गीता से हमें क्या सीख मिलती है? - geeta se hamen kya seekh milatee hai?

दोस्तों आज के इस पोस्ट में आपका बहुत बहुत स्वागत है। दोस्तों आज हम हिन्दू धर्म के कई महान ग्रंथों में से एक भगवद् गीता में दिए गए कुछ सीखो और  विचारों के बारे में डिस्कस करेंगे, जो हमें जीवन जीने का तरीका सिखाते है। भगवद्गीता इस धरती का सबसे कीमती ज्ञान का स्रोत है। इस ज्ञान की असल में कोई कीमत नहीं हैं। इस ज्ञान में इतनी ताकत है कि यह आप को बदल कर रख सकते हैं और इसका इतना महत्त्व सिर्फ ऐसे ही नहीं माना गया है। इसके पीछे एक बहुत बड़ी वजह भी है। भगवद् गीता की बात अगर कोई जान ले तो उसे सफलता से कोई नहीं रोक सकता।


Life Lessons From Bhagavad Gita (Hindi)


देश भर में लोगों का तो ये भी मानना है कि जो भी इंसान इस ग्रंथ को पढ़ता है उसे जीवन की सभी सफलताओं का राज पता चल जाता है. भगवत गीता में श्री कृष्ण द्वारा दिया गया वह ज्ञान है जो हर इंसान को जानना और समझना चाहिए क्योंकि यह ज्ञान आपकी जिंदगी बदल सकता है और आप को अंधेरे और निराशा से निकालकर उसे खुशहाल जिंदगी की तरफ ले जाता है। 


भगवत गीता से जो सबसे महत्वपूर्ण और पहली सीख मिलती है वह है फल की आशा मत करो बल्कि कर्म करो:  दोस्तों भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को समझाते हैं कि हे अर्जुन इस संसार के सभी मनुष्य को सभी प्राणियों को हमेशा कर्म करते रहना चाहिए और पल की आशा कभी नहीं करनी चाहिए क्योंकि पल की प्राप्ति उसके हाथ में नहीं होती लेकिन कर्म उसके हाथ में होता है और जो व्यक्ति समर्पण भाव से अपना कर्म करता है उसे पर देने के लिए तो मैं तो बैठा हुआ हूं इसलिए हमेशा कर्म करते जाओ फल की उम्मीद ना करें क्योंकि कल की उम्मीद करने से आप अपने कर्म से ध्यान नहीं दे पाएंगे। 


दोस्तों श्री कृष्ण कहते हैं की कर्म करने वाला व्यक्ति आज नहीं तो कल जरूर सफल होता है लेकिन  अकर्मण्य  व्यक्ति जीवन में कभी भी सफल नहीं हो पाता इसलिए अगर आप सफल होना चाहते हैं तो आपको अपने  कर्म पर पूरा ध्यान देने की जरूरत है और हमेशा से ही अच्छे कर्म करने चाहिए जिससे आपको अच्छे फल की प्राप्ति हो. दोस्तों अगर कर्म करने के बावजूद आपको अपने मनचाहे फल की प्राप्ति नहीं हो पा रही है तो कभी भी निराश नहीं होना चाहिए बल्कि  श्री कृष्ण के भरोसा कर आगे बढ़ने की चेष्टा करती रहना चाहिए और यकीन मानिए भगवान आज नहीं तो कल आपको सफल , समृद्धि और आपके कर्मों का सही पल जरूर देंगे।

Life Lessons From Bhagavad Gita (Hindi)


भगवत गीता में श्री कृष्ण द्वारा जो दूसरी  सीख हमें सीखने मिलती है वह है कि हमेशा हमें अपने धर्म के अनुसार काम करना चाहिए : अर्थात यदि कोई बच्चा विद्यार्थी है तो उसे पढ़ने में ही ध्यान देना चाहिए, सैनिक को अपने देश की रक्षा,  राजा को अपने प्रजा की रक्षा और सेवा, माता पिता को अपनी संतानों को प्रेम, बच्चों को अपने बूढ़े मां बाप की सेवा, तथा शासक को शासन करना चाहिए।  दोस्तों से यह कहना चाहते हैं कि हर व्यक्ति अपने कर्म  यानी अपनी ड्यूटी  को सही रूप से करेगा तो इस समाज में हमेशा संतुलन बना रहेगा फिर कभी भी किसी को  किसी से परेशानी नहीं होगी।


