हरियाणा के जिलों के पुराने नाम - hariyaana ke jilon ke puraane naam

» मनुस्मृति में इस राज्य को ब्रह्मा वृत्त कहा गया है तथा इसे सरस्वती व दृषद्वती नदियों के मध्य स्थित बताया गया है।

» बाणभट्ट द्वारा रचित हर्षचरित में इस शब्द को श्रीकंठ जनपद कहा गया है।

» 10 वीं सदी में महापुराण के रचयिता पुष्पदंत ने इस क्षेत्र को हरियाणउ कहा है हरियाणा के विभिन्न क्षेत्रों के प्राचीन नाम इस प्रकार से है —

हरियाणा के शहरों के प्राचीन नाम

क्रमांकशहर का नामप्राचीन नाम1.गुरुग्रामगुड़गांव (द्रोण नगरी)2.जगाधरीयुगंधर3.जींदजयंतपुरी4.रानियांराजबपुर5.सोनीपतसोनप्रस्थ7.महेंद्रगढ़कान्नौड8.सिरसाशोरिष्क्म (सरस्वती नगर)9.सफीदोंसर्पदमन10.आग्रोहाअग्रोहादक11.फतेहाबादइकदार12.हांसीआसी13.पानीपतपनपथ14.कुरुक्षेत्रस्थाणीस्वर15.ऐलनाबादखडिमल16.बहादुरगढ़शरफाबाद17.बल्लभगढ़बलरामगढ़18.पलवलअपवाला20.पिंजौरपंचमपुर21.यमुनानगरअब्दुल्लापुर22.पिहोवापृथुद्क23.अंबालाअम्बवाला24.महममहेस्थ25.रोहतकरोहीतक26.झज्जरछज्जु नगर27.कालकाकालकूट28.भिवानीभियानी 29.नौरंगाबादप्रकृतनाक30.लोहारूलोहा रूप31.रेवाड़ीरेवावाड़ी32.कैथलकपिल स्थल33.थानेसरस्थाणीश्वर

दोस्तों इस पोस्ट में हमने हरियाणा जीके का एक महत्वपूर्ण टॉपिक(Haryana Gk : Ancient Names of Cities of Haryana) से संबंधित हरियाणा के प्रमुख शहरों के प्राचीन नाम की एक सूची आपके साथ साझा की है महाभारत काल में जैन नगर शहर गांव और जनपदों के नाम जो थे उनमें से वर्तमान में कुछ ही के नाम मिलते हैं समय के साथ उन नामों में बदलाव होता गया हालांकि बहुत से ऐसे चेहरा रहे जिन्हें आज भी उन्हीं नामों से पुकारा जाता है जैसे मथुरा, काशी ,जगन्नाथ, द्वारिका, कुरुक्षेत्र आदि कुरुक्षेत्र को आज भी कुरुक्षेत्र कहा जाता है जो कि हरियाणा में स्थित है कुरुक्षेत्र के पास अभिमन्यु पर था जिसे वर्तमान में अमीन के नाम से जानते हैं कुरुक्षेत्र के पास ही जयंता नाम का क्षेत्र है । जिसे वर्तमान में जींद कहा जाता है, जिंद हरियाणा का एक जिला है।

यह राज्य वैदिक सभ्यता और सिंधु घाटी सभ्यता का मुख्य निवास स्थान है। इस क्षेत्र में विभिन्न निर्णायक लड़ाइयाँ भी हुई हैं जिसमें भारत का अधिकतर इतिहास समाहित है। इसमें महाभारत का महाकाव्य युद्ध भी शामिल है। हिन्दू मतों के अनुसार महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में हुआ (इसमें भगवान कृष्ण ने भागवत गीता का वादन किया)। इसके अलावा यहाँ तीन पानीपत की लड़ाइयाँ हुई। ब्रितानी भारत में हरियाणा पंजाब राज्य का अंग था जिसे 1966 में भारत के 17वें राज्य के रूप में पहचान मिली। वर्तमान में खाद्यान और दुग्ध उत्पादन में हरियाणा देश में प्रमुख राज्य है। इस राज्य के निवासियों का प्रमुख व्यवसाय कृषि है। समतल कृषि भूमि निमज्जक कुओं (समर्सिबल पंप) और नहर से सिंचित की जाती है। 1960 के दशक की हरित क्रान्ति में हरियाणा का भारी योगदान रहा जिससे देश खाद्यान सम्पन्न हुआ।

हरियाणा, भारत के अमीर राज्यों में से एक है और प्रति व्यक्ति आय के आधार पर यह देश का दूसरा सबसे धनी राज्य है। वर्ष २०१२-१३ में देश में इसकी प्रति-व्यक्ति ₹ १,१९,१५८ (अर्थव्यवस्था के आकार के आधार पर भारत के राज्य देखें) और वर्ष २०१३-१४ में ₹ १,३२,०८९ रही।[12] इसके अतिरिक्त भारत में सबसे अधिक ग्रामीण करोड़पति भी इसी राज्य में हैं।[13] हरियाणा आर्थिक रूप से दक्षिण एशिया का सबसे विकसित क्षेत्र है और यहाँ कृषि एवं विनिर्माण उद्योग ने १९७० के दशक से निरंतर वृद्धि प्राप्त की है।[14] भारत में हरियाणा यात्रि कारों, द्विचक्र वाहनों और ट्रैक्टरों के निर्माण में सर्वोपरी राज्य है।[15] भारत में प्रति व्यक्ति निवेश के आधार पर वर्ष २००० से राज्य सर्वोपरी स्थान पर रहा है।[16]

