रामायण हिन्दू धर्मं का एक पवित्र ग्रन्थ है। रामायण की कथा में अनेक पात्र है और प्रत्येक पात्र की अपनी विशेषता है, उन्ही में से है जटायु। आज हम इन्हीं के बारे में बात करेंगे और साथ ही आपके प्रश्न का उत्तर भी देंगे कि Jatayu Ke Bhai Ka Naam Kya Tha – जटायु के भाई का क्या नाम था? जटायु का उल्लेख रामायण में तब आता है जब रावन माता सीता का हरण कर वायु मार्ग से
उन्हें लंका ले जा रहा होता है। जटायु जब यह देखते हैं तो उनके ओर रावन के बीच युद्ध होता है जिसमे जटायु अपने प्राण खो देते हैं। जटायु के भाई का नाम संपाती था। जब श्री राम ओर उनकी सेना माता सीता की खोज में समुद्रतट पर पहुचते है तो उनकी भेंट संपाती से होती है जो उन्हें माता सीता का पता बताते हैं। क्या आप जानते हैं की एक बार संपाती ओर जटायु अपने पिता अरुण जोकि सूर्यदेव के सारथी है, से मिलने जा रहे थे। बिच रास्ते में जब सूर्यदेव की गर्मी तेज होने लगी तो जटायु वापस लोट आये लेकिन संपाती आगे
बढ़ते गए जिस कारण उनके पंख जल गए। तो दोस्तों ये जानकारी थी जटायु के भाई संपाती के बारे में, इसी प्रकार की जानकारी हम आपके लिए लाते रहेंगे। जटायु कौन सा पक्षी है? जटायु एक गिद्ध थे। यह रामायण के एक महत्वपूर्ण पात्र हैं एवं ये देव पक्षी अरुण के पुत्र थे। जटायु का अंतिम संस्कार कौन करते हैं? माता सीता की रक्षा करते हुए जटायु अति गंभीर रूप से घायल हो चुके थे
और प्राण इसीलिए बचा के रखे थे ताकि वे श्री राम को इसकी जानकारी दे सकें। जटायु की मृत्यु के पश्चात् श्री राम ने ही उनका अंतिम संस्कार किया। कुछ और महत्वपूर्ण लेख –
मेरा नाम शुभम जाधव है और मुझे नयी नयी चीज़ें सिखने और ब्लॉगिंग करने का शौक है। मैं 11 वर्षों से ब्लॉगिंग कर रहा हूँ और साथ ही साथ SEO का भी मुझे ज्ञान है। jatayu ka bhai : जटायु कौन था आज जटायु की पूरी कथा हम आपको बतायेंगे इस आर्टिकल के माध्यम से आज के बाद ये तमाम प्रश्नों jatayu ke bhai ka naam उतर आपके पास होंगे की जटायु कोन था और उसके पिता का क्या नाम थाऔर जटायु का भाई का क्या नाम था तो चलिए आज की जटायु की पूरी कथा की शुरुआत करते है जटायु कौन था जटायु प्रसंगभगवान श्री राम लक्ष्मण से कहते है कि है लक्ष्मणसभी प्राणियों को यहां तक कि पशु पक्षियों को भी सहारे की जरूरत होती है अर्थात भगवान की जरूरत होती है वेसे में आपको बताता हु की जटायु कौन था प्रजापति कश्यप के दो पुत्र अरुण और गरुड़, अरुण के दो पुत्र सम्पाती और जटायु(jatayu) थे जटायु भगवान राम के पिता दशरथ के अच्छे मित्र भी थे इसी करण उन्होंने माता सीता को रावण बचाने की कोशिश की थी ! Jatayu ke bhai ka naamअभी हम आगे की कथा में बताऊंगा की जटायु के भाई सम्पाती के पंखकिस कारण जले तो आप इस आर्टिकल को पूरा पढ़े चलो कथा शुरू करते है जटायु जन्मएक बार प्रजापति कश्यप जी की पत्नी विनीता की दो पुत्र हुए थे अरुण और गुरुड इनमें से भगवान सूर्य के सारथी अरुण जी के दो पुत्र हुए थे संपाती और जटायु बचपन में जटायु का भाई दोनों ने उड़ने की होड़ लगाई थी और सूर्य मंडल के पास तक चले गए थे सूर्य का तप तेज होने के कारण जटायु तो लौट आए किंतु संपाती ऊपर ही उड़ते रहे जटायु का भाईसूर्य के अधिक निकट आने के कारण संपाती के पंख सूर्य के ताप के कारण भसम हो गएवह समुंदर के पास पृथ्वी पर गिर पड़े जटायु लौटकर पंचवटी में रहने लगा जटायु का भाई कौन थाजटायु महाराज दशरथ का परम मित्र था बनवास के समय जब श्रीराम पंचवटी में पहुंचे तब जटायु से मिले ये कथा भी पढ़े
