घुड़ला मेला कब मनाया जाता है? - ghudala mela kab manaaya jaata hai?

प्रश्न 11. राजस्थान में कजली तीज का त्यौहार व मेला कहां का प्रसिद्ध है -

 (अ) जयपुर

 (ब) बूंदी

 (स) शेखावटी

 (द) जोधपुर


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प्रश्न 12. नेवलों की पूजा किस दिन की जाती है?

 (अ) गुरु पूर्णिमा

 (ब) निडरी नवमी

 (स) योगिनी एकादशी

 (द) नेवालाष्टमी


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प्रश्न 13. षट्तिला एकादशी को किस भगवान की पूजा की जाती है -

 (अ) राम

 (ब) शंकर

 (स) विष्णु

 (द) कृष्ण


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प्रश्न 14. राजस्थानी त्यौहारों में सबसे ज्यादा गीतों वाला त्यौहार है -

 (अ) तीज

 (ब) गणगौर

 (स) दीपावली

 (द) होली


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प्रश्न 15. राजस्थान में बड़ी तीज मनाई जाती है-

 (अ) श्रावण कृष्ण तृतीया

 (ब) श्रावण शुक्ल तृतीया

 (स) भाद्र शुक्ल तृतीया

 (द) आषाढ़ कृष्ण तृतीय

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प्रश्न 16. राजस्थान में ‘घुड़ला त्यौहार’ कब मनाया जाता है -

 (अ) चैत्र कृष्ण अष्टमी

 (ब) श्रावण कृष्ण एकम

 (स) चैत्र शुक्ल तृतीया

 (द) भाद्रपद शुक्ल अष्टमी


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प्रश्न 17 . किस दिन मौन व्रत किया जाता है -

 (अ) माघ अमावस्या

 (ब) भाद्रपद अमावस्या

 (स) फाल्गुन अमावस्या

 (द) श्रावण अमावस्या


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प्रश्न 18. ‘अक्षय तृतीया’ 

 (अ) वैशाख शुक्ला तृतीया

 (ब) चैत्र शुक्ला तृतीया

 (स) जेष्ठ शुक्ला तृतीय

 (द) श्रावण शुक्ला तृतीय


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प्रश्न 19. गुरू पूर्णिमा मनाई जाती है -

 (अ) आषाढ़ पूर्णिमा

 (ब) श्रावण पूर्णिमा

 (स) भाद्रपद पूर्णिमा

 (द) माघ पुर्णिमा

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प्रश्न 20. धुलंडी का त्यौहार कब मनाया जाता है -

 (अ) चैत्र कृष्णा एकम

 (ब) फाल्गुन पूर्णिमा

 (स) श्रावण पूर्णिमा

 (द) बैसाख कृष्णा एकम


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फोटो तब का है जब नैनसा ने पहली बार महिला के वेश में घुड़ला उठाया। इसके बाद लगातार 25 साल यह परंपरा उन्होंने ही निभाई।

ऑडिशन के बाद आईटी कंपनी में एचआर अक्षय सलेक्ट, दिन से ही तैयारी शुरू, आज 16 शृंगार कर उठाएंगे घुड़ला शहर के पारंपरिक त्योहार गणगौर में सोमवार को फगड़ा-घुड़ला मेले का आयोजन होगा। मेले के आखिरी छोर पर एक पुरुष तीन किलो स्वर्णाभूषणों से लदकद महिला का भेष धारण कर सिर पर घुड़ला उठाए चलता है। घुड़ला उठाने का मौका भी हर किसी को नहीं मिलता।

इसके लिए भी युवाओं की लंबी कतार होती है, जिनमें से किसी एक को चुनने की प्रक्रिया एक माह पहले शुरू हो जाती है। ये पूरी प्रक्रिया किसी मॉडल के चुनाव से कम नहीं होती। सिटी पुलिस फगड़ा-घुड़ला कमेटी बाकायदा ऑडिशन के जरिए युवक का चुनाव करती हैं।

युवक कमेटी के पास अपनी मॉडलिंग फोटो जमा कराते हैं, कमेटी सभी को बुलाकर ऑडिशन लेती हैं और फिर एक युवक को चुना जाता है। इस बार भी करीब 20 युवकों ने घुड़ला उठाने की इच्छा जताई। इनमें से कैलिफाेर्निया की जोधपुर में स्थापित एक आईटी कंपनी में एचआर का काम करने वाले अक्षय लोहिया को चुना गया। जूनी मंडी निवासी अक्षय को महिला के वेश में तैयार करने की प्रक्रिया रविवार को ही शुरू हो गई।

