संसार में धर्म की स्थापना एवं भक्तों के कल्याण के लिए मां ने कई रूप धारण किये हैं। महिषासुर का वध करने वाली माता ने कात्यायन ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया। इस कारण से माता कात्ययनी कहलायी। Show चण्ड मुण्ड का वध करने के लिए काजल के समान काला वर्ण लिये हुए प्रकट हुई और काली कहलायी। शुभ निशुम्भ का संहार करने के लिए मां कौशिकी हुई। जीवों को ज्ञान, बुद्घि एवं वाणी देने के लिए मां वागीश्वरी हुई। मां के जितने भी रूप हैं सभी के अपने-अपने गुण एवं कर्म हैं। मां के जिस रूप की कृपा पाना चाहते हैं मां के उस रूप की पसंद के अनुसार फूल अर्पित करके उनकी पूजा करें। इससे माता की अनुकंपा जल्दी मिलती है। काली एवं कालरात्रि का प्रिय फूल दुर्गा मां का प्रिय फूल सरस्वती मां का प्रिय फूल लक्ष्मी मां का प्रिय फूल गौरी माता एवं शैलपुत्री का प्रिय फूल मां काली को कौन सा फूल पसंद है?माता काली एवं कालरात्रि को गुरहल का फूल बहुत पसंद है। इन्हें 108 लाल गुरहुल का फूल अर्पित करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। दुर्गा मां को भी लाल फूल पसंद है। इन्हें खुश करने के लिए लाल गुलाब या लाल गुरहुल के फूल की माला पहनाएं।
माँ काली को खुश कैसे करे?- 11 या 21 शुक्रवार मां कालिका के मंदिर जाएं. - लाल आसन पर बैठकर ॐ क्रीं नमः 108 बार जपें. - क्षमा मांगते हुए अपनी क्षमता अनुसार उन्हें चुनरी, नारियल, हार-फूल चढ़ाकर प्रसाद छोटी कन्याओं में बांटें. - माता कालिका की पूजा में लाल कुमकुम, अक्षत, गुड़हल के लाल फूल और भोग में हलवे या दूध से बनी मिठाई भी अर्पण करें.
काली माता का दिन कौन सा होता है?शुक्रवार के दिन देवी काली की पूजा लाल या गुलाबी वस्त्र पहन कर ही करना चाहिए। देवी के समक्ष गुग्गल की धूप जरूर जलाना चाहिए और पूजा में लाल गुलाब के फूल ही चढ़ाने चाहिए। देवी काली की पूजा में लाल या काली वस्तुओं का विशेष महत्व है।
मां काली का प्रसाद क्या है?11 या 21 शुक्रवार कालिका के मंदिर जाएं और क्षमा मांगते हुए अपनी क्षमता अनुसार नारियल, हार-फूल चढ़ाकर प्रसाद बांटें। माता कालिका की पूजा लाल कुमकुम, अक्षत, गुड़हल के लाल फूल और लाल वस्त्र या चुनरी अर्पित करके भी कर सकते हैं। भोग में हलवे या दूध से बनी मिठाइयों को भी चढ़ा सकते हैं।
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