मानवविज्ञानी इस विचार के साथ आए कि हरियाणा को इस नाम से जाना जाता है क्योंकि महाभारत काल के बाद यहां आभीर रहते थे।[17] जिन्होंने कृषि की कला में विशेष कौशल विकसित किया।[18] प्राण नाथ चोपड़ा के अनुसार हरियाणा का नाम अभिरायाणा-अहिरयाणा-हिरयाना-हरियाणा से मिला।[19]

ढोसी की पहाड़ी।
अरावली पर्वतमाला का विस्तार राज्य के दक्षिणी हिस्से में है।

हरियाणा उत्तर भारत में स्थित एक स्थलरुद्ध राज्य है। इसका विस्तार २७°३९' उत्तर से ३०°५५' उत्तर तक के अक्षांशों तक, और ७४°२८' पूर्व से ७७°३६' पूर्व तक के देशान्तरों तक है। राज्य की सीमायें उत्तर में पंजाब और हिमाचल प्रदेश, तथा दक्षिण एवं पश्चिम में राजस्थान से जुड़ी हुई हैं। उत्तर प्रदेश राज्य के साथ इसकी पूर्वी सीमा को यमुना नदी परिभाषित करती है। हरियाणा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली को भी तीन ओर से घेरता है। राज्य का क्षेत्रफल ४४,२१२ वर्ग किलोमीटर है, जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का १.४ प्रतिशत है, और इस प्रकार क्षेत्रफल के आधार पर यह भारत का बीस वाँ सबसे बड़ा राज्य है। समुद्र तल से हरियाणा की ऊँचाई ७०० से ३६०० फीट (२०० मीटर से १२०० मीटर) तक है।

भौगोलिक तौर पर हरियाणा को चार भागों में बांटा जा सकता है: राज्य के उत्तरी हिस्से में स्थित यमुना-घग्गर के मैदान, सुदूर उत्तर में शिवालिक पहाड़ियों की एक पट्टी, दक्षिण-पश्चिम में बांगर क्षेत्र तथा दक्षिणी हिस्से में अरावली पर्वतमालाओं के अंतिमांश, जिनका क्षैतिज विस्तार राजस्थान से दिल्ली तक है।[20]:२१ राज्य की मिट्टी आमतौर पर गहरी और उपजाऊ है। हालांकि, पूर्वोत्तर के पहाड़ी और दक्षिण-पश्चिम के रेतीले इलाके इसके अपवाद हैं। राज्य की अधिकांश भूमि कृषि योग्य है, लेकिन यहाँ अत्यधिक सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है।

यमुना राज्य की एकमात्र चिरस्थायी नदी है, जो इसकी पूर्वी सीमा पर बहती है। उत्तरी हरियाणा में उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर बहने वाली कई बरसाती नदियां हैं, जो हिमालय की शिवालिक पहाड़ियों से निकलती हैं। इनमें घग्गर-हकरा, चौटांग, टागंरी, कौशल्या, मारकंडा, सरस्वती और सोम इत्यादि प्रमुख हैं। इसी तरह दक्षिणी हरियाणा में भी अरावली पहाड़ियों से निकलने वाली कई नदियां दक्षिण-पूर्व से उत्तर-पश्चिम की ओर बहती हैं। इन नदियों में साहिबी, दोहान, कृष्णावती और इंदौरी शामिल हैं। माना जाता है कि ये सभी किसी समय सरस्वती नदी की सहायक नदियां थीं। इन नदियों पर राज्य भर में कई बाँध बने हैं, जिनमें यमुना नदी पर बने हथिनीकुंड तथा ताजेवाला बैराज, पंचकुला ज़िले में स्थित कौशल्या बाँध, यमुनानगर ज़िले में स्थित पथराला बैराज तथा सिरसा ज़िले में स्थित ओटू बैराज मुख्य हैं।

हरियाणा की प्रमुख झीलों में गुरुग्राम का बसई वेटलैंड और सुल्तानपुर झील, फरीदाबाद की बड़खल झील और प्राचीन सूरजकुण्ड, कुरुक्षेत्र के सन्निहित और ब्रह्म सरोवर, हिसार की ब्लू बर्ड झील, सोहना की दमदामा झील, यमुनानगर जिले का हथनी कुंड, करनाल की कर्ण झील, और रोहतक की तिल्यार झील, झज्जर जिले का भिंडावास वेटलैंड, इत्यादि प्रमुख हैं। सिंचाई के लिए जल की व्यवस्था हेतु राज्य भर में नहरों का जाल बिछा है, जिनमें पश्चिमी यमुना नहर, इंदिरा गांधी नहर और प्रस्तावित सतलज यमुना लिंक नहर मुख्य हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आने वाले लगभग १४,००० जोहड़ों और ६० झीलों का प्रबंधन हरियाणा राज्य वाटरबॉडी प्रबंधन बोर्ड हरियाणा के जिम्मे है। राज्य का एकमात्र गरम चश्मा सोहना में स्थित है।

