस्य में मनोवैज्ञानिक लगाव तथा हम की भावना पार्इ जाती है समुदाय के अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने के लिए विभिन्न विद्वानों की परिभाषायें प्रस्तुत की जा रही हैं-
समुदाय की प्रकृति एवं विशेषताएं[संपादित करें]समुदाय की उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर उसकी कुछ मुल विशेषताऐं बतार्इ जा सकती हैं जो हैं:-
समुदाय के प्रकार[संपादित करें]समुदाय के दो प्रकार बताये गये हैं :-
(1) ग्रामीण समुदाय-[संपादित करें]प्रारम्भिक काल से ही मानव जीवन का निवास स्थान ग्रामीण समुदाय रहा है। धीरे-धीरे एक ऐसा समय आया जब हमारी ग्रामीण जनसंख्या चरमोत्कर्श पर पहॅुच गयी। आज औधोगीककरण, शहरीकरण का प्रभाव मानव को शहर की तरफ प्रोत्साहित तो कर रहा है लेकिन आज भी शहरीय दूषित वातावरण से प्रभावित लोग ग्रामीण पवित्रता एवं शुद्धता को देख ग्रामीण समुदाय में बसने के लिये प्रोत्साहित हो रहा है। आज ग्रामीण समुदाय के बदलते परिवेष में ग्रामीण समुदाय को परिभाशित करना कठिन है । ग्रामीण समुदाय की विशेषतायें -[संपादित करें]ग्रामीण समुदाय की कुछ ऐसी विशेषतायें होती हैं। जो अन्य समुदाय में नहीं पार्इ जाती है ग्रामीण समदु ाय में पाये जाने वाला प्रतिमान एक विशेष प्रकार का होता है। जो आज भी कुछ सीमा तक नगर सुमदाय से भिन्न है ग्रामीण सुमदाय की विशेषताओं में प्रमुख हैं। 1. कृषि व्यवसाय, 2. प्राकृतिक निकटता, 3. जातिवाद एंव धर्म का अधिक महत्व, 4. सरल और सादा जीवन, 5. संयुक्त परिवार, 6. सामाजिक जीवन मे समीपता, 7. सामुदायिक भावना, 8. स्त्रियों की निम्न स्थिति, 9. धर्म एवं परम्परागत बातों में अधिक विश्वास, 10. भाग्यवादिता एवं अशिक्षा का बाहुल्य !
(2) नगरीय समुदाय-[संपादित करें]नगर के विकास के इतिहास से पता चलता है कि कुछ नगर तो नियोजित ढंग से बसाये गये हैे लेकिन कुछ ग्रामीण समुदाय के आकार के बढ़ने से नगर का रुप धारण कर गये हैं। नगरीय समुदाय का अर्थ-नगरीय शब्द नगर से बना है जिसका अर्थ नगरों से सम्बन्धित है। जैसे शहरी समुदाय को एक सूत्र में बांधना अत्यन्त कठिन है। यधपि हम नगरीय समुदाय को देखते हैं, वहां के विचारों से पूर्ण अवगत हैं लकिन उसे परिभाशित करना आसान नहीं है। नगरीय समुदाय की विशेषतायें -[संपादित करें]विभिन्न विद्वानों द्वारा व्यक्त परिभाषाओं के अतिरिक्त नगरीय समुदाय को स्पष्ट करने के लिये आवश्यक है कि इसकी कुछ प्रमुख विशेषताओं की चर्चा की जाये जिससे सम्बन्धित प्रत्येक पक्ष सामने आकर नगरीय समुदाय को चित्रित कर सके। इसकी कुछ प्रमुख विशेषतायें हैं।
ग्रामीण समुदाय की प्रमुख विशेषताएं क्या है?ग्रामीण समाज की सबसे मुख्य विशेषता कृषि है ग्रामीण समाज की अर्थव्यवस्था कृषि पर ही टिकी है। हांलाकि गांव मे अन्य व्यवसाय भी होते है लेकिन 70 से 75 प्रतिशत लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर ही आशर्ति होते है। ग्रामीण समाज में संयुक्त परिवारों की प्रधानता पाई जाती है, यहां एकल परिवारों का आभाव होता है।
ग्रामीण समुदाय क्या है इसकी प्रकृति और विशेषताओं का वर्णन करें?ग्रामीण समुदाय का अर्थ
साधारण शब्दों मे यह कहा जा सकता है कि ग्रामीण समुदाय लोगों का एक स्थायी समूह होता है। इस समूह के सदस्य एक निश्चित भू-भाग मे निवास करते है। ये कृषि के साथ-साथ पशु-पालन का कार्य भी करते है। साथ-साथ रहने के कारण इन लोगों मे 'हम की भावना' उत्पन्न हो जाती है।
गांव क्या है इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए?भारतीय गाँवों की सर्वप्रमुख विशेषता है, संयुक्त परिवारों की प्रधानता। यहाँ पति-पत्नी व बच्चो के परिवार की तुलना में ऐसे परिवार अधिक पाये जाते हैं, जिनमें तीन या अधिक पीढ़ियों के सदस्य एक स्थान पर रहते हैं। इनका भोजन, सम्पत्ति और पूजा-पाठ साथ-साथ होता है। ऐसे परिवारों का संचालन परिवार के वयोवृद्ध व्यक्ति द्वारा होता है।
समुदाय की मुख्य विशेषताएं क्या है?समुदाय एक निश्चित स्थान या भूभाग में रहने वाले व्यक्तियों का एेसा समूह है, जिसकी एक संस्कृति होती है, एक जैसी जीवन प्रणाली होती है, जो अपनी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति समुदाय के भीतर ही पूरी कर लेते हैं। इस प्रकार उनमें वयं भावना होती है और समुदाय के प्रति वफादारी का भाव होता है।
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