जब द्विगंशी क्वाण्टम संख्या 0 है तो कक्षक की आकृति होगी 1 - jab dviganshee kvaantam sankhya 0 hai to kakshak kee aakrti hogee 1

विषयसूची

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  • 1 द्विगंशी क्वाण्टम संख्या क्या है समझाइये?
  • 2 दिगंशी क्वांटम संख्या को और क्या नाम से जानते हैं?
  • 3 इलेक्ट्रॉनों की संख्या कितनी है?
  • 4 उपकोष क्या होता है?
  • 5 M कक्षा में कितने इलेक्ट्रॉन होते हैं?
  • 6 कक्षक से आप क्या समझते हैं?

द्विगंशी क्वाण्टम संख्या क्या है समझाइये?

इसे सुनेंरोकेंद्विगंशी क्वांटम संख्या (l) l का मान 0 से लेकर (n – 1) तक होता है। n के निश्चित मान के लिए l के जितने मान होते है , उस कोश में उतने ही उपकोश होते है। उपकोश s , p , d , f होंगे। किसी उप कोश में अधिकतम कक्षक 2l + 1 होते है अत: s , p , d , f उपकोशों में कक्षक 1 , 3 , 5 , 7 होंगे।

यदि 1 2 दे तो क्वाण्टम संख्या संभावित घटक क्या होंगे M की?

इसे सुनेंरोकेंकीदिए । +1/2 होता है या -1/2 होता है। प्रश्न में चक्रण क्ाांटम सांख्या का मान +1/२ जदया है अतः केवल एक इलेक्ट्रॉन होगा।

दिगंशी क्वांटम संख्या को और क्या नाम से जानते हैं?

इसे सुनेंरोकेंइसे कोणीय संवेग (angular momentum) या भौम क्वाण्टम संख्या (secondary quantum number) भी कहते हैं।

क्वांटम संख्या कितने प्रकार की होती?

प्रकार

क्रमांकनामचिन्ह
मुख्य n
द्विगंशीय l
चुम्बकिय m
चक्रण s

इलेक्ट्रॉनों की संख्या कितनी है?

इसे सुनेंरोकेंअयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या सर्वाधिक है (परमाणु संख्या Ti= 22, V= 23, Cr= 24, Fe=26)

चुंबकीय क्वांटम संख्या क्या बताती है?

इसे सुनेंरोकेंचुंबकीय कक्षक क्वांटम संख्या प्रतीक चिन्ह ‘ml’ द्वारा निरूपित। समन्वित अक्ष के एक मानक सेट के बारे में कक्षा के स्थानिक अभिविन्यास के बारे में जानकारी देता है। ml’ के मानों की संख्या हमें एक विशेष उपकोश के लिए कक्षक की संख्या प्रदान करती है। इसमें शून्य सहित – l से +l तक मान हैं।

उपकोष क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंसमान मुख्य क्वाण्टम संख्या n के परमाणु कक्षकों का समूह कोश कहलाता है जबकि समान मुख्य क्वाण्टम संख्या n की और दिगंशी क्वाण्टम संख्या । के परमाणु कक्षकों का समूह उपकोश कहलाता है।

क्वांटम संख्या क्या है pdf?

इसे सुनेंरोकेंमुख्य क्वाण्टम संख्या इस क्वाण्टम संख्या को n से व्यक्त करते हैं। यह क्वाण्टम संख्या परमाणु में इलेक्ट्रॉन के मुख्य ऊर्जा स्तर और कोश के आकार (size) का निर्धारण करती है। n के सम्भावित मान 1, 2, 3, हैं। n का मान बढ़ने से इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा और उसके कोश (shell) की त्रिज्या (r) बढ़ती है।

M कक्षा में कितने इलेक्ट्रॉन होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंइसकी प्रथम कक्षा (K) में 2, दूसरी कक्षा (L) में 8 तथा तीसरी कक्षा (M) में 7 इलेक्ट्रॉन होंगे।

प्रोटॉन इलेक्ट्रॉन से कितना गुना भारी होता है?