राज्य में वन कवर ३.५९% (१,५८६ वर्ग किमी) था, और राज्य में वृक्षारोपण २.९०% (१,२८२ वर्ग किमी) था, जिसमें कुल वन और वृक्ष ६.४९% का कवर था। २०१६-१७ में, १४.१ मिलियन पौधे लगाकर १८,४१२ हेक्टेयर क्षेत्र को वन क्षेत्र के अंतर्गत लाया गया था। पूरे राज्य में कांटेदार, शुष्क, पर्णपाती वन और कांटेदार झाड़ियों को पाया जा सकता है। मानसून के दौरान, घास का एक कालीन पहाड़ियों को ढक लेता है। शहतूत, नीलगिरी, पाइन, किकर, शिशम और बबूल यहां पाए जाने वाले कुछ पेड़ हैं। हरियाणा राज्य में पाए जाने वाले जीवों की प्रजातियों में काला हिरण, नीलगाय, पैंथर, लोमड़ी, नेवला, सियार और जंगली कुत्ता शामिल हैं। यहां पक्षियों की ४५० से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं।

हरियाणा की जलवायु साल भर में गांगेय मैदानों के समान रहती है, यहाँ का मौसम गर्मियों में बहुत गर्म, जबकि सर्दियों में मध्यम ठंडा रहता है। सबसे गर्म महीने मई और जून होते हैं, जब तापमान ४५ डिग्री सेल्सियस (११३ डिग्री फारेनहाइट) तक चला जाता है,नारनौल व हिसार गर्मी में सबसे गर्म तथा सर्दी में सबसे ठंडे शहर और सबसे ठंडे महीने दिसंबर और जनवरी रहते है। कोप्पेन वर्गीकरण के अनुसार राज्य में तीन मौसम क्षेत्र पाए जाते हैं: राज्य के पश्चिमी तथा मध्य हिस्सों की जलवायु अर्द्ध शुष्क है, उत्तरी तथा पूर्वी क्षेत्रों की गर्म भूमध्यसागरीय, जबकि दक्षिणी क्षेत्रों की जलवायु मरुस्थलीय है।[21]

करनाल, कुरुक्षेत्र और अंबाला जिलों के कुछ हिस्सों को छोड़कर पूरे राज्य में वर्षा कम और अनियमित है। वर्ष भर में अधिकतम वर्षा २१६ सेमी, जबकि न्यूनतम वर्षा २५ से ३८ सेमी तक रिकॉर्ड की जाती है। जुलाई से सितंबर के महीनों के दौरान लगभग ८० प्रतिशत बारिश होती है, और शेष वर्षा दिसंबर से फरवरी की अवधि के दौरान प्राप्त होती है।

ऐतिहासिक जनसंख्याजनगणनाजनसंख्या%±१९५१56,74,000—१९६१75,91,00033.8%१९७१1,00,36,00032.2%१९८१1,29,22,00028.8%१९९१1,64,64,00027.4%२००१2,11,45,00028.4%२०११2,53,51,00019.9%स्त्रोत: [22]

2011 की जनगणना के अनुसार, हरियाणा की कुल आबादी लगभग २५,३५०,००० है।

८७.४६% आबादी के साथ हिंदू राज्य में बहुसंख्यक हैं। प्रमुख अल्पसंख्यकों में मुसलमान (७.०३%) (मुख्य रूप से मियो) और सिख (४.९१%) हैं। मुस्लिम मुख्य रूप से नूंह जिले में पाए जाते हैं। हरियाणा में पंजाब के बाद भारत की दूसरी सबसे बड़ी सिख आबादी है, और वे ज्यादातर पंजाब के आस-पास के जिलों, जैसे हिसार, सिरसा, जींद, फतेहाबाद, कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, नारनौल और पंचकुला में रहते हैं।

हरियाणा के भाषायी आंकड़े(2001)[24] ██ हिन्दी (87.31%)██ पंजाबी (10.57%)██ उर्दू (1.23%)██ बंगाली (0.19%)██ नेपाली (0.10%)██ अन्य (0.60%)

हिंदी 2020 तक हरियाणा की एकमात्र आधिकारिक भाषा थी और राज्य की अधिकांश आबादी (८७.३१%) द्वारा बोली जाती है।[24] हरियाणा में ७०% ग्रामीण आबादी है जो मुख्य रूप से हिंदी की हरियाणवी बोली बोलती है। हरियाणा में ब्रजभाषा भी लोकप्रिय है, जो पलवल ज़िला और गुरूग्राम ज़िला में प्रमुखता से बोली जाती है।[25] साथ ही साथ अन्य संबंधित बोलियां भी, जैसे बागरी और मेवाती भी बोली जाती हैं।

