1. अयोध्या किस नदी के किनारे था? अयोध्या सरयू नदी के किनारे था| 2. अयोध्या किस राज्य की राजधानी थीं? अयोध्या कोसल राज्य की राजधानी थीं | 3. अयोध्या के राजा कौन थे? अयोध्या के राजा दशरथ थे| 4. राजा दशरथ कैसे शासक थे? राजा दशरथ एक कुशल योद्धा और न्यायप्रिय शासक थे| 5. अयोध्या को हर तरह से संपन्न नगरी कैसे कहा जा सकता था? अयोध्या को हर तरह से संपन्न नगरी इसलिए कहा जाता था क्योंकि वहाँ आम लोगों के घर भी भव्य थे , वहाँ की सड़कें चौड़ी थीं, सुंदर बाग बगीचें थे, खेतों में हरियाली थी और फसलें सरयू की लहरों के साथ खेलती थीं | 6. राजा दशरथ किसके वंशज थे ? राजा दशरथ रघुकुल के वंशज थे | 7. राजा दशरथ को क्या दुःख था ? राजा दशरथ को एक भी संतान नहीं था, उन्हें इस बात का दुःख था | 8. राजा दशरथ की कितनी रानियाँ थीं ? राजा दशरथ की तीन रानियाँ थीं - कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी| 9. मुनि वशिष्ट ने पुत्र की प्राप्ति के लिए राजा दशरथ को कौन सा यज्ञ करवाने के लिए कहा ? मुनि वशिष्ट ने पुत्र की प्राप्ति के लिए राजा दशरथ को पुत्रष्ठि यज्ञ करवाने के लिए कहा | 10. यज्ञ के लिए यज्ञशाला कहाँ बनवाया गया था ? यज्ञ के लिए यज्ञशाला सरयू नदी के किनारे बनाया गया जिसमें सभी ऋषि-मुनि पधारे थे | 11. यज्ञ के बाद राजा दशरथ को कितने पुत्र हुए और उनके नाम लिखिए? यज्ञ के बाद राजा दशरथ को चार पुत्र हुए| उनके पुत्रों के नाम राम , लक्ष्मण , भरत और शत्रुध्न था| 12. राम कौन से रानी के पुत्र थे ? राम रानी कौशल्या के पुत्र थे | 13. रानी सुमित्रा ने कौन से पुत्र को जन्म दिया था ? रानी सुमित्रा ने लक्ष्मण और शत्रुध्न को जन्म दिया था | 14. राजा दशरथ को कौन सा पुत्र सबसे प्रिय था ? राजा दशरथ को सबसे अधिक प्रिय उनके जेष्ठ पुत्र राम थे | 15. किसके आने की ख़बर सुनकर राजा दशरथ आसन छोड़कर खड़े हो गए ? विश्वामित्र की आने की ख़बर सुनकर राजा दशरथ आसन छोड़कर खड़े हो गए | 16. विश्वामित्र राजा दशरथ से क्या माँगने आए थे ? विश्वामित्र राजा दशरथ से उनके बड़े पुत्र राम को माँगने आए थे | 17. विश्वामित्र राम को अपने साथ क्यों ले जाना चाहते थे ? विश्वामित्र राम को अपने साथ इसलिए ले जाना चाहते थे क्योंकि वह एक अनुष्ठान कर रहे थे, जिसमें दो राक्षस बाधा डाल रहे थे| उसी का मारने के लिए वह राम को अपने साथ ले जाने आए थे | 18. राम को साथ में ले जाने की बात सुनकर राजा दशरथ का क्या हाल हुआ ? राम को साथ में ले जाने की बात सुनकर राजा दशरथ दुःखी हो गए| पुत्र वियोग की आशंका से काँप उठे| दरबार में सन्नाटा छा गया | दशरथ काँप कर बेहोश हो गए| होश आया तो डर ने उन्हें फिर जकड़ लिया | 19. दशरथ ने महर्षि से क्या विनती की थीं ? दशरथ ने महर्षि से विनती कि महामुनि मेरा पुत्र तो अभी सोलह वर्ष का भी नहीं हुआ है| वह रक्षासों का मुकाबला कैसे करेगा? वह उनका छल-कपट कैसे समझेगा? इससे अच्छा तो यही होगा कि आप मेरी सेना ले जाएँ। मैं स्वयं आपके साथ चलूँ। 20. राजा दशरथ ने राम के साथ किसे भेजने का आग्रह महर्षि से किया ? राजा दशरथ ने राम के साथ उनके छोटे भाई लक्ष्मण को भेजने का आग्रह किया | 21. जब राजा दशरथ ने अपना निर्णय पुत्रों को सुनाया तब उनके पुत्रों ने क्या किया ? जब राजा दशरथ ने अपना निर्णय पुत्रों को सुनाया तब दोनों भाईयों ने उसे सहर्ष स्वीकार किया | 22. दोनों पुत्रों के वन जाने की सूचना किस माता को दी गई ? दोनों पुत्रों के वन जाने की सूचना माता कौशल्या को दी गई | 23. राजा दशरथ ने अपने दोनों पुत्रों कि विदाई किस प्रकार की ? राजा दशरथ ने अपने दोनों पुत्रों की विदाई पर शंखध्वनि और नगाड़े बजवाए और भावुक होकर दोनों पुत्रों का मस्तक चूमकर उन्हें महर्षि को सौंप दिया | 24. विश्वामित्र राम को ही क्यों अपने साथ ले जाना चाहते थे ? विश्वामित्र राम को ही अपने साथ इसलिए ले जाना चाहते थे क्योंकि वे जानते थे रक्षसों को केवल राम ही मार सकते थे | Notes of अवधपुरी में राम These NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant & Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 1 अवधपुरी में राम are prepared by our highly skilled subject experts. Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter
