घर के मंदिर में क्या क्या रखें - ghar ke mandir mein kya kya rakhen

वास्तु के अनुसार घर के मंदिर में कभी भी एक ही भगवान की एक से ज्यादा मूर्ति या तस्वीर नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि माना जाता है कि एक से ज्यादा मूर्ति रखने पर शुभ कार्यों में बाधाएं पैदा हो सकती हैं और जीवन में अशांति आती है।

घर के मंदिर में बड़ी मूर्तियां ना रखें क्योंकि घर में मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा नहीं होती। साथ ही ध्यान रखें कि पूजा स्थल में कभी खंडित मूर्ति या टूटी तस्वीर भी नहीं रखनी चाहिए। क्योंकि ये नकारात्मक प्रभाव पैदा कर सकती हैं।

वास्तु शास्त्र में कहा गया है कि घर के मंदिर में 6 इंच से छोटे शिवलिंग रखना ही सही माना जाता है।

घर के मंदिर में सूखे या मुरझाए हुए फूल भी नहीं रखने चाहिए। बहुत से लोग यह करते हैं कि भगवान को चढ़ाए हुए फूल मंदिर में ही एक कोने में इकट्ठा करते जाते हैं जो वास्तु अनुसार आपके जीवन में मंगल दोष या वैवाहिक अड़चनों के कारण बना सकता है।

भगवान विष्णु की पूजा में शांति का बहुत महत्व माना गया है लेकिन घर के मंदिर में अभी भी एक से अधिक शंख नहीं रखने चाहिए।

वहीं वास्तु शास्त्र में कहा गया है कि घर के पूजा स्थल में लोहे धातु की चीजें भी रखना शुभ नहीं होता क्योंकि इससे शनि के दुष्प्रभाव के साथ ही व्यक्ति के जीवन में समस्याएं बढ़ने की संभावना होती है।

(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)

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हर घर में पूजा स्थल या फिर मंदिर का एक खास स्थान होता है. इस जगह बैठकर हम अपने सभी दुख और परेशानियों को भूल जाते हैं. यहां से पूरे घर पर ईश्वर की कृपा बरसती है. पूजा स्थल पर कुछ खास चीजें रखने से हमेशा मां लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है. आइए जानते हैं क्या हैं वो चीजें.
 

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मोर पंख- अपने पूजा स्थल पर मोर पंख जरूर रखें. माना जाता है कि मोर पंख रखने से घर में सकारात्मकता आती है. भगवान श्री कृष्ण को मोर पंख बहुत पसंद हैं. जो लोग अपने घर में मोर पंख रखते हैं, उन पर भगवान श्री कृष्ण की कृपा बनी रहती है. ये भी कहा जाता है कि मोर पंख रखने से घर में कीड़े-मकोड़े और छिपकलियां भी नहीं आती हैं.
 

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गंगाजल- हिंदू धर्म में गंगाजल को बहुत पवित्र माना गया है. लगभग हर घर में पूजा स्थल पर गंगाजल रखा होता है. मान्यता है कि मंदिर में गंगाजल रखने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है. घर के मंदिर में किसी चांदी या पीतल के बर्तन में गंगाजल रखें. इससे घर में सुख-शांति बनी रहेगी.
 

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शंख- घर के मंदिर में शंख जरूर रखना चाहिए. कहा जाता है कि घर के मंदिर में शंख रखने से घर का वातावरण अच्छा होता है और सकारात्मकता बनी रहती है. मंदिर में शंख बजाने से घर में सुख-शांति बनी रहती है. मान्यता है कि दक्षिणावर्ती शंख रखने से शुभ परिणाम मिलते हैं. 
 

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शालिग्राम- आमतौर पर जो लोग अपने घरों में तुलसी रखते हैं, उनके घर में शालिग्राम भी होता है. पूजा स्थल पर शालिग्राम रखना बहुत शुभ माना जाता है. शालिग्राम को विष्णु भगवान का रूप माना जाता है. शालिग्राम रखने से मां लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान विष्णु का आशीर्वाद भी मिलता है और जीवन में कभी भी आर्थिक परेशानियां नहीं आती हैं.
 

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गोमूत्र- हिंदू धर्म में गोमूत्र को भी बहुत पवित्र माना जाता है. मान्यता है कि घर में गोमूत्र रखने से घर के सदस्यों पर देवी-देवताओं का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है.
 

घर या मंदिर में पूजा करने के लिए कुछ विशेष सामग्री का होना जरूरी है। उन सभी को मिलाकर ही पूजा की जाती है। हालांकि पूजा सामग्री तो बहुत सारी होती है, लेकिन यहां प्रस्तुत है पूजा के 20 प्रतीक वस्तुएं।

1. शालग्राम : विष्णु की एक प्रकार की मूर्ति जो प्रायः पत्थर की गोलियों या बटियों आदि के रूप में होती है और उस पर चक्र का चिह्न बना होता है। जिस शिला पर यह चिह्न नहीं होता वह पूजन के लिए उपयुक्त नहीं मानी जाती। यह सभी तरह की मूर्तियों से बढ़कर है और सिर्फ इसी की पूजा का विधान है।

