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कानों में फंगल इन्फेक्शन को ऑटोमायकोसिस (Otomycosis) कहते हैं। कान में फंगल इंफेक्शन होने के बाद कान की परत में सूजन, कान की सूखी त्वचा एवं कान से बदबू की शिकायत होती है। बरसात में ऑटोमायकॉसिस होने का खतरा अधिक रहता है। कान के इन्फेक्शन पर हम ध्यान नहीं देते हैं, जबकि इसे लाइलाज छोड़ना व्यक्ति को बहरा बना सकता है। फंगल इन्फेक्शन की वजह से कान में दर्द और खुजली होती है। ऐसा होने पर ज्यादातर लोग कान में माचिस की तिल्ली या अन्य औजार को कान में डालकर खुजलाते हैं। इससे संक्रमण बढ़ जाता है। कान में फंगल इन्फेक्शन उन लोगों में अधिक देखने को मिलता है जो गर्म और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों (Tropical region) में रहते हैं। पानी से संबंधित खेलों में भाग लेने वाले एथेलीट (Athlete) में भी ऑटोमायकोसिस हो सकता है। पढ़ें – कान की खोंट कैसे निकाले
कान में फंगल इंफेक्शन के लक्षण (Symptoms Of Ear Fungal Infection In Hindi)
कान में खुजली होना सामान्य है। कान के अंदर छोटे आकार के बाल पाए जाते हैं, जो कभी-कभी खुजली का कारण बन सकते हैं। लेकिन इस प्रकार की खुजली खुजलाने से दूर हो जाती है। अगर बार-बार खुजलाने से भी खुजली खत्म नहीं होती है तो यह फंगल इन्फेक्शन के कारण हो सकता है।
फंगल इंफेक्शन कान में दर्द का कारण हो सकता है। इसे ओटाल्जिया (Otalgia) कहते हैं। दर्द बाहरी, भीतरी या दोनों कानों में हो सकता है। दर्द होने पर कान को बार-बार न छुए इससे दर्द बढ़ जाएगा।
इस लक्षण में कान से एक प्रकार का तरल पदार्थ (Liquid) बाहर आता है। कान बहने को ऑटोरिया (otorrhea) कहते हैं। कान से निकलने वाला तरल पदार्थ संक्रमित और बदबूदार होता है। इससे कान में दर्द और देह में तपन हो सकती है।
धीमी आवाज में बोले गए शब्द आसानी से नहीं सुनाई देते हैं। व्यंजनों को सुन पाने में अधिक परेशानी होती है। इससे आप फ्रस्टेशन (frustration) में आ सकते हैं। पढ़ें – सुनने की शक्ति कैसे बढाएं कान में फंगल इंफेक्शन के अन्य लक्षण:
ऊपर बताए गए सभी लक्षण ऑटोमायकॉसिस के रोगी में देखे जा सकते है। लेकिन, ज्यादातर मामलों में सारे लक्षण सिर्फ एक कान में नजर आते हैं। यदि दोनों कान संक्रमित हुए दो लक्षण दोनों कानों में प्रतीत होंगे। कान में फंगल इंफेक्शन का कारण (Causes Of Ear Fungal Infection In Hindi)कान में फंगल इन्फेक्शन का कारण फंगस होते हैं। बहुत सारे फंगस हैं जो ऑटोमायकॉसिस का कारण बन सकते हैं, लेकिन ज्यादातर मामले एसपरजिलस (aspergillus) और कैंडिडा (candida) वायरस के देखे जाते हैं। ऑटोमायकॉसिस का मुख्य कारण है शरीर की प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) में कमजोर हो जाना। हम रोजाना हजारों फंगी (Fungi) के संपर्क में आते हैं। लेकिन, इनसे हमें कोई नुकसान नहीं होता है। जिनके शरीर की इम्यूनिटी कम होती है, उन्हें ये फंगी आसानी से प्रभावित कर सकते है। गर्म तापमान में रहने वाले व्यक्ति के कान में फंगल इन्फेक्शन होने का खतरा अधिक रहता है। क्योंकि टेम्पेरेट क्लाइमेट में फंगी आसानी से पनप जाते हैं। कान में फंगल इंफेक्शन होने के अन्य कारण – Other Causes Of Ear Fungal Infection In Hindi
