घर पहुँचने पर लेखक को देख उनकी माँ क्यों रो पड़ती हैं? - ghar pahunchane par lekhak ko dekh unakee maan kyon ro padatee hain?

घर पहुंचते पर लेखक को देखे देख उसकी मां क्यों रो पड़ती है?...

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घर पहुँचने पर लेखक को देख उनकी माँ क्यों रो पड़ती हैं? - ghar pahunchane par lekhak ko dekh unakee maan kyon ro padatee hain?

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उत्तरा का क्वेश्चन है घर पहुंचते पर लेखक को देख देख उसकी मां क्यों रो पड़ती है मित्र अगर लेखक बहुत दिन बाद आया होगा हो सकता है ना इसलिए रोई हो या फिर कुछ खो दिया होगा उनके परिमाण में देर हुई हो

Romanized Version

घर पहुँचने पर लेखक को देख उनकी माँ क्यों रो पड़ती हैं? - ghar pahunchane par lekhak ko dekh unakee maan kyon ro padatee hain?

1 जवाब

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विवरण 

Juthan subjective Q and A

आधारित पैटर्नबिहार बोर्ड, पटना
कक्षा 12 वीं
संकाय कला (I.A.), वाणिज्य (I.Com) & विज्ञान (I.Sc)
विषय हिन्दी (100 Marks)
किताब दिगंत भाग-2
प्रकार प्रश्न-उत्तर
अध्याय गद्य-10 | जूठन – ओमप्रकाश वाल्मीकि
कीमत नि: शुल्क
लिखने का माध्यम हिन्दी
उपलब्ध NRB HINDI ऐप पर उपलब्ध
श्रेय (साभार) रीतिका
गद्य-10 | जूठन (प्रश्न-उत्तर) – ओमप्रकाश वाल्मीकि | कक्षा-12 वीं

विद्यालय में लेखक के साथ कैसी घटनाएँ घटती हैं ?

उत्तर

विद्यालय मे लेखक के साथ बहुत अप्रिय घटनाएँ, घटती है। नीचली जाती के होने के कारण उन्हें वर्ग मे बैठने नही दिया जाता है। हेडमास्टर द्वारा उन्हों वर्ग से बारह निकाला जाता है। और पूरे विद्यालय मे झाडू लगवाया जाता है। तीसरे दिन जब लेखक चुपचाप वर्ग में बैठ जाते है। तब हेडमास्टर उनकी गर्दन दबोचकर वर्ग से बाहर बरामदे मे निकालते है और उन्हें पूरे मैदान में झाड़ू लगने

को कहते है। Juthan subjective Q and A


पिताजी ने स्कूल में क्या देखा ? उन्होंने आगे क्या किया ? पूरा विवरण अपने शब्दों में लिखें ।

उत्तर

पिताजी अचानक स्कूल के पास से गुजरते है और स्कूल में लेखक को झाडू लगते हुए देखते है। पिताजी ने लेखक से सारी बात की जानकारी ली और उनके हाथ से झाडू छीन कर फेंक दी और गुस्से से चीखने लगे, “कौन सा मास्टर है वो, जो मेरे लड़के से झाडू लगवावे है…….?” जिसे सुनकर हेडमास्टर और सभी मास्ट बाहर आए । हेडमास्टर ने पिताजी को गाली देकर धमकाया लेकिन पिताजी पर धमकी का कोई असर नही हुआ।


बचपन में लेखक के साथ जो कुछ हुआ, आप कल्पना करें कि आपके साथ भी हुआ हो- ऐसी स्थिति में आप अपने अनुभव और प्रतिक्रिया को अपनी भाषा में लिखिए ।

उत्तर

बचपन में लेखक के साथ जो कुछ हुआ, वो नहीं हो ना चाहिए था। अगर वही घटना हमारे साथ होता तो हमे भी बहुत बुरा तथा अपनमांजक लगता। ऐसा व्यवहार करने वाले व्यक्ति पर बहुत क्रोध आएगा। उनके द्वारा किये गए इस व्यवहार का कारण भी जानेंगे। हम उनकी शिकायत भी करते तथा साथ ही साथ प्रयास करते की ऐसा घटना दूसरे के साथ न हो। Juthan subjective Q and A


किन बातों को सोचकर लेखक के भीतर काँटे जैसे उगने लगते हैं ?

