कबीर ने ऐसा क्यों कहा है कि संसार बोला गया है - kabeer ne aisa kyon kaha hai ki sansaar bola gaya hai

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कबीर ने ऐसा क्यों कहा है कि संसार बौरा गया है?

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कबीर ने ऐसा क्यों कहा है कि संसार बौरा गया है?

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कबीर के अनुसार लोगों में सच सुनने की शक्ति नहीं है। वह सच पर सरलता से विश्वास भी नहीं कर पाते हैं। वे झूठ पर शीघ्र विश्वास कर लेते हैं। कबीर धर्म तथा ईश्वर के विषय में लोगों को जो सत्य बताते हैं, वे उसे समझ नहीं पाते हैं। धर्म तथा ईश्वर लोगों में फैली धारणों से भिन्न है। जब कबीर इस विषय में बताते हैं, तो वे उसे सच नहीं मानते हैं। अतः कबीर संसार को बौरा हुआ मानते हैं।

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Same exercise questions

Q. कबीर ने नियम और धर्म का पालन करने वाले लोगों की किन कमियों की ओर संकेत किया है?

Q. कबीर ने अपने को दीवाना क्यों कहा है?

Q. कबीर की दृष्टि में ईश्वर एक है? इसके समर्थन में उन्होंने क्या तर्क दिए हैं?

Q. 'विस का प्याला राणा भेज्या, पीवत मीरां हाँसी' इसमें क्या व्यंग्य छिपा है।

Q. लोग मीरा को बावरी क्यों कहते हैं?

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कबीर ने ऐसा क्यों कहा है कि संसार बौरा गया है?


कबीर ने ऐसा इसलिए कहा है कि क्योंकि संसार के लोग सच को सहन नहीं कर पाते और न उस पर विश्वास करते हैं। उन्हें झूठ पर विश्वास हो जाता है। कबीर संसार के लोगों को ईश्वर और धर्म के बारे में सत्य बात बताता है, ये सब बातें परंपरागत ढंग से भिन्न हैं, अत: लोगों को अच्छी नहीं लगतीं। लगता है यह संसार बौरा गया है अर्थात् पागल-सा हो गया है।

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कबीर की दृष्टि में ईश्वर एक है? इसके समर्थन में उन्होंने क्या तर्क दिए है?


कबीर की दृष्टि में ईश्वर एक है। इसके समर्थन में उन्होंने निम्नलिखित तर्क दिए हैं:

-पवन (हवा) एक है

-पानी एक है

-एक ही ज्योति सभी में समाई है।

-एक ही मिट्टी से सब बरतन (व्यक्ति) बने हैं।

-एक ही कुम्हार मिट्टी को सानता है।

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मानव शरीर का निर्माण किन पाँच तत्त्वों से हुआ है?


मानव शरीर का निर्माण इन पाँच तत्वों से हुआ है-

1. वायु  2. जल 3. मिट्टी (पृथ्वी) 4. अग्नि  5. आकाश।

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“जैसे बाड़ी काष्ठ ही का, अगिनि न काटे, कोई।

सब घटि अंतरि तूँही व्यापक धरै सरूपै सोई।।”

-इसके आधार पर बताइए कि कबीर की दृष्टि में ईश्वर का क्या स्वरूप है?


इस काव्यांश के आधार पर कहा जा सकता है कि ईश्वर सर्वव्यापक है, उसे काटा या मिटाया नहीं जा सकता। ईश्वर सभी के हृदयों में आत्मा के रूप में व्याप्त है। वह व्यापक स्वरूप धारण करता है।

-ईश्वर निराकार है

-ईश्वर सर्वव्यापक है

-ईश्वर अजर-अमर है

-ईश्वर आत्मा रूप में प्राणियों में समाया है।

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कबीर ने अपने को दीवाना क्यों कहा है?


