हमारे शरीर में ग्राही का क्या कार्य है ऐसी स्थिति पर विचार कीजिए जहाँ ग्राही उचित प्रकार से? - hamaare shareer mein graahee ka kya kaary hai aisee sthiti par vichaar keejie jahaan graahee uchit prakaar se?

विज्ञान

प्रश्न 98 : हमारे शरीर में ग्राही का क्या कार्य है? ऐसी स्थिति पर विचार कीजिए जहाँ ग्राही उचित प्रकार से कार्य नहीं कर रहा हो। क्या समस्याएँ उत्पन्न हो सकती।

उत्तर : ग्राही, हमारी ज्ञानेन्द्रियों में स्थित एक खास कोशिकाएँ होती हैं, जो वातावरण से सभी सूचनाएँ ढूंढ निकालती हैं। और उन्हें केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (मेरूरज्जू तथा मस्तिष्क) में पहुँचाती हैं। मस्तिष्क के भाग अग्र मस्तिष्क में विभिन्न ग्राही से संवेदी आवेग (सूचनाएँ) प्राप्त करने के लिए क्षेत्र होते हैं। इसके अलग-अलग क्षेत्र सुनने, सँघने, देखने आदि के लिए विशिष्टीकृत होते हैं। यदि कोई ग्राही उचित प्रकार कार्य नहीं करेगी तो उस ग्राही द्वारा एकत्र की गई सूचना मस्तिष्क तक नहीं पहुँचेगी।

उदाहरण-
(1) यदि रेटिना की कोशिका अच्छी तरह कार्य नहीं करेगी, तो हम देख नहीं पाएँगे तथा अंधे भी हो सकते हैं।
(2) जिव्हा द्वारा मीठा, नमकीन आदि स्वाद का पता लगाना सम्भव नहीं हो पाएगा।


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4 हमारे शरीर में ग्राही का क्या कार्य है ऐसी स्थिति पर विचार कीजिए जहाँ ग्राही उचित प्रकार से?

ये ग्राही हमारे संवेदी अंगों में स्थित होते है । कुछ अवस्थाएँ जहाँ ग्राही उचित प्रकार से कार्य न करें जैसे भूखे व्यक्ति के मुँह में पानी का आना , घुटने की प्रतिक्षेप आदि जो की तुरंत मेरूरज्जु द्वारा होती है , तब मस्तिष्क द्वारा संपादित होने में काफी समय लगा जाएगा जिससे कुछ दुर्घटनाएँ हो सकती है।

हमारे शरीर में ग्राही का क्या?

उत्तर : ग्राही, हमारी ज्ञानेन्द्रियों में स्थित एक खास कोशिकाएँ होती हैं, जो वातावरण से सभी सूचनाएँ ढूंढ निकालती हैं। और उन्हें केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (मेरूरज्जू तथा मस्तिष्क) में पहुँचाती हैं। मस्तिष्क के भाग अग्र मस्तिष्क में विभिन्न ग्राही से संवेदी आवेग (सूचनाएँ) प्राप्त करने के लिए क्षेत्र होते हैं।