जाति प्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण कैसे बनी हुई है ?`? - jaati pratha bhaarat mein berojagaaree ka ek pramukh aur pratyaksh kaaran kaise banee huee hai ?`?

Solution : जाति-प्रथा के कारण लोग अरुचि से काम करने के लिए विवश होते हैं । अरुचि से किये गए कार्य में कुशलता आ नहीं पाती । इसलिए परवरिश के लायक आमदनी भी नहीं हो पाती । जाति आधारित रोजगार के कारण रुचि रहने पर भी लोग दूसरे-तीसरं धंधे को अपना नहीं पाते । फलतः बेरोजगारी के शिकार नवयुवक जीवन-जगत में भटकने के लिए मजबूर होते हैं। इस प्रकार जाति-प्रथा भारत के लिए बेरोजगारी का प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण बनी हुई है

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Class 10th Hindi पाठ -1 श्रम विभाजन और जाति-प्रथा Subjective Question 2022- Shram vibhajan aur jati pratha question answer 2022

जाति प्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण कैसे बनी हुई है ?`? - jaati pratha bhaarat mein berojagaaree ka ek pramukh aur pratyaksh kaaran kaise banee huee hai ?`?
श्रम विभाजन और जाति प्रथा के प्रश्न उत्तर

श्रम विभाजन और जाति-प्रथा SUBJECTIVE श्रम विभाजन और जाति-प्रथा | श्रम विभाजन और जाति प्रथा के क्वेश्चन आंसर.श्रम विभाजन और जाति प्रथा का लेखक कौन है.,Hindi Godhuli bhag 2 ( श्रम विभाजन और जाति प्रथा Objective ) Subjective Question Answer In HIndi. shram vibhajan aur jati pratha objective question.

1. लेखक किस विंडवना कि बात करते है ? वींड्वना का स्वरुप क्या है ? 

उतर:- लेखक भीमराव अम्बेडकर जी वींड्वना कि बात करते हुए कहते है कि इस युग मे जातिवाद के पोषको कि कमी नहींहै जिसका स्वरुप है कि जतिप्रथा श्रम विभाजन के साथ- साथ श्रमिक विभाजन का भी रुप ले रखा है , जो अस्वभविक है।


2. जातिवाद के पोषक उसके पक्ष मे क्या तर्क देते है ? 

उतर:-  जातिवाद के पोषको का तर्क है कि आधुनिक सभ्य समाज कार्य कुशलता के लिए श्रम विभाजन आवश्यक मानता है और जाति प्रथा श्रम विभाजन का ही रूप है इसलिए इसमें कोई बुराई नहीं है।


3. जातिवाद के पक्ष में दिए गए तर्को पर लेखक की प्रमुख आपत्तियाँ क्या है ?

उतर:-  जातिवाद के पक्ष में दिए गए तर्क पर लेखक के प्रमुख आपतियाँ इस प्रकार है कि जाति प्रथा श्रम विभाजन का रूप ले लिया है और किसी सभ्य समाज में श्रम विभाजन व्यवस्था श्रमिकों के विभिन्न पहलुओं में अस्वाभाविक विभाजन नहीं करता है ।


4. जाति भारतीय समाज में श्रम विभाजन का स्वाभाविक रूप क्यों नहीं कही जा सकती है ?

उतर:- भारतीय समाज में जातिवाद के आधार पर श्रम विभाजन और अस्वाभाविक है क्योंकि जातिगत श्रम विभाजन श्रमिकों की रुचि अथवा कार्यकुशलता के आधार पर नहीं होता, बल्कि माता के गर्भ में ही श्रम विभाजन कर दिया जाता है जो विवशता ,अरुचिपूर्ण होने के कारण गरीबी और अकर्मव्यता को बढ़ाने वाला है ।


5. जाति प्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण कैसे बनी हुई है ?