कबीर ने स्वयं को दीवाना इसलिए कहा है, क्योंकि वह निर्भय है। उसे किसी का कुछ भी कहना व्यापता नहीं है। वह ईश्वर के सच्चे स्वरूप को पहचानता है। वह ईश्वर का सच्चा भक्त है, अत: दीवाना है।

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NCERT Class 11 Hindi Core Chapter wise Solutions

Aroh Poem

  1. Kabir
  2. Meera
  3. पथिक
  4. Sumitranandan Pant
  5. Bhawani Prasad Mishra
  6. Trilochan
  7. Dushyant Kumar
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  1. Premchand
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  1. Lata Mangeshkar
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1. कबीर की दृष्टि में ईश्वर एक है। इसके समर्थन में उन्होंने क्या तर्क दिए हैं?
उत्तर:-
कबीर की दृष्टि में ईश्वर एक है। इसके समर्थन में उन्होंने निम्न तर्क दिए हैं –
• कबीर के अनुसार जिस प्रकार विश्व में एक ही वायु और जल है, उसी प्रकार संपूर्ण संसार में एक ही परम ज्योति व्याप्त है।
• सभी मानव एक ही मिट्टी से अर्थात् ब्रम्ह द्वारा निर्मित हैं।
• परमात्मा लकड़ी में अग्नि की तरह व्याप्त रहता है।
• एक ही मिट्टी से सब बर्तन अर्थात् सभी जीवों का निर्माण हुआ है।


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2. मानव शरीर का निर्माण किन पंच तत्वों से हुआ है?

उत्तर:- मानव शरीर का निर्माण अग्नि, वायु, जल, भू और आकाश पंच तत्वों से हुआ है।


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3. जैसे बाढ़ी काष्ट ही काटै अगिनि न काटै कोई।
सब घटि अंतरि तूँही व्यापक धरै सरूपै सोई।।
इसके आधार पर बताइए कि कबीर की दृष्टि में ईश्वर का क्या स्वरूप है?

उत्तर:- कबीर की दृष्टि में ईश्वर का स्वरूप अविनाशी है। कबीर दास के कहने का तात्पर्य यह है कि जिस प्रकार लकड़ी में अग्नि निवास करती है ठीक उसी प्रकार परमात्मा सभी जीवों के ह्रदय में आत्मा स्वरुप में व्याप्त है। ईश्वर सर्वव्यापक, अजर-अमर और अविनाशी है। बढ़ई लकड़ी को चीर सकता है परंतु उस लकड़ी में निहित आग को नष्ट नहीं कर सकता। वैसे ही मनुष्य का शरीर भले नश्वर है परंतु शरीर में व्याप्त आत्मा अर्थात् परमात्मा अमर है।


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4. कबीर ने अपने को दीवाना क्यों कहा है?

उत्तर:- कबीर अपने आप को दीवाना कहता है क्योंकि उनके अनुसार ईश्वर निर्गुण, निराकार, अजय-अमर और अविनाशी है और उन्होंने ने इस परमात्मा का आत्म साक्षात्कार कर लिया है अब वे राग-द्वेष, अंहकार और मोह-माया से दूर होकर निर्भय हो चुके हैं अत: ईश्वर के सच्चे भक्त होने के कारण दीवाने हैं।


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5. कबीर ने ऐसा क्यों कहा है कि संसार बौरा गया है?

उत्तर:- कबीरदास इस संसार को बौराया हुआ अर्थात् पागलपन की स्थिति तक पहुँचा हुआ बताते हैं। उनका ऐसा मानना इसलिए है क्योंकि संसार के लोग झूठी बातों पर तो विश्वास कर लेते हैं और सच कहने पर मारने के लिए दौड़ते है ऐसे लोगों को सत्य और असत्य का ज्ञान नहीं है। कबीरदास जी के कहने का तात्पर्य यह है कि संसार के लोग बाह्य आडंबरों में उलझे रहते हैं और ईश्वर के सच्चे स्वरुप को नहीं पहचानते।


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6. कबीर ने नियम और धर्म का पालन करने वाले लोगों की किन कमियों की ओर संकेत किया है?

