हनुमान जी अपनी शक्ति कैसे भूल गए थे? - hanumaan jee apanee shakti kaise bhool gae the?

श्री सीता हरण के बाद हनुमानजी और श्रीराम का मिलन हुआ और हनुमानजी ने श्रीराम को सुग्रीव, जामवंत आदि वानरयूथों से मिलाया। फिर जब लंका जाने के लिए रामसेतु बनाया गया तो श्रीराम ने हनुमानजी को लंका जाने का आदेश दिया, परंतु हनुमानजी ने लंका जाने में अपनी असमर्थता जताई तब जामवंतजी ने हनुमानजी को उनकी शक्तियों की याद दिलाई। परंतु सवाल यह है कि हनुमानजी अपनी शक्ति क्यों भूल गए थे?

दरअसल, हनुमानजी को कई देवताओं ने विभिन्न प्रकार के वरदान और अस्त्र-शस्त्र दिए थे। इन वरदानों और अस्त्र-शस्त्र के कारण बचपन में हनुमानजी उधम मचाने लगे थे। खासकर वे ऋषियों के बगीचे में घुसकर फल, फूल खाते थे और ब‍गीचा उजाड़ देते थे। वे तपस्यारत मुनियों को तंग करते थे। उनकी शरारतें बढ़ती गई तो मुनियों ने उनकी शिकायत उनके पिता केसरी से की। माता-पिता में खूब समझाया कि बेटा ऐसा नहीं करते, परंतु हनुमानजी शरारत करने से नहीं रुके तो एक दिन अंगिरा और भृगुवंश के ऋषियों ने कुपित होकर उन्हें श्राप दे दिया कि वे अपने शक्तियों और बल को भूल जाएंगे परंतु उचित समय पर उन्हें उनकी शक्तियों को कोई याद दिलाएगा तो याद आ जाएगी।

फिर जब हनुमानजी को श्रीराम का कार्य करना था तो जामवंत जी का हनुमानजी के साथ लंबा संवाद होता है। इस संवाद में वे हनुमानजी के गुणों का बखान करते हैं और तब हनुमानजी को अपनी शक्तियों का आभास होने लगता है। अपनी शक्तियों का आभास होते ही हनुमानजी विराट रूप धारण करते हैं और समुद्र को पार करने के लिए उड़ जाते हैं।

हनुमानजी अपनी शक्ति क्यों भूल गए थे?

ऋषि-मुनियों ने हनुमान जी को श्राप दिया कि,"आप अपने बल और तेज को सदा के लिए भूल जाएं लेकिन जब कोई आपको आपकी कीर्ति और बल से अवगत कराएगा तभी आपका बल बढ़ेगा।" इस श्राप के कारण हनुमान जी का बल एवं तेज कम हो गया और वह काफी सौम्य हो गए

हनुमान जी को उनकी शक्ति की याद कौन दिलाते हैं और क्यों?

हनुमान को शक्ति याद दिलाना सवाल जवाब हनुमान को शक्ति याद दिलाना जामवंत द्वारा किया आया। क्यूंकि जब हनुमानजी बालावस्था में थे तब उनको एक ऋषि से श्राप मिलता है, की वह अपनी सारी शक्तिया भूल जायेंगे। तब सही समय आने पर माता सीताकी खोज करते समय उनको समुद्र पार करने के समय उनको जामवंत जी ने उनकी शक्तिओ का स्मरण करवाया।

जामवंत ने हनुमान के बारे में क्या कहा?

जामवंत ने हनुमानजी से कहा हे हनुमान, हे बलवान। सुनो, तुम चुप क्यों हो? तुम पवन पुत्र हो, बल में पवन के समान हो, तुम बुद्धि-विवेक और विज्ञान की खान हो॥

लेखक ने हनुमान जी को किसका प्रतीक बताया है?

हनुमान जी चेतन मन के प्रतीक हैं और उनकी पूंछ मानव की इच्छा रूपी पूंछ है जो कि अप्रत्याशित रूप से बढती चली जाती है।