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प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. Bal Ram Katha Class 6 Chapter 1 Summary यह कथा अवध की है। सरयू नदी के किनारे बसे अवध को अयोध्या के नाम से भी जाना जाता है। अयोध्या बहुत ही सुंदर नगरी थी। अयोध्या के राजमहल तो सुंदर थे ही, वहाँ आम लोगों के घर भी सुंदर थे। वहाँ चौड़ी-चौड़ी सड़कें व सुंदर बाग-बगीचे थे। अयोध्या हर तरह से संपन्न नगरी थी। अयोध्या कोसल राज्य की राजधानी थी। दशरथ उस राज्य के राजा थे, जो बहुत बड़े योद्धा और कुशल प्रशासक थे। वे अज के पुत्र थे। रघुकुल के वंशज होने के कारण वे सभी लोक-मर्यादाओं का भली-भाँति पालन करते थे। राजा दशरथ की तीन रानियाँ थीं-कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी। रानियों को केवल एक ही दुःख था कि उनकी कोई संतान न थी। राजा दशरथ की उम्र बढ़ती जा रही थी। दशरथ भी इस कारण बहुत चिंतित रहते थे। उन्होंने मुनि वशिष्ठ से इस विषय में बात की। मुनि ने उनको पुत्रेष्ठि यज्ञ करने की सलाह दी। तपस्वी ऋष्यशृंग की देखरेख में सरयू नदी के किनारे यज्ञ प्रारंभ हुआ। यज्ञ की अंतिम आहुति राजा दशरथ द्वारा दी गई। यज्ञ के प्रभाव से अग्निदेवता प्रकट हुए और उन्होंने दशरथ को आशीर्वाद दिया। उनके आशीर्वाद से तीनों रानियाँ गर्भवती हो गईं। महारानी कौशल्या ने राम, सुमित्रा ने लक्ष्मण व शत्रुघ्न व कैकेयी ने भरत को जन्म दिया। नगर में राजा ने बहुत बड़े समारोह का आयोजन किया। चारों राजकुमार धीरे-धीरे बड़े हुए। उन चारों भाइयों में बहुत गहरा प्रेम था। बड़े होने पर चारों राजकुमारों को मुनि वशिष्ठ के पास शिक्षा-दीक्षा के लिए भेजा गया। जल्दी ही वे चारों सभी विद्याओं में पारंगत हो गए। राम में अन्य गुण भी थे। राम दशरथ को सबसे प्रिय थे। शिक्षा-दीक्षा के बाद इन चारों राजुकमारों के विवाह की चर्चा चलने लगी। पुरोहितों को भी इस चर्चा में शामिल किया गया। एक दिन द्वारपाल घबराता हुआ आया कि ऋषि विश्वामित्र पधारे हैं। महाराज दशरथ उनके सम्मान में तत्काल अपना आसन छोड़कर खड़े हो गए। दशरथ ने विश्वामित्र की सेवा करने के बाद पूछा कि मुझे आज्ञा दें, मैं और क्या सेवा करूँ? विश्वामित्र ने कहा-मैं सिद्धि के लिए यज्ञ कर रहा हूँ। राक्षस मेरे यज्ञ में बाधा डाल रहे हैं, अतः यज्ञ की रक्षा के लिए आप अपने ज्येष्ठ पुत्र को मुझे दें। यह सुनकर दशरथ पर तो मानो बिजली गिर गई। वे मूर्छित होकर गिर पड़े। यह देखकर विश्वामित्र का क्रोध बढ़ता जा रहा था। दशरथ कहने लगे-हे महामुनि! मेरा राम तो अभी सोलह वर्ष का भी नहीं हुआ। वह राक्षसों का सामना कैसे करेगा? आप कहें तो मैं आपके साथ चलता हूँ। दशरथ की इस प्रकार की बातें सुनकर विश्वामित्र का क्रोध भड़क उठा। वे दशरथ से बोले कि आप रघुकुल की रीति तोड़ रहे हैं। यदि आप राम को मेरे साथ नहीं भेजते तो मैं यहाँ से खाली हाथ लौट जाऊँगा। बात बढ़ती देख मुनि वशिष्ठ ने आगे आकर दशरथ को समझाया और बताया कि विश्वामित्र के साथ रहने में राम का बहुत बड़ा लाभ है। वशिष्ठ की बातों को सुनकर दशरथ की चिंता कम हुई। दशरथ ने मुनि वशिष्ठ की बातों को दुःखी मन से स्वीकार कर लिया। वे राम को अकेले नहीं भेजना चाहते थे। अतः उन्होंने लक्ष्मण को भी राम के साथ भेजने की विनती विश्वामित्र से की। राम और लक्ष्मण को तत्काल दरबार में बुलाकर विश्वामित्र के साथ जाने का निर्णय सुनाया। दोनों भाई सहर्ष उनके साथ जाने को तैयार हो गए। दोनों भाई नितान्त गंभीर माहौल में माताओं की आज्ञा लेकर यज्ञ की रक्षा हेतु विश्वामित्र के साथ चल पड़े। |