जामवंत का दूसरा नाम क्या था? - jaamavant ka doosara naam kya tha?

रामायण और महाभारत काल में ऐसे लोग हुए हैं जो आज भी सशरीर जीवित हैं। हर काल में इनके होने के प्रमाण मिलते हैं। अपनी शक्तियों के कारण ये अजर अमर हैं।

सतयुग में जामवंत 

जामवंत की उम्र परशुराम और हनुमान से भी लंबी है क्योंकि उनका जन्म सतयुग में राजा बलि के काल में हुआ था। परशुराम से बड़े हैं जामवंत और जामवंत से बड़े हैं राजा बलि। कहा जाता है कि जामवंत सतयुग और त्रेतायुग में भी थे और द्वापर में भी उनके होने का वर्णन मिलता है। जामवंतजी को अग्नि पुत्र कहा गया है। जामवंत की माता एक गंधर्व कन्या थी। सृष्टि के आदि में प्रथम कल्प के सतयुग में जामवंतजी उत्पन्न हुए थे। जामवंत ने अपने सामने ही वामन अवतार को देखा था।

जामवंत का दूसरा नाम क्या था? - jaamavant ka doosara naam kya tha?

त्रेतायुग में जामवंत

जामवंतजी समुद्र को लांघने में सक्षम थे लेकिन त्रेतायुग में वह बूढ़े हो चले थे। इसीलिए उन्होंने हनुमानजी से इसके लिए विनती थी कि आप ही समुद्र लांघिये। वाल्मीकि रामायण के युद्धकांड में जामवंत का नाम विशेष उल्लेखनीय है। जब हनुमानजी अपनी शक्ति को भूल जाते हैं तो जामवंतजी ही उनको याद दिलाते हैं। माना जाता है कि जामवंतजी आकार-प्रकार में कुंभकर्ण से तनीक ही छोटे थे। जामवंत को परम ज्ञानी और अनुभवी माना जाता था। उन्होंने ही हनुमानजी से हिमालय में प्राप्त होने वाली चार दुर्लभ औषधियों का वर्णन किया था जिसमें से एक संजीविनी थी।

भगवान राम से युद्ध 

युद्ध की समाप्त‌ि के बाद जब भगवान राम विदा होकर अयोध्या लौटने लगे तो जामवंतजी ने उनसे कहा कि प्रभु युद्ध में सबको लड़ने का अवसर मिला परंतु मुझे अपनी वीरता दिखाने का कोई अवसर नहीं मिला। मैं युद्ध में भाग नहीं ले सका और युद्ध करने की मेरी इच्छा मेरे मन में ही रह गई। उस समय भगवान ने जामवंतजी से कहा तुम्हारी ये इच्छा अवश्य पूर्ण होगी जब मैं अगला अवतार धारण करूंगा। तब तक तुम इसी स्‍थान पर रहकर तपस्या करो।

द्वापर युग में जामवंत 

भगवान श्रीकृष्ण को स्यमंतक मणि के लिए जामवंत के साथ युद्ध करना पड़ा था। श्रीकृष्ण पर इस मणि की चोरी का इल्जाम श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा के पिता सत्राजित ने लगाया था। इसी मणि की खोज में श्रीकृष्ण एक गुफा में जा पहुंचे जहां जामवंत अपने पुत्री के साथ रहते थे। इस मणि को हासिल करने के लिए श्रीकृष्ण को जाम्बवंतजी से युद्ध करना पड़ा। जाम्बवंत जब युद्ध में हारने लगे तब उन्होंने अपने प्रभु श्रीराम को पुकारा और उनकी पुकार सुनकर श्रीकृष्ण को अपने रामस्वरूप में आना पड़ा। तब जाम्बवंत ने समर्पण कर अपनी भूल स्वीकारी और उन्होंने मणि भी दी। श्रीकृष्ण से निवेदन किया कि आप मेरी पुत्री जाम्बवती से विवाह करें। जाम्बवती-कृष्ण के संयोग से महाप्रतापी पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम साम्ब रखा गया। इस साम्ब के कारण ही कृष्ण कुल का नाश हो गया था।

हनुमानजी

राम और रावण युद्ध में श्रीरामजी ने विजयश्री प्राप्त की थी। उनका प्रताप तो चारों युगों में है। वे त्रेतायुग में श्रीराम के समय भी थे और द्वापर में श्रीकृष्ण के समय भी थे। बहुत कम लोग जानते होंगे कि महाभारत के युद्ध में श्रीहनुमानजी के कारण ही पांडवों को विजय मिली थी। अर्जुन और श्रीकृष्ण को उन्होंने उनकी रक्षा का वचन दिया था तभी तो वे उनके रथ के ध्वज पर विराजमान हो गए थे। इससे पहले वे भीम का अभिमान को चूर चूर कर देते हैं जब एक जंगल में भीम उनसे अपनी पूंछ हटाने का कहता है तो हनुमानजी कहते हैं तू तो शक्तिशाली है तू ही मेरी पूंछ हटा दे। लेकिन भीम अपनी सारी शक्ति लगाकर भी जब वह पूंछ नहीं हटा पाता है तो वे समझ जाते हैं कि यह कोई साधारण वानर नहीं स्वयं हनुमानजी हैं।