दोस्तों भगवत गीता में श्री कृष्ण द्वारा जो हमें तीसरी सीख मिलती है वह है बदलाव का नियम:  दोस्तों श्री कृष्ण कहते हैं कि बदलाव ही जीवन का नाम है ,श्री कृष्ण कहते हैं कि किसी भी इंसान को कभी भी बदलाव से नहीं डरना चाहिए क्योंकि बदलाव हमेशा एक परिवर्तन लेकर आती है और यह परिवर्तन हमेशा अच्छे के लिए ही होता है.  दोस्तों अगर जीवन में बदलाव ना हो तो हम वहीं रह जाएंगे जहां हम आज हैं और हम कभी भी आगे  बढ़ नहीं पाएंगे।  दोस्तों कभी-कभी बदलाव  या परिवर्तन हमें कष्ट भी देता है पर यह कष्ट  हमेशा के लिए नहीं रहते और आगे चलकर हमेशा सुख देते हैं. दोस्तों आपने नदी के पानी को कभी  सड़ते हुए नहीं देखा होगा क्योंकि नदी हमेशा  परिवर्तित या बहती हुई रहती है कभी रुकती नहीं है लेकिन एक तालाब का पानी जब परिवर्तित नहीं होता है जिसमें बदलाव नहीं आता है वह धीरे-धीरे सड़ जाता है ठीक उसी तरह हमारे जीवन का मयना तभी तक हैजब तक हमारे जीवन में परिवर्तन या बदलाव है जिस दिन हमारे जीवन का बदलाव रुक जायेगा  हम उस दिन नष्ट हो जाएंगे।


 दोस्तों श्री कृष्ण द्वारा जो भगवत गीता में हमें चौथी सीख मिलती है वह है अहंकार से दूर  रहना : दोस्तों श्री कृष्ण गीता में कहते हैं कि हर मनुष्य को हमेशा अहंकार और खुद से दूर रहना चाहिए क्योंकि  अहंकार और क्रोध किसी भी मनुष्य के दिमाग को उसी तरह खा लेता है जिस प्रकार लकड़ी में लगा हुआ दीमक। दोस्तों अहंकार और क्रोध से वशीभूत व्यक्ति समाज में जहां भी जाता है वहां उसे दूसरों से परेशानी होती है क्योंकि वह हर व्यक्ति में अपने प्रतिद्वंदी की भावना को देखता है जिससे  उसकी बुद्धि और विवेक की भावना खत्म होती चली जाती है. भगवत गीता में कहा गया कि हर व्यक्ति को आत्ममंथन करना चाहिए क्योंकि आत्ममंथन  अहंकार को खत्म कर देती है. दोस्तों श्री कृष्ण कहते हैं कि अहंकार व्यक्ति को अज्ञानता की तरफ ले जाती है इसलिए जीवन में  सफलता चाहने वाले व्यक्ति को हमेशा  अहंकार और घमंड से दूर रहना चाहिए।

 

Life Lessons From Bhagavad Gita (Hindi)