2. शिवलिंग : शिव की एक प्रकार की मूर्ति जो प्रायः गोलाकार में जनेऊ धारण किए होती है। इसे शिवलिंग कहा जाता है अर्थात शिव की ज्योति। यह सभी तरह की मूर्तियों से बढ़कर है और सिर्फ इसी की पूजा का विधान है। शालग्राम और शिवलिंग के घर में होने से घर की ऊर्जा में संतुलन कायम होता है और सभी तरह की शुभता बनी रहती है।

3. आचमन : छोटे से तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें तुलसी डालकर हमेशा पूजा स्थल पर रखा जाता है। यह जल आचमन का जल कहलाता है। इस जल को तीन बार ग्रहण किया जाता है। माना जाता है कि ऐसे आचमन करने से पूजा का दोगुना फल मिलता है।

4. पंचामृत : पंजामृत का अर्थ पांच प्रकार के अमृत। दूध, दही, शहद, घी व शुद्ध जल के मिश्रण को पंचामृत कहते हैं। कुछ विद्वान दूध, दही, मधु, घृत और गन्ने के रस से बने द्रव्य को 'पंचामृत कहते हैं और कुछ दूध, दही, घी, शक्कर, शहद को मिलाकर पंचामृत बनाते हैं। मधुपर्क में घी नहीं होता है। इस सम्मिश्रण में रोग निवारण गुण विद्यमान होते हैं, यह पुष्टिकारक है।

5. चंदन : चंदन शांति व शीतलता का प्रतीक है। एक चंदन की बट्टी और सिल्ली पूजा स्थल पर रहना चाहिए। चंदन की सुगंध से मन के नकारात्मक विचार समाप्त होते हैं। चंदन को शालग्राम और शिवलिंग पर लगाया जाता है। माथे पर चंदन लगाने ने मस्तिष्क शांत भाव में रहता है।

6. अक्षत : अत्यंत श्रम से प्राप्त संपन्नता का प्रतीक है चावल जिसे अक्षत कहा जाता है। अक्षत अर्पित करने का अर्थ यह है कि अपने वैभव का उपयोग अपने लिए नहीं, बल्कि मानव की सेवा के लिए करेंगे।

7. पुष्प
:
देवी या देवता की मूर्ति के समक्ष फूल अर्पित किए जाते हैं। यह सुंदरता का अहसास जगाने के लिए है। इसका अर्थ है कि हम भीतर और बाहर से सुंदर बनें।

8. नैवेद्य : नैवद्य में मिठास या मधुरता होती है। आपके जीवन में मिठास और मधुरता होना जरूरी है। देवी और देवता को नैवद्य लगाते रहने से आपके जीवन में मधुरता, सौम्यता और सरलता बनी रहेगी। फल, मिठाई, मेवे और पंचामृत के साथ नैवेद्य चढ़ाया जाता है।

9. रोली : यह चुने की लाल बुकनी और हल्दी को मिलाकर बनाई जाती है। इसका एक नाम कुंकूम भी है। इसे रोज नहीं लगाया जाता। प्रत्येक पूजा में इसे चावल के साथ माथे पर लगाते हैं। इसे शुभ समझा जाता है। यह आरोग्य को धारण करता है। रक्त वर्ण साहस का भी प्रतीक है। रोली को माथे पर नीचे से ऊपर की ओर लगाना अपने गुणों को बढ़ाने की प्रेरणा देता है।

10. धूप : धूप सुगंध का विस्तार करती है। सुगंध से आपके मन और ‍मस्तिष्क में सकारात्मक भाव और विचारों का जन्म होता है। इससे आपके मन और घर का वातारवण शुद्ध और सुगंधित बनता है। सुगंध का जीवन में बहुत महत्व है। धूप को अगरबत्ती नहीं कहते हैं। घर में अगरबत्ती की जगह धूप जलाएं। धूप जिसमें जलाते हैं उसका एक अलग से पात्र आता है।

11. दीपक : पारंपरिक दीपक मिट्टी का ही होता है। इसमें पांच तत्व हैं मिट्टी, आकाश, जल, अग्नि और वायु। कहते हैं कि इन पांच तत्वों से ही सृष्टि का निर्माण हुआ है। अतः प्रत्येक हिंदू अनुष्ठान में पंचतत्वों की उपस्थिति अनिवार्य होती है।

12. गरुड़ घंटी : जिन स्थानों पर घंटी बजने की आवाज नियमित आती है, वहां का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र बना रहता है। इससे नकारात्मक शक्तियां हटती है। नकारात्मकता हटने से समृद्धि के द्वार खुलते हैं। घर के पूजा स्थान पर गरुड़ घंटी रखी जाती है।

13. शंख : जिस घर में शंख होता है वहां लक्ष्मी का वास होता है। शंख सूर्य व चंद्र के समान देवस्वरूप है जिसके मध्य में वरुण, पृष्ठ में ब्रह्मा तथा अग्र में गंगा और सरस्वती नदियों का वास है। तीर्थाटन से जो लाभ मिलता है, वही लाभ शंख के दर्शन और पूजन से मिलता है।

