हिमालय के निर्माण में कौन सा सिद्धांत सामान्य है? - himaalay ke nirmaan mein kaun sa siddhaant saamaany hai?

क्या आप जानते है कि हिमालय पर्वत का निर्माण कैसे हुआ? इसे समझना सचमुच उतना मुश्किल नहीं है जितना अक्सर आप सोचते है| यदि आप कुछ बेसिक चीजों को समझ लेते है तो हिमालय के बनने की प्रक्रिया को समझना सचमुच बहुत आसान है| हम इस लेख में हिमालय पर्वत की उत्पत्ति कैसे हुई को बताने वाला सबसे आधुनिक सिद्धांत प्लेट विवर्तनिकी को समझेंगें|

हिमालय के निर्माण में कौन सा सिद्धांत सामान्य है? - himaalay ke nirmaan mein kaun sa siddhaant saamaany hai?
हिमालय के निर्माण में कौन सा सिद्धांत सामान्य है? - himaalay ke nirmaan mein kaun sa siddhaant saamaany hai?

यह टॉपिक्स आईएएस, पीसीएस प्रारम्भिक, मुख्य परीक्षा और भूगोल के वैकल्पिक विषय सभी के लिए महत्वपूर्ण है|

हिमालय पर्वत का निर्माण कैसे हुआ के बारे में बात करने से पहले हम यह समझना चाहिए कि हिमालय क्या है? वैसे छात्र जो भूगोल से जुड़े विषय को अधिक नहीं जानते है उनके लिए यह वर्णन किया जाना विशेष लाभकारी हो सकता है|

हिमालय विश्व का नवीन वलित पर्वत है| वलित पर्वत से तात्पर्य है कि यह फोल्ड रूप में है| ठीक वैसे ही जैसे आप किसी पेपर को फोल्ड करते है|

हिमालय के निर्माण में कौन सा सिद्धांत सामान्य है? - himaalay ke nirmaan mein kaun sa siddhaant saamaany hai?
हिमालय के निर्माण में कौन सा सिद्धांत सामान्य है? - himaalay ke nirmaan mein kaun sa siddhaant saamaany hai?

यह भी पढ़ें :-भूसन्नति या भूअभिनति

हिमालय को अल्पाइन पर्वत या टर्शियरी पर्वत कहते हैं| इसका विस्तार भारत के उत्तरी भाग में लगभग 5 लाख वर्ग किलोमीटर में है| इसकी औसत ऊंचाई 6000 मीटर है और यह कई समानांतर श्रेणियों में विभाजित है| पश्चिम की ओर यह लगभग 500 किलोमीटर तक चौड़ा है| पूर्व की ओर इसकी चौड़ाई १५०-२०० किलोमीटर तक रह जाती है| इसके बारे में और जानकारी के लिए आपको भारत के प्राकृतिक प्रदेश एवं उनकी विशेषताएं लेख को पढना चाहिए|

आज हिमालय पर्वत का निर्माण कैसे हुआ के बारे में मूलभूत चीजों को जाना जा चूका है| लेकिन किसी भी तथ्य, घटना कि सबसे पहले व्याख्या काफी कठिन होती है|

अभी आप आसानी से सोच सकते है कि हिमालय की उत्पत्ति कैसे हुई लेकिन एक समय भूवैज्ञानिकों ने इसे समझने के खासा परेशानी उठायी| शुरुआत में कई व्याख्या गलत भी किये गये| इसकी उत्पत्ति को लेकर प्लेट विवर्तनिकी के आलावा दो सिद्धांत और महत्वपूर्ण है| वह सिद्धांत है: कोबर का भुसंनिती पर आधारित सिद्धांत और होम्स का संवहन तरंग पर आधारित सिद्धांत|

प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत में इन दोनों की सीमाओं को पाट दिया गया और हिमालय के बनने की सबसे आधुनिक व्याख्या की गयी| आइये इस सिद्धांत के जरिए समझते है कि हिमालय का निर्माण कैसे हुआ|

हिमालय का निर्माण और प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत

प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत द्वारा हिमालय की सर्वाधिक वैज्ञानिक व्याख्या की गयी| यह सिद्धांत हिमालय की उत्पत्ति की प्रक्रिया हिमालय की ऊंचाई और शैल संरचना तथा भौतिक संरचना का भी वैज्ञानिक व्याख्या करता है| ऐसे में यह सर्व मान्य सिद्धांत है| इस सिद्धांत में हिमालय की उत्पत्ति का मुख्य कारण भारतीय प्लेट में अभिशरण यानी कि मिलने की प्रक्रिया मानी गई|

इस सिद्धांत के अनुसार भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के मध्य में टेथिस सागर एक भूसन्नति के रूप में थी|

टेथिस सागर में अवसादीकरण की प्रक्रिया से अवसादी परतदार चट्टानों का निर्माण हुआ| जब भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट में अभिशरण प्रारंभ हुआ, तब सर्वप्रथम टेथिस सागर के मलबे पर दबाव क्रिया से वलन प्रारंभ हुआ इससे ही हिमालय की उत्पति हुई| टेथिस की अवसादी चट्टानें ही हिमालय के अवसादी रूपांतरित चट्टानों का आधार है|

भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट में अभिसरण की स्थिति में अधिक घनत्व के भारतीय प्लेट में क्षेपण की क्रिया प्रारंभ हुई जबकि कम घनत्व के यूरेशियन प्लेट में दबाव के कारण वलन की क्रिया प्रारंभ हुई जिससे हिमालय का निर्माण हुआ|

वर्तमान में भी भारतीय प्लेट की गति उत्तर की ओर बनी हुई है, इसी कारण यूरेशियन प्लेट में भी वलन की क्रिया बनी हुई है और हिमालय में उत्थान जारी है|

यह भी पढ़ें: प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत द्वारा भूगर्भिक क्रियाओं की व्याख्या

निष्कर्ष: हिमालय पर्वत का निर्माण कैसे हुआ (सरल व्याख्या)

हिमालय की उत्पत्ति लंबे भूगर्भिक क्रियाओं के फलस्वरूप करोडो वर्षो में हुई है| वर्तमान में भी इसमें निर्माण की प्रक्रिया जारी है|

हिमालय के निर्माण में प्लेटों के संचलन का महत्वपूर्ण योगदान है| भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट संवहनिक ऊर्जा तरंगों के कारण आपस में अभिसरित हुए| जरा कल्पना करें कि दो प्लेटों के आपस में मिलने से क्या हो सकता है?

इन दो प्लेटों के आपस में टकराने से अधिक घनत्व की भारतीय प्लेट नीचे हो गयी और कम घनत्व वाली यूरेशियन प्लेट में वलन होना प्रारंभ हो गया| इतने ऊंचे हिमालय का निर्माण इसी प्रक्रिया के द्वारा हुआ है| हिमालय की उत्पत्ति में भूसन्निति के मलबों का भी योगदान है|

दो महाद्वीपों के मध्य संकरे छिछले भाग को भूसन्निति कहते है| भूवैज्ञानिकों के अनुसार किसी समय में सभी महाद्वीप आपस में जुड़े थे और इन्हें पैंजिया कहा जाता था| जब इनमें विखंडन हुआ तो बीच में टेथिस सागर बना जो एक भूसन्निति के रूप में था|

इसमें दोनों ओर के महाद्वीपों से अपरदन होकर मलबे गिरते रहे थे| और फिर जब भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट में टक्कर हुआ तो सबसे पहले इन्हीं मलबों में वलन की क्रिया हुई| इसीलिए तो हिमालय में अवसादी चट्टान भी पाये जाते है| यदि ऐसा नहीं होता तो इसमें सिर्फ आग्नेय एवं रूपांतरित चट्टान ही पाये जाते|

हमें उम्मीद है कि इस लेख ने आपको हिमालय पर्वत का निर्माण कैसे हुआ के साथ ही हिमालय पर्वत की उत्पत्ति का सबसे आधुनिक सिद्धांत प्लेट विवर्तनिकी को जानने में आपकी सहायता की| इससे संबंधित विचार अथवा प्रश्न आप कमेंट के माध्यम से साझा कर सकते है|

हिमालय का निर्माण में कौन सा सिद्धांत सर्वमान्य है?

हिमालय की उत्पत्ति की व्याख्या कोबर के भूसन्नति सिद्धांत और प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत द्वारा की जाती है।

हिमालय का निर्माण कैसे हुआ चित्र सहित समझाइए?

Solution : जिन स्थलों पर दो प्लेटें आपस में टकराती हैं वहां इतना अधिक दबाव पैदा होता है कि उससे सतह पर विशाल सिलवटें पड़ जाती हैं जिनसे ऊँची पर्वत श्रृंखलाओं का निर्माण होता है। ... पृथ्वी के बीच प्लेटों की सबसे बड़ी इस टक्कर से ही दुनिया की सबसे ऊँची पर्वत श्रृंखला हिमालय व तिब्बत पठार का निर्माण हुआ

हिमालय का निर्माण कैसे हुआ Drishti IAS?

दूसरे चरण में महासागरीय किनारा महाद्वीपीय प्लेट के नीचे पूर्णतः क्षेपित हो जाता हैं अर्थात् सागर का संकुचन होता है। अंत में अंतिम चरण में महाद्वीपीय प्लेट एक दूसरे से टकराती है तथा संपीडन के कारण उत्पन्न वलन प्रक्रिया द्वारा मोड़दार वलित पर्वत अर्थात् हिमालय तथा अप्लेशियन पर्वत की उत्पत्ति होती है।

हिमालय का निर्माण कैसे हुआ था?

वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी पर पहले छोटी-छोटी कई प्लेटें थीं। यह प्लेटें जुड़कर महाद्वीपों की संरचना होता है। पृथ्वी के बड़े प्लेटों से टकरा कर वह हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ है।