इन्हें भी देखें: हरियाणा का इतिहास

इसकी स्थापना १ नवम्बर १९६६ को हुई। इसे भाषायी आधार पर पूर्वी पंजाब से नये राज्य के रूप में बनाया गया।[26][27][28] शब्द हरियाणा सर्वप्रथम १२वीं सदी में अपभ्रंश लेखक विबुध श्रीधर (विसं ११८९–१२३०) ने उल्लिखीत किया था।[29]

सिंधु घाटी जितनी पुरानी कई सभ्यताओं के अवशेष सरस्वती नदी के किनारे पाए गए हैं। जिनमे नौरंगाबाद और मिट्टाथल भिवानी में, कुणाल, फतेहाबाद मे, अग्रोहा और राखीगढी़ हिसार में, रूखी रोहतक में और बनवाली फतेहाबाद जिले में प्रमुख है। प्राचीन वैदिक सभ्यता भी सरस्वती नदी के तट के आस पास फली फूली। ऋग्वेद के मंत्रों की रचना भी यहीं हुई है।

कुछ प्राचीन हिंदू ग्रंथों के अनुसार, कुरुक्षेत्र की सीमायें, मोटे तौर पर हरियाणा राज्य की सीमायें हैं। तैत्रीय अरण्यक ५.१.१ के अनुसार, कुरुक्षेत्र क्षेत्र, तुर्घना (श्रुघना / सुघ सरहिन्द, पंजाब में) के दक्षिण में, खांडव (दिल्ली और मेवात क्षेत्र) के उत्तर में, मारू (रेगिस्तान) के पूर्व में और पारिन के पश्चिम में है।[30] भारत के महाकाव्य महाभारतमे हरियाणा का उल्लेख बहुधान्यकऔर बहुधनके रूप में किया गया है। महाभारत में वर्णित हरियाणा के कुछ स्थान आज के आधुनिक शहरों जैसे, प्रिथुदक (पेहोवा), तिलप्रस्थ (तिल्पुट), पानप्रस्थ (पानीपत) और सोनप्रस्थ (सोनीपत) में विकसित हो गये हैं। गुड़गाँव का अर्थ गुरु के ग्राम यानि गुरु द्रोणाचार्य के गाँव से है। कौरवों और पांडवों के बीच हुआ महाभारत का प्रसिद्ध युद्ध कुरुक्षेत्र नगर के निकट हुआ था। कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश यहीं पर दिया था। इसके बाद अठारह दिन तक हस्तिनापुर के सिंहासन का अधिकारी तय करने के लिये कुरुक्षेत्र के मैदानी इलाकों में पूरे भारत से आयी सेनाओं के मध्य भीषण संघर्ष हुआ। जनश्रुति के अनुसार महाराजा अग्रसेन् ने अग्रोहा जो आज के हिसार के निकट स्थित है, में एक व्यापारियों के समृद्ध नगर की स्थापना की थी। किवंदती है कि जो भी व्यक्ति यहाँ बसना चाहता था उसे एक ईंट और रुपया शहर के सभी एक लाख नागरिकों द्वारा दिया जाता था, इससे उस व्यक्ति के पास घर बनाने के लिये पर्याप्त ईंटें और व्यापार शुरू करने के लिए पर्याप्त धन होता था।

हूण के शासन के पश्चात हर्षवर्धन द्वारा 7वीं शताब्दी में स्थापित राज्य की राजधानी कुरुक्षेत्र के पास थानेसर में बसायी। उसकी मौत के बाद गुर्जर प्रतिहार ने वहां शासन करना आरंभ कर दिया और अपनी राजधानी कन्नौज बना ली। यह स्थान दिल्ली के शासक के लिये महत्वपूर्ण था। पृथ्वीराज चौहान ने १२वीं शताब्दी में अपना किला hansi और तरावड़ी (पुराना नाम तराईन) में स्थापित कर लिया।मुहम्मद गौरी ने दुसरी तराईन युध में इस पर कब्जा कर लिया। उसके पश्चात दिल्ली सल्तनत ने कई सदी तक यहाँ शासन किया।

विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा दिल्ली पर अधिकार के लिए अधिकतर युद्ध हरियाणा की धरती पर ही लड़े गए। तरावड़ी के युद्ध के अतिरिक्त पानीपत के मैदान में भी तीन युद्ध एसे लड़े गए जिन्होंने भारत के इतिहास की दिशा ही बदल दी। ब्रिटिश राज से मुक्ति पाने के आन्दोलनों में हरियाणा वासियों ने भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। रेवाड़ी के राजा राव तुला राम का नाम १८५७ के संग्राम में योगदान दिया।

