विषयसूची वाक्य का कर्ता क्या कहलाता है?इसे सुनेंरोकेंAnswer. Answer: वाक्य के भेद- रचना के आधार पर (i)साधरण वाक्य या सरल वाक्य:-जिन वाक्य में एक ही क्रिया होती है, और एक कर्ता होता है, वे साधारण वाक्य कहलाते है। दूसरे शब्दों में- जिन वाक्यों में केवल एक ही उद्देश्य और एक ही विधेय होता है, उन्हें साधारण वाक्य या सरल वाक्य कहते हैं। … किसी वाक्य में कर्ता के बारे में जो कथन किया जाए उसे क्या कहते हैं?इसे सुनेंरोकें(ii) जिन वाक्यों में एक काम का होना दूसरे काम के होने पर निर्भर करता है,उन्हें संकेतवाचक वाक्य कहते हैं। वाक्य में कर्ता क्या कहलाता है 1 Point उद्देश्य विधेय पद विशेषण? इसे सुनेंरोकेंवाक्य के भेद- रचना के आधार पर (i)साधरण वाक्य या सरल वाक्य:-जिन वाक्य में एक ही क्रिया होती है, और एक कर्ता होता है, वे साधारण वाक्य कहलाते है। दूसरे शब्दों में- जिन वाक्यों में केवल एक ही उद्देश्य और एक ही विधेय होता है, उन्हें साधारण वाक्य या सरल वाक्य कहते हैं। इसमें एक ‘उद्देश्य’ और एक ‘विधेय’ रहते हैं। जिस वाक्य में किसी कार्य के निषेध या न होने का बोध होता है उसे कौन सा वाक्य कहा जाता है? इसे सुनेंरोकें२) निषेधवाचक वाक्य जिन वाक्यों से कार्य न होने का भाव प्रकट होता है, उन्हें निषेधवाचक वाक्य कहते हैं। कौन से वाक्य में क्रिया कर्ता के अनुसार आती है?इसे सुनेंरोकेंकर्तवाच्य- जिस वाक्य में कर्ता की प्रमुखता होती है अर्थात क्रिया का प्रयोग कर्ता के लिंग, वचन, कारक के अनुसार होता है और इसका सीधा संबंध कर्ता से होता है तब कर्तृवाच्य होता है। जब क्रिया का रूपांतरण कर्ता के अनुसार होता है तो उसे क्या कहते हैं?इसे सुनेंरोकेंक्रिया के उस रूपान्तर को कर्तृवाच्य कहते हैं, जिससे वाक्य में कर्ता की प्रधानता का बोध हो। जहाँ क्रिया का सीधा संबंध कर्ता से होता है लिंग और वचन भी कर्ता कर्ता के अनुसार होते है वहाँ कौन सा वाच्य होता है *? इसे सुनेंरोकेंजब वाक्य की क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष, कर्ता के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार हों, तो कर्तृवाच्य कहलाया जाता है। सरल शब्दों में – क्रिया के जिस रूप में कर्ता प्रधान हो, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं। इसमें लिंग एवं वचन प्रायः कर्ता के अनुसार होते हैं। कौन से वाच्य में असमर्थता या विवशता प्रकट की जाती है? इसे सुनेंरोकेंExplanation: भाववाच्य का प्रयोग प्राय: असमर्थता एवं विवशता को प्रकट करने के लिए ‘नही’ के साथ किया जाता है। जब क्रिया का रूप कर्म के अनुसार बदलता है तब कौन सा वाच्य होता है?इसे सुनेंरोकेंजब क्रिया का रूप कर्म के अनुसार बदलता है तब कौन सा वाच्य होता है? जब क्रिया का रूप कर्म के अनुसार बदलता है तब वहां कर्मवाच्य होता है। जब क्रिया का प्रधान विषय कर्ता होता है तो कौन वाच्य होता है?इसे सुनेंरोकेंकर्तृवाच्य – जिस वाक्य में कर्ता की प्रधानता हो तथा क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष कर्ता के अनुसार हो, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं; जैसे- नेहा दौड़ रही है। Rajasthan Board RBSE Class 10 Hindi व्याकरण वाच्यक्रिया के उस रूपान्तरण को वाच्य कहा जाता है जिसके द्वारा यह पता चलता है कि वाक्य में कर्ता, कर्म अथवा भाव में से किसकी प्रधानता है अर्थात् किस के अनुसार क्रिया के पुरुष, वचन तथा लिंग निर्धारित हुए हैं। वाच्य के प्रकार-वाच्य के प्रकार अथवा भेद तीन होते हैं- (1) कर्तृवाच्य, कर्तृवाच्य उपर्युक्त वाक्यों में कर्ता के लिंग, वचन, तथा पुरुष का क्रियाओं पर प्रभाव पड़ा है। कर्तृवाच्य में क्रिया कर्ता के अधीन होती है, उसका स्वरूप कर्ता से भिन्न नहीं हो सकता, जैसे (क) लड़के खेला। कर्तृवाच्य के अन्य उदाहरण कर्मवाच्य कर्मवाच्य में क्रिया कर्म के अनुसार रूप बदलती है। क्रिया के