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मयासुर

मयासुर रावण की पत्नी मंदोदरी के पिता अर्थात रावण के ससुर थे। देवताओं के शिल्पी विश्वकर्मा थे तो असुरों के शिल्पी मयासुर थे। मयासुर ने रामायण काल में कई विशालकाय भवनों और शस्त्रों का निर्माण किया था। रामायण के उत्तरकांड के अनुसार मयासुर, कश्यप ऋषि और उनकी पत्नी दिति का पुत्र था। यह ज्योतिष, वास्तु और शिल्प के प्रकांड विद्वान थे। इसका मतलब मयासुर सतयुग में भी था। इन्होंने ही महाभारत में युधिष्ठिर के लिए सभाभवन का निर्माण किया जो मयसभा के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इसी सभा के वैभव को देखकर दुर्योधन पांडवों से ईर्ष्‍या करने लगा था। मयासुर ने द्वारका नगरी के निर्माण में भी अहम भूमिका निभाई थी। माया ने सोने, चांदी और लोहे के तीन शहर जिसे त्रिपुरा कहा जाता है का निर्माण किया था। त्रिपुरा को बाद में स्वयं भगवान शिव ने ध्वस्त कर दिया था।  

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परशुराम

परशुराम विष्णु के छठे आवेश अवतार हैं। परशुराम का जन्म 5142 वि.पू. वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन-रात्रि के प्रथम प्रहर में भृगु ऋषि के कुल में हुआ था। इनके पिता का नाम जमदग्नि और माता का नाम रेणुका था। ऋचीक-सत्यवती के पुत्र जमदग्नि, जमदग्नि-रेणुका के पुत्र परशुराम थे। रामायण में परशुराम का उल्लेख तब मिलता है जब भगवान श्रीराम सीता स्वयंवर के मौके पर शिव का धनुष तोड़ देते हैं तब परशुराम यह देखने के लिए सभा में आते हैं कि आखिर यह धनुष किसने तोड़ा। महाभारत में परशुराम का उल्लेख पहली बार जब मिलता है जब वे भीष्म पितामाह के गुरु बने थे और एक प्रसंग के अनुसार उनका भीष्म के साथ युद्ध भी हुआ था। दूसरा जब वे भगवान श्रीकृष्ण को सुदर्शन प्रदान करते हैं और तीसरा जब वे कर्ण को ब्रह्मास्त्र की शिक्षा देते हैं।

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महर्षि दुर्वासा

महर्षि दुर्वासा को उनके क्रोध के लिए जाना जाता है। वो क्रोध में देवताओं को भी श्राप दे देते थे। रामायण अनुसार महर्षि दुर्वासा राजा दशरथ के भविष्यवक्ता थे। इन्होंने रघुवंश के लिए बहुत भविष्यवाणियां भी की थी। दूसरी ओर महाभारत में महर्षि दुर्वासा द्रोपदी की परीक्षा लेने के लिए अपने दस हजार शिष्यों के साथ उनकी कुटिया पहुंचे थे। पुराणों के अध्ययन से पता चलता है कि वशिष्ठ, अत्रि, विश्वामित्र, दुर्वासा, अश्वत्थामा, राजा बलि, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम, मार्कण्डेय ऋषि, वेद व्यास और जामवंत आदि कई ऋषि, मुनि और देवता हुए हैं जिनका जिक्र सभी युगों में पाया जाता है। कहते हैं कि ये आज भी सशरीर जीवित हैं।

जामवंत का दूसरा नाम क्या था? - jaamavant ka doosara naam kya tha?

Edited By: Prabhapunj Mishra

जामवंत का दूसरा नाम क्या है?

जामवंत की उम्र परशुराम और हनुमान से भी लंबी है क्योंकि उनका जन्म सतयुग में राजा बलि के काल में हुआ था। परशुराम से बड़े हैं जामवंत और जामवंत से बड़े हैं राजा बलि। कहा जाता है कि जामवंत सतयुग और त्रेतायुग में भी थे और द्वापर में भी उनके होने का वर्णन मिलता है। जामवंतजी को अग्नि पुत्र कहा गया है।

जामवंत पूर्व जन्म में कौन था?

जाम्बवन्त रामायण के एक प्रमुख पात्र हैं। वे ऋक्ष प्रजाति के थे। उनका सन्दर्भ महाभारत से भी है। स्यमंतक मणि के लिये श्री कृष्ण एवं जामवन्त में नंदिवर्धन पर्वत (तत्कालीन नाँदिया, सिरोही, राजस्थान ) पर २८ दिनो तक युध्द चला।

जामवंत किसका अवतार है?

जामवन्त का जन्म : माना जाता है कि देवासुर संग्राम में देवताओं की सहायता के लिए जामवन्त का जन्म ‍अग्नि के पुत्र के रूप में हुआ था। उनकी माता एक गंधर्व कन्या थीं। सृष्टि के आदि में प्रथम कल्प के सतयुग में जामवन्तजी उत्पन्न हुए थे। जामवन्त ने अपने सामने ही वामन अवतार को देखा था।

क्या जामवंत आज भी जिंदा है?

परशुराम और हनुमान के बाद जामवन्त ही एक ऐसे व्यक्ति हैं। जिनका तीनों युगों में होने का वर्णन मिलता है। वहीं पुराणों और धर्म ग्रंथों की मानें तो कहा जाता है कि वह आज भी जीवित हैं। राजा बलि के काल सतयुग में जामवन्त का जन्‍म हुआ था जिस वजह से उनकी आयु परशुराम और हनुमान (Hanuman) से भी लंबी है।