उसके हाथों व पैरों में मेंहदी लगाई गई। अब सोमवार को सुबह से ही अक्षय का महिला की तरह 16 श्रृंगार होगा। इस दौरान मेडिक्योर-पेडीक्योर से लेकर मेकअप करने के बाद उसे लहंगा सूट सिर से पांव तक गहनों से शृंगारित किया जाएगा। आयोजन समिति के सदस्य महेश गांधी ने बताया कि अक्षय को करीब 3 किलो स्वर्णाभूषण पहनाए जाएंगे। जिसकी कीमत एक से डेढ़ करोड़ के बीच होगी।

वर्ष 1969 में सबसे पहले लेखराज सोनी ने धारण किया था महिला वेश, फिर 25 बार नैनसा ने परंपरा निभाई

कमेटी के सदस्य संजय असोपा ने बताया कि फगड़ा मेले की कमेटी में चार लोग शामिल हैं। इसमें भगवान गांधी, अविनाश गांधी, महेश गांधी और वे खुद। यह परंपरा 54 साल से चली आ रही है। वर्ष 1969 में सबसे पहले लेखराज सोनी ने महिला का वेश धारण कर घुड़ला उठाया था। उनके अलावा सर्वाधिक नैनसा उर्फ सोमप्रकाश सोनी ने घुड़ला उठाया।

मेले केे करीब 50 से ज्यादा आयोजन में 25 बार केवल नैनसा ने ही घुड़ला उठाया। इनके अलावा श्रीकृष्ण सोनी, रामाकिशन सोनी, शिवप्रकाश सोनी, बलजीत सोनी, रितेश सैन, श्रीराम सोनी, राम सोनी, देव सोनी, मुकेश सोनी, विजय आसोपा आदि भी घुड़ला उठा चुके हैं। जिसमें से श्रीकृष्ण सोनी तीन बार, बलजीत सोनी दो बार, राम सोनी दो बार, मुकेश सोनी दो बार, विजय आसोपा दो बार, शेष सभी ने एक एक बार घुड़ला उठाया।

मेले की शुरुआत में हंसराज गांधी, रामभजन गांधी, हरिशंकर गांधी, रामस्वरूप गांधी, श्रीराम गांधी, शिवरतन सोनी, हरिशचंद्र व्यास, राधेश्याम आसोपा, रेखराज सोनी, रामेश्वर गांधी व भगवती लाल शर्मा के अलावा कई लोग मेले जुड़े हुए थे। दूसरी पीढ़ी में सुरेश गांधी, रमेश गांधी, भगवान गांधी, प्रीतम शर्मा, अविनाश गांधी, उमाशंकर शर्मा, संजय आसोपा, चंद्रमोहन गांधी शिवप्रकाश सोनी व चमन सोनी भी जुड़े। इसके बाद अब तीसरी पीढ़ी में नरेश गांधी सहित कई लोग शामिल है।

राजस्थान में घुड़ला त्यौहार कब मनाया जाता है?

मारवाड़ का घुड़ला त्यौहार मारवाड़ के जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर आदि जिलों में चैत्र कृष्ण सप्तमी अर्थात शीतला सप्तमी से लेकर चैत्र शुक्ला तृतीया तक घुड़ला त्यौहार मनाया जाता है।

राजस्थान में घुड़ला त्यौहार क्यों मनाया जाता है?

- महिलाओं की मुक्ति के इस पर्व को उसके बाद से हर साल मनाया जाता है। - इसके तहत महिलाएं मिलकर एक छोटा घड़ा खरीदती है। इस घड़े पर घुड़ले खान के चेहरे पर हुए घाव के प्रतीक के रूप में छिद्र करवाती है। - इसके बाद घड़े को रंगों की आकर्षक कलाकारी से रंग कर इसमें एक दीपक रख वे गीत गाती हुई शहर में रोज शाम को घूमने निकलती है।

घुड़ला नृत्य क्या है?

घुड़ला नृत्य राजस्थान का प्रसिद्ध लोक नृत्य है। यह नृत्य मुख्य रूप से मारवाड़ में किया जाता है। इस नृत्य में छेद वाले मटकी में दीपक रख कर स्त्रियाँ टोली बनाकर 'पनिहारी' या 'घूमर' की तरह गोल घेरे में गीत गाती हुई नाचती हैं। यह मुख्यत: मारवाड़ में, लेकिन फिर भी सम्पूर्ण राजस्थान में किया जाने वाला नृत्य है।

राजस्थान में त्यौहार क्या है?

बछडे की पूजा की जाती है। रणथम्भौर (सवाई माधोपुर ) में इस दिन मेला भरता है। महाराष्ट्र का प्रमुख त्यौहार है। ... हिन्दी तारीख के लिए.