लिंग, वचन और पुरुष कर्म के अनुरूप होते हैं। जैसे उपर्युक्त वाक्यों में क्रिया के लिंग और वचन कर्म के अनुसार हैं। कर्मवाच्य में क्रिया कर्म के अधीन रहती है, वह कर्म से भिन्न रूप ग्रहण नहीं कर सकती, जैसे कर्मवाच्य के अन्य उदाहरण – (क) इंग्लैण्ड ने पाँच मेच खेले । विशेष – भाववाच्य कुछ उदाहरण विशेष- (i) भाववाच्य के प्रयोग के विविध प्रकार (1)
अशक्ति या लाचारी का भाव व्यक्त करने के लिए जिसमें ‘नहीं’ का प्रयोग आवश्यक है। ऐसा प्रयोग नकारात्मक (नहीं युक्त) वाक्यों में ही होता है, जैसे(क) बच्चे से हँसा नहीं जाता। (2) इसी प्रकार नहीं बनता’ का भी प्रयोग होता है, जैसे (3) सहायक क्रिया जाना’ का प्रयोग (4) बाध्यता का कर्तव्य बोध के लिए प्रयोग वाच्य परिवर्तन कुछ
विद्वानों का मत रहा है कि हिन्दी में वाच्य परिवर्तन प्रायः नहीं होता। पं. किशोरीदास बाजपेयी भी ऐसा ही मानते हैं। आज हिन्दी में वाच्य-परिवर्तन का जो रूप है वह अँग्रेजी के अनुकरण पर है। कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य में परिवर्तन ‘एक्टिव वाइस’ को ‘पैसिव वाइस’ में बदलने के आधार पर प्रचलित है। कर्तृवाच्य को कर्मवाच्य में परिवर्तित करना-निम्नलिखित वाक्यों को ध्यान से देखिए उपर्युक्त वाक्यों में (क) वाक्य कर्तृवाच्य में है तथा (ख) वाक्य कर्मवाच्य है। अतः कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाते समय (1) कर्तृवाच्य के कर्ता और कर्म की विभक्तियाँ बदली जाती हैं। कर्ता के साथ ‘से’, के द्वारा या द्वारा लगाया जाता है। उदाहरण – कर्तृवाच्य को भाववाच्य में परिवर्तन करना निम्नलिखित वाक्यों को ध्यान से देखिए उपर्युक्त वाक्यों में (क) वाक्य कर्तवाच्य हैं तथा (ख) वाक्य उनके भाववाच्य में परिवर्तित रूप हैं। उदाहरण- कर्मवाच्य तथा भाववाच्य से कर्तृवाच्य में परिवर्तन कर्मवाच्य और भाववाच्य से कर्तृवाच्य में परिवर्तन की विधियाँ पूर्वोक्त रीतियों के विपरीत होती हैं। नीचे दिए गए वाक्यों को ध्यान से देखिए उपर्युक्त वाक्य (के) और (ख) क्रमशः कर्मवाच्य और भाववाच्य के हैं। उनके सामने लिखे वाक्य कर्तृवाच्य में है। उदाहरण – उदाहरण – RBSE Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तरप्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. भाववाच्य में बदलिए
उत्तर:
कर्मवाच्य में बदलिए
उत्तर:
कर्तृवाच्य में बदलिए
उत्तर:
RBSE Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य अभ्यास प्रश्ननिर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन करें प्रश्न 2. चार कर्तृवाचक वाक्य लिखिए। RBSE Solutions for Class 10 Hindiजब क्रिया का रूप कर्म के अनुसार बदलता है तब कौनसा वाच्य होता है?कर्मवाच्य क्रिया के उस रूपान्तर को कर्मवाच्य कहते हैं, जिससे वाक्य में कर्म की प्रधानता का बोध हो। सरल शब्दों में- क्रिया के जिस रूप में कर्म प्रधान हो, जिसमें केवल सकर्मक क्रिया के वाक्य होते है। उसे कर्मवाच्य कहते हैं।
जब क्रिया का सीधा संबंध कर्ता से होता है तब वहाँ कौन सा वाच्य होता है?- कर्तृवाच्य- कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य कर्तृवाच्य में अकर्मक और सकर्मक दोनों प्रकार की क्रिया का प्रयोग किया जाता है; कर्ता के अपनी सामर्थ्य या क्षमता दर्शाने के लिए सकारात्मक वाक्यों में क्रिया के साथ सक के विभिन्न रूपों का प्रयोग किया जाता है; जैसे मैं फ्रेंच पढ़-लिख सकता हूँ ।
Question 30 :कर्मवाच्य-जिस वाक्य में कर्म की प्रधानता होती है तथा क्रिया का प्रयोग कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार होता है और कर्ता की स्थिति में स्वयं कर्म होता है, वहाँ कर्मवाच्य होता है। उपर्युक्त वाक्यों में क्रिया का प्रयोग कर्ता के अनुसार न होकर इनके कर्म के अनुसार हुआ है, अतः ये कर्मवाच्य हैं।
कर्तृवाच्य को कर्मवाच्य में कैसे बदलें?कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य. कर्तृवाच्य के साथ लगी विभक्ति हटा दी जाती है और कर्त्ता कारक में करण कारक के चिह्न 'से'या केद्वारा' का प्रयोग करना चाहिए।. कर्तृवाच्य की मुख्य क्रिया को समान्य भूतकाल की क्रिया में बदला जाता है। ... . कर्म के साथ कोई परसर्ग हो तो उसे हटा दिया जाता है।. कर्म को चिह्न-रहित करना चाहिए।. |