कान भरना का वाक्य in marathi - kaan bharana ka vaaky in marathi

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कान भरणे meanings in Marathi

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Marathi meaning of कान भरणे

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kaan bharana muhaavare ka arth कान भरना मुहावरे का अर्थ – किसी के मन‌‌‌ में किसी के लिए गलत बात बठा देना ‌‌‌या चुगली करना ।

साथियो यहा पर कान भरने वाले लोग बहुत है ऐसे लोग किसी के लिए हमारे मन मे गलत बात को बठा देते है । जिससे हमको लगने लगता है की वह आदमी बहुत बुरा है । वह हमारे बारे मे यह सोचता है ।‌‌‌ऐसा वे इस कारण करते है क्योकी वे उस आदमी से ‌‌‌जलते है ।

ऐसे लोगो से हमे सावधान रहना चाहिए । इस संसार मे ऐसे लोगो की कोई कमी नही है । ऐसे लोगो से यह संसार भरा हुआ है । ऐसे लोग किसी के नही होते है वे इधर की बात उधर व उधर की बात इधर करते है ।

कान भरना का वाक्य in marathi - kaan bharana ka vaaky in marathi

कान भरना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग

  • यह किसना भी बहुत बडी पागल है कभी कान भरने से पिछे नही रहती ।
  • रामवती ने अपने ‌‌‌पति के कान भर कर दोनो भाई को अलग कर दिया ।
  • रधुवीर ने अपने गुरुजी के कान भर कर राजेश को बहुत कुटवाया ।
  • रजवीर ने अपने भाई के कान भर कर उसके दोस्त से अलग कर दिया ।

‌‌‌कान भरने की कहानी

एक नगर मे ललावती नाम की एक स्त्री रहा करती थी उसके घर मे उसका पति व दो देवर थे । सभी लोग सुख शांति के साथ अपना जीवन जी रहे थे । सभी लोग ‌‌‌सुबह कमाने जाते थे और रात्री को घर आया करते थे । ऐसा करते हुए बहुत दिन बित गए । कुछ समय के बादमे ललावती के पति ने दोनोयो की सादी  ‌‌‌करने के बारे मे सोचा ।

इस कारण वह दोनो के लिए लडकी की तलाश मे जाने लगा । एक दिन एक आदमी ने कहा की आपके भाई की सादी के लिए दो अच्छी कन्या है मरी नजर मे । उसकी बात सुनकर वह उन कन्याओ को देखने के लिए चला गया । उसको वह कन्या अच्छी लगी तो उसने अपने दोनो भाई का विवाह उन ‌‌‌दोनो कन्याओ से कराने का ‌‌‌फेसला लिया ।

उनके भाईयो को भी वे पसंद आ गई इस कारण वह अपने भाई का विवाह उन कन्याओ से करा दिया । वे दोनो कन्या बहने थी । समय बितता गया और सभी एक जगह पर खुश थे । एक दिन ललावती का उन दोनो कन्याओ से झगडा हो गया ।

उस दिन तिनो भाई घर मे नही थे । वे सभी तो दिन मे कमाने के लिए जाया करते ‌‌‌थें । जब रात्री के समय वे तिनो घर आए तो सभी बहुए चुप चाप बेठी थी । जब उन्होने पुछा की क्या हुआ आप ऐसे क्यो बेठी हो । तब किसी ने कुछ नही कहा उनका जबाब न सुनकर तिनो भाइयो को लगा की उनके बिच मे कुछ न कुछ तो हुआ ही है ।

तब बडे भाई ने कहा की तुम खाना बनाकर तैयार रखो हम तब तक स्नान कर लेते ‌‌‌है । तिनो भाई स्नान कर कर आए तो उन्होने देखा की किसी ने भी खाना नही बनाया था । तिनो ने कहा की अभी तक खान नही बनया जल्दी से बनाओ हमे भुख लगी है ।

तब जाकर उन्होने खाना तैयार किया और तिनो भाई को खाना ‌‌‌परोसा । अगले ही दिन दोनो भहने अपने अपने पति ‌‌‌के कानो मे ललावती व उसके पति यानी उसके भाई ‌‌‌व भाभी के बारे मे बुरा भरने लगी वे कहने लगी की आपके भाई व भाभी दोनो जो भी आप कमाते हो वह रख लेती है

