NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 8 कवितावली (उत्तर कांड से), लक्ष्मण-मूच्छ और राम का विलाप are part of NCERT Solutions for Class 12 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 8 कवितावली (उत्तर कांड से),
लक्ष्मण-मूच्छ और राम का विलाप. पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास पाठ के साथ प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. (ख) मूर्चिछत लक्ष्मण को गोद में लेकर राम विलाप कर रहे हैं कि
तुम्हारे बिना मेरी दशा ऐसी हो गई है जैसे पंखों के बिना पक्षी की, मणि के बिना साँप की और सँड़ के बिना हाथी की स्थिति दयनीय हो जाती है। ऐसी स्थिति में मैं अक्षम व असहाय हो गया हूँ। यदि भाग्य ने तुम्हारे बिना मुझे जीवित रखा तो मेरा जीवन इसी तरह शक्तिहीन रहेगा। दूसरे शब्दों में, मेरे तेज व पराक्रम के पीछे तुम्हारी ही शक्ति कार्य करती रही है। (ग) तुलसीदास ने समाज से अपनी तटस्थता की बात कही है। वे कहते हैं कि समाज की बातों का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। वे किसी पर आश्रित नहीं
हैं वे मात्र राम के सेवक हैं। जीवन-निर्वाह के लिए भिक्षावृत्ति करते हैं तथा मस्जिद में सोते हैं। उन्हें संसार से कोई लेना-देना नहीं है। (घ) तुलसीदास ने अपने समय की आर्थिक दशा का यथार्थपरक चित्रण किया है। इस समय लोग छोटे-बड़े, गलतसही सभी प्रकार के कार्य कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें अपनी भूख मिटानी है। वे कर्म की प्रवृत्ति व तरीके की परवाह नहीं करते। पेट की आग को शांत करने के लिए वे अपने बेटा-बेटी अर्थात संतानों को भी बेचने के लिए विवश हैं अर्थात पेट भरने के लिए व्यक्ति कोई भी पाप कर सकता है। प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. पाठ के आसपास प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. तुलसी के युग में बेकारी के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं-
आज बेकारी के कारण पहले की अपेक्षा भिन्न हैं-
प्रश्न 4. प्रश्न 5. अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9.
उत्तर: प्रश्न 10. प्रश्न
11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. इन्हें भी जानें चौपाई सम मात्रिक छंद है। यह चार पंक्तियों का होता है जिसकी प्रत्येक पंक्ति में 16-16 मात्राएँ होती हैं। चालीस चौपाइयों वाली रचना को चालीसा कहा जाता है-यह तथ्य लोकप्रसिद्ध है। दोहा सोरठा दोहे को उलट देने से सोरठा बन जाता है। इसके सम चरणों (दूसरे और चौथे चरण) में 13-13 मात्राएँ होती हैं तथा विषम चरणों (पहले और तीसरे) में 11-11 मात्राएँ होती हैं। परंतु दोहे के विपरीत इसके सम चरणों (दूसरे और चौथे चरण) में अंत्यानुप्रास या तुक नहीं रहती, विषम चरणों (पहले और तीसरे) में तुक होती है। कवित्त यह वार्णिक छंद है। इसे मनहरण भी कहते हैं। कवित्त के प्रत्येक चरण में 31-31 वर्ण होते हैं। प्रत्येक चरण के 16वें और फिर 15वें वर्ण पर यति रहती है। प्रत्येक चरण का अंतिम वर्ण गुरु होता है। सवैया चूँकि सवैया वार्णिक छंद है, इसलिए सवैया छंद के कई भेद हैं। ये भेद गणों के संयोजन के आधार पर बनते हैं। इनमें सबसे प्रसिद्ध मत्तगयंद सवैया है इसे मालती सवैया भी कहते हैं। सवैया के प्रत्येक चरण में 22 से 26 वर्ण होते हैं। यहाँ प्रस्तुत तुलसी का सवैया कई भेदों को मिलाकर बनता है। We hope the given NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 8 कवितावली (उत्तर कांड से), लक्ष्मण-मूच्छ और राम का विलाप will help you. If you have any query regarding NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 8 कवितावली (उत्तर कांड से), लक्ष्मण-मूच्छ और राम का विलाप, drop a comment below and we will get back to you at the earliest. कुंभकरण के द्वारा पूछे जाने पर रावण ने अपनी व्याकुलता में क्या कहा और कुंभकरण ने क्या उत्तर दिया?उत्तर: जब कुंभकरण ने रावण से उसकी व्याकुलता के बारे में पूछा तो रावण ने विस्तार से बताया कि उसने किस तरह सीता का हरण किया। फिर हनुमान ने अनेक राक्षसों को मार डाला और महान योद्धाओं का अंत कर दिया। कुंभकरण ने उसकी बात सुनकर उसे लताड़ा और कहा कि तूने जगत जानकी को चुराकर गलत किया।
कुंभकरण ने अपने भाई रावण से क्या कहा Class 12?जथा पंख बिनु खग अति दीना। मनि बिनु फनि करिबर कर हीना। अस मम जितन बंधु बिनुं तोही। जौं जड़ दैव जिआवै मोही॥. इस संसार में पेट भरने के लिए कौन-कौन कार्य करते हैं?. कलयुग में अपना पेट भरने के लिए लोग क्या-क्या करते हैं?. कवि के अनुसार पेट की आग को कौन बुझा सकता है?. इस काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।. कवि के अनुसार पेट की आग को कौन बुझा सकता है?उत्तर: कवि तुलसीदास जी कहते हैं की अकाल के समय जो पेट की आग उत्पन्न होती है उसे बुझा पाने का एक ही उपाय है - भक्ति। वे मानते है की कड़ी मेहनत के अलावा ईश्वर की कृपा होना भी जरुरी है तथा पेट की आग बुझाने के लिए घनश्याम रुपी राम अर्थात बादल रुपी राम की वर्षा होना आवशयक है।
संसार में पेट की आग बुझाने के लिए लोग क्या कर रहे हैं?पेट को ही पचत, बेचत बेटा- बेटकी । 'तुलसी' बुझाई एक राम घनश्याम ही तें, आगि बड़वागितें बड़ी है आणि पेटकी ॥ प्रसंग - प्रस्तुत कविता हमारी पाठ पुस्तक आरोह से संकलित है | इसके कवि गोस्वामी तुलसीदास जी हैं | उन्होंने कवितावली में कलयुग वर्णन को बताया है ।
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