उत्तर

लेखक अपने बच्चपन की बातो को सोचते है। जब वे छोटे थे तब उनके परिवार के सभी लोग दूसरो के घर काम किया करते थे। जिसके बदले मे उन्हे थोडा अनाज, जुठन और खुची रोटी दी जाती थी। शादी-ब्याह के मौको पर भी उन्हे लोगो की जूठी प्लेटे ही मिलती थी। वे पुरियो के टुकड़ों को सुखा लेते थे और बरसात के दिनो मे नमक और मिर्च छिड़ककर खाते थे। इन्ही सभी बातो को सोचकर लेखक के भीतर काँटे जैसे उगने लगता है।


‘दिन रात मर खप कर भी हमारे पसीने की कीमत मात्र जूठन, फिर भी किसी को शिकायत नहीं । कोई शर्मिंदगी नहीं, कोई पश्चाताप नहीं ।” ऐसा क्यों ? सोचिए और उत्तर दीजिए ।

उत्तर

“दिन रात मर खप कर भी हमारे पसीने की कीमत मात्र जूठन, फिर भी किसी को शिकायत नहीं। कोई शर्मिंदगी नही, कोई पश्चाताप नहीं” ऐसा इसलिए क्योंकि उस समय चुहड़े जाति के लोगों का काम त्यागियों के घर काम करने तथा मेरे हुए मवेशियों को उठाना आदि था। मवेशियो के चमडे बेचकर कुछ पैसे उन्हें मिल जाता था। समय पिछड़ी जातियों की स्थिती बहुत दैनिय थी। उस समय चूहडो को खाने के लिए जूठन ही मिलती थी। वे इन सभी चीजों को अपना चुके थे। वे इन सभी को वो अपनी किस्मत मान लिए थे।


सुरेंद्र की बातों को सुनकर लेखक विचलित क्यों हो जाते हैं ?

उत्तर

सुरेंद्र की बातो को सुनकर लेखक को अपने बचपन की बाते याद आती है। ये बाते तब की है जब सुरेंद्र पैदा भी नही हुआ था। उसकी बड़ी बुआ की शादी थी। शादी से दस-बारह दिन पहले से लेखक की माँ-पिताजी ने सुखदेव सिंह त्यागी के घर-आँगन से लेकर बाहर तक के सभी काम किए थे। लेखक के माँ द्वारा भोजन माँगने पर उन्हें बेइज़्जत किया गया। सुखदेव सिंह ने जूठन के तरफ इशारा करते हुए कहते है “अपनी औकात मे रह चूहड़ी। उठा टोकरा, दरवाजे से और चलती बन” इन्ही सभी बातों को याद करके लेखक विचलीत हो जाते है।


घर पहुँचने पर लेखक को देख उनकी माँ क्यों रो पड़ती हैं ?

उत्तर

ब्रह्मदेव तगा का बैल रास्ते मे मर गया था। उसे उठाने का काम लेखक के परिवार को मिला था। उस समय लेखक के घर पर कोई पुरुष नही था। जानवरो के चमड़े बेच कर कुछ पैसे मिलते थे। उसे लेखक की माँ गवाना नहीं चाहती थी। इसलिए उन्होने लेखक को ना चाहते हुए भी स्कूल से बुलआकर सोल्ड़ चाचा के साथ उनकी सहायता के लिए भेज देती है लेकिन जब लेखक घर वापस आते हैं तो उनकी हालत को देखकर उनकी माँ रो पड़ी। Juthan subjective Q and A


व्याख्या करें
‘कितने क्रूर समाज में रहे हैं हम, जहाँ श्रम का कोई मोल ही नहीं बल्कि निर्धनता को बरकरार रखने का षड्यंत्र ही था यह सब ।’

उत्तर

प्रस्तुत पंक्तियाँ दलित आंदोलन के सुप्रसिद्ध लेखक ओमप्रकाश वाल्मीकि रचित आत्मकथा ‘जूठन’ से उद्धृत अंश है।