इसे सुनेंरोकेंStep by step solution by experts to help you in doubt clearance & scoring excellent marks in exams. प्रोटॉन इलेक्ट्रॉन से 1837 गुना भारी होता है।

कक्षक से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंकक्षक नाभिक के चारों ओर स्थित आकाश के उन त्रिविम क्षेत्रों को कहते हैं जिनमें इलेक्ट्रॉन औसतन अधिक पाए जाते हैं। प्रत्येक कक्षक का केन्द्र परमाणु का नाभिक होता है। एक कक्षक में अधिकतम दो इलेक्ट्रॉन रह सकते हैं जिनके चक्रण विपरीत दिशा में होते हैं।

M कोश में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या कितनी होती है?

दिया गया:

  • दिया गया:
  • दिया गया कोश = M, कक्षा संख्या = 3.
  • एक कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या सूत्र 2n2 द्वारा दी जाती है।
  • अतः, 2 × 32 = 18.

क्वाण्टम संख्या के प्रकार महत्व 

क्वाण्टम संख्याएँ क्या होती हैं

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श्रोडिंजर समीकरण

श्रोडिंजर समीकरण को हल करने पर विभिन्न क्वाण्टम संख्याएँ (मुख्यदिगंशी एवं चुम्बकीय) सहज ही प्राप्त होती है। श्रोडिंजर समीकरण को तीन समीकरणों में विभक्त करने पर तीन स्थिरांक n,l एवं m उत्पन्न होते हैं जो क्वाण्टम संख्याएँ है।

  • वह समीकरण जो केवल r पर निर्भर करता है,  मुख्य क्वाण्टम संख्या (n)
  • वह समीकरण जो θ पर निर्भर करता हैद्विगंशी क्वाण्टम संख्या (l)
  • वह समीकरण जो ϕ पर निर्भर करता हैचुम्बकीय क्वाण्टम संख्या (mदेता है।
  • चौथी क्वाण्टम संख्या समीकरण के हल से नहीं बल्कि स्पेक्ट्रोस्कोपी मापन से व्युत्पन्न किया जाता है।

    अत: H-परमाणु से प्राप्त स्पेक्ट्रम की अति सूक्ष्म रेखाओं को जो कि उच्च विभेदन क्षमता के स्पेक्ट्रोस्कोप से प्राप्त होती हैको स्पष्ट करने के लिए चार क्वाण्टम संख्याएँ आवश्यक होती है।

क्वांटम संख्या किसे कहते हैं ?

  • किसी परमाणु में किसी इलेक्ट्रॉन को पूर्ण रूप से अभिव्यक्त करने के लिए अर्थात् उसकी स्थिति और ऊर्जा को निर्धारित करने के लिए जिन संख्याओं का प्रयोग करते हैंउन्हें क्वाण्टम संख्याएँ कहते हैं।

क्वांटम संख्या के प्रकार बताइए

आधुनिक विचारों के अनुसार किसी इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा और स्थिति का पूर्ण वर्णन करने के लिए चार क्वाण्टम संख्याओं की आवश्यकता पड़ती है। ये क्वाण्टम संख्याएँ निम्न है

1. मुख्य क्वाण्टम संख्या (Principal quantum number)

2. द्विगंशी क्वाण्टम संख्या (Azimuthal quantum number)

3. चुम्बकीय क्वाण्टम संख्या (Magnetic quantum number)

4. चक्रण क्वाण्टम संख्या (Spin quantum number) |

1.     मुख्य क्वाण्टम संख्याPrincipal Quantum Number

इस क्वाण्टम संख्या को n से व्यक्त करते हैं। यह क्वाण्टम संख्या परमाणु में इलेक्ट्रॉन के मुख्य ऊर्जा स्तर और कोश के आकार (size) का निर्धारण करती है। n के सम्भावित मान 1, 2, 3, हैं। n का मान बढ़ने से इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा और उसके कोश (shell) की त्रिज्या (rबढ़ती है।

इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा मुख्यतः n के मान पर निर्भर करती है। का मान कभी शून्य नहीं होता। परमाणु के किसी कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा निम्न सूत्रों से निकाल सकते हैं

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यह सूत्र केवल उन परमाणु और आयनों के लिए है जिनमें केवल एक इलेक्ट्रॉन जैसे H-परमाणु He+, Li2+ आदि होता है।

यहाँ Z नाभिक में प्रोटॉनों की संख्या है।

किसी परमाणु के विभिन्न कोशों (orbits) की त्रिज्या निम्न सूत्र में निकाल सकते है

r=-0.529 n2/Z A

यह सूत्र भी केवल उन परमाणु और आयनों के लिए है जिनमें केवल एक इलेक्ट्रॉन होता है।

मुख्य क्वाण्टम संख्या n का महत्वSignificance of  Principal Quantum Number n

 (1) n के मान कोशों की संख्या दर्शाते है जिन्हें बड़े अक्षरों से व्यक्त किया जाता है।

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(ii) n इलेक्ट्रॉन का मुख्य ऊर्जा स्तर एवं कोश का आकार निर्धारित करता है।

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(iii) n किसी कक्षा में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा निर्धारित करते हैं

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यहाँ

             En = इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा

            m = इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान

            e = इलेक्ट्रॉन पर आवेश

            Z = तत्व का परमाणु क्रमांक

            = प्लांक नियतांक

            n = मुख्य क्वाण्टम संख्या

 (iv) कोश (कक्षा) में अधिकतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या देता है।

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 द्विगंशी क्वाण्टम संख्याAzimuthal Quantum Number

  • इस क्वांटम संख्या को l से प्रकट करते हैं। यह किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉन के उप-ऊर्जा स्तर (sub energy level) को प्रदर्शित करता है। l का मान सब-शैल के ऑर्बिटलों की आकृति (shape) को भी निर्धारित करता है। / के मान मुख्य क्वाण्टम संख्या (nपर निर्भर करते हैं। n के किसी मान के लिए l के मान 0 से लेकर (n-1) तक कुल n होते हैं। अब तक ज्ञात तत्वों के लिए / के अधिकतम चार मान 0. 1, 2  3 होते हैंजो क्रमश: उपकोशो या उप-ऊर्जा स्तरों को प्रकट करते हैं। सारणी में दर्शाए अनुसार आगे की संख्या परिकलित की जा सकती है।

 मुख्य क्वाण्टम संख्या तथा दिगंशी क्वाण्टम संख्या में सम्बन्ध

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इस प्रकार हम कह सकते हैं कि पहले कोश में एक उपकोश अर्थात् (स्फुट या sharp), दूसरे में दो तथा p (मुख्य या principal), तीसरे में तीन s, p तथा व (अस्फुट या diffused) तथा चौथे में चार s, p, d तथा f (मौलिक या fundamental) होते है। s, p, d तथा f  इन चारों में s की ऊर्जा सबसे कम तथा f की ऊर्जा सबसे अधिक होती है।

द्विगंशी क्वाण्टम संख्या l का महत्व Significance of Azimuthal Quantum Number l

 (i) / का मान उपकोशों की आकृति दर्शाता है।

जैसे- / =0, गोलाकार

        / = 1, डम्बल

      / = 2, द्विडम्बल

(ii) मुख्य कोश में उपकोशों की कुल संख्या निर्धारित करता है।

जब n = 1, / = 0 K कोश में एक ही उपकोश 1s होता है।

जब n = 2, / = 0,1 L कोश में दो उपकोश 2s एवं 2p होते है।

जब n = 3, / = 0, 1, 2 M-कोश में तीन उपकोश 3s, 3p एवं 3d होते है।

जब n = 4, / = 0, 1, 2, 3 N-कोश में चार उपकोश 45, 4p, 4d एवं 4 होते है।

(iii) / की सहायता से किसी उपकोश में कुल इलेक्ट्रॉनों की संख्या की गणना की जा सकती है।

