कक्षा कक्ष से आप क्या समझते है? - kaksha kaksh se aap kya samajhate hai?

उत्तर : कक्षा के सामाजिक– संवेगात्मक वातावरण से तात्पर्य कक्षा में व्याप्त उन सामाजिक सम्बन्धों से है जिनके साथ भावनाएं एवं संवेग जुड़े रहते हैं तथा छात्रों से उस समय प्रतिक्रिया कराते हैं जब अध्यापक उन्हें पढ़ा रहा होता है । कक्षा– कक्ष वातावरण उन तथ्यों को स्पष्ट करता है जिनके आधार पर अध्यापक तथा छात्रों के मध्य तथा समस्त छात्रों के परस्पर मध्य अन्त:क्रियाएं होती हैं।

नेड ए. फ्लैण्डर के शब्दों में, “कक्षा– वातावरण छात्रों की अध्यापक व कक्षा के प्रति वह सामान्यीकृत अभिवृत्ति है जिसे वे व्यक्तिगत विभिन्नताओं के होते हुए भी रखते हैं।” इस वातावरण का विकास कक्षा की सामाजिक एवं संवेगात्मक अन्तःक्रिया के परिणामस्वरूप होता है । कक्षा में छात्र अध्यापक के व्यवहारों के फलस्वरूप अध्यापक के साथ तथा परस्पर एक– दूसरे के साथ जो व्यवहार करते हैं ये व्यवहार समग्र रूप से कक्षा– कक्ष वातावरण का निर्माण करते हैं। इस वातावरण में छात्रों व अध्यापकों के मध्य संवेगात्मक एवं सामाजिक सम्बन्ध एवं अन्तक्रिया उल्लेखनीय भूमिका निभाते हैं।

कक्षा कक्ष वातावरण का महत्त्व–

(1) कक्षा का वातावरण सदैव एक या नहीं रहता यह अनेक तत्त्वों पर आधारित रहता है । एक ही अध्यापक के लिए कक्षा– कक्ष में विभिन्नता हो जाती है । वातावरण जैसा हो उसका छात्र विकास की दृष्टि से महत्त्व कम नहीं हो सकता अनेक शोधों ने यह प्रमाणित कर दिया है कि यह छात्रों की अधिगम की मात्रा तथा प्रकार को उल्लेखित रूप से प्रभावित करता है। यही शिक्षण की प्रभावकता का निर्धारण करता है । शिक्षण के समय प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में तथा नियोजित या अनियोजित रूप में शिक्षक अपने विशिष्ट व्यवहार से अध्यापन अध्ययन प्रक्रिया को एक अच्छी या बुरी सुनिश्चित दिशा प्रदान करता है तथा छात्रों उनके व्यवहार एवं अधिगम को प्रभावित करता है।

(2) कक्षा– कक्ष की गत्यात्मक अभियांत्रिकी का ज्ञान अध्यापक हो, इसके लिए कक्षा– कक्ष के वातावरण का ज्ञान आवश्यक है । वह वातावरण के ज्ञान की सहायता से कक्षा में प्रविष्ट अभियांत्रिकी में अवश्य सुधार कर सकता है।

(3) कक्षा– कक्ष के वातावरण का ज्ञान शिक्षक प्रशिक्षण के लिए उपयोगी भी है यदि प्रशिक्षण के दौरान ही प्रशिक्षणार्थियों के कक्षा व्यवहारों को परिमार्जित कर दिया जाए उन्हें बता दिया कि किस प्रकार अध्यापक व्यवहार प्रभावी शिक्षण के लिए आवश्यक है तो वे अच्छे शिक्षक बन सकते हैं। इससे अध्यापकों को एक लाभ यह भी होगा कि वे विभिन्न कक्षाओं की विभिन्न परिस्थितियों में विभिन्न प्रकार के व्यवहार कर परिस्थिति पर सफलतापूर्वक काबू पा सकते हैं।

(4) अच्छा कक्षा– वातावरण प्रजातांत्रिक शिक्षक के लिए नितान्त आवश्यक है। यदि अध्यापक प्रजातांत्रिक शिक्षण के सिद्धान्तों को अपनाता है तो वह कक्षा की अधिगम प्रक्रिया को तेज व प्रभावी बनाता है । इसमें मुक्त, स्वतंत्र तथा उपयोगी विचार संचार का धारा प्रवाह द्विपक्षीय आदान– प्रदान होता है।

(5) कक्षा का वातावरण छात्रों की निष्पत्तियों को प्रभावित करेगा। यदि वातावरण दूषित होगा तो वहाँ एक प्रकार की घुटन, असन्तोष तथा मानसिक परिताप होगा। फलतः छात्र उसी घुटन तथा परिताप का शिकार हो, कक्षा– कक्ष से दूर रहने की चेष्टा करने में उनमें पलायनशीलता का दोष विकसित होगा तथा वे अपने विचारों का स्वतंत्र रूप से विकसित नहीं कर पाएंगे इसके विपरीत प्रजातांत्रिक वातावरण में खुली परिचर्या होने से छात्र कक्षा में रटना चाहता है। वह अपने अधिगम को उन्नत करने की चेष्टा करता है।