लेखक ने यहाँ समाज की विद्रूपताओं पर कटाक्ष किया है। लेखक के पूरे परिवार द्वारा मेहनत और परिश्रम से कार्य किये जाने के बावजूद भी उन्हे दो वक्त की रोटी नसीब नहीं होती थी। रोटी की बात कौन कहे जूठन नसीब होना भी मुश्किल था। विद्यालय का हेडमास्टर चूहड़े के बेटे को विद्यालय में पढ़ाना नहीं चाहता है, उसका खानदानी काम ही उसके लिए है। चूहड़े का बेटा है लेखक, इसलिए पत्तलों का जूठन ही उसका निवाला है।

एक संस्मरण लेखक यहाँ प्रस्तुत करता है। मरे हुए पशुओं को उठाना भी बड़ा हो कठिन कार्य रहता है। उसके अगले-पिछले पैरों को रस्सी से बाँधकर बाँस की मोटी-मोटी बाहियों से उठाना पड़ता था। लेखक इतने परिश्रम काम के बदले में मात्र दस-पंद्रह रुपये हाथ में आने की बात कहता है। इस प्रकार के कठिन श्रम से इतनी आमदनी होना समाज की क्रूरता नहीं तो और क्या है ? लेखक के अनुसार यहाँ श्रम का कोई मोल नहीं। श्रम का पारिश्रमिक नहीं के बराबर है। लेखक इसे निर्धनता के प्रति एक षड्यंत्र मानते है।


लेखक की भाभी क्या कहती हैं ? उनके कथन का महत्त्व बताइए ।

उत्तर

ब्रह्मदेव तगा का बैल रास्ते मे मर गया था। उसे उठाने का काम लेखक के परिवार को मिला था। उस समय लेखक के घर पर कोई पुरुष नही था। जानवरो के चमड़े बेच कर कुछ पैसे मिलते थे। उसे लेखक की माँ गवाना नहीं चाहती थी। इसलिए उन्होने लेखक को ना चाहते हुए भी स्कूल से बुलआकर सोल्ड़ चाचा के साथ उनकी सहायता के लिए भेज देती है लेकिन जब लेखक घर वापस आते हैं तो उनकी हालत को देखकर उनकी माँ रो पड़ी और लेखक की भाभी कहती है की “इनसे ये ना कराओं …….. भूखे रह लेंगे …….. इन्हे इस गंदगी मे ना घसीटो!”

लेखक के भविष्य मे होने वाले परिवर्तन का कारण भाभी का कथन ही है। यह कथन अंधेरे मे रौशनी बनकर चमकते है।  Juthan subjective Q and A


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हिन्दी 100 मार्क्स सारांश

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घर पहुंचने पर लेखक को देख उनकी माँ क्यों रो पड़ती है ? माँ रो पड़ती है। वह अपनी बेवसी, लाचारी और दुर्दशा पर रोती है। वह समाज की उन तथाकथित रईसों पर रोती है।

अप्पू की मां क्यों रो रही थी?

Solution : कंचे देखकर अप्पू की माँ सोचने लगी कि यह कंचे किसके साथ खेलेगा। इसी बात पर उसे अपनी मरी बच्ची की याद आ गयी और वह रोने लगी।

चिट्ठियों के कुएं में गिर जाने पर लेखक को मां की याद क्यों आई?

लेखक निराशा, पिटने के भय, और उद्वेग से रोने का उफ़ान नहीं सँभाल पा रहा था। इस समय उसे माँ की गोद की याद आ रही थी। वह चाहता था कि माँ आकर उसे छाती से लगा ले और लाड-प्यार करके कह दे कि कोई बात नहीं, चिट्ठियाँ फिर लिख ली जाएँगी। उसे विश्वास था कि माँ ही उसे इस विपदा में सच्ची सांत्वना दे सकती है।

कंचा पाठ के लेखक कौन हैं?

इस कहानी में लेखक श्री टी० पद्मनाभन ने बालजीवन का सुंदर चित्रण किया है| कैसे एक बालक अपने खेलने के सामान बाकी अन्य चीज़ों से ऊपर रखता है और किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहता| अप्पू हाथ में बस्ता लटकाए नीम के पेड़ों की घनी छाया से गुजर रहा था।