स्वतन्त्रता के बाद सबसे पहले 1948 में हरियाणा राज्य कि अधिकारिक मांग पंजाबी नेता तारा सिंह द्वारा उठाई गई थी। 1 अक्टूबर, 1949 को सच्चर फ़ार्मूला के अंतर्गत पंजाब को दो क्षेत्रों पंजाबी क्षेत्र और हिंदी क्षेत्र में विभाजित कर दिया ,परंतु जनता ने इसे अस्वीकार कर दिया। राज्य के रूप में हरियाणा 1 नवंबर 1966 को पंजाब पुनर्गठन अधिनियम (१९६६) के माध्यम से अस्तित्व में आया था। भारत सरकार ने २३ अप्रैल १९६६ को पंजाब के तत्कालीन राज्य को निवासियों द्वारा बोली जाने वाली भाषाओं के आधार पर विभाजित करने के विचार के बाद हरियाणा के नए राज्य की सीमा निर्धारित करने के लिए न्यायमूर्ति जेसी शाह की अध्यक्षता में शाह आयोग की स्थापना की। आयोग ने ३१ मई १९६६ को अपनी रिपोर्ट दे दी, जिससे हिसार, महेंद्रगढ़, गुरुग्राम, रोहतक और करनाल के तत्कालीन जिलों हरियाणा के नए राज्य का हिस्सा बन गए। इसके अलावा, संगरूर जिले की जिंद और नरवाना तहसील, और साथ साथ ही नारायणगढ़, अंबाला और जगधरी को भी इसमें शामिल किया जाना था।

आयोग ने यह भी सिफारिश की थी कि खारद तहसील, जिसमें पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ शामिल थी, को हरियाणा का हिस्सा होना चाहिए। हालांकि, हरियाणा को खड़द का केवल एक छोटा सा हिस्सा दिया गया था। चंडीगढ़ शहर को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था, जो कालांतर में पंजाब और हरियाणा दोनों की राजधानी बना।

हरियाणा के जिलों के पुराने नाम - hariyaana ke jilon ke puraane naam

प्रशासनिक आधार पर हरियाणा को २२ जिलों में विभाजित किया गया है, जो ६ मण्डलों में समूहबद्ध हैं। इन २२ जिलों में ७२ सब-डिवीजन, ९३ तहसील, ५० उप-तहसील, १४० सामुदायिक विकास खंड, १५४ नगर तथा कस्बे, ६,२१२ ग्राम पंचायत और ६,८४१ गांव हैं।

१ नवंबर १९६६ को जब तत्कालीन पूर्वी पंजाब के विभाजन द्वारा हरियाणा राज्य की स्थापना हुई थी, तब राज्य में ७ जिले थे; रोहतक, जींद, हिसार, महेंद्रगढ़, गुडगाँव, करनाल तथा अम्बाला। २०१७ तक इन जिलों के पुनर्गठन के माध्यम से १४ नए जिले जोड़े जा चुके हैं।

हरियाणा में कुल 154 नगर तथा कस्बे हैं।2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में 1 लाख से अधिक जनसंख्या वाले 18 नगर हैं: फरीदाबाद, गुरुग्राम, पानीपत, अम्बाला, यमुनानगर, रोहतक, हिसार, करनाल, सोनीपत, पंचकुला, भिवानी, सिरसा, बहादुरगढ़, जींद, थानेसर, कैथल, रेवाड़ी और पलवल।

चण्डीगढ़, जो भारत का एक केन्द्र शासित प्रदेश है, हरियाणा की राजधानी है। १ नवंबर, १९६६ को जब पंजाब के हिन्दी-भाषी पूर्वी भाग को काटकर हरियाणा राज्य का गठन किया गया, तो चंडीगढ़ शहर के दोनों के बीच सीमा पर स्थित होने के कारण इसी दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी के रूप में घोषित किया गया और साथ ही संघ शासित क्षेत्र भी घोषित किया गया था। अगस्त १९८५ में तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी और अकाली दल के संत हरचंद सिंह लोंगोवाल के बीच हुए समझौते के अनुसार, चंडीगढ़ को १९८६ में पंजाब में स्थानांतरित होना तय हुआ था। इसके साथ ही हरियाणा के लिए एक नई राजधानी का सृजन भी होना था, किन्तु कुछ प्रशासनिक कारणों के चलते इस स्थानांतरण में विलंब हुआ। इस विलंब के मुख्य कारणों में दक्षिणी पंजाब के कुछ हिन्दी-भाषी गाँवों को हरियाणा और पश्चिम हरियाणा के पंजाबी-भाषी गाँवों को पंजाब को देने का विवाद था।

२०१२-१७ में १२.९६% की कंपाउंड वार्षिक वृद्धि दर और २०१७-१८ में यूएस $९५ बिलियन डॉलर की अनुमानित जीएसडीपी के साथ हरियाणा की जीडीपी भारत में १४वीं सबसे बड़ी है। हरियाणा की जीडीपी ५२% सर्विस सेक्टर, ३०% इंडस्ट्रीज सेक्टर, और १८% कृषि सेक्टर में विभाजित है।