(6) इसका प्रभाव न केवल छात्र– निष्पत्तियों पर ही पड़ता है । अपितु उसके द्वारा छात्र व्यवहार भी प्रभावित होता है। दूषित वातावरण कभी भी स्वस्थ वातावरण को जन्म नहीं दे सकता। यदि अध्यापक क्रोधी, निरंकुश या अस्थिर व्यवहार का है तो निश्चित ही छात्र भी इसी प्रकार के व्यवहार करना सीख जाएगा।

(7) कक्षा– कक्ष वातावरण– कक्षानुशासन को प्रभावित करता है। यदि कक्षा में छात्र की आवश्यकताओं की पूर्ति हो जाती है तो छात्रों में अनुशासनहीनता कम होगी।

कक्षा– कक्ष वातावरण सम्पूर्ण विद्यालय के वातावरण को भी प्रभावित करता है ।

  • कक्षा कक्ष का सामाजिक वातावरण (Social Climate of Class-room) :
    • कक्षा कक्ष के सामाजिक वातावरण का अर्थ और परिभाषा(Meaning & Definition of Social Climate) :
    • कक्षा कक्ष के सामाजिक वातावरण के कारक :
    • कक्षाकक्ष के सामाजिक वातावरण में शिक्षक की भूमिका :
    • कक्षा कक्ष के सामाजिक वातावरण का मूल्यांकन :

आज शिक्षा की मुख्य भूमिका समाज की गतिहीनता को जीवन्त बनाने, विकास और परिवर्तन करने, समाज निर्माण व मानव संसाधनों के विकास के लिए अत्यावश्यक अनुभव की जा रही है। हमें समाजवाद, न्याय, धर्मनिरपेक्षता, अवसर की समानता व लोकतन्त्र के भावी नागरिकों की प्रतिबद्धता विकसित करनी है। इन भावी नागरिकों को उनकी शक्ति का बोध कराना, उन्हें उनके कर्त्तव्यों की जानकारी दिलाना व उनके दृष्टिकोण को वैज्ञानिक भी बनाना है। इन समस्त बिन्दुओं की आवश्यकता नई शिक्षा नीति में भी अनुभव की गई है।

समाज ने अपनी विविध आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु विद्यालय के रूप में एक छोटा, सुन्दर, सुव्यवस्थित तथा सुसंस्कृत समाज बनाया है। विद्यालय एक आदर्श समाज है, अतः समाजोत्थान में विद्यालय की अहं भूमिका है, इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि कक्षा कक्ष का ऐसा सामाजिक वातावरण बनाया जाये, जो समाज की अपेक्षाओं के अनुरूप नागरिकों का निर्माण कर सके।

कक्षा कक्ष के सामाजिक वातावरण का अर्थ और परिभाषा(Meaning & Definition of Social Climate) :

प्रत्येक कक्षा की अपनी व्यक्तिगत विशेषताएँ होती हैं। एक व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के सम्पर्क में आने से उसके गुणों व अवगुणों का अनुभव करता है। इसी प्रकार कक्षा में विद्यार्थी भी कक्षा के वातावरण से प्रभावित होकर कक्षा के गुणों व अवगुणों का अनुभव करते हैं। ब्लूम (1968) के अनुसार कक्षा का वातावरण (संस्थागत वातावरण) उन सभी परिस्थितियों एवं बाह्य शक्तियों का जाल है जो व्यक्ति को चारों ओर से घर रहती है तथा उस पर निरन्तर प्रभाव डालती रहती हैं जो व्यक्ति के व्यवहार को नियन्त्रित एवं उसे एक निश्चित दिशा प्रदान करती हैं। कक्षा के मध्य छात्र तथा अध्यापक के बीच सामाजिक अन्त:क्रिया होती है और इसके परिणामस्वरूप जो वातावरण उत्पन्न होता है, उसे कक्षा कक्ष का सामाजिक वातावरण कहते हैं।

ब्रेनर (1927) ने इसे सामाजिक वातावरण की संज्ञा दी। हर्बर्ट राइट (1951), परकिन्स (1951), गीजल्स (1960), विथाल (1965), काज एवं कॉन (1966), फ्लैण्डर्स (1967), मिसकल (1977) आदि ने कक्षा के सामाजिक वातावरण के ‘महत्त्व पर अत्यधिक बल दिया है। यदि एक अध्यापक छात्रों के साथ दुर्व्यवहार करता है, तो छात्रों में उस अध्यापक के प्रति दुर्भावना तथा तनाव पैदा होता है,परिणामस्वरूप कक्षा, विद्यालय तथा समाज का वातावरण दूषित हो जाता है। इसके ठीक विपरीत अध्यापकों का सद्व्यवहार छात्रों को अधिगम हेतु प्रेरित करता है तथा समाज के आदर्श वातावरण को बनाने में सहयोग देता है।

कक्षा कक्ष के सामाजिक वातावरण के कारक :