पढ़ें – कान बहने का उपचार कान में फंगल इन्फेक्शन की जांच (Diagnosis of Ear Fungal Infection In Hindi)डॉक्टर पहले ऊपर बताए गए लक्षणों को पूछेंगे। अगर कान में फंगल इन्फेक्शन होने के संकेत मिलते हैं तो अन्य जांचें की जाती हैं। बच्चों के कानों में फंगल इन्फेक्शन होने के अधिक चांस होते हैं, क्योंकि संक्रमण से लड़ने के लिए उनका शरीर सक्षम नहीं होता है। ऑटोस्कोप टेस्ट (Otoscope Test)ऑटोस्कोप एक डिवाइस है जिससे कान के भीतर देखा जा सकता है। कान में इन्फेक्शन का पता लगाने के लिए यह सबसे आम टेस्ट है। डॉक्टर ऑटोस्कोप से कान के पर्दे को देखते हैं। संक्रमण होने पर पर्दे अपनी सामान्य अवस्था में नहीं होते हैं जिससे इन्फेक्शन का पता लग जाता है। दो प्रकार के ऑटोस्कोप टेस्ट किए जा सकते हैं। दूसरे प्रकार के टेस्ट में वायवीय ओटोस्कोप का उपयोग होता है। यह टेस्ट कान के अंदर संक्रमित तरल का पता लगाता है। कान में हल्की हवा छोड़ी जाती है। हवा छोड़ते ही कान के पर्दों में वाइब्रेशन (Vibration) होता है और वे हिलते हुए नजर आते हैं। अगर पर्दे नहीं हिल रहे हैं तो इसका कारण उनके आस-पास मौजूद तरल पदार्थ हो सकते है। टिंपैनोमेट्री (Tympanometry)मिडिल इयर (कान का मध्य भाग) में इंफेक्शन के संकेत नजर आते हैं तो टिंपैनोमेट्री किया जाता है। कान नलिका में हवा का प्रेशर डाला जाता है और जांच की जाती है। कान के एंड प्रेशर के अलग-अलग स्टेज डाले जाते हैं और इनके आधार पर जांच किया जाता है। अगर सुनने में परेशानी हो रही है तो यह भी फंगल इंफेक्शन की वजह से हो सकता है। अगर डॉक्टर को लगता है कि आपके सुनने की शक्ति कमजोर है तो वे आपको ऑडियोलॉजिस्ट (audiologist) के पास भेज सकते हैं। टिश्यू टेस्ट (Tissue Test)आपके कान के टिश्यू (Tissue) को निकालकर लैब भेजा जा सकता है। इससे कान की दीवार में इंफेक्शन का पता लगता है। सैंपल के तौर पर लिए गए टिश्यू को माइक्रोस्कोप (Microscope) से देखा जाता है और संक्रमण वायरल है या फंगल इसका पता लगाया जाता है। कान का ऑडियोमेट्री टेस्ट भी किया जा सकता है, जिसमें अलग-अलग फ्रीक्वेंसी की आवाज सुनाकर आपके कान के सुनने की क्षमता को मापा जाता है। डॉक्टर को कब दिखाएं (When To See A Doctor)कान में फंगल इन्फेक्शन होने पर लापरवाही नहीं करनी चाहिए। इससे हमारे कान की मांसपेशियों पर बुरा असर पड़ता है और कान के पर्दे भी फट सकते हैं। निम्न में से कोई लक्षण नजर आते हैं तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं।
कान में फंगल इन्फेक्शन का घरेलू इलाज (Home Remedies For Ear Fungal Infection In Hindi)हेयर ड्रायर (Hair Dryer)छोटे-मोटे संक्रमण को नष्ट करने के लिए हेयर ड्रायर का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे चालू करें और सबसे कम मोड (Mode) में सेट करें। अब इसे अपने कानों से 30 सेंटीमीटर की दूरी में रखें और एयर ब्लो करें। 30 से 40 सेकण्ड्स तक ऐसा करें। यह संक्रामक नमी को सूखा कर देता है जिससे फंगस (Fungus) खत्म हो जाता है। ध्यान रखें ड्रायर सबसे कम मोड में रहे और कान के नजदीक न रहे हाइड्रोजन पेरोक्साइड (Hydrogen Peroxide)कभी-कभी कान में ठोस पदार्थ जम जाते हैं और संक्रमण का कारण बनते हैं। कपड़े से कान की सफाई करने के बाद भी ये पदार्थ रह जाते हैं। इनकी वजह से इन्फेक्शन का खतरा ज्यादा हो जाता है। ऐसे में आप हाइड्रोजन पेरोक्साइड की 2 से 3 बूंदें कान में डालें। दो मिनट बाद कान को झुकाएं और सूखने का इंतजार करें। यह कान के भीतर मौजूद ठोस पदार्थों को मुलायम बना देगा और इन्हें निकाला जा सकेगा। विटामिन