14. जल कलश : जल से भरा कलश देवताओं का आसन माना जाता है। दरअसल, हम जल को शुद्ध तत्व मानते हैं, जिससे ईश्वर आकृष्ट होते हैं। इसे मंगल कलश भी कहा जाता है। एक कांस्य या ताम्र कलश में जल भरकर उसमें कुछ आम के पत्ते डालकर उसके मुख पर नारियल रखा होता है। कलश पर रोली, स्वस्तिक का चिह्न बनाकर, उसके गले पर मौली (नाड़ा) बांधी जाती है। जल कलश में पान और सुपारी भी डालते हैं।

15. कौड़ी : पुराने समय से कुछ ऐसी परंपराएं या उपाय प्रचलित हैं जिन्हें अपनाने पर देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। पीली कौड़ी को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। एक-एक पीली कौड़ी को अलग-अलग लाल कपड़े में बांधकर घर में स्थित तिजोरी और जेब में रखने से धन समृद्धि बढ़ती है।

16. तांबे का सिक्का : तांबे में सात्विक लहरें उत्पन्न करने की क्षमता अन्य धातुओं की अपेक्षा अधिक होती है। कलश में उठती हुई लहरें वातावरण में प्रवेश कर जाती हैं। यदि कलश में तांबे के पैसे डालते हैं, तो इससे घर में शांति और समृद्धि के द्वार खुलेंगे। देखने में ये उपाय छोटे से जरूर लगते हैं लेकिन इनका असर जबरदस्त होता है।

17.पाट : एक ऐसा पटिया जिस पर उक्त सभी सामग्री को रखा जाता है। कुल लोग सिंहासन (चौकी, आसन) की तरह पाट बनवा लेते हैं। हालांकि आजकल बाजार में बने बनाए मंदिर आने लगे हैं जिसके अंदर यह सभी सामग्री रखी जा सकती है, लेकिन मंदिर और मूर्ति घर में रखना चाहिए या नहीं यह किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर ही रखें। पाट पर सफेद, पीला या लाल वस्त्र बिझाकर ही उस पर उक्त सामग्री रखी जाती है।

18.दुर्गा
मूर्ति


:
दुर्गा जी की स्वर्ण, रजत या ताम्र मूर्ति रखें। अगर ये उपलब्ध न हो सकें, तो मिट्टी की मूर्ति अवश्य होनी चाहिए। लेकिन मूर्ति का साइज बहुत बड़ा नहीं होना चाहिए। चूंकि नवरात्रि में माता की पूजा विशेष रूप से की जाती है इसलिए माता की मूर्ति जरूर होना चाहिए।

19.गंगा जल : एक तांबे के बुत ही छोटे से लोटे में गंगाजल भरकर अवश्य रखें। कई बार हमें इस जल की आवश्यकता पड़ती है। गंगाजल का कलश भी जल कलश की तरह रखें।

20. अन्य सामग्री : हल्दी की गांठ, यज्ञोपवीत, बाल मुकुंद और गणेशजी की पीतल की छोटी सी मूर्ति, कर्पूर, इत्र की शीशी, चांदी का सिक्का, नाड़ा (लच्छा), शहद (मधु), इलायची (छोटी), लौंग, खड़ा धनिया, दूर्वा,
रुद्राक्ष व स्फटीक की माला और पूजन समग्री।

घर के मंदिर में क्या क्या सामान रखना चाहिए?

इस जल को तीन बार ग्रहण किया जाता है। माना जाता है कि ऐसे आचमन करने से पूजा का दोगुना फल मिलता है। 4.

पूजा घर में क्या क्या होना चाहिए?

* घर में दो शिवलिंग, तीन गणेश, दो शंख, दो सूर्य-प्रतिमा, तीन देवी प्रतिमा, दो द्वारका के (गोमती) चक्र और दो शालिग्राम का पूजन करने से गृहस्वामी को अशान्ति प्राप्त होती है. * पूजा घर का रंग स़फेद या हल्का क्रीम होना चाहिए. * भूल से भी भगवान की तस्वीर या मूूर्ति आदि नैऋत्य कोण में न रखें.

पूजा घर में कौन कौन सी फोटो रखनी चाहिए?

आज हम आपको बताएंगे कि पूजा घर में कौन सी चीजें रखनी चाहिए और पूजा घर की सही दिशा कौन सी होती है। वास्तु के अनुसार घर पर पूजा स्थल हमेशा ईशान कोण की तरफ ही बना हुआ होना चाहिए। ईशान कोण का मतलब उत्तर-पूर्व की दिशा। यह दिशी देवी-देवताओं की दिशा मानी जाती है।

घर के मंदिर में कौन कौन से भगवान की फोटो रखनी चाहिए?

वास्तुशास्त्र कहता है कि गुडलक पाने के लिए पूजाघर में विष्णु, लक्ष्मी, राम-सीता, कृष्ण, एवं बालाजी जैसे सात्विक एवं शांत देवी देवता का यंत्र, मूर्ति और तस्वीर रखना शुभ फलदायी होता है। इसके अलावा पूजा घर में मूर्तियां एक दूसरे की ओर मुख करके भी नहीं रखनी चाहिए