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चुम्बकीय या दिशामान क्वाण्टम संख्याMagnetic or Orientation Quantum Number

  • इस क्वाण्टम संख्या को द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। चुम्बकीय क्वाण्टम संख्या सब शैल या उपकोश के कक्षकों (orbitals) को प्रदर्शित करती है। यह ऑर्बिटल के अभिविन्यास (orientation) को भी व्यक्त करती है। के मान द्विशी क्वाण्टम संख्या पर निर्भर करते है / के किसी मान के लिए के मान (-/ से +/ ) या (+/ से -/तक शून्य साहित होते हैं। अर्थात / के किसी मान के लिए कुल मान (/ + 1) के बराबर होंगे,  m के कुल मान उपकोश में कक्षकों की कुल संख्या को प्रदर्शित करते है। एक कोश में कक्षकों की संख्या n2 होती है।

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चुम्बकीय क्वाण्टम संख्या(m)  का महत्वSignificance of Magnetic Quantum Number (m)

(i) उपकोश में कुल ऑर्बिटलों की संख्या गणना करने में mके विभिन्न मान मदद करते हैं।

(a) s-उपकोश के लिए / = 0,m = 0

 अतः ns उपकोश में एक ही ऑर्बिटल होता है।

(b) p-उपकोश के लिए /= 1, m = -1,0, + 1

 m के तीन मान हैं, इसलिए npउपकोश में तीन ऑर्बिटल Px, Pyएवं Pzहोते हैं।

 (c) d उपकोश के लिए / = 2, m = -2, -1, 0, + 1, + 2

  d उपकोश में 5 (पाँच) ऑर्बिटल dxy,dyz, dxz, dx, dx2-y2 एवं dz2होते हैं।

(ii) चुम्बकीय क्षेत्र में किसी उपकोश के ऑर्बिटलों का अभिविन्यास mके विभिन्न मानों से ज्ञात करते हैं।

(a)  जब / = 0, m = 0, एक मान

इसलिए s-ऑर्बिटल में केवल एक अभिविन्यास है।    

(b)  जब / = 1, m= -1,0, +1.

p-ऑर्बिटल चुम्बकीय क्षेत्र तीन Px,Py,Pzअभिविन्यास दर्शाता है।

(c) जब / = 2, तो m=-2, 1, 0, + 1, + 2 अत: d-उपकोश चुम्बकीय क्षेत्र में 5 (पाँच) विभिन्न ऑर्बिटलों वाला अभिविन्यास दर्शाता है।

क्वाण्टम संख्याओं n, l एवं m के बीच सम्बन्ध

Relation between quantum numbers  n,l and m

 n, / एवं mके आपस के सम्बन्ध को निम्न आरेख द्वारा दर्शाया जाता है।

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चक्रण क्वाण्टम संख्या Spin Quantum Number

  • इसे s से प्रदर्शित करते हैं। किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाता है एवं अपने स्वयं के अक्ष (axis) पर भी चक्रण करता है, चक्रण क्वाण्टम संख्या से ज्ञात होता है कि किसी कक्षक में इलेक्ट्रॉन दक्षिणावर्त (clockwise) दिशा में घूम रहा है या वामावर्त (anticlockwise) दिशा में अर्थात् यह क्वाण्टम संख्या इलेक्ट्रॉन के चक्रण की दिशा को प्रदर्शित करती है। अतः m के किसी मान के लिए के s केवल 2 ही मान हो सकते हैं।
  • m के किसी मान के लिए s के मान +½ या - ½ होते हैं। s के मानों को ↑ (clockwise) या ↓ (anticlock-wise) द्वारा भी प्रकट करते हैं। यह क्वाण्टम संख्या किसी परमाणु अथवा आयन के चुम्बकीय गुणों (magnetic properties) की व्याख्या करती हैं।

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