'बहुत दिन हुए / हमें अपने मन के छंद छुए।'- इस पंक्ति का अर्थ और क्या हो सकता है? अगले पृष्ठ पर दिए हुए वाक्यों की सहायता से सोचिए और अर्थ लिखिए- (क) बहुत दिन हो गए, मन में कोई उमंग नहीं आई। (ख) बहुत दिन हो गए, मन के भीतर कविता-सी कोई बात नहीं उठी, जिसमें छंद हो, लय हो। (ग) बहुत दिन हो गए, गाने-गुनगुनाने का मन नहीं हुआ। (घ) बहुत दिन हो गए, मन का दुख दूर नहीं हुआ और न मन में खुशी आई। मन के छंद का क्या अर्थ है?मन के छंद से यहाँ तात्पर्य मन की खुशी से है। अर्थात् यहाँ कठपुतलियाँ कहती हैं कि बहुत दिनों से हमने अपनी मर्ज़ी से अपनी खुशी के लिए कुछ नहीं किया। इसी कारण से हमारे मन की इच्छाएँ खत्म हो गई हैं, हमारे मन का दुख दूर नहीं हुआ। Q.
हमेंअपनेमन के छों द हुए का क्या अर्थहै?लग गए हमें ऊपर आने में।
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