दोस्तों भगवत गीता में जो है पांचवी सीख मिलती है वह है कि मनुष्य के विचार ही मनुष्य का निर्माण करते हैं : दोस्तों भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि मनुष्य के निर्माण उसके विचारों से ही होता है और मनुष्य जैसा सोचता है वैसा ही बन जाता है इसलिए हर मनुष्य को हमेशा सकारात्मक और अच्छे सोचो के साथ ही अपने जीवन बिताना चाहिए। दोस्तों अगर आपके मन में अच्छे विचार होंगे तो आपका जीवन भी अच्छा होगा लेकिन अगर आपके मन में बुरे विचार होंगे तो आपके जीवन में बुराई की स्थिति बन सकती है. दोस्तों श्री कृष्ण कहते हैं कि यदि हम अपने को बलवान बनना चाहते हैं तो हमें अपने मन में यह जरूर सोचना चाहिए कि हम बलवान हैं क्योंकि बलवान होने की सोच ही हमें बलवान बना सकती है। अर्थात कोई व्यक्ति कमजोर या ताकतवर बुद्धिमान या बेवकूफ अच्छा या बुरा अपने सोच के कारण ही होता है अगर हम अपनी सोच को बदलने तो यह दुनिया ही बदल जाएगी। 


भगवत गीता से हमें जो छठवीं सीख मिलती है वह अपने मन को नियंत्रण में रखना: दोस्तों भगवत गीता में मन को बहुत ही ज्यादा महत्व दिया गया है इसलिए भगवान कृष्ण द्वारा हर मनुष्य को अपने मन मन को नियंत्रण में रखने की बात कही गई है. दोस्तों मन ही हमारे सारे दुख और सुखो का कारक होता है इसलिए हम अपने मन को नियंत्रण में कर अपने सुख और दुख पर विजय प्राप्त कर सकते हैं. दोस्तों भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि अगर कोई व्यक्ति अपने मन को नियंत्रित में कर लेता है तो वह उन सभी बुराइयों पर नियंत्रण पा लेता है जो उसे जीवन में आगे बढ़ने से रोकती हैं या दुख देती हैं इसलिए अपने मन को हमेशा अपने नियंत्रण में रखना चाहिए उसे कभी भी किसी भी चीज से विचलित नहीं होने देना चाहिए।

Life Lessons From Bhagavad Gita (Hindi)


भगवत गीता और श्रीकृष्ण से सातवीं सीख मिलती है की आलस्य , कायरता और डर मनुष्य की सफलता के दुश्मन हैं :

गीता से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

गीता , हमें जीवन कैसा सफलतापूर्वक एवं शांति पूर्वक जीना है सिखाती है। जीवन में कितने भी मुश्किलें या समस्याएं आए , तो भी निडर से जीवन जीने की कला श्रीमद्भगवद्गीता से सिख सकते है. भगवद्गीता के अनमोल वचन हमें जीवन किसी भी फल का आशा न करते हुए जीवन में कैसा सफल होना है ये सिखाते है।

गीता मनुष्य को क्या सिखाती है?

भगवत गीता हमें सिखाती है कि व्यक्ति को सिर्फ और सिर्फ अपने कर्म के ऊपर ध्यान देना चाहिए और कर्म में करते समय हमें ध्यान रखना चाहिए कि जो कर्म हम कर रहे हैं वह हम सब लौटकर जरूर आएंगे. ... सभी रिश्ते नातों से ऊपर उठकर व्यक्ति को सिर्फ और सिर्फ अच्छे कर्म और सत्य की लड़ाई के ऊपर ध्यान देना चाहिए.

गीता सार में क्या लिखा है?

गीता सार में श्री कृष्ण ने कहा है कि हर इंसान के द्धारा जन्म-मरण के चक्र को जान लेना बेहद आवश्यक है, क्योंकि मनुष्य के जीवन का मात्र एक ही सत्य है और वो है मृत्यु। क्योंकि जिस इंसान ने इस दुनिया में जन्म लिया है। उसे एक दिन इस संसार को छोड़ कर जाना ही है और यही इस दुनिया का अटल सत्य है।

गीता के अनुसार बुद्धि क्या है?

गीता का कहना है कि मनुष्य को शब्दों के ऊपर उठना है। इनमें धार्मिक ग्रंथों के शब्द भी शामिल हैं। बुद्धि का स्थान मन के ऊपर है। बुद्धि की अवस्था पर भाषा का कार्य समाप्त हो जाता है, क्योंकि उस अवस्था में मनुष्य शब्दों के व्यवधान के बिना सत्य का सीधा साक्षात्कार करता है।