सिद्धांतकोष सेचारित्र मोक्षमार्ग का एक प्रधान अंग है। अभिप्राय के सम्यक् व मिथ्या होने से वह सम्यक् व मिथ्या हो जाता है। निश्चय, व्यवहार, सराग, वीतराग, स्व, पर आदि भेदों से वह अनेक प्रकार से निर्दिष्ट किया जाता है, परंतु वास्तव में वे सब भेद प्रभेद किसी न किसी एक वीतरागता रूप निश्चय चारित्र के पेट में समा जाते हैं। ज्ञाता दृष्टा मात्र साक्षीभाव या साम्यता का नाम वीतरागता है। प्रत्येक चारित्र में उसका अंश अवश्य होता है। उसका सर्वथा लोप होने पर केवल बाह्य वस्तुओं का त्याग आदि चारित्र संज्ञा को प्राप्त नहीं होता। परंतु इसका यह अर्थ भी नहीं कि बाह्य व्रतत्याग आदि बिलकुल निरर्थक है, वह उस वीतरागता के अविनाभावी है तथा पूर्व भूमिका वालों को उसके साधक भी। Show
अगला पृष्ठ पुराणकोष सेआत्मा के हित के लिए किया हुआ आचरण । यह दो प्रकार का होता है― सागार और अनागार । इसमें सागार चारित्र गेहियों के लिए होता है और अनागार चारित्र मुनियों के लिए । पद्मपुराण 33.121, 97.38 अनागार चारित्र मोक्ष का साधन है । इसमें समताभाव आवश्यक है । यह जब सम्यग्दर्शन और सम्यग्ज्ञान पूर्वक होता है तभी कार्यकारी है । इनके बिना यह कार्यकारी नहीं होता । इसके सामायिक छेदोपस्थापना, परिहारविशुद्धि, सूक्ष्मसांपराय और यथाख्यात ये पाँच भेद होते हैं । ईर्यादि पाँच समितियों मन-वचन-काय निरोध कृत त्रिगुप्तियों और क्षुधा आदि परीषहों को सहन करना इसकी भावनाएँ है । महापुराण 21.98, 24.119-122, हरिवंशपुराण, 2.129, 64.15-19
अगला पृष्ठ जैन धर्म के अनुसार चरित्र कितने होते हैं?सम्यक चारित्र के १३ अंग हैं - ५ महाव्रत,५ समिति और ३ गुप्ति । इसमें ५ प्रकार के पापों का जीवन भर मन,वचन,काय और कृत,कारित अनुमोदना से त्याग करना आता है।
चरित्र कितने प्रकार के होते हैं?व्यक्तित्व या चरित्र के 7 प्रकार, जानिये एक रहस्यमयी ज्ञान
जैन धर्म की विशेषता क्या है?जैन धर्म का विश्वास है कि आत्मा शरीर से अलग होती है, यह पूर्ण एवं निर्विकार है किन्तु कर्मों के कारण बंधन मुक्त नही हो पाती है। महावीर स्वामी जीवित प्राणियों मे ही नही वरन् जड़ वस्तुओं (अचेतन) मे भी जीव का अस्तित्व मानते है। छः प्रकार यथा- पृथ्वी, जल, वायु, तेज, वनस्पति और त्रास को भी जीव स्वीकार करते है।
जैन धर्म में सबसे महत्वपूर्ण क्या है?Solution : जैन धर्म के पाँच सिद्धांतों में अहिंसा सबसे मौलिक है। भगवान महावीर ने कहा, "अहिंसा परमो धर्म:"1 जैन धर्म ने पंचशील सिद्धांत बताए, ये हैं - अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) और ब्रह्मचर्य।
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