जटायु रावण युद्ध jatayu story in hindiमर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी ने अपने पिता के सखा को अपने पिता के समान सम्मान कियाजब छल से स्वर्ण मरीग बने मारीच के पीछे राम जी वन में चले गएतब मारीच के कपट पूर्वक पुकार सुनकर लक्ष्मण जी बड़े भाई को ढूंढने चले गए तब कुटिया में अकेले सीता ही थी सुनी कुटिया से रावण ने सीता जी को उठा लिया और बलपूर्वक रथ में बैठा कर ले गया सीता जी की चीक चीक की पुकार सुनकर जटायु क्रोध से भर गए सीखने की पुकार सुनकर रावण पर टूट पड़े और उनसे युद्ध करने लगे एक बार तो जटायु ने रावण को धरती पर पटक दिया परंतु उनकी अवस्था रावण के समान नहीं थी वे वृद्ध थे फिर भी उन्होंने रावण से युद्ध किया अंत समय रावण ने उनके पंख काट दिए और जटायु धरती पर गिर पड़ा जटायु कौन था राम लक्ष्मण से वह कहां मिलाफिर रावण सीता को लेकर दक्षिण की ओर चला गया तब श्री राम विरह व्याकुल हुएजानकी जी को ढूंढने वहां आए तब जटायु मरने ही वाला था उन्होंने श्रीराम से कहा की है जटायु राम संवादराघव राक्षस राज रावण ने मेरी ऐसी दशा की है वही दुष्ट सीता को हर कर ले गया है मैंने तो तुम्हारे दर्शन के लिए ही अपने प्राणों को रोक रखा था अब मुझे जाने की आज्ञा दो ऐसा सुनकर श्री राम जी के नेत्र भर आए
जटायु परम भक्त थे उन्हें अपने शरीर का मोह ये कथा भी पढ़े
जटायु का अंतिम संस्कार नहीं था उन्होंने कहा श्री राम जिनका नाम मृत्यु के समय मुख से निकल जाए वह प्राणी मुक्ति प्राप्त कर लेता है Jatayu ke bhai ka naam श्री राम ने उन्हें अपनी गोद में उठाया और उसके जटाओं में से धूल झार रहे थे तब जटायु ने उनकी गोद में ही शरीर को छोड़ दिया भगवान श्री राम अपने भगत की परम भक्ति को देखकर सीता जी के वियोग को भी भूल गए थेऔर श्री राम ने जटायु का अंतिम संस्कार अपने ही हाथो से किया था ये कथा सुनकर जो सच्चा भगत है उसने पूरी पढ़ी होगी और पढ़ी है तो कमेंट में जय श्री राम जरुर लिखिए और साथ ही लिखे की आज की कथा Jatayu Kaun Tha कथा आपको केसी लगी! jatayu ka bhai मिलते है अगली एसी ही रोचक भगवान के भगत की कथा में तब तक जय श्री राम ! राम जी राम दोस्तों में शिवम् हमने खास आपके लिए ये साईट Eaarti.Com बनाई है लोग ऐसे फालतु चीज़े बहुत देखते है इस से अच्छा भगवत प्रेम के बारे में पढ़े आसा करते है आपको ये पोस्ट अच्छा लगा होगा हमसे जुड़ने के लिए निचे दिये लिंक पर क्लिक करे! जटायु और संपाती के माता पिता कौन थे?ये दोनों ही देव पक्षी अरुण के पुत्र थे। दरअसल, महर्षि कश्यप की पत्नी विनता के दो पुत्र हुए- गरूड़ और अरुण। गरूड़जी विष्णु की शरण में चले गए और अरुणजी सूर्य के सारथी हुए। सम्पाती और जटायु इन्हीं अरुण के पुत्र थे।
जटायु का पूर्व जन्म में क्या था?रामायण अनुसार जटायु गृध्रराज थे और वे ऋषि ताक्षर्य कश्यप और विनीता के पुत्र थे। गृध्रराज एक गिद्ध जैसे आकार का पर्वत था। प्रजापति कश्यप की पत्नी विनता के दो पुत्र हुए- गरुड़ और अरुण। अरुण जी सूर्य के सारथी हुए।
जटायु के पिता का नाम क्या था?ये दोनों ही देव पक्षी अरुण के पुत्र थे। दरअसल, प्रजापति कश्यप की पत्नी विनता के दो पुत्र हुए- गरूड़ और अरुण। गरूड़जी विष्णु की शरण में चले गए और अरुणजी सूर्य के सारथी हुए। सम्पाती और जटायु इन्हीं अरुण के पुत्र थे।
जटायु के भाई का क्या नाम है?जटायु के भाई का नाम था संपाती।
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