भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति मरहूम अब्दुल कलाम ने भारत को २०२० तक एक विकसित देश बनाने का सपना देखा था। आज वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका सपना आज भी हर भारतीय के दिल में है। यह भी सच है कि इस सपने को साकार करने के लिए हमें अपने शहरों को ही नहीं अपने गाँवों को भी विकास की राह पर लाना होगा। भारत मुख्य रूप से गाँवों का देश है। भारत की लगभग ७० से ७५ प्रतिशत जनसंख्या गाँवों में रहती है। १९४७ में जब भारत को स्वतंत्रता मिली, उसके बाद से ही भारत और राज्य सरकारें गाँवों के विकास के लिए कार्यरत हैं। पिछले कई दशकों से असंख्य ग्रामीण विकास योजनायें और परियोजनायें लायी गईं मगर दुर्भाग्यवश, भारतीय गाँव आज भी बहुत सारी परेशानियों से जूझ रहे हैं। Show भारतीय गाँवों में बेरोज़गारी, अशिक्षा, अंधकार, पानी, बिजली, आवास, अंधविश्वास, सड़क, सिंचाई आदि-आदि कई समस्यायें किसी से छुपी नहीं है। उद्योग धंधों की कमी के कारण, गाँव के लोग रोज़गार के लिए मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर हैं। कृषि रोज़गार का मुख्य स्रोत होने के कारण किसान मौसमी बेरोज़गारी से भी जूझ रहे हैं। यह भी सच है कि सिंचाई की कमी के कारण, भारतीय कृषि मानसून पर निर्भर होती है। अगर किसान खेती भी करे तो मानसून की देरी के कारण फ़सलें ख़्रराब हो जाती हैं। इन कारणों से, भारतीय गाँव के लोग बेरोज़गारी और गरीबी के घोर अंधकार में धँसते जा रहे हैं। गरीबी और शिक्षा व्यवस्था की लचर हालत के कारण, ग्रामीण बच्चे अशिक्षित रह जाते हैं। अशिक्षा कई अन्य सामाजिक समस्याओं की भी जननी है। अशिक्षा के कारण, लोग अंधविश्वास, जातिवाद, महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और कई अन्य समस्याओं से घिरे हैं। इन समस्याओं के अलावा, भारतीय गाँव में आवास, बिजली और पानी की समस्यायें भी हैं। गाँव में कच्चे घर होते हैं। कच्चे घर कमजोर होते हैं और हमेशा इनके टूट जाने का ख़तरा बना रहता है। इस कारण से समय समय पर ग्रामीण लोग बेघर हो जाते हैं। भारतीय ग्रामीण पानी के लिए कुओं, नदियों, और तालाबों पर निर्भर रहते हैं। लेकिन ये सारे जल-स्रोत आज या तो प्रदूषित हो गये हैं या सूख चुके हैं। इन कारणों से, गाँव में पीने का पानी तक नहीं मिल पाता। पानी मिलता भी है तो वह प्रदूषित होता है और जिससे गाँव के लोग बीमार पड़ जाते हैं। अस्पताल की कमी और अंधविश्वास के कारण, बीमार लोग ज़िन्दगी से अपनी जंग हार जाते हैं। एक तरफ़ जहाँ भारत “डिजिटल इंडिया” की ओर तेजी से दौड़ रहा है वहीं दूसरी ओर भारतीय गाँव में बिजली की घोर कमी है। बिजली की कमी के कारण, सरकार के द्वारा चलायी गयी योजनायें और उठाये गये कदमों के बार में गाँव के लोग जान नहीं पाते। इन अनभिज्ञताओं और अशिक्षा के कारण, सरकार की पुरजोर कोशिश के बावजूद भी, भारतीय गाँव और ग्रामीण भारतीय मुख्य धारा से जुड़ नहीं पा रहे हैं। मुख्य धारा से कटे होने के कारण, भारतीय गाँव और ग्रामीणों का समुचित विकास नहीं हो पा रहा है। जब तक इन समस्याओं को दूर करने के लिए युद्ध स्तर पर काम नहीं होगा तब तक हम विकसित भारत का सपना तो देख सकते हैं मगर इस सपने को पूरा नहीं कर सकते। Glossary
Key phrases
Exercises2.1 True or FalseRead the following sentences carefully. Based on the text, decide whether these sentences are true or false.
2.2 Choose the correct answer of the following questions based on the conversation.
2.3 Match each phrase in the left column with the most appropriate ones in the right column to complete sentences.
2.4 Question-AnswerAnswer the following questions based on the text given above.
2.5 Form one sentence with each list of words given below.For example: अब्दुल कलाम, देश, सपना देखना: अब्दुल कलाम ने भारत को २०२० तक एक विकसित देश बनाने का सपना देखा था।
2.6 Word activities:Word derivation: The following words are derived from related words in the text. Scan the text to find the related words and then form a sentence with each word.
2.7 Activities
गांव की मुख्य समस्या क्या है?भारतीय गाँवों में बेरोज़गारी, अशिक्षा, अंधकार, पानी, बिजली, आवास, अंधविश्वास, सड़क, सिंचाई आदि-आदि कई समस्यायें किसी से छुपी नहीं है। उद्योग धंधों की कमी के कारण, गाँव के लोग रोज़गार के लिए मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर हैं। कृषि रोज़गार का मुख्य स्रोत होने के कारण किसान मौसमी बेरोज़गारी से भी जूझ रहे हैं।
गांव की विशेषता क्या है?एक गाँव में रहने वाले लोगों में आम पहचान की भावना होती है । सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिक्षेत्र में पारिवारिक, जाति और वर्ग के स्तर पर उनके पास अंतरा - ग्रामीण संबंध हैं । वास्तव में, ग्राम जीवन पारस्परिकता, सहयोग, प्रभुत्व और प्रतिस्पर्धा की विशेषता है । परिवार लगभग सभी समाजों की मूल इकाई है।
गांव से आप क्या समझते हो?ग्राम या गाँव छोटी-छोटी मानव बस्तियों को कहते हैं जिनकी जनसंख्या कुछ सौ से लेकर कुछ हजार के बीच होती है। प्रायः गाँवों के लोग कृषि या कोई अन्य परम्परागत काम करते हैं। गाँवों में घर प्रायः बहुत पास-पास व अव्यवस्थित होते हैं।
गांव के जीवन किसकी रचना है?ग्रामीण जीवन में शहरी दवाइयों की जगह प्रकृति से प्राप्त फूल, पत्तियों के प्रयोग भी आम हैं जिसे लेखक ने रेखांकित किया है। साथ एक हलकी सी आवाज़ भी सुनाई देती थी।
|