सी का भरपूर सेवन करें (Vitamin C)Tissue के निर्माण में विटामिन सी बहुत सहायक है। कान में फंगल इन्फेक्शन है या इसका इलाज करवा रहे हैं तो विटामिन सी युक्त पदार्थ खाएं। यह नष्ट हो चुकी त्वचा को नया करेगा और इन्फेक्शन से भी बचाएगा। लहसुन का तेल (Garlic oil)लहसुन में एंटीबैक्टीरियल गुण के अलावा एंटी-फंगल गुण भी पाए जाते हैं। गार्लिक आयल (Garlic oil) की एक कैप्सूल (Capsule) में छेद करें और तेल कान में डाल लें। कुछ देर तक वही स्थिति बनाए रखें फिर सिर झुका कर कान को सूखा करें। एस्परजिलस (aspergillus) फंगल इन्फेक्शन में लहसुन का तेल असरदायक होता है। पढ़ें- कान के पर्दे में छेद का इलाज कान में फंगल इन्फेक्शन का मेडिकल इलाज (Medical Treatment For Ear Fungal Infection In Hindi)जांच के बाद अगर डॉक्टर को लगता है कि आप ऑटोमायकोसिस से पीड़ित हैं तो वह निम्न तरीकों से इलाज करेंगे। इलाज के पहलेइलाज करने से पहले डॉक्टर कान को साफ करेंगे। दर्द अधिक हो रहा है तो इलाज के पहले डॉक्टर आपको पेनकिलर (Painkiller) या इंजेक्शन (Injection) दे सकते हैं। दवाइयांक्लोट्रिमाजोल (Clotrimazole)क्लोट्रिमाजोल एक प्रकार की दवा है जिसका उपयोग फंगल इन्फेक्शन में किया जाता है। यह दवा एंटी-फंगल (Anti-fungal) है और कान में इसका उपयोग इयर ड्राप की मदद से किया जाता है। इस दवा का सिर्फ एक प्रतिशत सलूशन फंगल इन्फेक्शन को नष्ट कर सकता है। एसपरजिलस (aspergillus) या कैंडिडा (candida) वायरस से पैदा हुए संक्रमण को यह दवा आसानी से ख़त्म कर सकता है। एर्गोस्टेरोल (Ergosterol) एक प्रकार का स्टेरॉयड अल्कोहल (Steroid alcohol) है, जिसके माध्यम से फंगी, प्रोटोजोआ (Protozoa) जैसे जीव अपने सेल मेम्ब्रेन (cell membrane) को विकसित करते हैं। क्लोट्रिमेज़ोल दवा उन एंजाइम (enzyme) पर सीधा अटैक करती है जो एर्गोस्टेरोल को बनाने में मददगार हैं। इस प्रकार से एर्गोस्टेरोल का निर्माण नहीं हो पाता है और कान में मौजूद फंगी (fungi) नष्ट होने लगते हैं। कैसे करें क्लोट्रिमाजोल का उपयोग पहली बार दवा का उपयोग डॉक्टर की देख-रेख में ही करें। इसे इस्तेमाल करने के लिए पहले कानों को साफ करना होता है फिर किसी सूती कपड़े से कान के गीलेपन को खत्म करते हैं। कान के भीतर तेजी से कपड़ा डालकर सफाई न करें। अब लेट जाएं और कान में क्लोट्रिमाजोल (ट्रॉपिकल फॉर्म)की 2 से 3 बूंदें डालें। कान में दवा डालने से पहले कानों को हल्का खींचे जिससे इयर कैनाल (Ear canal) सीधा रहे। दवा डालने के 2 मिनट बाद तक उसी अवस्था में रहें ताकि दवा संक्रमित त्वचा तक पहुंच जाए। क्लोट्रिमाजोल के साइड इफेक्ट्स क्लोट्रिमाजोल के न सिर्फ ड्रॉप्स (Drops) आते हैं बल्कि, इसकी Tablet भी होती है। फंगल इन्फेक्शन से राहत पाने के लिए आप टैबलेट और ड्रॉप्स दोनों तरह के मेडिकेशन ले सकते हैं। इस दवा का इस्तेमाल आप किसी भी तरह करें (oral या ट्रॉपिकल फॉर्म में), कई दुर्लभ मामलों में आपको साइड इफेक्ट्स देखने को मिल सकते हैं। साइड इफेक्ट्स के तौर पर आपको कान में जलन हो सकता है। हालांकि, इस दवा का ट्रॉपिकल मेडिकेशन (Tropical Medication) लेने से उतने साइड इफेक्ट्स देखने को नहीं मिलते हैं जितना ओरली मेडिकेशन (Orally medication) लेने से मिलते हैं। नोट-