और जब आपको पैसो की जरुरत होती है तो क्या जरुरत है व उनके आगे हाथ फेलाना पडता है । ऐसा कहने लग गई । पहले दिन तो दोनो भाई ने कहा की ऐसा कुछ नही है वह हमारी भाभी व तुम्हारी मां ‌‌‌के समान है । उनके बारे मे ऐसा मत सोचो ।

इतना कहकर वे दोनो अपने भाई के साथ काम पर चले गए । फिर जब घर ‌‌‌आए‌‌‌ तो दोनो बहने फिर से सुरु हो गई । वे दोनो बहने अपने पति के कान भर रही थी । इस तरह से धिरे धिरे उनको भी लगने लगा की उनके साथ नाइंसाफी हो रही है । जब भी पैसो की जरुरत हाती है तो उनसे मागना पडता ‌‌‌है ।

उन दोनो भाई को लगने लगा की कमाते तो हम ज्यादा है और गाव मे नाम उनका होता है । जब भी कोई काम होता है तो वे तो काम से छुट्टी लेकर ‌‌‌वहा चले जोते है और हम रीजते हरते है। इस तरह से दोनो भाई को लगने लगा की बस अब और नही हम सबको नारा हो जाना चाहिए ।

‌‌‌ऐसा सोचकर दोनो भाई अपने बडे भाई व भाभी से बात करने लगे । उसके भाई ने खुब समझाया की नारा होने मे कोई फायदा नही है अगर हम एक जगह पर रहेगे तो कोई हमारा कुछ नही बिगाड सकते है । पर वे दोनो व उनकी पत्नी नही मानी वे तो चहाती थी की इन दोनो को घर से निकाल दिया जाए ।

‌‌‌उन दोनो बहनो ने कहा की वे केसे नारे हो जाए वे तो आपके पैसो पर राज कर रहे है । ऐसा सुनकर दोनो भाई ललवती व अपने बडे भाई से अलग हो गए । घर की जमीन का बंटवारा हो गया । फिर भी दोनो बहन नही मानी वे अपने पति को कहने लगी वह तो हमारे बारे मे लोगो से यह कहती है की हम लोग अच्छे नही है जो कमाते है वह तो ‌‌‌उडा देते है

इस कारण ललवती व उसके पति ने ‌‌‌हमको‌‌‌अलग कर दिया तकी हमको भी पता चले की हम क्या कमाते है । और क्या खाते है । अपनी पत्नी की बात सुनकर दोनो भाई अपने बडे भाई से बोलना बंद कर दिया और ललावती व उसके पति के किसी भी काम मे साथ नही हाने लगे ।

कान भरना का वाक्य in marathi - kaan bharana ka vaaky in marathi

इस तरह से दोनो बहनो ने अपने पति के कान भर दिए ‌‌‌और दोनो भाई ‌‌‌को उनके बडे भाई से अलग कर दिया जिसने इतने दिनो तक उनको पाला था । इस कहानी से आप समझ ही गए होगे की कान भरना किसे कहते है ।

‌‌‌कान भरने पर निबंध

आज की दुनिया मे कान भारने वालो की सख्या बहुत है अगर कोई प्रेम से रह रहे हो तो उन लोगो से देखे नही जाते और उन दोनो को अलग करने के बारे मे  कान भरने लग जाते । इससे वे दोनो आपस मे झगडने लग जाते है ।

‌‌‌कान भरने वाले लोग चाहे कही पर चले जाए वे तो बस कान भरते ही हरते है । वे कहे है की वह वेसा है वह ऐसा है । उनको इससे कोई लेना देना नही है की वह ‌‌‌वास्तव मे केसा है बुरा है तो भी उसके बारे मे बुरा कहेगे अगर अच्छा है तो भी उसके बारे मे बुरा कहेगे । उसका काम इतना होता है की वह उस से दुर रहने लग जाए ।

‌‌‌कान भरने वाले बाहर के हाने की आवश्यकता नही होती है वह घर का भी हो सकता है वह बहार जाकर अपने घर के लागो के बारे मे बुरा कहने लग जाता है । वह सोचता है की अगर मै ऐसा कह रहा हूं तो यह मुझे अच्छा मानेगे और जिसके बारे मे कह रहा हूं उसे बुरा मानने लग जाएगे ।

पर इसका पता उन्हे नही होता है की हम जिसके ‌‌‌कान ‌‌‌भर रहे है वह हमारे बारे मे क्या सोचता है । इस तरह से आप समझ गए होगे की कान भरना मुहावरे का अर्थ क्या है ।