भारतेंदु युग की विशेषताएं/भारतेंदु युग किसे कहते हैं ?नमस्कार दोस्तों आज की है पोस्ट आपके लिए बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण होने वाली है इस पोस्ट में हम आपको भारतेंदु युग से जुड़ी सारी जानकारी बताने वाले हैं तो आप इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें। Show
bhartendu yug ki visheshta,bhartendu yug ki visheshtaen likhiye,भारतेंदु युग की विशेषताएं लिखिए,भारतेंदु युग के निबंधों की चार विशेषताएं लिखिए, भारतेंदु युग किसे कहते हैं ? ( Bharatendu yug kise khte hai ?)हिंदी साहित्य के इतिहास में आधुनिक काल के प्रथम चरण को भारतेंदु युग के नाम से जाना जाता है। भारतेंदु युग का परिचय - भारतेंदु जी के द्वारा हिंदी साहित्य में एक बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण योगदान दिया गया है। उनकी इन्हीं महत्वपूर्ण सेवाओं को देखते हुए ऐसे योग का प्रचार करने वाला तथा गद्य साहित्य का जन्मदाता भारतेंदु जी को कहा जाता है। भारतेंदु युग के प्रमुख लेखक - 1. प्रताप नारायण मिश्र (1856-1894) 2. भारतेंदु हरिश्चंद्र (1850-1885) 3. ठाकुर जगमोहन सिंह (1857-1899) 4. अंबिकादत्त व्यास (1858-1900) 5. राधाकृष्णदास (1865-1907) 6. प्रेमघन (1855-1923) 7. श्रीनिवासदास 8. सीताराम 9. राय देवी 10. बालमुकुंद गुप्त भारतेंदु युगीन निबंधों की विशेषताएं - 1. राष्ट्रीयता की भावना 2. सामाजिक चेतना का विकास 3. हास्य व्यंग्य 4. अंग्रेजी शिक्षा का विरोध भारतेंदु युग की चार विशेषताएंभारतेंदु युगीन काव्य की चार विशेषताएं लिखिए।उत्तर - भारतेंदु युगीन काव्य की विशेषताएं निम्न है - 1. राष्ट्रीयता की भावना - भारतेंदु युग के कवियों ने देश प्रेम की रचनाओं के माध्यम से जनमानस में राष्ट्रीय भावना का बीजारोपण किया है। 2. सामाजिक चेतना का विकास - भारतेंदु युगीन काव्य सामाजिक चेतना का काव्य है। इस युग के कवियों ने समाज में व्याप्त अंधविश्वासों एवं सामाजिक रूढ़ियों को दूर करने हेतु कविताएं लिखी। 3. हास्य व्यंग्य - हास्य व्यंग्य शैली को माध्यम बनाकर पश्चिमी सभ्यता, विदेशी शासन तथा सामाजिक अंधविश्वासों पर करारे व्यंग प्रहार किए गए। 4. अंग्रेजी शिक्षा का विरोध - भारतेंदु युगीन कवियों ने अंग्रेजी भाषा तथा अंग्रेजी शिक्षा के प्रचार-प्रसार के प्रति अपना विरोध कविताओं में प्रकट किया है। 5. भारतीय संस्कृति का गौरव गान - भारतीय सभ्यता और संस्कृति की अपेक्षा पश्चिमी सभ्यता और संस्कृत को उच्च बताने वालों के विरुद्ध व्यंग्य और हास्य पूर्ण रचनाएं लिखी गईं। भारत के गौरवमय अतीत को भी कविता का विषय बनाया गया। 6. छंद विधान की नवीनता - भारतेंदु ने जातीय संगीत का गांवों में प्रचार के लिए ग्राम छंद, कजरी, ठुमरी, लावणी, कहरवा तथा चैती आदि को अपनाने पर जोर दिया। कवितसवैया, दोहा जैसे परंपरागत छंदो के साथ-साथ इनका भी जमकर प्रयोग किया गया। 7. गद्य एवं उनकी विधाओं का विकास - भारतेंदु युग की सबसे महत्वपूर्ण देेन है गद्य एवं उनके अन्य विधाओं का विकास। इस युग में गद्य के साथ गद्य विधा प्रयोग में आई जिससे मानव के बौद्धिक चिंतन का भी विकास हुआ। कहानी, नाटक, आलोचना आदि विधाओं के विकास की पृष्ठभूमि का भी यही योग रहा है। 8. प्राकृतिक वर्णन - इस युग के अधिकांश कवियों ने अपने काव्य में प्रकृति को विषय के रूप में ग्रहण किया है। उनके प्राकृतिक वर्णन में श्रृंगारिक भावनाओं की प्रधानता है। भारतेंदुु की बसंत होली। अंबिकादत्त व्यास की पावन पचासा प्रेेमधन की मयंक महिला आदि इसी कोटि की रचनाएं हैं। इसे भी पढ़े भारतेंदु युग के निबंधों की सबसे बड़ी विशेषता क्या है?प्राचीन छंद-योजना : भारतेन्दु युग में कवियों ने छन्द के क्षेत्र में कोई नवीन एवम् स्वतंत्र प्रयास नहीं किया। इन्होंने परम्परा से चले आते हुए छन्दों का उपयोग किया है। भक्ति और रीति काल के कवित्त, सवैया, रोला, दोहा, छप्पय आदि छंदों का इन्होंने प्रयोग किया।
भारतेंदु युग की प्रमुख विशेषताएं क्या है?इस युग के गद्य की पिली त्तवशेर्षता यि िै दक इसमें खडी बोली गद्य का प्रयोग हुआ िै। खडी बोली गद्य में सात्तित्य की त्तवत्तवध त्तवधाओं को जन्म देने का श्ेय भारतेन्दु एव उनके युगीन सात्तित्यकारों को िी िै।
भारतेंदु युग के निबंध कौन है?भारतेन्दु युग भारतेन्दु काल के वातावरण और परिस्थितियों से तो आप परिचित ही है। उस युग में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, बालकृष्ण भट्ट, प्रतापनारायण मिश्र, बदरी नारायण चौधरी 'प्रेमधन', बालमुकुन्द गुप्त, राधाचरण गोस्वामी जैसे प्रमुख निबन्धकार हुए।
भारतेंदु जी की काव्यगत विशेषताएं कौन कौन सी है?भारतेन्दु युग की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार है. राष्ट्रीयता. सामाजिक चेतना. 3 भक्ति भावना. श्रंगारिकता. जनजीवन चित्रण. प्रकृति चित्रण. 7 काव्य रूप. भाषायी चेतना. |