सर्विस सेक्टर ४५% रीयल एस्टेट और वित्तीय और पेशेवर सेवाओं, २६% व्यापार और आतिथ्य, १५% राज्य और केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों, और १४% परिवहन और रसद और गोदाम में विभाजित है। आईटी सेवाओं में, गुरुग्राम विकास दर और मौजूदा प्रौद्योगिकी आधारभूत संरचना में पूरे भारत में नंबर १ स्थान पर, और स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र, नवाचार और उत्तरदायित्व (नवंबर २०१६) में नंबर २ पर है।

इंडस्ट्रीज सेक्टर ६९% विनिर्माण, २८% निर्माण, २% उपयोगिताओं और १% खनन में विभाजित है। हरियाणा पूरे भारत की ६७% यात्री कार, ६०% मोटरसाइकिल, ५०% ट्रैक्टर और ५०% रेफ्रिजरेटरों का उत्पादन करता है।

सेवाओं और औद्योगिक क्षेत्रों को ७ परिचालित एसईजेड और अतिरिक्त २३ औपचारिक रूप से अनुमोदित एसईजेड (२० पहले ही अधिसूचित और ३ इन-प्रिंसिपल स्वीकृति) द्वारा बढ़ाया जाता है जो ज्यादातर दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर, अमृतसर दिल्ली कोलकाता औद्योगिक कॉरिडोर और दिल्ली पश्चिमी परिधीय एक्सप्रेसवे के साथ फैले हुए हैं।

कृषि क्षेत्र ९३% फसलों और पशुधन, ४% वाणिज्यिक वानिकी और लॉगिंग, और २% मत्स्यपालन में विभाजित है। हरियाणा का कृषि क्षेत्र, भारत के १.४% से कम क्षेत्र के साथ, केंद्रीय खाद्य सुरक्षा सार्वजनिक वितरण प्रणाली, और कुल राष्ट्रीय कृषि निर्यात का ७% का योगदान देता है जिसमें कुल राष्ट्रीय बासमती चावल निर्यात का ६०% शामिल है।

हरियाणा परंपरागत रूप से एक कृषि समाज रहा है। १९६० के दशक में हरियाणा में हरित क्रांति के आगमन, और फिर १९६३ में भाखड़ा बांध और १९७० के दशक में पश्चिमी यमुना कमांड नेटवर्क नहर प्रणाली के पूरा होने के परिणामस्वरूप हरियाणा में खाद्य अनाज उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। २०१५-२०१६ में, हरियाणा में १,३३,५२,००० टन गेहूं, ४१,४५,००० टन चावल, ७१,६९,००० टन गन्ना, ९,९३,००० टन कपास और ८,५५,००० टन तिलहन (सरसों का बीज, सूरजमुखी, आदि) का उत्पादन हुआ। हरियाणा दुग्ध के लिए भी जाना जाता है। राज्य में मवेशियों की कई नस्लें पाई जाती हैं, जिनमें मुर्रा भैंस, हरियाणवी, मेवाती, साहिवाल और नीलि-रवि इत्यादि प्रमुख हैं।

कृषि आधारित हरियाणा की अर्थव्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए, केंद्रीय सरकार (केंद्रीय अनुसंधान संस्थान, बफेलो, केंद्रीय भेड़ प्रजनन फार्म, इक्विनेस पर राष्ट्रीय शोध केंद्र, मत्स्य पालन संस्थान, राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, भारतीय संस्थान गेहूं और जौ अनुसंधान और राष्ट्रीय ब्यूरो ऑफ एनिमल आनुवांशिक संसाधन) और राज्य सरकार (सीसीएस एचएयू, लुवास, सरकारी पशुधन फार्म, क्षेत्रीय चारा स्टेशन और उत्तरी क्षेत्र कृषि मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थान) ने कृषि क्षेत्र में अनुसंधान और शिक्षा के लिए कई संस्थान राज्य में खोले हैं।

हरियाणा पुलिस बल हरियाणा की कानून प्रवर्तन एजेंसी है। हरियाणा पुलिस की पांच रेंज अंबाला, हिसार, करनाल, रेवाड़ी और रोहतक हैं। इसके अतिरिक्त फरीदाबाद, गुड़गांव और पंचकुला में तीन पुलिस आयुक्त हैं। साइबर क्राइम की जांच हेतु गुड़गांव के सेक्टर ५१ में साइबर सेल स्थित है।

राज्य में सर्वोच्च न्यायिक प्राधिकरण पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय है। हरियाणा ई-फाइलिंग सुविधा का उपयोग करता है।

नागरिकों को सैकड़ों ई-सेवाओं की पेशकश करने के लिए सभी जिलों में सर्व सेवा केंद्रों (सीएससी) को अपग्रेड किया गया है, जिसमें नए जल कनेक्शन, सीवर कनेक्शन, बिजली बिल संग्रह, राशन कार्ड सदस्य पंजीकरण, एचबीएसई का परिणाम, बोर्ड परीक्षाओं के लिए प्रवेश पत्र, सरकारी कॉलेजों के लिए ऑनलाइन प्रवेश फॉर्म, बसों की लंबी मार्ग बुकिंग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय और एचयूडीए प्लॉट्स स्टेटस पूछताछ के लिए फॉर्म उपलब्ध हैं। हरियाणा सभी जिलों में आधार-सक्षम जन्म पंजीकरण को लागू करने वाला पहला राज्य बन गया है। डिजिटल इंडिया पहल के अंतर्गत एकीकृत यूएमएएनजी ऐप और पोर्टल के माध्यम से हजारों पारंपरिक ऑफ़लाइन राज्य और केंद्र सरकार सेवाएं भी २४/७ उपलब्ध हैं।