उतर:- जाति प्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण है क्योंकि भारतीय समाज में श्रम विभाजन का आधार जाति है चाहे श्रमिक कार्य कुशल हो या नहीं उस कार्य में रुचि रखता हो या नहीं इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जब श्रमिकों कार्य करने में न दिल लगे ना दिमाग तो कोई कार्य कुशलता पूर्वक कैसे प्राप्त कर सकता है यही कारण है कि भारत में जतिप्रथा बेरोजगारी का प्रत्यक्ष और प्रमुख कारण बना हुआ है ।


6. लेखक आज के उद्योगों में गरीबी और उत्पीड़न से भी बड़ी समस्या किसे मनते है, और क्यो ?

उतर:- लेखक भीमराव अंबेडकर आज के उद्योगों में गरीबी और उत्पीड़न से भी बड़ी समस्या लोगों का निर्धारित कार्य को मानते हैं ,क्योंकि अरुचि और विवस्ता वस मनुष्य काम को टालने लगता है और कम काम करने के लिए प्रेरित हो जाता है। ऐसी स्थिति में जहां काम करने में नद दिल लगे ना दिमाग तो कोई कुशलता कैसे प्राप्त कर सकता है ।


7. लेखक ने पाठ के किन पहलुओं में जाति प्रथा को एक  हानिकारक प्रथा के रूप में दिखाया है ?

उतर:- लेखक ने पाठ के विभिन्न पहलुओं में जाति प्रथा को एक हानिकारक प्रथा के रूप में दिखाया है जो इस प्रकार है, अस्वाभाविक श्रम विभाजन ,बढ़ती बेरोजगारी, अरुचि और विवस्ता में श्रम का चुनाव ,गतिशील एवं आदर्श समाज ,तथा वास्तविक लोकतंत्र का स्वरूप, आदि ।


8. सच्चे लोकतंत्र की स्थापना के लिए लेखक ने किन विशेषताओ को आवश्यक माना है ?

उतर:- सच्चे लोकतंत्र कि स्थापना के लिए लेखक अनेक विशेषताओं को आवश्यक माना है। बहू विध हितो में सब का भाग समान होना चाहिए सबको उनकी रक्षा के प्रति सजग होनी चाहिए तात्पर्य है कि हमें समाज में दूध और पानी के मिश्रण की तरह भाईचारे की भावना होनी चाहिए हमें साथियों के प्रति श्रद्धा और सम्मान होनी चाहिए ?


9. श्रम विभाजन और जाति-प्रथा’ पाठ का सारांश लिखें।

उतर:-आज के युग में भी जाति-प्रथा की वकालत सबसे बड़ी बिडंबना है। ये लोग तर्क देते हैं कि जाति-प्रथा श्रम-विभाजन का ही एक रूप है। ऐसे लोग भूल जाते हैं कि श्रम-विभाजन श्रमिक-विभाजन नहीं है। श्रम-विभाजन निस्संदेह आधुनिक युग की आवश्यकता है, श्रमिक-विभाजन नहीं। जाति-प्रथा श्रमिकों का अस्वाभाविक विभाजन और इनमें ऊँच-नीच का भेद करती है।

वस्तुत: जाति-प्रथा को श्रम-विभाजन नहीं माना जा सकता क्योंकि श्रम-विभाजन मनुष्य की रूचि पर होता है, जबकि जाति-प्रथा मनुष्य पर जन्मना पेशा थोप देती है। मनुष्य की रूचि-अरूचि इसमें कोई मायने नहीं रखती। ऐसी हालत में व्यक्ति अपना काम टालू ढंग से करता है, न कुशलता आती है न श्रेष्ठ उत्पादन होता है। चूँकि व्यवसाय में, ऊँच-नीच होता रहता है, अतः जरूरी है पेशा बदलने का विकल्प। चूँकि जाति-प्रथा में पेशा बदलने की गुंजाइश नहीं है,