उत्तर:- कबीर ने नियम और धर्म का पालन करने वाले लोगों की सबसे बड़ी कमी ईश्वर-तत्व से कोसों दूर रहने को माना है। ऐसे लोग बाह्य आडंबर जैसे पत्थर पूजा, तीर्थ-व्रत करना, नमाज पढ़ना, छापा-तिलक लगाना आदि में उलझे रहते हैं और सच्चे धर्म और वास्तविकता से कोसों दूर रहते हैं।


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7. अज्ञानी गुरुओं की शरण में जाने पर शिष्यों की क्या गति होती है?

उत्तर:- अज्ञानी गुरु माया, अंहकार, धार्मिक पाखंडों और बाह्य आडंबर में विश्वास रखते हैं और इसी प्रकार की शिक्षा वे अपने शिष्यों को देते हैं इस कारण ऐसे गुरुओं की शरण में जाने से शिष्य सही ज्ञान नहीं प्राप्त कर पाते और अंधकार की गर्त में डूब जाते हैं।


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8. बाह्याडंबरों की अपेक्षा स्वयं (आत्म) को पहचानने की बात किन पंक्तियों में कही गई है? उन्हें अपने शब्दों में लिखें।

उत्तर:- बाह्याडंबरों की अपेक्षा स्वयं (आत्म) को पहचानने की बात निम्न पंक्तियों में कही गई है –
टोपी पहिरे माला पहिरे, छाप तिलक अनुमाना।
साखी सब्दहि गावत भूले, आतम खबरि न जाना।।
इन पक्तियों का आशय यह है कि हिन्दू और मुसलमान दोनों धर्मों के लोग बाह्य आडंबर में उलझे रहते हैं। कोई टोपी पहनता है, तो कोई तिलक लगाता है और अपने-अपने अंहकार का प्रदर्शन करते हैं। वे साखी-सबद आदि गाकर अपने आत्म स्वरुप को ही भूल जाते है।

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कबीर ने ऐसा क्यों कहा है कि संसार बोला गया है - kabeer ne aisa kyon kaha hai ki sansaar bola gaya hai


कबीर ने संसार को हो गया हुआ क्यों कहा है?

कबीर, निराकार परमेश्वर में विश्वास रखते थे। उन्होंने यह उपदेश दिया कि भक्ति के माध्यम से ही मोक्ष यानी मुक्ति प्राप्त हो सकती है

कबीर दास ने संसार को पागल क्यों कहा है?

कबीर जग को पागल इसलिए कहते हैं कि यदि सच कहते है तो यह संसार मारने के लिए दौड़ता है और झूठ कहते है तो विश्वास कर लेता है। कबीर ने ऐसा क्यों कहा है कि संसार बौरा गया है? कबीर ने ऐसा इसलिए कहा है कि क्योंकि संसार के लोग सच को सहन नहीं कर पाते और न उस पर विश्वास करते हैं।

कबीर दास जी के अनुसार यह संसार कैसा है?

दुखिया दास कबीर है, जागै अरु रोवै॥ कबीर को पूरा संसार मोह-ग्रस्त दिखाई देता है। वह मृत्यु की छाया में रहकर भी सबसे बेख़बर विषय-वासनाओं को भोगते हुए अचेत पड़ा है।

कबीर ने अपने को दीवाना क्यों कहा है कबीर ने ऐसा क्यों कहा है कि संसार बौरा गया है?

कबीर ने स्वयं को दीवाना इसलिए कहा है, क्योंकि वह निर्भय है। उसे किसी का कुछ भी कहना व्यापता नहीं है। वह ईश्वर के सच्चे स्वरूप को पहचानता है। वह ईश्वर का सच्चा भक्त है, अत: दीवाना है।