1. विद्यालय का स्थान – विद्यालय के आसपास सिनेमाघर, कारखाने, शराब की दुकानें, घनी बस्तियाँ, बाजार आदि ध्वनि प्रदूषण करने वाले तथा छात्रों को पथभ्रष्ट करने वाले कारक नहीं होने चाहिएँ।

2. छात्रों का सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक वातावरण।

3. कक्षा का भौतिक वातावरण,जैसे, हवा, प्रकाश, जल तथा फर्नीचर की समुचित व्यवस्था।

4 कक्षा कक्ष की सज्जा, जैसे, सुभाषित वाक्य, प्रेरणादायक महापुरुषों के चित्र, उद्बोधन एवं नीति-श्लोक आदि।

5. विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों का व्यक्तित्व तथा विषय पर अधिकार।

6. कक्षा हेतु निर्धारित पाठ्यक्रम तथा संस्था में उपलब्ध साहित्य।

7. शिक्षण की नवीन पद्धतियों तथा नवीन उपकरणों का प्रयोग।

8. सरकार द्वारा निर्धारित कक्षाकक्ष की नीतियाँ, जैसे, कक्षा में छात्रों की संख्या उपस्थिति अवकाश, छात्रवृत्ति, छात्रकोष, आर्थिक अनुदान, विद्यालयी स्तर से अन्तर्राष्ट्रीय स्तर तक की जाने वाली गतिविधियाँ आदि।

9. छात्रों को रुचि, अभियोग्यता, सृजनात्मकता तथा सामाजिक चेतना।

10. विद्यालय संगठन, प्रबन्ध तथा उसकी दार्शनिक विचारधारा।

कक्षाकक्ष के सामाजिक वातावरण में शिक्षक की भूमिका :

1. शिक्षक पाठ की पूर्वतैयारी करके कक्षा में जाये ताकि वह विषय को ठीक ढंग से स्पष्ट कर सके।

2. पाठ को रोचक बनाकर सभी छात्रों को सक्रिय रखे।

3. शिक्षण को नवीन तकनीकी, नवीन पद्धतियों एवं नवीन चुनौतियों से जोड़े।

4. शिक्षण के साथ-साथ छात्रों में मल्यों का विकास करे।

5. छात्रों में सामाजिकता की भावना हेतु सामाजिक समस्याओं पर चर्चा करे।

6. छात्र में नकारात्मक संवेग न उत्पन्न होने दे बल्कि उनके मनोबल को बढ़ाये।

7. छात्र में आत्मसन्तोष, आशावादिता, नेतृत्व तथा नैतिक गुणों का विकास करे।

8. कक्षा को छोटे समूहों में विभक्त कर अंत:क्रिया तथा उत्तरदायित्व का अवसर प्रदान करे।

कक्षा कक्ष के सामाजिक वातावरण का मूल्यांकन :

(क) मौखिक एवं लिखित प्रतिक्रियाओं द्वारा,

(ख) साक्षात्कार द्वारा,

(ग) अवलोकन द्वारा,

(घ) समाजमिति परीक्षण द्वारा,

(ङ) बुद्धि परीक्षण द्वारा,

(च) क्रम निर्धारण मापनी द्वारा,

(छ) शैक्षिक तथा सहशैक्षिक प्रवृत्तियों के परिणाम के आधार पर।

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कक्षा कक्ष से क्या अभिप्राय है?

कक्षा कक्ष का अर्थ : कक्षा कक्ष (Classroom management) से अभिप्राय भौतिक तथा मानवीय संसाधनों के मनोवैज्ञानिक प्रबंधन से है जो शिक्षण अधिगम को प्रभावी व दक्षतापूर्ण बनाते हैं।

कक्षा कक्ष प्रबंधन क्या है समझाइए?

कक्षा-कक्ष प्रबंधन का अर्थ – कक्षा-कक्ष प्रबंधन का अर्थ होता है कि कक्षा-कक्ष से संबंधित उपकरण और उनकी भौतिक व्यवस्था से होती है. कक्षा-कक्ष प्रबंधन कौशल शिक्षक के ऐसे व्यवहार हैं, जिसके द्वारा शिक्षक शिक्षण अधिगम के लिए उचित वातावरण बनाये रखता है, जिससे बच्चों का ध्यान बना रहता है.

कक्षा कक्ष की प्रक्रिया क्या है?

इस विधि में शिक्षक सबसे पहले लिखित में व्याख्यान तैयार करता है और उस लिखित व्याख्यान को कक्षा-कक्ष में अपने साथ रखते हुए सर्वप्रथम उसके मुल बिन्दुओं को श्यामपट्ट पर अंकित करता है तथा एक-एक बिन्दु पर अपने विचार अभिव्यक्त करते हुए बालकों को समझाने का प्रयास करता है।

कक्षा कक्ष प्रबंधन कौशल से आप क्या समझते हैं?

इस प्रकार शिक्षक का कार्य केवल विषय ज्ञान का निष्पादन नहीं अपितु कक्षा अधिगम से जुड़ी समस्त व्यवस्था का प्रबंधन भी है।