इसलिए यह प्रथा गरीबी और उत्पीडन तथा बेरोजगारी को जन्म देती है। भारत की गरीबी और बेरोजगारी के मुल में जाति-प्रथा ही है। अतः स्पष्ट है कि हमारा समाज आदर्श समाज नहीं है। आदर्श समाज में । बहविध हितों में सबका भाग होता है। इसमें अवाध संपर्क के अनेक साधन एवं अवसर उपलब्ध होते हैं। लोग दूध-पानी की तरह हिले-मिले रहते हैं। इसी का नाम लोकतंत्र है। लोकतंत्र मूल रूप से सामूहिक जीवन-चर्या और सम्मिलित अनुभवों के आदान प्रदान का नाम है


class 10th Objective question 2022

1 class 10th Hindi Question
2 class 10th science Question
3 class 10th social science Question
4 class 10th math Question
5 class 10th English Question
6 class 10th Sanskrit Question

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class 10th hindi subjective question 2022

गोधूलि भाग 2 ( गद्यखंड ) SUBJECTIVE
 1 श्रम विभाजन और जाति प्रथा
 2 विष के दाँत
 3 भारत से हम क्या सीखें
 4 नाखून क्यों बढ़ते हैं
 5 नागरी लिपि
 6 बहादुर
 7  परंपरा का मूल्यांकन
 8  जित-जित मैं निरखत हूँ
 9 आवियों
 10  मछली
 11  नौबतखाने में इबादत
 12  शिक्षा और संस्कृति
गोधूलि भाग 2 ( काव्यखंड ) SUBJECTIVE
 1  राम बिनु बिरथे जगि जनमा
2  प्रेम-अयनि श्री राधिका
3 अति सूधो सनेह को मारग है
4 स्वदेशी
5 भारतमाता
6 जनतंत्र का जन्म
7 हिरोशिमा
8 एक वृक्ष की हत्या
9 हमारी नींद
10 अक्षर-ज्ञान
11 लौटकर आऊंगा फिर
12 मेरे बिना तुम प्रभु

जाति प्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण कैसे बनी हुई है?

उतर:- जाति प्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण है क्योंकि भारतीय समाज में श्रम विभाजन का आधार जाति है चाहे श्रमिक कार्य कुशल हो या नहीं उस कार्य में रुचि रखता हो या नहीं इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जब श्रमिकों कार्य करने में न दिल लगे ना दिमाग तो कोई कार्य कुशलता पूर्वक कैसे प्राप्त कर सकता है यही ...

जाति प्रथा बेरोजगारी का कारण कैसे बन जाती है?

जाति -प्रथा को यदि श्रम विभाजन मान लिया जाए, तो यह स्वाभाविक विभाजन नहीं है, क्योंकि यह मनुष्य की रुचि पर आधारित नहीं है। कुशल व्यक्ति या सक्षम-श्रमिक - समाज का निर्माण करने के लिए यह आवश्यक है कि हम व्यक्तियों की क्षमता इस सीमा तक विकसित करें, जिससे वह अपना पेशा या कार्य का चुनाव स्वयं कर सके।

भारत में जाति प्रथा का मुख्य कारण क्या है?

इसके भारतीय जाति प्रथा अपनी तरह की विचित्र और रोचक संस्था है। धर्म की सीमा से बाहर हिन्दुओं व कुछ अपनापन है, उसकी अनोखी अभिव्यक्ति यह जाति-प्रथा है। वास्तव में यह संस्था हिन्दू जीवन को दूसरों से पृथक् कर देती है क्योंकि सैकड़ों भारतीय और विदेशी विद्वानों का ध्यान इस संस्था की ओर आकर्षित हुआ है।

जाति प्रथा का विकास कैसे हुआ?

भारत की मौजूदा आबादी पांच प्रकार के प्राचीन आबादी से मिलकर बनी है जो आपस में घुल मिलकर कर रहते थे और हजारों साल से क्रॉस ब्रिडिंग कर रहे थे. भारत में कठोर जाति प्रथा का सूत्रपात कोई 1,575 साल पहले हुआ. गुप्त साम्राज्य ने लोगों पर कठोर सामाजिक प्रतिबंध लगाए थे.