दिसंबर २०१७ तक हरियाणा राज्य में सड़कों की कुल लंबाई २६,०६२ किलोमीटर (१६,१९४ मील) है, जिसमें २,४८२ किलोमीटर (१,५४२ मील) राष्ट्रीय राजमार्ग, १,८०१ किलोमीटर (१,११९ मील) राज्य राजमार्ग, १,३९५ किलोमीटर (८६७ मील) प्रमुख जिला सड़क (एमडीआर) और २०,३४४ किलोमीटर (१२,६४१ मील) अन्य जिला सड़क (ओडीआर) हैं।[31] राज्य में कुल १५ राष्ट्रीय राजमार्ग हैं,[32] जिनमें से अधिकतर राज्य के विभिन्न हिस्सों को दिल्ली से जोड़ते हैं। हरियाणा रोडवेज का ३,८६४ बसों का बेड़ा राज्य भर में प्रति दिन १.१५ मिलियन किमी की दूरी को कवर करता है। हरियाणा देश में लक्जरी वीडियो कोच पेश करने वाला पहला राज्य था।

हरियाणा में रेल नेटवर्क ३ रेलवे जोनों के तहत ५ रेल डिवीजनों द्वारा कवर किया गया है। डायमंड चतुर्भुज हाई स्पीड रेल नेटवर्क, पूर्वी समर्पित फ्रेट कॉरिडोर (72 किमी) और पश्चिमी समर्पित फ्रेट कॉरिडोर (177 किमी) हरियाणा से गुजरते हैं।

उत्तर पश्चिमी रेलवे जोन के बीकानेर रेलवे डिवीजन पश्चिमी और दक्षिणी हरियाणा में भटिंडा-दबवाली-हनुमानगढ़ लाइन, रेवाड़ी-भिवानी-हिसार-बठिंडा लाइन, हिसार-सदुलपुर लाइन और रेवाड़ी-लोहारु-सदुलपुर लाइन को कवर करते हुए रेल नेटवर्क का संचालन करता है। इसी जोन के जयपुर रेलवे डिवीजन के अंतर्गत दक्षिण-पश्चिम हरियाणा का रेल नेटवर्क आता है, जिसमें रेवाड़ी-रेन्गस-जयपुर लाइन, दिल्ली-अलवर-जयपुर लाइन और लोहारु-सीकर लाइन शामिल है। उत्तरी, पूर्व और मध्य हरियाणा के क्षेत्र उत्तरी रेलवे जोन के दिल्ली रेलवे डिवीजन के अंतर्गत आते हैं, जिसके अंदर दिल्ली-अंबाला लाइन, दिल्ली-रोहतक-तोहाना लाइन, रेवारी-रोहतक लाइन, जींद-सोनीपत लाइन और दिल्ली-रेवाड़ी लाइन आती हैं। इसी जाने के अंबाला रेलवे डिवीजन के अंतर्गत उत्तर-पूर्व हरियाणा में अंबाला-यमुनानगर लाइन, अंबाला-कुरुक्षेत्र लाइन और यूनेस्को विश्व विरासत कालका-शिमला रेलवे लाइन आती हैं। दक्षिण-पूर्व हरियाणा की पलवल-मथुरा लाइन उत्तर मध्य रेलवे जोन के आगरा रेलवे डिवीजन के अंतर्गत आने वाली एकमात्र रेलवे लाइन है।

हरियाणा में साक्षरता दर में ऊपर की प्रवृत्ति देखी गई है और २०११ की जनगणना के मुताबिक यह ७६.६४ प्रतिशत है। पुरुषों में साक्षरता डॉ ८५.३८ प्रतिशत है, जबकि महिलाओं में यह ६६.६७ प्रतिशत है। २००१ में हरियाणा की साक्षरता दर ६७.९१ प्रतिशत थी; तब ७८.४९ प्रतिशत पुरुष और ५५.७३ प्रतिशत महिलाएं साक्षर थीं। २०१३ तक, हरियाणा के उच्चतम साक्षरता दर वाले नगर गुरुग्राम (८६.३० प्रतिशत), पंचकुला (८१.९० प्रतिशत) और अम्बाला (८१.७० प्रतिशत) हैं। सबसे कम साक्षर जिला मेवात (54.08)है ।जिलों के संदर्भ में, 2012 तक ७४ प्रतिशत के साथ रेवाड़ी में हरियाणा की उच्चतम साक्षरता दर थी, जो राष्ट्रीय औसत ५९.५ प्रतिशत से अधिक थी: पुरुष साक्षरता ७९ प्रतिशत थी, और महिला ६७ प्रतिशत थी। यहा कुछ किताबों में प्रतिशत 90% दिया गया है