अगर क्लोट्रिमेज़ोल का उपयोग करने के बाद भी इन्फेक्शन खत्म नहीं होता है तो आपको अन्य तरह की दवाइयां दी जाएंगी। जैसे मिकोनाजोल एन्टीफं-गल एजेंट (miconazole antifungal agent)। फ्लुकोनाज़ोल (Fluconazole)अगर कान के अंदर इन्फेक्शन जटिल हो गया है तो डॉक्टर फ्लुकोनाज़ोल की सलाह देंगे। इसका डोज डॉक्टर संक्रमण को देखकर तय करेंगे। फ्लुकोनाज़ोल की टेबलेट्स का सेवन करने से सिर दर्द, दस्त, अपच, स्वाद में बदलाव, स्किन रैशेज (Skin Rashes) आदि साइड इफेक्ट्स देखे जा सकते हैं। इसलिए इस दवा को लेने के साथ-साथ उन सावधानियों को भी ध्यान में रखें, जिन्हें डॉक्टर ने जरूरी बताया है। सर्जरी (Surgery)यदि दवाइयों से कान का फंगल इन्फेक्शन नहीं खत्म होता है तो डॉक्टर कान के पर्दे में एक छोटा सा कट करके इन्फेक्शन का कारण बनने वाले लिक्विड को बाहर निकाल देते हैं, इसे मेरिंगोटॉमी कहते हैं। इसके बाद एक छोटी से मेरिंगोटॉमी ट्यूब को कान के भीतर डाला जाएगा, यह मध्य कान से हवा को बाहर निकालकर लिक्विड को बनने से रोकेगा। इस दौरान कुछ खास किस्म की दवाइयाँ भी दी जाएंगी। इस छोटी ट्यूब को 6 से 12 महीने के लिए कान में छोड़ा जा सकता है, बाद में ये खुद से निकल जाएंगी। कान में फंगल इन्फेक्शन से बचाव (Prevention Of Ear Fungal Infection In Hindi)
निष्कर्ष (Conclusion)ऑटोमायकोसिस से संबंधित लक्षणों को हम नजर अंदाज कर देते हैं। हमें लगता है कि ये लक्षण बस थोड़ी देर के लिए हैं और स्वयं ही ठीक हो जाएंगे। लेकिन कान में फंगल इन्फेक्शन इतना खतरनाक होता है कि यह आपको बहरा बना सकता है। इसलिए लक्षण नजर आने पर एक बार डॉक्टर को अवश्य दिखा लें। अगर आप किसी दवा के बारे में जानना चाहते हैं तो हमसे संपर्क कर सकते हैं। हमारे डॉक्टर आपके कान का अच्छी तरह से निदान करेंगे और कान के इन्फेक्शन का पता लगाकर उचित उपचार करेंगे, कई बार इन्फेक्शन बैक्टीरियल होता है तो कई बार यह फंगल होता है, इसलिए उचित निदान के बाद ही सही उपचार का चयन करना चाहिए। यदि आप चाहते हैं कि आपके कानों का एक अच्छा निदान हो और उचित उपचार हो तो हम आपके लिए बेहतर विकल्प है, हमारे पास 10 से अधिक वर्ष के अनुभव वाले डॉक्टर हैं, जो हजारों की तादाद में कान के इन्फेक्शन का उपचार कर चुके हैं। और पढ़े
डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें| कान में फंगस हो जाए तो क्या करें?कान में फंगल इन्फेक्शन है तो बिना जांच कराए दवा न लें। केवल लक्षणों को देखकर यह नहीं बताया जा सकता कि इन्फेक्शन फंगल है या बैक्टीरियल। अगर फंगल इन्फेक्शन होने पर एंटीबायोटिक का सेवन करते हैं तो इससे लक्षण खत्म नहीं होने वाले। इसलिए जांच करवाने के बाद ही एंटी-फंगल या एंटीबैक्टीरियल दवा का इस्तेमाल करें।
कान में फंगस क्यों होता है?क्यों होता है कानों में फंगल इंफेक्शन
अधिक गर्मी या उमस के कारण कानों में नमी बन जाती है। इससे कानों में खुजली होने लगती है। कानों में खुजली होने पर लोग डॉक्टर के पास जाने के बजाय उसमें गर्म तेल डाल लेते हैं। तीलिया डालते हैं या फिर बाइक-स्कूटर की चाबी कान में घुमाते हैं, इससे खुजली वाली जगह पर घाव बन जाता है।
कान का इन्फेक्शन कितने दिन में ठीक होता है?बच्चों में आमतौर पर, कान का संक्रमण 3 दिनों से कम समय तक रहता है, लेकिन यह एक सप्ताह तक बना रह सकता है।
फंगल इन्फेक्शन की सबसे अच्छी क्रीम कौन सी है?Tetmosol Plus Cream एक सामयिक एंटीफंगल क्रीम है जो फंगल त्वचा संक्रमण जैसे दाद, जॉक खुजली, एथलीट के पैर से राहत प्रदान करती है.
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