हरियाणा बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन सालाना दो बार माध्यमिक, मैट्रिक, और वरिष्ठ माध्यमिक स्तर पर सार्वजनिक परीक्षाऐं आयोजित करता है। बोर्ड की स्थापना सितंबर १९६९ में चण्डीगढ़ में हुई थी, और १९८१ में यह भिवानी में स्थानांतरित हो गया। फरवरी और मार्च में सात लाख से अधिक उम्मीदवार वार्षिक परीक्षा में भाग लेते हैं; जबकि लगभग डेढ़ लाख प्रत्येक नवंबर में पूरक परीक्षाओं में भाग लेते हैं। बोर्ड सालाना दो बार वरिष्ठ और वरिष्ठ माध्यमिक स्तर पर हरियाणा ओपन स्कूल के लिए भी परीक्षा आयोजित करता है। हरियाणा सरकार बैचलर डिग्री स्तर तक महिलाओं को मुफ्त शिक्षा प्रदान करती है। हिंदी और अंग्रेजी स्कूलों में अनिवार्य भाषाएं हैं जबकि पंजाबी, संस्कृत और उर्दू वैकल्पिक भाषाओं के रूप में चुने जाते हैं।

२०१५-२०१६ में, राज्य भर में लगभग २०,००० स्कूल थे, जिनमें से १०,१०० सरकारी स्कूल (३६ आरोही स्कूल, ११ कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय, २१ मॉडल संस्कार स्कूल, ८७४४ सरकारी प्राथमिक विद्यालय, ३३८६ सरकारी माध्यमिक विद्यालय, १२८४ सरकारी हाई स्कूल और १९६७ सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय), ७,६३५ निजी स्कूल (२०० सहायता प्राप्त, ६,६१२ अनियोजित मान्यता प्राप्त, और ८२१ अज्ञात अवैतनिक निजी स्कूल) और कई सौ अन्य केंद्र सरकार और निजी विद्यालय थे, जैसे केन्द्रीय विद्यालय, भारतीय आर्मी पब्लिक स्कूल, जवाहर नवोदय विद्यालय और डीएवी स्कूल।

महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक का मुख्य भवन

हरियाणा में २९ विश्वविद्यालय और २९९ कॉलेज हैं, जिनमें ११५ सरकारी कॉलेज, ८८ सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेज और ९६ स्वयं वित्त कॉलेज शामिल हैं। केवल हिसार में ही तीन विश्वविद्यालय हैं: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय - एशिया का सबसे बड़ा कृषि विश्वविद्यालय, गुरु जांभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय); कई राष्ट्रीय संस्थान हैं, जैसे कृषि और पशु चिकित्सा अनुसंधान केंद्र (इक्विंस पर राष्ट्रीय शोध केंद्र), केंद्रीय भेड़ प्रजनन फार्म, पिग प्रजनन और अनुसंधान पर राष्ट्रीय संस्थान, उत्तरी क्षेत्र कृषि मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थान और मध्य इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च ऑन बफेलो (सीआईआरबी); और महाराजा अग्रसेन मेडिकल कॉलेज, एग्रोहा सहित २० से अधिक कॉलेज भी हैं।

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने २७ फरवरी २०१६ को घोषणा की कि युवाओं को कंप्यूटर प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए कुरुक्षेत्र में राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईईएलआईटी) स्थापित किया जाएगा और भारत के सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क (एसटीपीआई) की स्थापना पंचकुला के सेक्टर २३ में मौजूदा एचएसआईआईडीसी आईटी पार्क में की जाएगी।

हरियाणा में सबसे पुराना जिला कौन सा है?

जींद शहर जिला मुख्यालय है। यह हरियाणा के सबसे पुराने जिलों में से एक है।

1 नवंबर 1966 को हरियाणा में कितने जिले थे?

हरियाणा राज्य का गठन 1 नवंबर 1966 को हुआ था। जब हरियाणा का गठन किया गया था, तो हरियाणा में 7 जिले थे। उन सात जिलों का नाम करनाल, अंबाला, गुडगाँव, हिसार, महेंद्रगढ़, रोहतक और जींद है।

हरियाणा के 22 जिलों के नाम क्या क्या है?

गुरुग्राम नवम्बर 1966..
महेंद्रगढ़ नवम्बर 1966..
रोहतक नवम्बर 1966..
करनाल नवम्बर 1966..
अंबाला नवम्बर 1966..
जींद नवम्बर 1966..
हिसार नवम्बर 1966..
भिवानी दिसम्बर 1972..

हरियाणा में कितने जिले हैं और उनके नाम बताइए?

हरियाणा 22 जिलों के साथ भारत के उत्तरी क्षेत्र में एक राज्य है और देश का सत्रहवां सबसे लोकप्रिय प्रदेश है। ... जिला.